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1.हर्षवर्धन के शासनकाल के बारे में क्या जानते हैं?
2.हर्षवर्धन के शासनकाल में होने वाले विभिन्न प्रकार की उपलब्धियों का वर्णन करेंं.


हर्षवर्धन का जन्म थानेसर वर्तमान हरियाणा मे हुआ था यह प्राचीन हिंदुओं के तीर्थ केंद्रों में से एक है । हर्षवर्धन को भारत का अंतिम हिंदू सम्राट कहा जाता है। उसके पिता का नाम प्रभाकर वर्धन था।अपने भाई राज्यवर्धन की मृत्यु के बाद सातवीं शताब्दी के शुरुआत में हर्षवर्धन ने थानेश्वर और कन्नौज का शासक 16 वर्ष की उम्र में 606 ईसवी में बना। 612 इसवी तक इसने पूरे उत्तर साम्राज्य में अपना साम्राज्य विकसित कर लिया। हर्ष और चालुक्य राजा पुलकेसीन द्वितीय के बीच 618 में नर्मदा नदी के पास एक युद्ध हुआ जिसमें हर्षवर्धन पराजित हुआ। हर्षवर्धन के शासनकाल में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया। हर्षवर्धन को यात्रियों में राजकुमार, नीति का पंडित एवं वर्तमान शाक्यमुनि कहा जाता था। नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ने एवं बौद्ध ग्रंथ संग्रह करने के उद्देश्य से भारत आया था उस समय नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति शीलभद्र थे। हर्ष ने 641 इसवी मैं अपने दूत चीन भेजें 45 एवं 645 ईसवी में दो चीनी दूत उस के दरबार में आए। चीनी यात्री ह्वेनसांग से मिलने के बाद हर्ष ने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को राज्य आश्रय प्रदान किया तथा वह पूर्ण रुप से बौद्ध बन गया। vinayiasacademy.com


हर्ष की उपलब्धियांः

  • हर्षवर्धन को प्राचीन भारत के शासकों की गौरवमई परंपरा का अंतिम एवं प्रतापी सम्राट माना जाता है।
  • वह एक सफल योद्धा, पराक्रमी विजेता, सुयोग्य शासक धर्म परायण सम्राट था।
  • उसने पूरे उत्तर भारत के विशाल हिस्से पर राज किया पश्चिम में गुजरात से लेकर पूर्व में आसाम तक और उत्तर में कश्मीर से लेकर दक्षिण में नर्मदा नदी तक।
  • हर्ष की शासन व्यवस्था स्वरूप राजतंत्र आत्मक थी।
  • हर्ष महाराजाधिराज, शिलादित्य, परम भट्टाराक, परमेश्वर जैसी महान उपलब्धियां धारण करता था।
  • अशोक और चंद्रगुप्त मौर्य की तरह हर्षवर्धन ने भी अपनी प्रजा पालन एवं प्रचार रक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दिया।
  • हर्ष ने दो ग्रंथोंकी रचना की थी जो हैः सुप्रभात स्रोत तथा अष्ट महाश्री चैत्य संस्कृत स्रोत। इसने तीन संस्कृत नाटक ग्रंथों की भी रचना की थी जिनके नाम है प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानंद।
  • हर्ष ने शशांक को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार करने के बाद उसे अपना राजधानी बनाया था।
  • उत्तर भारत में प्रभुत्व स्थापित करने के कारण हर्ष को सकलोतत्तरा पदनाथ पदवी से विभूषित भी किया गया है।
  • हर सभी पदाधिकारियों की नियुक्ति करता था तथा उनके लिए घोषणा पत्र एवं आज्ञा पत्र निकालता था इसके साथ ही वह युद्ध में सेना का भी नेतृत्व करता था।
  • हर्ष ने अपने शासनकाल में पानी राजस्व व्यवस्था को भी संतुलित रखा था उसने एक और अपनी प्रजा पर कार्ड का बोझ भी नहीं बढ़ाया और दूसरी और राज्य के व्यय में वृद्धि भी नहीं की।
  • हर्ष ने अपनी संपत्ति में से विद्यार्थियों विद्वान और दीन दुखियों को भी संपत्ति दान में दी थी।
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  • हर्ष ने अपने शासनकाल में मांसाहार को बंद करवाया तथा जीवो को कठोर शारीरिक दंड देने की मनाही कर दी।
  • हर्षवर्धन ने गंगा के तट पर हजारों स्तूपोर का भी निर्माण करवाया तथा जो मैं यात्रियों के लिए विश्राम ग्रह बनवाया इसके साथ ही पवित्र बौद्ध स्थानों पर भी सराय की स्थापना करवाई।
  • हर्षवर्धन ने अपने शासनकाल में किसानों के लिए सिंचाई की उत्तम व्यवस्था की उसने तुला यंत्र जो कि एक प्रकार का जल पंप है बनवाया।
  • हर्षवर्धन के शासनकाल में मथुरा सूती वस्त्रों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध था उझानी तथा कन्नौज भी आर्थिक दृष्टि से अत्यंत समृद्ध थे।
  • हर्ष अपने शासनकाल में प्रयाग में प्रति पांचवें वर्ष एक समारोह आयोजित करवाता था जिसे महा मोक्ष परिषद कहा जाता था।
  • हर्ष के दरबारी कवि बाणभट्ट ने उसके लिए हर्ष चरित्र एवं कादंबरी की रचना की।
  • अविनाश शासक को महाराज तथा महा सामंत कहा जाता था।
  • हर्ष के मंत्री परिषद के मंत्री को सचिव कहा जाता था।
  • प्रशासन की सुविधा के लिए हर्ष का साम्राज्य कई प्रकार के प्रांतों में विभाजित था हर प्रांत को भुक्ति कहा जाता था प्रत्येक भक्ति का शासक राष्ट्रीय कहलाता था।
  • हर्ष चरित्र में प्रांतीय शासक को लोकपाल कहा गया है।
  • ग्राम प्रशासन के प्रधान को ग्रामाक्षपटलिक कहा जाता था।
  • पुलिसकर्मियों को चार्ट या भाट कहा जाता था।
  • अश्व सेना के अधिकारियों को बृहदेश्वर पैदल सेना के अधिकारियों को महाबल अधिकृत कहा जाता था।
  • हज के प्रमुख पदाधिकारी थे कुमार अमात्य, दीर्घ ध्वज।
  • हर्षवर्धन पंजाब छोड़कर समस्त उतरी भारत राज्य पर शासन किया।
  • हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत में आर्थिक रूप में बहुत प्रगति की थी
  • हर्ष बादामी के चालुक्य वंश के शासक पुल के सीन द्वितीय से पराजित हुआ था क्योंकि छठी और आठवीं शताब्दी के दौरान दक्षिणी भारत में चालुक्य बड़े शक्तिशाली थे।
  • इसने कई विश्रामगृह और अस्पतालों का भी निर्माण करवाया था।
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  • हर्षवर्धन ने सती प्रथा पर भी प्रतिबंध लगाया था इसने माजी कुरीतियों को जड़ से खत्म करने का बीड़ा उठाया था साथ ही उसने अपनी बहन को भी क्षति होने से बचाया था
  • हर्षवर्धन सभी धर्मों का सामान आदर करता था।
  • हर्षवर्धन ने शिक्षा को भी काफी महत्व दिया है देशभर में कई कार्यक्रम चलाया इसका सबसे अच्छा उदाहरण नालंदा विश्वविद्यालय।
  • प्रयाग का मशहूर कुंभ मेला भी हर्ष ने शुरू करवाया था।
  • भारत की अर्थव्यवस्था हर्ष के शासन काल में बहुत तरक्की की थी।
  • हर्षवर्धन ने अपने आय को चार बराबर भागों में बांट रखा था जिनके नाम शाही परिवार के लिए, सेना तथा प्रशासन के लिए, धार्मिक निधि के लिए और गरीबों बेसहारों के लिए था।
  • 647 इसवी में हर्षवर्धन का निधन हो गया था।
  • हर्षवर्धन एक बड़ा गंभीर कूटनीतिज्ञ बुद्धिमान एवं अखंड भारत की एकता को साकार करने के स्वप्न को संजोने वाला राजनीतिज्ञ था।।

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