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पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए गैर मुस्लिम बिल विधेयक क्या है? पाकिस्तान में कितने हिंदू रहते हैं? पाकिस्तान में संविधान अल्पसंख्यक पर क्या कहता है? भारतीय संसद और पाकिस्तानी संसद में क्या अंतर है?
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चर्चा में क्यों- पाकिस्तान की संसद में इन दिनो गैर मुस्लिम विधेयक को लेकर काफी चर्चा है। इसमें पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज गुट के सांसद कीसोमल कीआल दास ने एक बिल प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया है कि हिंदुओं के लिए गैर मुस्लिम का दर्जा दिया जाए। इसका उद्देश्य है कि पाकिस्तान में गैर मुसलमानों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर पाकिस्तान के संविधान की बात की जाए तो यहां पर चार बार अल्पसंख्यक शब्द और 15 बार गैर मुस्लिम शब्द का प्रयोग किया गया है जो यह बताता है कि पाकिस्तान का संविधान बनाते समय संविधान निर्माताओं का उद्देश्य क्या था। इसलिए अगर अल्पसंख्यक की जगह गैर मुस्लिम शब्द का उपयोग कर दिया गया तो इससे दूसरे धर्म के लोगों को अधिक सुविधा मिलेगी ।संविधान संशोधन से पाकिस्तान में प्रत्येक नागरिक के लिए समानता और न्याय स्थापित हो सकता है। गौरतलब है भारत और पाकिस्तान के लिए पहले एक ही संविधान सभा बनी थी। जिसमें 389 सदस्य थे बाद में 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान के लिए एक अलग प्रांत की घोषणा करना और एक अलग संविधान सभा का भी गठन कर दिया गया। जिसमें भारतीय संविधान सभा से 90 लोग चले गए।

कितने हिंदू रहते हैं?- हिंदुओं की संख्या पाकिस्तान की आजादी के बाद घटती चली गई वर्तमान में सिर्फ वहां 90 लाख हिंदू रहते हैं। यह कुल आबादी का 1% से भी कम है।
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पाकिस्तान की सरकार ने इस विधेयक का विरोध नहीं किया है। अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो भेदभाव करने वाला संविधान अब पाकिस्तान में नहीं रहेगा। पाकिस्तान की कुल आबादी 22 करोड़ है जिसमें अन्य दूसरे धर्म के लोगों को देखा जाए तो वह कुल आबादी में सिर्फ 3.5% ही है ।हिंदू वहां सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय है लगभग 9000000 हिंदू यहां रहते हैं ।पाकिस्तान में हिंदू आबादी का एक बड़ा हिस्सा सिंध प्रांत में रहता है। अगर दूसरे अन्य धर्म की बात की जाए तो पाकिस्तान में ईसाई अहमदी बहाइ
पारसी और बौद्ध धर्म के लोग शामिल है
पाकिस्तान में दो सदन व्यवस्था है जिसमें मजलिस ए सूरा जिसका उच्च सदन सीनेट है और एक निम्न सदन है। पाकिस्तान में निचले सदन को राष्ट्रीय असेंबली कौमी एसेंबली कहा जाता है और उस सदन को आईबानएवाला कहा जाता है ।उर्दू भाषा में इसे कौमी असेंबली कहते हैं ।इसमें कुल 342 सीट है ।जिसमें 242 चुनाव के द्वारा और बाकी 70 महिला और अल्पसंख्यक के लिए आरक्षित सीट है ।कौमी असेंबली पाकिस्तान की संघीय विधायिका है जिसमें जनता द्वारा चुनाव होता है ।पाकिस्तान की चुनाव में सबसे अधिक सीट पंजाब प्रांत में उसके बाद सिंध फिर खैबर पख्तूनख्वा फिर बलूचिस्तान और सबसे कम इस्लामाबाद में है
1960 के पहले पाकिस्तान की संसद कराची में थी जिसे अब इस्लामाबाद कर दिया गया है। भारत में जिस प्रकार से राज्यसभा होता है उसी प्रकार से पाकिस्तान में आईबनबाला है। भारत में जिस प्रकार से लोकसभा है उसी प्रकार से पाकिस्तान में कौमी एसेंबली है


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