हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में जरूरी है या नहीं न्यायपालिका की नजर से
Vinayias ( स्रोत द हिंदू)
चर्चा में क्यों- कर्नाटक हाई कोर्ट के द्वारा हिजाब को इस्लामिक परंपरा में आवश्यक नहीं बताया गया .इसके बाद इसकी चर्चा शुरू हो गई है. आइए समझते हैं कि hijab का इतिहास क्या है? हमारा संविधान क्या कहता है और विवाद क्यों हो रहा है? हिजाब शब्द अरब भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है छुपाना, रक्षा करना. कुरान में इसका जिक्र आवश्यक तौर पर नहीं किया गया है .कर्नाटक हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा की धार्मिक पुस्तकों में इसे सामाजिक सुरक्षा का दृष्टिकोण बताया गया है . न्यायालय ने यह भी बताया की अब्दुल्ला युसूफ अली की पुस्तक जो अनुवादित है इसमें धार्मिक ग्रंथ कुरान में हिजाब को महिलाओं के लिए आवश्यक नहीं कहा गया है इसलिए हेड स्कार्फ को स्कूल व कॉलेज में पहनना अनिवार्य नहीं होगा और यह संविधान के द्वारा अनुच्छेद 25 के अधिकार का उल्लंघन भी नहीं करता है.
फैसला को सुनाते समय 3 जज जिसमें ऋतुराज अवस्थी न्यायधीश कृष्णा एस दीक्षित और न्यायधीश जीएम काजी शामिल थे
न्यायपालिका ने यह भी कहा कि 5 फरवरी 2022 को जो आदेश स्कूल एवं यूनिवर्सिटी ने लागू किया था वह लागू रहेगा और कर्नाटक शैक्षणिक कानून 1983 जिसमें उडुपी जिला में यह विवाद उत्पन्न हुआ था वहां पर भी लागू होगा.
हिजाब विवाद का इतिहास- सबसे पहले यह विवाद दिसंबर 2021 में शुरू हुआ, जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने udupi जिले में हिजाब पहनने को आवश्यक बताया. जनवरी 2022 में यह मामला और भी ज्यादा चर्चा में आ गया जब हिंदू स्टूडेंट्स ने केसरिया shawl पहनने की इजाजत मांगी .इसके बाद ही आयशा हजीरा अलमस् और 4 अन्य स्टूडेंट उच्च न्यायालय में चले गए .5 फरवरी 2022 को सरकार ने एक गाइडलाइन किया ,जिसमें सभी स्कूल और कॉलेज में एक यूनिफॉर्म लागू करने की वकालत की गई. 9 फरवरी 2022 को चार लड़कियों ने कॉलेज के खिलाफ पिटीशन दायर किया .इसके बाद 3 जज का एक बेंच बनाया गया .फरवरी 2022 को 3 जज के बेंच ने यह बताया कि कोई भी स्टूडेंट किसी धार्मिक सिंबल को पहनकर स्कूल नहीं जाएंगे. जिसमें हिजाब, केसरिया साल, इसका कोई भी धार्मिक झंडा शामिल होगा. 15 मार्च को उच्च न्यायालय ने अध्ययन करने के बाद यह बताया कि हिजाब पहनना इस्लामिक विश्वास में आवश्यक नहीं है.
अब विद्यार्थी सुप्रीम कोर्ट में गए हैं. सुप्रीम कोर्ट में इसी विषय पर चर्चा होगा कि इस्लाम में हिजाब पहनना जरूरी है या नहीं.
यह मामला सर्वोच्च न्यायालय गया है. सर्वोच्च न्यायालय में यह तर्क दिया जाएगा कि जिस प्रकार से सिख समुदाय के लोग अपने साथ कृपाण रखते हैं. हवाई जहाज में भी वे कृपाण लेकर चलते हैं क्योंकि यह उनका धार्मिक सिंबल है. इसी प्रकार से मोटर कानून जिसमें हेलमेट पहनना जरूरी है लेकिन सिख समुदाय में उन्हें आवश्यक नहीं किया गया है. इसी हिसाब से हिजाब के बारे में भी विचार किया जा सकता है.
भारत का संविधान क्या कहता है-
भारत का संविधान अनुच्छेद 25 से लेकर अनुच्छेद 28 तक धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है. अनुच्छेद 29 में सांस्कृतिक गतिविधियों को संरक्षण करने का अधिकार देता है. अनुच्छेद 31 में शैक्षणिक गतिविधियों को संरक्षण करने का अधिकार देता है अल्पसंख्यकों का.
(श्रोत the hindu)Wearing hijab is necessary in Islam religion or not from the point of view of judiciary
Vinayias (Source The Hindu)
Why in the discussion – Hijab was not declared necessary in Islamic tradition by the Karnataka High Court. After this the discussion has started. Let us understand what is the history of hijab? What does our constitution say and why is there controversy? The word hijab is an Arabic word which means to hide, to protect. It is not necessarily mentioned in the Qur’an. Commenting on this, the Karnataka High Court said that in religious books it has been described as an approach to social security. The court also pointed out that in the book of Abdullah Yusuf Ali, which is translated, in the religious text Quran, the hijab has not been said for women, therefore it will not be mandatory to wear head scarf in school and college and it is a right under Article 25 of the constitution. does not violate either.
While delivering the verdict, 3 judges including Justice Rituraj Awasthi, Justice Krishna S Dixit and Justice GM Qazi were present.
The judiciary also said that the order passed by the school and the university on February 5, 2022 will be applicable and will also apply to the Karnataka Educational Act, 1983 in which the dispute arose in Udupi district.
History of Hijab Controversy- This controversy first started in December 2021, in which Muslim women in udupi district said it was necessary to wear hijab. In January 2022, this matter became even more discussed when Hindu students asked permission to wear saffron shawlOnly after this Ayesha Hazira Almas and 4 other students went to the High Court. On 5 February 2022, the government made a guideline, advocating for the implementation of uniform in all schools and colleges. On 9 February 2022, four girls filed a petition against the college. After this a bench of 3 judges was formedOn February 2022, a 3-judge bench ruled that no student would go to school wearing any religious symbol. In which hijab, saffron sal, any religious flag will be included. On 15 March, the High Court, after conducting a study, ruled that wearing a hijab is not a requirement in the Islamic faith.
Now the students have gone to the Supreme Court. The same topic will be discussed in the Supreme Court whether wearing hijab is necessary in Islam or not.
This matter has gone to the Supreme Court. It will be argued in the Supreme Court that the way people of the Sikh community carry kirpan with them. They also carry kirpans in airplanes because it is their religious symbol. Similarly, the Motor Law, which mandates wearing helmets, has not been made mandatory in the Sikh community. Similarly, the hijab can also be considered.
What does the constitution of India say-
The Constitution of India gives the right to religious freedom from Article 25 to Article 28. Article 29 gives the right to the protection of cultural activities. Article 31 gives the right to protection of educational activities of minorities.
(Source the Hindu)
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