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मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत में धार्मिक एवं धन निर्देश स्रोत को देखना जरूरी है धार्मिक ग्रंथों की श्रेणी में वे रचनाएं आती हैं जो किसी धर्म से संबंधित है जैसे कि मध्यकाल में सूरदास तुलसीदास रसखान की रचनाएं तथा मीराबाई चेतन्य विद्यापति ठाकुर के द्वारा लिखी गई रचनाएं हमदानी, जटरात उल मुल्क नामक तुर्की ग्रंथ भी महत्वपूर्ण है। धर्मनिरपेक्ष साहित्य में सबसे पहले कल्पना प्रधान लोक साहित्य एवं जीवन चरित जैसे ग्रंथ आते हैं विदेशी यात्रियों के विवरण एवं राजा के द्वारा बोले गए चीजों को ,पत्र को छोड़कर सभी साहित्य इसी प्रकार से लिखा गया है यह निम्नलिखित है- फतहनामा जिसे चचनामा भी कहते हैं इससे सिंध के इतिहास की जानकारी मिलती है, कल्हण द्वारा लिखी गई राज तरंगिणी जिसे कश्मीर के इतिहास की जानकारी मिलती है, बाबर की आत्मकथा तुजुक ए बाबरी, गुलबदन बेगम द्वारा लिखी गई हुमायूंनामा। जहांगीर की आत्मकथा तुजुक ए जहांगीरी। लोदी व सूरवंश की पूरी जानकारी तारीख ए शेरशाही। अबुल फजल द्वारा लिखा गया अकबर कालीन इतिहास अकबरनामा। शाहजहां के काल में अब्दुल हमीद लाहौरी द्वारा लिखा गया बादशाहनामा। औरंगजेब के समय कफी खान के द्वारा लिखा गया मुंतखाब उल लुबाब। मलिक मोहम्मद जायसी द्वारा रचित यह पुस्तक अलाउद्दीन खिलजी के युद्ध चित्तौड़ की रानी पद्मिनी की प्रेम कथा पर प्रकाश डालती है इसके साथ दक्षिण भारत की सामाजिक दशा का भी पता चलता है इसका नाम पद्मावत है। विद्यापति ठाकुर ने पुरुष परीक्षा लिखा है जिसमें हिंदू मुसलमान दोनों वर्ग का वर्णन है। मध्यकाल में ऐसा भी व्यक्ति था जो कोई इतिहासकार नहीं था बल्कि उसने जो भी रचना लिखी वह इतिहास के रूप में संग्रहित हो गया 1289 से लेकर 1325 ईस्वी तक कि उसने सारी जानकारी दी, अमीरों के सामाजिक जीवन पर भी इसमें प्रकाश पड़ता है, इसने तबला का भी अविष्कार किया था इसका नाम अमीर खुसरो था। जलालुद्दीन खिलजी के सैनिक अभियान को mifta ul futuh मे बताया गया है एवं कजाइनul futuh में अलाउद्दीन की गुजरात मालवा और वारंगल की लड़ाई का वर्णन है इसे मलिक काफूर के दक्षिण अभियान पर भी लिखा गया है मसनवी तुगलकनामा में खुसरो शाह के विरुद्ध गयासुद्दीन की विजय का उल्लेख मिलता है


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