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लोकायुक्त की नियुक्ति कैसे की जाती है? लोकायुक्त के क्या काम होते हैं ?लोकायुक्त के लिए क्या योग्यता होनी चाहिए?vinayiasacademy
भारत में लोकायुक्त का सबसे पहले गठन 1971 में महाराष्ट्र में हुआ था। उसके पहले उड़ीसा में यह अधिनियम बन गया था 1970 में लेकिन 1983 में में इसे लागू किया गया ।लोकायुक्त की स्थापना राज्यों में की जाती है यही कारण है कि सभी राज्य में लोकायुक्त एक जैसे नहीं है। राजस्थान कर्नाटक आंध्रप्रदेश महाराष्ट्र में लोकायुक्त के साथ उप लोकायुक्त के पद का भी गठन है जबकि बिहार उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश में सिर्फ लोकायुक्त है। पंजाब उड़ीसा में कई अधिकारियों को लोकायुक्त बना दिया गया है। इसकी नियुक्ति संबंधित राज्य के राज्यपाल करते हैं ।राज्य के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता से परामर्श करते हैं ।लोकायुक्त बनने के लिए योग्यता जरूरी है।
अलग-अलग राज्यों में लोकायुक्त के कार्य भी अलग रखे गए हैं। हिमाचल प्रदेश आंध्र प्रदेश मध्य प्रदेश और गुजरात में मुख्यमंत्री को लोकायुक्त के जांच के दायरे में रखा गया है। जबकि महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश राजस्थान बिहार उड़ीसा में यह लोकायुक्त के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। हिमाचल प्रदेश आंध्र प्रदेश गुजरात उत्तर प्रदेश और असम राज्य में विधानसभा सदस्य को लोकायुक्त के दायरे में रखा गया है। वहीं महाराष्ट्र में पूर्व मंत्री और कर्मचारी को भी इसमें शामिल किया गया है।


महाराष्ट्र उत्तर प्रदेश असम बिहार कर्नाटक में लोकायुक्त के पास आने वाली शिकायत में इसकी जांच कर सकता है।vinayiasacademy हिमाचल आंध्र प्रदेश राजस्थान गुजरात में भी भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में हुआ जांच करता है। लोकायुक्त संबंधित राज्य के राज्यपाल को अपने कार्य का एक वार्षिक विवरण भी सकता है।
वर्ष 2016 में लोकपाल और लोकायुक्त संशोधन विधेयक पारित हुआ। इसके द्वारा लोक सेवक द्वारा जो संपत्ति अर्जित की जाती है इसका पूरा ब्यौरा देना जरूरी कर दिया है। कुछ राज्यों में यह व्यवस्था बनाई गई है जिसमें बिना शिकायत का यह जांच नहीं कर सकता है ।नए नियमों के मुताबिक कोई भी सरकारी कर्मचारी को पद ग्रहण करने की तिथि के 30 दिन के अंदर अपनी संपत्ति और देनदारी तथा लेनदारी का विवरण देना जरूरी होगा ।इसके अंतर्गत पति पत्नी और आश्रित बच्चों की संपत्ति देनदारी वाले शामिल होती है ।प्रत्येक लोकसेवक को प्रतिवर्ष 31 जुलाई के पहले और उस वर्ष 31 मार्च तक की संपत्ति का विवरण भी देना पड़ता है, 31 अगस्त तक इस घोषणा से संबंधित बयान अलग-अलग मंत्रालय की वेबसाइट पर प्रकाशित करना जरूरी है


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