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भारतीय नगरों का कार्यात्मक वर्गीकरण करें

  • गांव तथा शहर में अपने अपने कार्यों को लेकर एक दूसरे से काफी भिन्नता है। गांव मुख्यता कृषि उत्पादन से जुड़े होते हैं अधिशेष उत्पादन गांव द्वारा वस्तु विनिमय के निमित्त उपयोग में लाया जाता है। जिस गांव तक अन्य गांव की बहुत होती है वह वस्तु विनिमय का नाभिकीय केंद्र बन जाता है। और शीघ्र वहएक कस्बे के रूप में विकसित हो जाता है। अजब हुआ कस्बा अस्तित्व में आता है तो कई कारकों पर आधारित कार्यों को अर्जित करता है जो इस प्रकार हैं-
  • प्रसंस्करण- यह एक कस्बे का सर्वाधिक मूलभूत कार्य होता है जिसके अंतर्गत कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण किया जाता है गेहूं का आटे में तथा तिलहन का तेल में सर्वाधिक सुगम पहुंच वाला गांव सामान्यता प्रसंस्करण केंद्र बन जाता है।
  • कृषि उत्पादों का थोक व्यापार- ऐसे शहर नगरों के कार्यात्मक पति रूप में अगले उच्च स्तर का निर्माण करते हैं। परिवहन सुविधा इन स्वरों में एक निर्णायक कारक होती है। यह छोटे आकार के सहरसा मान्यता परीक्षित होते हैं इनमें एक या अधिक वस्तुओं का विशेष स्थान होता है। जैसे अहमदाबाद सूती वस्त्र सांगली हल्दी बैंगलोर रेशम तथा गुंटुर तंबाकू के लिए प्रसिद्ध है।
  • व्यापार- प्रसंस्करण के उपरांत कस्बों का अगला स्तर व्यापार से जुड़ा होता है जो प्रश्न संस्कृत माल्या विनिर्मित उत्पादों के विनिमय केंद्रों के रूप का कार्य करते हैं। यह बाजार साप्ताहिक या दैनिक आधार पर होते हैं।
  • सेवाएं- इसके अंतर्गत शिक्षा स्वास्थ्य प्रशासन और संचार आदि सम्मिलित हैं। J7 समानता गांव में नहीं होती है इन सभी कार्यों में प्रशासन सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। प्रशासनिक नगरों में कानूनी अदालते पुलिस स्टेशन एवं अन्य सरकारी विभाग भी होते हैं। चंडीगढ़ का प्रशासनिक नगर एक अच्छा उदाहरण है।
  • विनिर्माण एवं खनन- इस प्रकार की गतिविधियां बड़े नगरों के उदय में योगदान देती हैं क्योंकि इनसे बड़े स्तर पर रोजगार अवसरों का जन्म होता है तथा व्यापार सेवा यातायात सहायक उद्योग जैसी अनुपयोगी आर्थिक गतिविधियों का विकास होता है। यह गतिविधियां हर क्षेत्रों से वृहद स्तर पर प्रवासन को आकर्षित करती है। टाटा आयरन एंड स्टील वर्क से चारों और जमशेदपुर का विकास हुआ जबकि को ला रहे हो रानीगंज खनन गतिविधियों के फल स्वरुप विकसित हुए।
  • परिवहन- सभी पर आदि गतिविधियों तथा नगर के विकास एवं विकास हेतु परिवहन। सकता है इसलिए ज्यादातर नगर रेलवे विकसित होते हैं। कोलकाता, मुंबई ,चेन्नई ,पारादीप इत्यादि नगरों का विकास बंदरगाहों के आसपास हुआ है।
  • पर्यटन- पर्यटन स्थाई निवासी से जुड़ी महत्वपूर्ण गतिविधि है। तीर्थ स्थलों पर परिवहन एवं यात्री निवास की सुविधाओं का विकास होता है। तिरुपति, हरिद्वार, मथुरा, वाराणसी तीर्थ स्थानों के कुछ प्रमुख उदाहरण है। दार्जिलिंग, शिमला, मसूरी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हुए कुछ नगरों में से एक हैं।
  • विभिन्न स्तरों पर नगरों का वितरण इसी प्रकार से होता है छोटे नगर संख्या में अधिक तथा साधन रूप से स्थापित होते हैं।

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