- 1310 ई०- अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति छज्जू मलिक ने नागवंशी राजा को कर देने के लिए बाध्य कर दिया ।
- 1340 ई०- तुगलक वंश या मोहम्मद बिन तुगलक ने संस्थानों के सरदारों को हराकर “बीघा” के किले पर अधिकार किया । (नेतृत्वकर्ता- इब्राहिम अली )
- बाद में फिरोजशाह तुगलक ने हजारीबाग के संत गांवा क्षेत्र जीतकर इसे अपनी राजधानी बनाया।1401 ई०-नागवंशी राजा से शिवदास कर्ण ने हापा मुनि मंदिर (गुमला) में स्थापित किया। जहां विष्णु की मूर्ति रखी वह मराठा राजगुरु सियानाथ देव से प्राण प्रतिष्ठा करवाई ।
- 1368ई०-रामगढ़ राज्य की स्थापना (बाघ देव सिंह द्वारा)
- 1500ई०- मुख्य रूप से मुंडा भाषी जनजाति का छोटा नागपुर में प्रवेश।
- 1539ई०- शेरशाह कालीन झारखंड की शुरुआत।
- शेर खां ने झारखंड में मुसलमानों के प्रवेश का मार्ग प्रशस्त किया .
- 3 मार्च 1575 को मुगल सेना की जीत हुई व बिहार तथा बंगाल मुगल शासन के अधीन आ गए।
- शेर खां ने अपने सेनापति को झारखंड के राजा महारथ चोरों के विरुद्ध भेजा । 1588 ई० में रोहतासगढ़ पर उसका अधिकार हुआ ।
- शेर खां के आक्रमण का उद्देश्य (अहमद यादगार के अनुसार) – श्याम सुंदर नामक सफेद हाथी प्राप्त करना ।
- 1585 ई० – मुगलों के कोकरह पर आक्रमण किया । यहां का राजा मधु सिंह था।
- 1589ई० – राजा मानसिंह को बिहार का सूबेदार बनाया गया रोहतासगढ़ का निर्माण इन्होंने ही कराया था ।
- 1605ई०- अकबर की मृत्यु के बाद शेरों ने मुग़ल फौज को मार भगाया और अपनी स्वायत्तता स्थापित कर ली।
- 1612ई०- सफर खां बिहार का सूबेदार नियुक्त (जहांगीर द्वारा)इन्होंने कोकरह के हीरे के खानों पर अधिकार करने का आदेश दिया ।
- 1612ई०- सहबल राय नामक अत्यंत शक्तिशाली चेरो राजा सिंहासनारूढ़ हुआ। 1613ई०- जहांगीर ने सहबल राय को बंदी बनाया वह बाघ से निहत्था लड़ने के लिए कहा जहां उनकी मृत्यु हो गई ।
- 1615ई०- जहांगीर ने इब्राहिम खां को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया व छोटानागपुर पर विद्रोह करने का आदेश दिया ।
- इस समय छोटा नागपुर का राजा कोकरह नाग वंश का राजा दुर्जन साल था।
- दुर्जन साल को “हीरों का राजा “कहा जाता था.
- दुर्जन साल ने आक्रमण रोकने के लिए इब्राहिम खां को हीरे-जवाहरात व उपहार देकर लुभाने की कोशिश की पर वह लालच में नहीं आया और युद्ध में दुर्जन साल को हराकर बंदी बनाकर ग्वालियर जेल में बंद कर दिया .
- जहांगीर ने हीरा परखने के लिए दो बकरों के सींग में असली व नकली हीरे बांधकर कर परखने को कहा । जब दुर्जन साल ने असली हीरे की पहचान कर ली तो इन्हें मुक्त कर दिया गया।
- 1628ई०- जहांगीर को 6000 वार्षिक कर देना दुर्जन साल ने स्वीकार किया।
- 1627 ई०- कोकरह लौट कर इन्हें गद्दी पाने के लिए दोबारा युद्ध करना पड़ा ।
- इन्होंने कोकरह की नई राजधानी (दोइसा) में कई मंदिरों का निर्माण करवाया।
- 1640 ई०- दुर्जन साल की मृत्यु हो गई।
- दोइसा में दुर्जन साल द्वारा निर्मित सर्वाधिक महत्वपूर्ण भवन “नवरत्न गढ़ महल” है ।
- दुर्जन साल के उत्तराधिकारी रघुनाथ शाह ने (1640 से 1690)तक शासन किया ।
- मुगलों का झारखंड के दो भागों से ही संबंध रहा है कोकरह तथा पलामू ।
- शाहजहां ने शाइस्ता खान को खान को नया सूबेदार नियुक्त किया तथा 12 अक्टूबर 1641 को पलामू पर आक्रमण किया ।
- 26 जनवरी 1642 को चेरों -मुगल में युद्ध हुआ जिसमें चेरों की हार हुई।
- 5 नवंबर 1643 में सूरत सिंह व सबल सिंह के सहयोग से प्रताप राय पुनः पलामू की गद्दी पर अधिकार किया।
- 5 मई 1660 को दाउद खां ने पलामू पर आक्रमण करके कोठी और कुंडा के किला पर अधिकार कर दिया।
- औरंगजेब के समकालीन पलामू के चेरों शासक मेदनी राय था उन्होंने 1658 से 1674 ई० तक राज किया।
- 1666 ई०- में मेदिनी राय ने पलामू को मुगलों से छुड़ा दिया और पुनः चेरों शासन स्थापित कर दिया।
- 1674 ई०- मेदिनी राय ने राज्य को समृद्ध व शक्तिशाली बनाया यह समय कृषि के लिए स्वर्ण युग था।
- 1682ई०- सुप्रसिद्ध मंदिरों का निर्माण कराया:- जगन्नाथ मंदिर, बोडै़या में “मदन मोहन मंदिर” (1665), चुटियां में सीता राम मंदिर का निर्माण कराया गया।
- मेदिनी राय द्वारा लूट के पत्थर से एक विशाल फाटक लगाया जिसे पलामू के किले में लगवाया गया यह “नागपुर दरवाजा” कहलाता है।
- 1717ई०- कोकरह पर नागवंशी राम शाह के बाद यदुनाथ शाह गद्दी पर बैठा।
- 1724ई०- यदुनाथ शाह के बाद शिवनाथ शाह गद्दी पर बैठा था तथा फिर से नागवंशीओ का सिक्का जमने लगा।
- 1730ई० में छोटा नागपुर पर आक्रमण कर दिया ।
- 1733ई० में शिवनाथ शाह की मृत्यु हुई और उदयनाथ का नया शासक बना ।
- 1740ई०- बिहार के सूबेदार अलवरदी खां ने नवाब सरफराज को मारकर बंगाल शासन हथिया लिया।
- 1741ई०- 1740 में छत्रपति शिवाजी ने जिस स्वराज की नींव रखी थी वह खतरे में था। मराठों ने बंगाल ,उड़ीसा ,बिहार पर अपनी दृष्टि जमाई। इसके नेतृत्व बाजीराव प्रथम ने किया था। 1741 तक मराठों ने पूरा आधिपत्य जमा लिया था 1742 में इन्होंने बंगाल पर आक्रमण किया।
- मराठों का मुख्य उद्देश्य संपन्न नगरों को अपने अधीन करना