Vinayiasacademy.com 1.संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की पद्धति क्या है? 2. अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? 3. अमेरिका के राष्ट्रपति के चुनाव को समझाइए?
संयुक्त राज्य अमेरिका में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति से होता है। जिसमें भारत के ही जैसे यहां नागरिक गुप्त मतदान का प्रयोग करते हैं। इसके लिए अमेरिका में एक इलेक्टोरल कॉलेज बनाया जाता है ,जिसमें वे सारे सदस्य शामिल होते हैं जो राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं। इस मतदान से निर्वाचित सभी सदस्य राष्ट्रपति का सीधा चुनाव करते हैं।vinayiasacademy.com अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की संवैधानिक प्रक्रिया-
अमेरिका के संविधान में अनुच्छेद 2 में यह जानकारी दी गई है कि अमेरिका के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होगा। इस क्रम में सबसे पहले प्राथमिक स्तर पर दल का एक प्रतिनिधि चुना जाता है, हालांकि इस प्रक्रिया के लिए संविधान में लिखित उल्लेख नहीं है लेकिन राजनीतिक दल द्वारा अपने क्षेत्रीय प्रतिनिधि को नियुक्त करने के लिए चुनाव में भाग लेना जरूरी है। जब प्राथमिक चुनाव होता है तो चुनाव में चुना गया दल प्रतिनिधि दूसरे दौर में राजनीतिक दल का हिस्सा बन जाते हैं और वे अपने पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चुनाव कर सकते हैं। इस दूसरे दौर में नामांकन की प्रक्रिया होती है ,अमेरिका में प्रथम दौर, दूसरा दौर और तीसरा दौर होता है। तीसरे दौर में चुनाव प्रचार होता है और टेलीविजन पर अलग-अलग उम्मीदवार की बहस होती है। सामान्य रूप से इस चुनाव में प्रतिनिधियों की कुल संख्या 538 होती है। चुने गए सभी सदस्य अब राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं इसलिए इस मतदान के बाद अगर जिस व्यक्ति को 270 वोट प्रतिनिधियों का मिल जाता है वह अमेरिका का राष्ट्रपति बन जाता है।vinayiasacademy.com
हम यह कह सकते हैं कि अमेरिका में लोग सीधे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए वोट नहीं देते। बल्कि वह पहले प्रतिनिधियों को चुनते हैं और वह प्रतिनिधि राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं ।अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव प्रत्येक 4 वर्ष के बाद होता है। अमेरिका में मतदाता को सीधे राष्ट्रपति को वोट देने में परहेज किया गया है ।यह व्यवस्था भारत में भी लागू है। अमेरिका के हर राज्य में इलेक्टर की संख्या पहले से तय है कि कितने लोग राष्ट्रपति के चुनाव में वोट करेंगे ।हर राज्य में 2 सेनेटर होते हैं जबकि प्रतिनिधि सभा जो कि अमेरिकी कांग्रेस का निम्न सदन के सदस्यों की संख्या राज्य में अलग-अलग होती है। जिस राज्य की आबादी जितनी है वहां उसी अनुपात में प्रतिनिधि होते हैं जिसे हर 10 साल में पुनः गणना करके बदला जाता है अगर कैलिफोर्निया की बात की जाए तो यहां इलेक्ट्रिक की संख्या अधिकतम होती है टेक्सास में दूसरे नंबर पर, न्यूयॉर्क में 29 फ्लोरिडा में 30 होती है अमेरिका के साथ छोटे राज्य में काफी बिरलअ बादी ,उसमें इलेक्टर अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी यानी कि डिस्टिक आफ कोलंबिया में भी होते हैं ।अमेरिका की सबसे कम आबादी वाले वहां की राज्य के भी इलेक्टर होते हैं।
जैसा कि हम जानते हैं कि अमेरिका में दोहरी नागरिकता है और दो प्रकार के संविधान भी हैं इसलिए चुनाव की प्रक्रिया अलग-अलग राज्यों में अलग होती है। इसके लिए संबंधित कानून हर राज्य का अलग है संविधान के अनुसार सीनेटर और प्रतिनिधि सभा के सदस्य दल ऑफिस से जुड़े लोग इलेक्टर नहीं बन सकते हैं। वे लोग भी इलेक्टर का हिस्सा नहीं बनेंगे जिन्होंने कभी भी अमेरिका के दुश्मनों का साथ दिया है।
अब यहां पर यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रपति पद के लिए जो उम्मीदवार खड़े हुए उनके लिए ही इलेक्टेर भी खड़ा हुआ है। अलग अलग राज्य में इसलिए वोट डालते समय राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी के नाम के नीचे इलेक्टर का नाम भी छपा रहता है। इस तरह मतदाता जब राष्ट्रपति पद के अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट देते तो वह वास्तव में इलेक्टर को ही वोट देते हैं।vinayiasacademy.com यहां ऐसा भी हो सकता है कि एलेक्टर किसी एक खास पार्टी का है और बाद में वह बदल जाए हालांकि अभी तक शत-प्रतिशत इलेक्टर उसी राष्ट्रपति को चुना है जिसके पक्ष में वह वोट लिया है ।अगर मान लीजिए कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए किसी प्रत्याशी को 270 वोट नहीं मिलता है तो प्रतिनिधि सभा को ये अधिकार है कि वो राष्ट्रपति का चुनाव करें और सेनेट को अधिकार है कि वह उपराष्ट्रपति का चुनाव करें।
अमेरिका में चुनाव के पहले एक पॉपुलर वोट होता है जिसमें आम लोगों से देखा जाता है कि वह किसे राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं ऐसा 4 बार हो चुका है कि पॉपुलर वोट को जीतने वाला प्रत्याशी बाद में इलेक्टोरल वोट में हार गया। अंतिम रूप से राष्ट्रपति वही बनता है जिसे इलेक्टोरल कॉलेज ने वोट दिया है।
अमेरिका में अगर चुनाव की बात की जाए तो 1804 ईस्वी में यहां एक बार चुनाव हो चुका था। पहले यह व्यवस्था थी अमेरिका में कि सबसे ज्यादा वोट लाने वाला व्यक्ति राष्ट्रपति बनेगा और दूसरे नंबर पर रहने वाला व्यक्ति उपराष्ट्रपति बनेगा ।जैसा कि हम जानते हैं कि यहां हर 4 साल के बाद चुनाव होता है अब दोनों के लिए अलग-अलग चुनाव होता है ।हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव जिसे प्रतिनिधि सभा कहते हैं, इसके सदस्य की संख्या 435 होती है वही दूसरे सदन सेनेट में 100 सदस्य होते हैं इसके अतिरिक्त अमेरिका का कोलंबिया से 3 सदस्य हैं इस तरह संसद में कुल 538 सदस्य हो गए।
अभी तक अमेरिका में दो दल की प्रथा रही है इसलिए यहां पर मिली जुली सरकार बनने का कोई विशेष खतरा नहीं होता है। यहां की दो प्रमुख पार्टियों में रिपब्लिकन पार्टी और डेमोक्रेटिक पार्टी है।
अगर अमेरिका में किसी को राष्ट्रपति बनना है तो निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए पहला कि उसका जन्म अमेरिका में ही हुआ और वह कम से कम 14 साल उस देश में रहा हो ।उसकी आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए और उसे अंग्रेजी भाषा आना जरूरी। अमेरिका के संविधान में यह भी लिखा हुआ है कि कोई भी व्यक्ति अमेरिका में अधिकतम दो ही बार राष्ट्रपति बन सकता है क्योंकि भारत के संविधान में यह लिखा हुआ नहीं है। अमेरिका के संविधान के अनुच्छेद 2 में राष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया को बताया गया है।
अगर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव को आसान भाषा में समझा जाए तो एक कॉकस में पार्टी के सदस्य जमा होते हैं। यह किसी भी सार्वजनिक स्थल पर हो जाता है जिसमें उम्मीदवार के नाम पर चर्चा होगा और वहां जो भी लोग मौजूद होते हैं वह नाम बोलते साथ ही हाथ उठाकर सहमति दे देते हैं। लेकिन इसके बाद एक प्राइमरी प्रथा होता है जिसमें मतपत्र के जरिए मतदान होता है हर राज्य के नियम के हिसाब से इसे किया जाता है पर इसके बाद राष्ट्रपति का नाम तय होता है। आमतौर पर अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया आयोवा और न्यू हेंपशायर से शुरू होती है। यह दोनों छोटे राज्य है लेकिन यहां पर लगभग 99% लोग श्वेत जबकि पूरे अमेरिका में लगभग 75% आबादी स्वेतों की है ।अगर इस चुनाव में कोई राष्ट्रपति आगे निकल जाते तो मनोवैज्ञानिक आधार पर इसका असर दूसरे राज्यों में पड़ जाता है। अमेरिका में चुनाव आमतौर पर नवंबर महीने में पड़ने वाले पहला सोमवार के बाद पहले मंगलवार को ही हो जाता है। यह प्रक्रिया 60 दिन पहले ही शुरू हो जाती है और अगर अमेरिका के कोई व्यक्ति देश से बाहर है तो वह ऑनलाइन वोट डाल सकते हैं। अगर भारत से तुलना किया जाए तो अमेरिका के राष्ट्रपति की मंत्रिमंडल बिल्कुल अलग होती है यहां अगर राष्ट्रपति को लगता है कि विपक्षी पार्टी के किसी सदस्य या कोई विशेषज्ञ है तो उसे भी मंत्री बनाया जा सकता है। अगर एक पार्टी में लगभग 20 लोग राष्ट्रपति पद की दौड़ में है तो उन्हें पहले हर राज्य में होने वाले को काॅकस या प्राइमरी चुनाव में सबसे अधिक डेलीगेट का समर्थन हासिल करना ही पड़ेगा और इसी के आधार पर राष्ट्रीय विचारधारा तैयार हो जाती है। जब प्राइमरी इलेक्शन समाप्त हो जाता है तो तस्वीर साफ हो जाती है और दोनों पार्टी की तरफ से अलग-अलग उम्मीदवार की घोषणा हो जाती है। अमेरिका में शपथ की तारीख भी पहले से तय होती है और 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद का शपथ ले लिया जाता है। वर्तमान में अमेरिका में कैलिफोर्निया के पास 415 डेलिगेट्स और टेक्सास के पास 228 नॉर्थ केरोलीना में 110 डेलीगेट।vinayiasacademy.com