Share it

मुल्य

व्यक्तित्व की समानता और परिपक्वता इस बात पर निर्भर करती है कि व्यक्ति की सामाजिक और व्यक्तिक मूल्यों की प्रणाली है या नहीं। मूल्य व्यक्ति के जीवन को अर्थ पूर्ण बनाते हैं तथा उन्हें एक दिशा प्रदान करते हैं।

गैरेट के अनुसार मूल्य कोई भी चीज है जो एक मनुष्य के पास होनी चाहिए।
स्किनर के अनुसार यह एक अनुपम शाब्दिक प्रत्यय है जो किसी महत्व को किसी विशिष्ट प्रकार की वस्तुओं कार्यों और दशकों से जोड़ता है।
मूल्य किसी चीज के प्रति व्यक्ति का आकर्षक है वह जो कुछ किसी व्यक्ति में या स्वयं में ढूंढता है उसका सार है। नियम के रूप में एक व्यक्ति उन मूल्यों को अपनाता है जो उसकी इच्छाओं को पूरा करने में सहायता करता है तथा जी ने उस समूह द्वारा स्वीकृत किया जाता है जिससे वे जुड़े होते हैं इस प्रकार मूल्य व्यक्ति के व्यक्तित्व द्वारा प्रभावित भी होता है तथा व्यक्तित्व को प्रतिबिंबित भी करता है। आधार पर व्यक्तियों में काफी अंतर होता है और यही कारण है कि एक ही वस्तु व्यक्ति स्थिति के बारे में निर्णय में अंतर होता है।
मूल्यों का विकास
कोई भी चीज जो व्यक्ति के लिए लाभकारी होती है उसके लिए मूल्यवान हो जाती है कोई भी वस्तु जो एक व्यक्ति के लिए लाभदायक है लेकिन दूसरे के लिए हानिकारक हो सकती है इस प्रकार दर्शनशास्त्र की दृष्टि से मूल्य किसी विचार या दृष्टिकोण से प्रत्यक्ष रूप से संबंधित होता है। बच्चा घर तथा स्कूल में मिलने वाले प्रशिक्षण से तथा माता-पिता और अध्यापकों का अनुकरण करके सामाजिक समूह के सांस्कृतिक रूप से स्वीकृत मूल्यों को सीखता है जिस समूह के साथ वह अपनी पहचान बनाता है। जब बालक अपने आयु वाले समूह के मूल्य सीखता है अपने पड़ोसियों से जनसंचार माध्यमों द्वारा प्रस्तुत मूल्यों को सीखता है जैसे कि फिल्म में रेडियो टेलीविजन समाचार पत्र पत्रिकाओं तथा पुस्तकों द्वारा प्रस्तुत किए गए मूल्य इनमें से कई मूल्य तो वही होते हैं जो घर तथा स्कूल में सीखे गए होते हैं। विभिन्न वातावरण साधनों द्वारा सीखे के मूल्य आंखों पर निर्भर करते हैं वे इस प्रकार हैं
1)  व्यक्ति का बौद्धिक स्तर
2) कुछ मूल्यों की  स्वीकार और  अस्वीकार करने के लिए सामाजिक बल
3) वह विधि जिसके द्वारा यह मूल्य प्रस्तुत किए जाते हैं
4) उस व्यक्ति के साथ सीखने वाले व्यक्ति का संबंध जिसके मूल्य सीखने वाले व्यक्ति के सम्मुख सीखने के लिए प्रस्तुत किए जाते हैं
5) परिवारों का आकार बच्चा परिवार की पद्धति सहयोग आदि से जुड़े मूल्यों को सीखता है जबकि छोटे परिवारों में अभिव्यक्ति और व्यक्ति करण परिवार की सक्रियता में योगदान करते हैं
मूल्य  वृद्धि करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए गए हैं
विद्यार्थियों का स्वयं अपनी पसंद चुनें के लिए प्रोत्साहित किया जाना तथा उन्हें निडर और बेफिक्र होकर चयन करने देना चाहिए।
चयन प्रक्रिया में उपलब्धि की खोज और उसकी जांच करने में विद्यार्थियों की सहायता करनी चाहिए।
इन के परिणामों को आंकने में सहायता करनी चाहिए।
विद्यार्थियों को उनकी पसंद या चयन को प्रदर्शित करने तथा बहस करने के अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
जातियों को उनकी पसंद या चयन के अनुसार कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
गाड़ी मूल्यों के प्रशिक्षण की प्रक्रिया है ना कि मूल्यों को थोपा जाना। मूल्यों को पठन सामग्री और पाठ्य पुस्तकों द्वारा भी प्रस्तुत किया जाता है पाठ्यपुस्तक बहुत ही महत्वपूर्ण शैक्षिक साधन है जिसे विद्यार्थी बार-बार पड़ता है। कहानी के माध्यम से मूल्यों को प्रस्तुत करना महान व्यक्तियों के जीवन में घटित घटनाओं द्वारा भी मूल्यों का प्रशिक्षण संभव है।

मूल्यों में परिवर्तनः जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता है वैसे वैसे वह दूसरी संस्कृति तथा सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि में आए लोगों के संपर्क में आता है तब वह अपने मूल्यों में परिवर्तन लाता है इसके अतिरिक्त उसके स्वयं के जीवन के अनुभव उसे नए मूल्यों से अवगत कराते हैं तथा वह बिना किसी आलोचना के इन बदले हुए मूल्यों को स्वीकार करता है। उदाहरण के लिए मध्यम वर्गीय परिवार में यह समझा जाता है कि ईमानदारी लोकप्रियता में बाधक है और वे अपने मित्रों की बेईमान तरीकों से सहायता करना चाहेंगे ठीक उसी प्रकार निम्न वर्गीय परिवारों में ईमानदारी का पाठ घर पर पढ़ाया जाता है लेकिन बाद में उन्हें पता चलता है कि ईमानदारी से उन्हें कुछ भी मिलने वाला नहीं है। प्रौढ़ावस्था में युवा काल के मूल्यों का महत्व कम होता है जैसे किशोरावस्था में शिष्टाचार प्रेम मेल मिलाप इत्यादि का सम्मान किया जाता है। मूल्यों में परिवर्तन कब और कितना होता है तथा इन मूल्यों में परिवर्तन के क्या कारण हो सकते हैं इसके समायोजन में किस प्रकार प्रभावित होता है इसे जानने के लिए इसके परिवर्तन  को चार क्षेत्रों मैं विभाजित किया जाता हैः
कार्य
धर्म
नवीन और भिन्न
धन का उपयोग

शिक्षा के द्वारा सामाजिक मूल्यों को विद्यार्थियों में विकसित करने के उपायः शिक्षा के लिए केवल सामाजिक तथा दूसरे मानव तुल्य को जानना ही आवश्यक नहीं अपितु उसे यह भी पता होना चाहिए कि इन मूल्यों को कक्षा में किस प्रकार प्रभावशाली ढंग से बढ़ाया जा सकता है इसके लिए एक सरल विधि तो यह है कि मूल्य शिक्षा के कुछ पाठ्य पुस्तकों में डाल दिए जाने चाहिए तथा विद्यार्थियों को इसके बारे में निर्देशन देना चाहिए कि उनको इन मूल्यों के बारे में क्या-क्या ज्ञान प्राप्त करना है तथा क्या या ज्ञान प्राप्त हो गया है कि नहीं। का मूल्यांकन कैसे किया जाए यह सारी चीजें। परंतु इस प्रकार की प्रक्रिया से तो विद्यार्थियों के साथ केवल मूल्यों के बारे में बात कर सकते हैं परंतु शिक्षा का उद्देश्य तो विद्यार्थियों में मूल्यों के प्रति गहरी भावना  भरना है। इसलिए केवल शिक्षण या निर्देशन पर्याप्त नहीं है  इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों को ध्यान में रखना आवश्यक हैः
  मूल्यों के बारे में स्पष्ट विचारधारा होनी चाहिएः मूल्यों के बारे में विवेचना अनावश्यक नहीं होती वास्तव में मूल्यों के बारे में जितनी विवेचना की जाए उतना ही मूल्यों के बारे में स्पष्टता सिद्ध होती चली जाएगी। इसलिए विद्यार्थियों को शिक्षण तथा निर्देशन देने के बजाय यह अधिक अच्छा होगा कि उनके साथ विवेचना की जाएगी सहयोग हमारे जीवन में क्यों आवश्यक है इस प्रकार शिष्टाचार के मूल्य का उदाहरण लेना चाहिए कि लोगों में शिष्टाचार के बिना काम क्यों नहीं चलता।
  धार्मिक तथा नैतिक शिक्षाः सभी देशों में नैतिक शिक्षा तथा धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आरंभ हुई तथा अभी भी बहुत देश ऐसे हैं जिनमें नैतिक शिक्षा किसी धर्म के आधार पर दी जाती है। हमारे देश में कुछ लोगों का विचार है कि धार्मिक शिक्षा के बिना नैतिक शिक्षा नहीं दी जा सकती क्योंकि हमने भारतीय संविधान के अनुसार धर्मनिरपेक्षता के नियम को स्वीकार कर लिया है इसलिए कोई भी राजकीय या मान्यता प्राप्त स्कूल किसी धर्म की शिक्षा प्रदान नहीं कर सकता दूसरा विभिन्न धर्मों का आपसी तनाव इतना है कि उनके आधार पर एक अच्छी नैतिक शिक्षा प्रदान करना लगभग असंभव है हमारे देश में तो धर्म के नाम पर ही देंगे तथा झगड़े होते रहते हैं परंतु यह हमारा सौभाग्य है कि प्राचीन समय से ही हमारे देश में एक परंपरा रही है कि सभी धर्मों के कथनों से ऊपर उठो और सच्चाई की खोज करो इसलिए अध्यापक का यह महत्वपूर्ण कर्तव्य बन जाता है कि वह इस परंपरा के बारे में विद्यार्थियों को सटीक जानकारी दें।
सृजनात्मक कार्यः सामाजिक तथा मानवीय मूल्य शिक्षा केवल शब्दों द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता इस प्रकार की शिक्षा उपयुक्त प्रकार के कार्यों से ही संभव है इसलिए उपयोग सामाजिक तथा नैतिक मूल्यों को विद्यार्थियों में प्रोत्साहन करने के लिए कई सारी क्रियाओं का करना आवश्यक है।
सेमिनार ओं का प्रबंधः विद्यार्थियों तथा अध्यापक के बीच सेमिनार ओं का आयोजन किया जाना चाहिए इन सेमिनार ओं तथा गोष्ठियों का यह लाभ होगा कि विद्यार्थी में बोलने तथा सोचने की क्षमता बढ़ेगी और वे अपने देश की समस्याओं का विवेचना कर सकेंगे विद्यार्थियों को विभिन्न समस्याओं के बारे में सोचने और बोलने के बारे में अवसर दिए जाने चाहिए तथा उन्हें यह कह देना चाहिए कि अपने विचार प्रकट करते समय वह किसी प्रकार के डर का एहसास ना करें तथा बेधड़क होकर सब कुछ बोले जिसे भी अच्छा या बुरा समझते हैं।

गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांतः बहुत बृद्धि सिद्धांत का प्रतिपादन हावर्ड गार्डनर के द्वारा किया गया था। इनके अनुसार बुद्धि कोई एक तत्व नहीं है बल्कि कई भिन्न भिन्न प्रकार की बुद्धि यों का अस्तित्व होता है प्रत्येक प्रकार की बुद्धि एक दूसरे से स्वतंत्र रहकर कार्य करती है। गार्डनर के अनुसार किसी समस्या को हल करने के लिए कार की बुधिया आपस में अंतर क्रिया करते हुए साथ-साथ कार्य करती है गार्डन में अपने-अपने क्षेत्रों में असाधारण योग्यताओं का प्रदर्शन करने वाले प्रतिभा सीन व्यक्तियों का अध्ययन किया तथा इसके बाद उसने आठ प्रकार की विधियों का वर्णन कियाः
भाषागत बुद्धिः भाषागत बुद्धि विचारों को प्रकट करने तथा दूसरे व्यक्तियों के विचारों को समझने के लिए भाषा का उपयोग करने की योग्यता है। यह बुद्धि जिन व्यक्तियों में अधिक होती है वह व्यक्ति शब्द कुशल होते हैं। इस प्रकार के व्यक्ति शब्द के भिन्न भिन्न अर्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं तथा अपने मन में भाषा के विंबो का निर्माण करने की क्षमता रखते हैं तथा शुद्ध एवं भाषा का प्रयोग करते हैं इस प्रकार की बुद्धि लेखकों तथा कवियों में अधिक पाई जाती है।
तार्किक गणितीय बुद्धिः तार्किक गणितीय बुद्धि उन व्यक्तियों में पाई जाती है जिनमें तार्किक तथा आलोचनात्मक चिंतन की क्षमता होती है इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति अमूर्त तर्क ना करते हैं तथा गणितीय समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रतीकों का प्रस्ताव अच्छी प्रकार से करते हैं। इस प्रकार की बुद्धि वैज्ञानिकों तथा नोबेल पुरस्कार विजेताओं में पाई जाती है।
देशिक बुद्धिः यह बुद्धि मानसिक विंबो को बनाने उनका प्रयोग करने तथा उनमें मानसिक धरातल पर परिमार्जन करने की क्षमता है इस प्रकार की बुद्धि रखने वाला व्यक्ति देशिक सूचनाओं को अपने मस्तिष्क में रख सकता है इस प्रकार की बुद्धि  मूर्तिकार, नाविक, विमान चालक, चित्रकार, वास्तुकार, शल्य चिकित्सक आदि में पाई जाती है ।
संगीत आत्मक बुद्धिः संगीति अभीरचनाओं को उत्पन्न करने उनका सर्जन करने तथा प्रसन्न करने की योग्यता संगीत आत्मक बुद्धि कहलाती है। इस प्रकार की बुद्धि वाले लोग ध्वनियों, स्पंदन ओ तथा ध्वनियों की नई अभी रचनाओं से सर्जन के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
शारीरिक गति संवेदी बुद्धिः शारीरिक गति संवेदी बुद्धि किसी वस्तु अथवा उत्पाद के निर्माण के लिए अथवा मात्र शारीरिक प्रदर्शन के लिए संपूर्ण शरीर अथवा उसके किसी एक या एक से अधिक मांग की लोच तथा पेशियां कौशल की योग्यता होती है। इस प्रकार की बुद्धि  खिलाड़ियों, अभिनेत्रियों, ना तो तथा शल्य चिकित्सकों में अधिक पाई जाती है।
अंतर व्यक्तिक बुद्धिः यह बुद्धि वह योग्यता है जिसके द्वारा व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की अभिप्रेरणा, उद्देश्य, व्यवहारों, भावनाओं का सही बोध करते हुए उसके साथ मधुर संबंध स्थापित करता है। इस प्रकार की बुद्धि मनोवैज्ञानिकों राजनीतिज्ञों परामर्शदाता धार्मिक नेताओं तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं में पाई जाती है।
अंतः व्यक्ति बुद्धिः यह बुद्धि वह योग्यता है जिसके अंतर्गत व्यक्ति को अपनी शक्ति तथा कमजोरियों का ज्ञान और उस ज्ञान का दूसरे व्यक्तियों के साथ सामाजिक अंतर क्रिया में उपयोग करने का ऐसा कौशल शामिल है जिससे वह अन्य व्यक्तियों से प्रभावशाली संबंध स्थापित कर सकता है इस प्रकार की बुद्धि वाले व्यक्ति अपनी पहचान मानव अस्तित्व तथा जीवन अर्थ को समझने में अति संवेदनशील होते हैं इस प्रकार की बुद्धि आध्यात्मिक नेताओं तथा दार्शनिकों में देखने को मिलती है।
प्रकृति वादी बुद्धिः प्रकृति वादी बुद्धि का तात्पर्य प्राकृतिक पर्यावरण से हमारे संबंधों की पूर्ण अभिज्ञता से है। यह बुद्धि विभिन्न पशु पक्षियों तथा वनस्पतियों के सौंदर्य का बोध करने में तथा प्राकृतिक पर्यावरण में सूचीबद्ध करने में मदद करती है। इस प्रकार की बुद्धि किसान, पक्षी विज्ञानी, प्राणी विज्ञानी, वनस्पति विज्ञानी, प्रकृति वादी में अधिक पाई जाती है।

बुद्धि हैः
एक अकेला और जातीय विचार
सामर्थ्य का एक समुच्चय
एक विशिष्ट योग्यता
अनुकरण करने की योग्यता

बुद्धि के तरल क्रिस्टलीय प्रतिमान के प्रतिपादक कौन थे
वन॓न
स्किनर
थोनडाइक
कैटल

गार्डनर के बहु बुद्धि के सिद्धांत के अनुसार वह कारक जो व्यक्ति के आत्मबोध हेतु सर्वाधिक योगदान देगा वाह हो सकता है
अंतः व्यक्तिक
संगीतमय
आध्यात्मिक
भाषा विषयक


Share it