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इसके अंतर्गत बौद्ध एवं जैन साहित्य आता है बौद्ध साहित्य का विशेष महत्व त्रिपिटक है जिसमें शुद्ध पिता के विनय पिटक एवं अभी धमकी तक है शुद्ध पिटक में बुध के धार्मिक विचार और वचन को संकलित किया गया है या बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया भी कहा जाता है विनय पिटक में बौद्ध संघ के नियम की चर्चा है अभी धन पिटक में बौद्ध दर्शन दार्शनिक सिद्धांत की अभिव्यक्ति है जातक में बुध के पूर्व जन्म की काल्पनिक घटाएं ईसा पूर्व पहली शताब्दी में जातक की रचना हो चुकी थी तथा तक भी लिखे जा चुके थे जातक ग्रंथ गद्य एवं पद्य दोनों में लिखे गए हैं इसकी भाषा पाली है इसकी कुल संख्या 550 है। बुध घोष द्वारा लिखा गया ग्रंथ विशुद्ध मग बौद्ध धर्म को हीनयान शाखा से संबंध बताता है जातकों से ईसा पूर्व पांचवी सदी से दूसरी सदी ईस्वी पूर्व तक की सामाजिक और आर्थिक स्थिति की विस्तृत जानकारी उपलब्ध होती है दीप वंश एवं महा वंश की रचना क्रमशः चौथी एवं पांचवीं शताब्दी ईस्वी में हुई थी इन बौद्ध ग्रंथों में से जो पाली भाषा में लिखे गए हैं मार्च के इतिहास को जानने का प्रमुख स्रोत है पाली भाषा में ही लिखा गया नाग सेन का मिलिंदपन्हो में यूनानी राजा मिनांडर और बाद बिच्छू नाग सेन का वार्तालाप लिखा हुआ है दिव्य दान में राजनीतिक स्थिति का उल्लेख है आर्य मंजूश्री नामक बौद्ध ग्रंथ गुप्त शासक की जानकारी देता है उतरने से पता चलता है कि मगध महाजनपद संस्कृत भाषा में लिखा गया बौद्ध ग्रंथ महावस्तु एवं ललित विस्तार में महात्मा बुध का जीवन बताया गया है संस्कृत में ही लिखा गया अश्वघोष की रचना सौंदरानंद सारिपुत्र प्रकरण भी इतिहास के प्रमुख स्रोत। जैन ग्रंथ में आगम बहुत महत्वपूर्ण है या द्वादश अंग कहा जाता है आचरण क्षेत्र में जैन बिच्छू के संबंध में नियम बताया गया है भगवती सूत्र में महावीर स्वामी के जीवन को बताया गया है द्वादश अंग प्रत्येक के उपरांत भी है जैन आगम का वर्तमान रूप 526 ईसवी है वल्लभी महासभा में इसे लिखा गया था भगवती सूत्र में भी 16 महाजनपद का उल्लेख होता है जैन धर्म का प्रारंभिक इतिहास कल्पसूत्र चौथी सतीषा पूर्व से ज्ञात होता है कल्पसूत्र की रचना भद्रबाहु ने की थी जैन ग्रंथ की रचना प्राकृत भाषा में की गई है जैन ग्रंथ में परिशिष्ट पर भद्रबाहु चरित्र आवश्यक सूत्र आचरण सूत्र भगवती सूत्र प्रमुख है। लौकिक साहित्य- इसमें कौटिल्य की पुस्तक अर्थशास्त्र प्रमुख माना जाता है यह भारत का प्रथम राजनीतिक ग्रंथ भी है मौर्य काल का मुद्राराक्षस किताब जिसकी रचना विशाखा व्यक्ति ने किया सोमदेव का कथासरित्सागर बृहत कथा मंजरी जिसे क्षेमेंद्र ने लिखा पतंजलि का महाभाष्य कालिदास का मालविकाग्निमित्रम् जिसमें शुंग काल की जानकारी है शुद्रक का मृच्छकटिकम् जो एक नाटक है कल्हन का राज तरंगिणी जो संस्कृत भाषा में है और कश्मीर का इतिहास जानने का मुख्य पुस्तक है सोमेश्वर का रस माला मेरु तुंग का प्रबंध चिंतामणि राजशेखर का प्रबंध को जिसे गुजरात के चालुक्य वंश का पता चलता है गार्गी संहिता से भारत पर यवन आक्रमण की जानकारी मिलती है ऐतिहासिक जीवनी में अशवघोष का बुद्ध चरित्र बाणभट्ट का हर्ष चरित्र का देव चरित्र का शशांक चरित्र संधि का रामचरित हेमचंद्र का कुमार चरित्र पृथ्वीराज विजय जनक एवं दक्षिण भारत का इतिहास संगम साहित्य और चोल शासक का नंदी कलम काली घणी एवं चोल चरित पुस्तकों से जानकारी प्राप्त होती है


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