1.प्रधानमंत्री कार्यालय के बदलती भूमिका का विश्लेषण कीजिए
2.प्रधानमंत्री कार्यालय का संरचना कैसा है इन दिनों प्रधानमंत्री कार्यालय अधिक महत्वपूर्ण क्यों है
- प्रधानमंत्री कार्यालय का मुख्य काम क्या है ?वह कैसे भारत में एक समानांतर प्रशासन भी चलाता है? इस वाक्य की पुष्टि करते हुए वर्णन करें?
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प्रधानमंत्री कार्यालय जो पहले प्रधानमंत्री सचिवालय के नाम से जाना जाता था, 1977 ईस्वी में जनता पार्टी की सरकार ने इसका नाम परिवर्तित कर दिया. प्रधानमंत्री सचिवालय, सहायता प्राप्त करने के लिए अनुच्छेद 77 के तीसरे कॉलम के द्वारा एक निर्मित प्रशासनिक एजेंसी के रूप में परिभाषित किया जा सकता है ,इसकी शुरुआत 1947 में प्रधानमंत्री पद के सचिव के रूप में हुई थी लेकिन 1977 में इसका नाम परिवर्तित कर दिया गया था .वर्तमान में 1961 के व्यापार आवंटन नियम के द्वारा इसे विभाग का दर्जा है और यह स्टाफ एजेंसी के रूप में कार्यरत है. अगर प्रशासकीय रूप से देखा जाए तो प्रधान सचिव इसकी अध्यक्षता करते हैं .इसमें एक या दो अतिरिक्त सचिव होते हैं और 5 सचिव होते हैं ,कई निदेशक उप सचिव और सचिव के नीचे वाले अधिकारी होते हैं जो कार्मिक विभाग से सिविल सेवा में चयनित अधिकारी होते हैं .इन्हें अनिश्चितकाल के लिए नियुक्त किया जाता है यानी कि इनके कार्यों का विस्तार दिया जाता है. शुरुआती दौर में इस कार्यालय में कम लोग थे और इनकी भूमिकाएं भी सीमित थी. लेकिन लाल बहादुर शास्त्री ने व्यवस्था को मजबूत किया पर इसे शक्तिशाली बनाया श्रीमती इंदिरा गांधी के समय में और भी अधिक शक्तिशाली हो गया जो वर्तमान में अलग-अलग प्रधानमंत्री के समय में इसके कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहता है.
अब यह माने जाने लगा है कि प्रधानमंत्री कार्यालय अधिकारी स्तर पर शक्ति का केंद्र है. इसलिए भारतीय कैबिनेट प्रणाली में वह स्टाफ एजेंसी होने के साथ-साथ कैबिनेट सचिवालय पर कैबिनेट सचिव की भूमिका से भी महत्वपूर्ण है. यही कारण है की प्रधानमंत्री सचिवालय को ही सुपर कैबिनेट माइक्रो कैबिनेट सुपर सेक्रेटेरिएट सुपर अथॉरिटी ऑफ द गवर्नमेंट या सुपर मिनिस्ट्री की संज्ञा दी जाती है
प्रधानमंत्री कार्यालय के निम्नलिखित काम है
जिसमें सरकार के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री को सहायता देना और उन्हें समय-समय पर केंद्रीय मंत्रालय और विभाग में जो फैसला लिया जाता है उन स्थितियों को बताना, योजना आयोग का अध्यक्ष राष्ट्रीय विकास परिषद की सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री की सहायता करना एवं प्रधानमंत्री का जनसंपर्क से जुड़ा काम जैसे प्राकृतिक आपदा के समय हवाई सर्वेक्षण करना ,प्रेस से संपर्क करना, कब किस मुद्दे पर बात करना है, प्रधानमंत्री को कैसा विचार रखना है, वर्तमान में मन की बात ,भी प्रधानमंत्री कार्यालय की ही देन है.
इसी प्रकार से विभाजन कार्यों का नियमावली के तहत जो प्रधानमंत्री के समय चलाए गए हैं ,उसके बारे में बताना विभिन्न मामले की जांच में प्रधानमंत्री को परामर्श देना. राष्ट्रपति राज्यपाल और जो भारतीय प्रतिनिधि विदेश में नियुक्त किए गए उनसे संपर्क बना के प्रधानमंत्री को पूरी जानकारी देना. प्रधानमंत्री का मुख्य रूप से सलाहकार और विचार केंद्र प्रधानमंत्री कार्यालय ही होता है. क्योंकि यह वैसे सभी विषयों का निपटारा करता है जो विभाग प्रधानमंत्री अपने पास रखते हैं और जिसके लिए अलग से मंत्रालय तैयार नहीं करते. इसी प्रकार से केंद्रीय मंत्रिमंडल का चुकी अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं इसलिए मंत्रिमंडल से जुड़ा हुआ सारा काम आज के दिनों में प्रधानमंत्री कार्यालय के जानकारी में ही होता है जैसे कि अगर पेट्रोलियम मंत्रालय के द्वारा किसी चीज की कीमत बढ़ानी हो या फिर कोयला मंत्रालय के द्वारा किसी माइन्स ऑक्शन करनी हो या फिर किसी राज्य को आर्थिक पैकेज देना हो ऐसी चीजों में प्रधानमंत्री कार्यालय की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है. वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय में लगभग 400 कर्मचारी कार्यरत है और यही कारण है कि समानांतर प्रशासन भी कहा जाता है यह माना जाता है कि प्रधानमंत्री के नियंत्रण में रहने वाला प्रधानमंत्री कार्यालय को कोई दूसरा विभाग निर्देश नहीं दे सकता है और यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि भारतीय राजनीति और भारतीय प्रजातंत्र में प्रधानमंत्री की भूमिका ही सर्वोपरि है.