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जब भारत का संविधान लागू हुआ उस समय संविधान में सिर्फ मूल अधिकार का उल्लेख था मूल कर्तव्य का कोई उल्लेख नहीं था लेकिन 1976 में संविधान में संशोधन करते हुए स्वर्ण सिंह समिति की सिफारिश को अपनाया गया और संविधान के भाग 4 के क मे 10 मूल कर्तव्य की व्यवस्था की गई 2002 में 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करने को भी एक कर्तव्य जोड़ा गया इसलिए अब 11 कर्तव्य है वह इस प्रकार से हैvinayiasacademy.com

संविधान का पालन तथा उसके आदर्श संस्था और राष्ट्रीय प्रतीक का सम्मान करेंगे, राष्ट्रीय आंदोलन के प्रेरक आर्दश का पालन करेंगे, भारत की संप्रभुता एकता और अखंडता को बचाने के लिए अपने कर्तव्य को निभाएंगे, देश की रक्षा और राष्ट्र सेवा प्रत्येक भारतीय नागरिक का कर्तव्य होगा वह देश की रक्षा करें और बुलाए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें, भारत के सभी भाग में समरसता और एक जैसे भाईचारे की भावना का विकास करना जो धर्म भाषा प्रदेश और वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव से अलग हो ऐसी प्रथा का त्याग करें जो स्त्रियों के सम्मान के विरुद्ध है इसलिए स्त्रियों की सम्मान का रक्षा करना है और सभी भारतीयों के बीच समरसता का विकास करना है, भारत की संस्कृति की गौरवशाली परंपरा की भी रक्षा करेंगे, प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा सभी प्राणी के प्रति दया का भाव दिखाएंगे इसके अंतर्गत वन्य जीव नदी वन्यजीव सभी लोगों की रक्षा करना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण मानववाद और ज्ञान अर्जित करने का विचार धारा का विकास, सार्वजनिक संपत्ति की सुरक्षा करना तथा हिंसात्मक गतिविधियों को बढ़ावा नहीं देना, व्यक्तिगत रूप से एवं सामूहिक रूप से देश को प्रगति के रास्ते पर ले जाने के लिए कोशिश करना, 86 वा संविधान संशोधन 2002 के द्वारा अनुच्छेद 51 का में संशोधन करके एक नया प्रारंभिक शिक्षा को सर्वव्यापी बनाने के उद्देश्य अभिभावकों के लिए यह कर्तव्य निर्धारित किया गया है कि 6 से 14 वर्ष के अपने बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करेंvinayiasacademy.com
मूल कर्तव्य को सीधे तौर पर लागू करवाना संभव नहीं है ना ही इसे लागू करवाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय जाया जा सकता है इसलिए इसकी आलोचना की जाती है कि इसमें भाषा की आवश्यकता है जैसे कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण का क्या अर्थ होगा मानववाद किस हद तक होगा, सुधार की भावना का विकास का अर्थ क्या होगा, जिसमें हर किसी का अलग अलग दृष्टिकोण हो सकता है इसी प्रकार से सभी मूल कर्तव्य को जब पढ़ा जाएगा तो ऐसा लगता है कि यह अत्यधिक आदर्शवादी है, जैसे राष्ट्रीय आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों से लिए गए आदर्श को अपने जीवन में उतारना संस्कृति की परंपरा को बचाना ज्ञान अर्जन का विकास करने के लिए सूचना जो आज के समय में तर्कसंगत नहीं है.

वर्मा समिति के अनुसार मूल कर्तव्य के परिवर्तन के लिए कुछ नियमों को बताया गया है जैसे राष्ट्रीय ध्वज भारतीय संविधान और राष्ट्रगीत के प्रति कोई अवमानना की जाती है राष्ट्रीय सम्मान की अवमानना अधिनियम 1971 के द्वारा कार्रवाई की जाएगी, भारतीय ध्वज संहिता में यह अंकित है कि राष्ट्रीय ध्वज के प्रदर्शन में इसके साथ सही ढंग से बर्ताव किया जाए, मौजूदा आपराधिक कानून में कई प्रावधान है जैसे जनसमूह के मध्य धर्म नस्ल जन्मस्थान निवास भाषा जैसी चीजों को प्रोत्साहन नहीं देना है, राष्ट्रीय एकता के लिए आईपीसी की 153 ख के दंडनीय अपराध बनाया गया है, धर्म से जुड़ी आक्रमक गतिविधि आईपीसी की धारा 295 से लेकर 298 के अंतर्गत आती है, नागरिक अधिकार अधिनियम को भी संरक्षण दिया गया है#vinayiasacademy.com


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