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यूनान के प्राचीन लेखक टेसीएस एवं हेरोडोटस जिन्हें इतिहास का जनक कहते हैं ने पांचवीं सदी ईसवी ईसा पूर्व में historica नामक पुस्तक की रचना की जिसमें भारत और greek के संबंध का उल्लेख है इसी प्रकार से यूनानी राजदूत मेगास्थनीज द्वारा लिखी गई इंडिका में मौर्य काल की समाज और संस्कृति का पता चलता है मेगास्थनीज ने बताया था कि भारत में गंगा और सिंधू सहित कुल 58 नदी है marya काल में बहुविवाह भी होता था एवं भारतीय ईमानदार होते थे मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक में पाटलिपुत्र के लिए palibrotha, यहां के लोग विष्णु यानी कि हीरा क्लीज एवं शिव भगवान यानी dionis पूजा करते थे उसने अपनी पुस्तक में सोना चांदी तांबा tin एवं अन्य धातुओं के बारे में लिखा है एक ऐसी नदी के बारे में बताया गया है जिसमें कोई नहीं तैर सकता था भारत का विस्तार पूरब से पश्चिम की ओर 28000 stadia उत्तर से दक्षिण की ओर 32000 स्टेडिया। दास प्रथा का प्रचलन नहीं था, वहीं दूसरी और daimecus बिंदुसार के दरबार में यूनान का राजदूत था ,उसने भी मौर्य सांस्कृतिक स्थिति का विवरण दिया है दरबार में यूनानी राजदूत के रूप में इस काल में सामाजिक व्यवस्था अच्छी थी इसी प्रकार की भाषा में लिखी गईptolemy की geography पुस्तक भौगोलिक राजनीतिक आर्थिक इतिहास की जानकारी देती है एक अज्ञात लेखक जिसने यूनानी भाषा में periplus of erethian sea लिखा है इससे भारतीय बंदरगाह एवं व्यापारिक वस्तु की भूमिका की जानकारी मिलती है , नेचुरल historica में बताया है कि भारतीय पशु पौधे कहां कहां पाए जाते थे चीनी यात्री फाह्यान पांचवी सदी के प्रारंभ में आया था, चंद्रगुप्त विक्रमादित्य के के बारे में बताएं ,यह बताया कि उसे 4000 बौद्ध भिक्षु के दर्शन हुए,, इसके अनुसार भारत में कुल 14 मठ थे जिसमें सबसे बड़ा मंत्र गोमती बिहार का इसमें 3000 महायान के लोग रहते थे पुष्पक कल वती में हीनयान संप्रदाय था पाटलिपुत्र में महायान एवं हीनयान के अलग-अलग क्षेत्र के लोग . लहसुन प्याज मांस मदिरा का प्रयोग नहीं करते थे क्रय-विक्रय में कौड़ी का प्रयोग होता था, व्यापार बहुत अच्छा चल रहा था वैशाख महीना की अष्टमी को उत्सव मनाया जाता था जिसमें रथ पर मूर्ति को रखकर जुलूस निकाला जाता था चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं सदी में जो हर्षवर्धन के काल में भारत आया था उसने यहां कि नालंदा विश्वविद्यालय के बारे लिखा है वह लगभग 16 वर्ष भारत ने अपनी भारत यात्रा के लिए की पुस्तक में जानकारी दिया है उसके अनुसार भारत में बलि प्रथा का प्रचलन हो गया था लेकिन गाय मांस खाने पर प्रतिबंध था अंतरजातीय विवाह विधवा विवाह और पर्दा प्रथा का प्रचलन नहीं था शिक्षा ग्रहण की आयु 9 वर्ष से लेकर 30 वर्ष थी व ने चालुक्य के राजा नरेश पुलकेशिन द्वितीय के बारे में भी लिखा है ब्राह्मण सबसे अधिक पवित्र और सम्मानित होते थे कसाई मछुआरा जल्लाद ऐसी जातियां नगर के बाहर रहती थी शूद्र खेती कार्य करते थे शारीरिक दंड का प्रचलन कम हो गया था सामाजिक बहिष्कार तथा अर्थदंड ही दिया जाता था इसी प्रकार से चीनी यात्री इत्सिंग सातवीं सदी के अंत में भारत आया था वह बहुत समय तक विक्रमशिला और नालंदा विश्वविद्यालय में था उसने baudh संस्था तत्कालीन भारत की सामाजिक स्थिति पर अपने यात्रा विवरण में बताया है चीनी यात्री ने हर्षवर्धन के पूर्वी अभियान चोल काल के इतिहास पर प्रकाश डाला है चीनी यात्रियों में सर्वाधिक उल्लेखनीय इंस huensang पुस्तक जिसे प्रिंस ऑफ pilgrims कहा जाता है इसी प्रकार से arab यात्री में अलबरूनी उसने अपनी पुस्तक tahkik ए हिंद के नाम से जानी जाती है-kitabal hind राजपूत समाज के बारे में,suleman ने पाल प्रतिहार के बारे में ।almasoodi ने राष्ट्रकूट एवं प्रतिहार के बारे में बताएं


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