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पेसा कानून मुख्य रूप से आदिवासियों की जमीन को बचाने के लिए तैयार किया गया है .इसके प्रमुख बिंदुओं में आदिवासी की जमीन खरीद बिक्री से पहले ग्राम सभा की सहमति लेना जरूरी है .ग्राम सभा को आदिवासियों की जमीन वापस करने का अधिकार दिया गया है. झारखंड में (manki- मुंडा) सहित अन्य ग्राम प्रधान को ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता का अधिकार मिल गया है. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए ग्राम सभा को आईपीसी की 36 धारा के तहत ₹1000 तक का दंड लगाने का अधिकार है. ग्रामीण की गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे के अंदर पुलिस ग्रामसभा को गिरफ्तारी और अपराध की सूचना दे देगी. ग्राम सभा को bamboo शहद , बेत ,महुआ ,harra-bahera ,करंज, रगड़ा kendu, तेंदू पत्ता सहित औषधीय पौधों पर अधिकार होगा और उसकी सहमति से ही इसका व्यापार शुरू होगा. संविधान के अनुच्छेद 275 के कॉलम एक के अनुसार केंद्र से मिले अनुदान और जिला खनिज विकास निधि पर ग्राम सभा का अधिकार होगा.
झारखंड में हाल में ही विधि विभाग ने पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार pesa रूल पर अपनी सहमति दे दी . महाधिवक्ता ने आपत्ति को खारिज कर दिया. महाधिवक्ता की राय के बाद इस फाइल को ही कैबिनेट को भेजा गया है. 26 जुलाई 2023 को प्रकाशित करके pesa नियम पर लोगों की आम राय मांगी गई थी. इस सिलसिले में आदिवासी बुद्धिजीवी मंच वॉटर कांडुलना रॉबर्ट ming सहित अन्यलोक व संगठन की ओर से सुझाव व आपत्ति दर्ज कराई गई थी. कुछ सुझाव को स्वीकार किया गया .pesa रूल के प्रारूप पर सहमति के लिए फाइल विधि विभाग को भेज भी दिया गया है इसलिए यह वर्तमान में चर्चा में है .वर्तमान में जो कानून बनाया गया है यह नियमावली हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका 49 / 21 और सुप्रीम कोर्ट में दायर सिविल अपील नंबर 484 / 2006 में दिए गए न्यायिक आदेश के रूप ही बनाए गए हैं. झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित पैसा रूल 2002 प्रथम दृष्टि में नियम सम्मिट ही प्रतीत होता है.