तमाड़ विद्रोह:-
- 1771 में अंग्रेजों ने छोटानागपुर पर अपना अधिकार जमाया .
- जमींदारों ने किसानों की जमीन हड़पी शोषण नीति के कारण उरांव जनजाति में विद्रोह भड़का दी.
- 1789 में विद्रोही जमींदार पर टूट पड़े.
चेरो विद्रोह:-
- 1800ई०- किसानों ने अपने राजा के विरुद्ध विद्रोह किया ।
- पक्षपात नीति का विरोध हुआ जब जयनाथ सिंह को हटाकर गोपाल राय को राजा बनाया गया.
- गोपाल राय के कुछ लोगों ने इनके साथ विश्वासघात किया है जिसके बाद इन्हें पटना जेल में बंदी बनाया गया और गोपाल राय की जगह चुड़ामन को राजा बनाया गया ।
- कर्नल जोंस ने बहुत कोशिश की इस विद्रोह को कुचलने की पर असफल रहे बाद में 1802 में चेरो नेता को फांसी दे दी गई।
हो विद्रोह:-
- यह विद्रोह 1821- 22 में छोटानागपुर के हो लोगों ने सिंहभूम के राजा जगन्नाथ सिंह के विरुद्ध किया था ।
- विद्रोह का कारण :- राजा जगन्नाथ सिंह ने अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार की इसलिए “हो” लोगों ने विद्रोह किया ।
- हो लोग पहले राजा के प्रति तटस्थ थे ।
- 1 साल तक विद्रोह करने के बाद “हो” लोगों ने आत्मसमर्पण कर दिया।
कोल विद्रोह:-
- यह विद्रोह 1831 के लगभग हुआ था।
- पलामू, हजारीबाग व सिंहभूम क्षेत्रों में व्यापक रूप से फैल गया ।
- नेतृत्व कर्ता : नारायणराव गोमध कुमार।
- विद्रोह का कारण:- अंग्रेज लोग कृषि व शिकार पर आश्रित लोगों से जबरन करके वसूली करते तथा अत्याचार करते थे तथा जमीन (दीकुओ को ) को दे दी जाती थी ।
- यह विद्रोह लगभग 5 वर्षों तक चला । उस समय इस विद्रोह का नेतृत्व बुधु भगत, सूर्य मुंडा व सिंह राय कर रहे थे अंग्रेजी सेना के उस वक्त कमान कैप्टन विलकिंसन के हाथों में थी।
- उस वक्त बंगाल तथा झारखंड के अंग्रेजों के नियम समान थे बाद में परिस्थिति को देखते हुए कंपनी ने “रेगुलेशन 8” नाम का नया कानून बनाया।
भूमिज विद्रोह:-
- इस विद्रोह को “गंगा नारायण हंगामा” भी कहा जाता है।
- यह विद्रोह 1832- 33 में हुआ था।
- (नेतृत्व कर्ता- गंगा नारायण सिंह)
- कारण :-आदिवासी उत्पीड़न।
- पुरुलिया का पुराना नाम “मानबाजार” था जिसे 1838 में बदलकर पुरुलिया किया गया। प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार का सबसे बड़ा कारण “भूमिज विद्रोह” बना।
संथाल विद्रोह:-
- यह विद्रोह 1855 में हुआ (नेतृत्व कर्ता सिद्धू कान्हू)
- कारण :-1793 में लॉर्ड कॉर्नवालिस द्वारा शुरू किए गए स्थाई बंदोबस्त के कारण व जमीदारी प्रथा से मुक्ति।
- 1856 ई०- यह विद्रोह वीरभूम, बांकुड़ा और हजारीबाग में फैल गया।
- विद्रोह का नारा :- “करो या मरो अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो”।
- जनवरी 1856 तक संथाल परगना क्षेत्र में इस विद्रोह को दबा दिया ।
- 30 नवंबर 1856 को संथाल परगना जिला को स्थापित किया गया।
1857 का विद्रोह:-
- यह भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम माना जाता है ।
- झारखंड में यह विरोध ज्यादा असरदार नहीं रहा। यह देवघर के रोहिणी ग्राम से शुरू हुआ । 12 जून 1857 में मेजर लैसली की हत्या हुई। (नेतृत्व कर्ता जय मंगल पांडे व सूबेदार माधव सिंह)
- 1857 ई०- 3 अक्टूबर को जय मंगल पांडे को मौत की सजा मिली।
- पलामू में इस विद्रोह के नेतृत्व कर्ता- नीलांबर और पितांबर
- सिंहभूम क्षेत्र में इस विद्रोह के नेतृत्व कर्ता अर्जुन सिंह, भगवान सिंह, रामनाथ सिंह.
- 10 अगस्त 1857 :- मार्शल लॉ लागू (इसमें क्रांतिकारियों को फांसी देने का प्रावधान है।) 1850 ई०-अप्रैल मे लैसलीगंज में नीलांबर-पीतांबर को फांसी दी गई।
सरदारी आंदोलन या साफा – होर आंदोलन:-
- 1850 ई०- अनेक आदिवासियों द्वारा ईसाई धर्म अपनाया गया ।
- ईसाई धर्म के विरुद्ध अनेक जनजातीय सुधारवादी आंदोलन चलाया।
- सरदारी आंदोलन 1859-1881 के बीच चला।
- इसका जिक्र एक्सी राय ने अपनी पुस्तक “द मुंडाज “में किया ।
- विद्रोह का उद्देश्य:- जमींदारों को बाहर करना, बेकारी प्रथा समाप्त करना।
- यह आंदोलन के तीन चरण :
- पहला भूमि आंदोलन (1858-81)
- दूसरा स्थापना संबंधी आंदोलन (1881-90)
- तीसरा राजनीतिक आंदोलन(1890-95)
खरवार आंदोलन या संथाल आंदोलन:-
- नेतृत्व कर्ता – भागीरथ मांझी ।उद्देश्य:- प्राचीन और जनजातीय परंपराओं को पुनः स्थापित करना ।
- प्रभाव क्षेत्र : संथाल परगना।
- इस आंदोलन के प्रति पूर्ण समर्पण वाले “सफाहोर” तथा उदासीन लोग “बाबजिया”कहलाए ।
- बेमन पूजको को मेलबरागर कहा गया।
बिरसा मुंडा आंदोलन:-
- भगवान का अवतार माना जाता था ,लोग इन्हें ‘धरती आबा’ के नाम से भी जानते हैं ।
- 1 अक्टूबर 1894 को इन्होंने लगभग 6000 मुंडाओ को एकत्रित किया एवं 1895 में उन्हें गिरफ्तार किया गया तथा 2 साल का कारावास (हजारीबाग) में दिया गया था।
- विद्रोह का उद्देश्य: स्वतंत्र मुंडा राज्य स्थापना, अंग्रेज सरकार का पूरी तरह दमन करना तथा छोटानागपुर सहित सभी अन्य क्षेत्रों से दिक्कत (बाहरी) को भगाना ।
- निधन :- 9 जून 1900 (राँची)।
- 1908ई०- 11 नवंबर 1908 को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम लागू किया गया । इसके अंतर्गत “मुंडारी खूँटकारी व्यवस्था” को लागू किया गया इससे प्रशासनिक सेवाओं को बेहतर बनाया गया ।
- खूंटी को 1905 में तथा गुमला को 1908 में अनुमंडल बनाया गया।
ताना भगत आंदोलन( जतरा भगत) :-
- यह आंदोलन 1914 में शुरू हुआ (बिरसा मुंडा के आंदोलन से ही यह आंदोलन का जन्म)
- आंदोलन का उद्देश्य:- सामाजिक अस्मिता, धार्मिक परंपरा व मानवीय अधिकारों से संबंधित मुद्दे।