असहयोग आंदोलन क्यों शुरू हुआ खिलाफत आंदोलन से इसका क्या संबंध था आंदोलन के बाद की घटनाओं पर चर्चा करें#vinayiasacademy.com# प्रथम विश्वयुद्ध के बाद तुर्की की हार हुई थी और तुर्की से खलीफा का पद हटा दिया गया था भारत के मुसलमानों ने इसे अपना अपमान समझा और उन्होंने तुर्की के खलीफा के सम्मान में खिलाफत आंदोलन की शुरुआत की सितंबर 1920 में गांधीजी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी असहयोग आंदोलन शुरू करने का निर्णय किया गांधीजी ने कहा 1 वर्ष में स्वराज देने का नारा दिया जनता से अपील किया कि वे स्कूल कॉलेज अदालत विधानसभा और विदेशी कपड़ा का बहिष्कार कर दे सरकार ने जो उपाधि दी थी उसे लौटा दें क्योंकि जालियांवालाबाग घटना के बाद स्वयं गांधी जी ने केसर ए हिंद की उपाधि और रविंद्र नाथ टैगोर ने सर की उपाधि लौटा दी थी इसी समय कांग्रेस कहां शुल्क चार आना कर दिया गया था जिसके ग्रामीण और शहरी गरीब लोग भी इसका सदस्य बन सके
1920 से 22 के दौरान जन आंदोलन में कांग्रेस का बहुत अधिक विस्तार हुआ लाखों विद्यार्थी स्कूल कॉलेज छोड़कर आंदोलन में आ गए कई वकील ने अपनी वकालत छोड़ दी अधिकांश मतदाताओं ने चुनाव में भाग लेने से इंकार कर दिया विदेशी कपड़ा और शराब की दुकानें बंद कर दी गई मजदूर और किसान हड़ताल पर चले गए लेकिन जब खिलाफत कमेटी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत 1920 में की थी तो गांधी जी ने भी 1 फरवरी 1922 को उनके समर्थन में कांग्रेस का असहयोग आंदोलन किया 5 फरवरी को चौरी चोरा में एक कांड हुआ जिसमें कई सिपाहियों को जिंदा जला दिया गया गांधीजी ने इसको वापस ले लिया
लेकिन इस आंदोलन ने यह बता दिया कि पहली बार लाखों किसान और गरीब राष्ट्रीयता के दायरे में आ जाएंगे भारतीय समाज के सभी वर्ग जैसे कि कारीगर दुकानदार व्यापारी वकील डॉक्टर मजदूर किसान सभी आंदोलन में सम्मिलित हुए महिलाएं भी आई आंदोलन देश के पिछड़े से पिछड़े कोने तक पहुंच गया, भारतीय जो पहले ब्रिटिश सरकार से डरते थे उन्होंने डरना छोड़ दिया जैसा कि जवाहरलाल नेहरू ने कहा है गांधी ने भारतीयों को अपने पैरों पर खड़ा होना सिखा दिया था, गांधीजी के लिए अहिंसा कमजोर और कायर का अर्थ नहीं था बल्कि या बहुत बड़ा अस्त्र था जिससे ब्रिटिश सरकार को हराया जा सकता था गांधी जी ने कई बार कहा कि वे हिंसा को कायरता से अधिक कुछ भी नहीं कहेंगे 1920 में लिखा कि जहां पर कायरता और हिंसा के बीच चुनाव का प्रश्न है मैं हिंसा की सलाह दूंगा मैं भारत को उसके आदर की रक्षा के लिए शस्त्र लेने दूंगा बजाय इसके कि वह अपने ही अनादर के लिए एक असहाय उदाहरण बन कर रह जाए
असहयोग आंदोलन के वापस लेने के बाद भारत की राजनीति में कई परिवर्तन हुआ महात्मा गांधी गिरफ्तार कर लिए गए और उन्हें 6 वर्षों की सजा हुई उन पर आरोप लगा कि वे उग्र लेख लिखते हैं उन्हें येरवडा जेल पुणे भेजा गया