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Q. अनुच्छेद 22 की व्याख्या करें? गिरफ्तारी एवं बंदी करण के विरूद्ध सुरक्षा का अधिकार क्या है? निवारक निरोध से आप क्या समझते हैं दंडात्मक निरोध एवं निवारक निरोध में क्या अंतर होता है ?

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  • अनुच्छेद 22 के अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति की गिरफ्तारी तथा बंदी करण के विरूद्ध संरक्षण का अधिकार दिया गया है ,इसके द्वारा जब भी किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे इसका कारण जरूर बताया जाएगा .संविधान द्वारा समय-समय पर मौलिक अधिकारों को रोका गया है, लेकिन न्यायपालिका द्वारा इन सभी प्रतिबंध का न्यायिक पुनर्विलोकन भी किया जाता है. अगर सही मायने में प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए .सही मायने में तर्क नहीं दिया गया है तो न्यायपालिका अनुच्छेद 22 के अंतर्गत होने वाली गिरफ्तारी को रोक देती है इसका अर्थ यह है कि प्रतिबंध ऐसा नहीं होना चाहिए जो स्वतंत्रा को नष्ट कर दे प्रतिबंध हमेशा तार्किक रूप से सही होना चाहिए और लगाने से पहले उस व्यक्ति को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का संपूर्ण अवसर देना चाहिए vinayiasacademy. Com
  • अनुच्छेद 22 के अंतर्गत निम्नलिखित अधिकार किसी भी व्यक्ति को दिया गया है अगर पुलिस द्वारा किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे वकील से परामर्श करने की सुविधा दी गई है गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे के अंदर सबसे नजदीक के मजिस्ट्रेट के सामने प्रस्तुत किया जाता है और 24 घंटे में बंदी गृह से न्यायालय तक लाने ले जाने में जो समय लगेगा उसे इस 24 घंटे में शामिल नहीं किया गया है समय-समय पर इसमें भी परिवर्तन होता है अगर किसी शत्रु देश के निवासी और उसे निवारक निरोध के तहत गिरफ्तार किया गया है तो उसे यह सारी सुविधाएं नहीं दी जाएगी
  • अधिनियम कितने प्रकार के हैं निवारक कानून कौन-कौन से हैं मिशा टाडा पोटा कानून के बारे बताए- vinayiasacademy. Com 1950 ईस्वी में निवारक निरोध अधिनियम बना जिसे प्रीवेंटिव डिटेंशन एक्ट कहा जाता है 1971 में आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम बना जिसे मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट कहते हैं 1980 में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम बना जिसे नेशनल सिक्योरिटी एक्ट कहते हैं 1974 में विदेशी मुद्रा संरक्षण तथा तस्करी निवारण कानून बना जिसे कोफिपोसा कहा जाता है 1985 में आतंकवादी और विध्वंस कारी गतिविधि कानून बना जिसे टाडा के नाम से जाना जाता है वर्ष 2002 में पोटा कानून बनाया गया
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Q. निवारक निरोध कानून क्या है?

  • संविधान के अनुच्छेद 22 में निवारक निरोध के बारे जानकारी दी गई है लेकिन संविधान इस पर शांत है स्पष्ट व्याख्या नहीं किया गया है निवारक निरोध वास्तव में दंडात्मक निरोध से अलग है दंडात्मक निरोध में किसी अपराधी को दंड देने के लिए गिरफ्तार किया गया है जबकि निवारक निरोध में अपराध भविष्य में नहीं हो इसे रोकने के लिए किया जाता है इसे ही प्रीवेंटिव डिटेंशन कहते हैं इसे शांति काल में या आपातकाल में दोनों स्थिति में लागू किया जाता है केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर इसमें कुछ परिवर्तन करते हैं अगर आवश्यक सेवाएं चल रही है उसे रोका जा रहा है राष्ट्रीय सुरक्षा का खतरा है वैश्विक संबंध को प्रभावित करने का खतरा है आर्थिक गतिविधि को कोई नष्ट कर रहा है ,कानून के द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है
  • इसके द्वारा हर व्यक्ति को गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार, गिरफ्तारी के विरुद्ध अपील करने का अधिकार ,अपने लिए एक सलाहकार बोर्ड का गठन करवाने का अधिकार भी दिया गया है यानी कि उसे यह भी जानने का अधिकार है कि आखिर किसी व्यक्ति को गिरफ्तार किस अपराध के लिए किया जा रहा है .अनुच्छेद 22 के पांचवें क्लाउज के द्वारा गिरफ्तारी करने वाले अधिकारी को निर्देश देता है कि वह गिरफ्तार व्यक्ति को जल्द से जल्द उसका आधार बता दें इसमें यह भी बताया गया है कि गिरफ्तार व्यक्ति सलाहकार बोर्ड में अपने बारे में जानकारी ले सकता है इस कानून के द्वारा किसी व्यक्ति को 3 महीने तक कम से कम गिरफ्तार करके रखा जा सकता है ,44 संविधान संशोधन द्वारा इस में परिवर्तन किया गया था लेकिन बाद में इसे फिर से जोड़ दिया गया
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Q. क्या निवारक नजरबंदी कानून सही है अपना पक्ष स्पष्ट करें ?

  • इस कानून के द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा, राष्ट्रीय एकता,अखंडता को बचाना ,सार्वजनिक कार्यों में किसी प्रकार का बाधा नहीं पहुंचाना ,यह सारी चीजों को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह सही कानून है, 3 महीने से अधिक भी किसी को बंदी बनाया जा सकता है लेकिन कहीं ना कहीं यह कानून अधिकार को रोकता है कठोरता वाला कानून है ,मानवाधिकार के विरुद्ध भी है और सबसे बड़ी संभावना होती है इसके दुरुपयोग होने की vinayiasacademy. Com
  • धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार से आप क्या समझते हैं अनुच्छेद 25 से अनुच्छेद 28 के बीच दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता का व्याख्या कीजिए vinayiasacademy. Com
  • भारतीय संविधान के प्रस्तावना में भी धर्मनिरपेक्ष शब्द को 42वां संविधान संशोधन 1976 ईस्वी में जोड़ा गया इसका यह अर्थ है इस सभी धर्म में विश्वास है और सभी धर्मों का आदर किया जाएगा सरकार की ओर से किसी धर्म को लागू नहीं किया जाएगा संविधान प्रत्येक व्यक्ति की धार्मिक भावना का धार्मिक स्वतंत्रता का आदर करती है
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  • अनुच्छेद 25 के द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को सार्वजनिक व्यवस्था अपनी स्वतंत्रता के अनुसार धर्म पालन करने का, उसका प्रचार प्रसार करने की स्वतंत्रता दी गई है, सिख धर्म के द्वारा सिखों को कृपाण धारण करना उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का अंग माना गया है
  • इसी अनुच्छेद के अनुसार हिंदुओं की धार्मिक संस्था में सुधार हेतु सरकार कदम उठा सकती है वह हिंदू के सभी जाति के लिए किसी मंदिर में आने जाने के लिए और पूजा करने के लिए रास्ता खोल सकती है वर्तमान में केरल में उठा मंदिर का विवाद इसी के दायरे में आता है संविधान सभा में इस मुद्दे पर बहुत दिनों तक चर्चा हुई थी इसलिए इसे एक अधिकार बनाया गया। धार्मिक अधिकार के नाम पर कोई भी व्यक्ति किसी के स्वास्थ्य से, किसी की लोक व्यवस्था से, खिलवाड़ नहीं कर सकता है .सामाजिक सुधार को धार्मिक आधार पर प्रतिबंधित भी नहीं कर सकते हैं. धार्मिक कार्यों से जुड़ी हुई सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक वित्तीय गतिविधि पर भी समय-समय पर राज्य अगर चाहेगी तो नियंत्रण करेगी, यह अधिकार ऐसे अधिकार है। कृपाण लेकर सिख समाज के लोग अपने साथ चलेंगे, सिख धर्म के मानने का अंग समझा जाएगा तथा हिंदू में सिख जैन और बौद्ध सम्मिलित है इसे अपने व्याख्या में संविधान द्वारा कहा गया है लेकिन संविधान में धर्म परिवर्तन का उल्लेख नहीं किया गया है और इसी पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध का उल्लेख भी नहीं किया गया है अगर अपने मन से स्वतंत्रता को लेकर कोई चाहे तो धर्म परिवर्तन कर सकता है 1970 के दशक में उड़ीसा मध्यप्रदेश में सामूहिक धर्म परिवर्तन हो रहे थे जिसके कारण कई बार अलग अलग संगठन के बीच लड़ाई हुई है धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए उड़ीसा एवं मध्य प्रदेश सरकार ने एक अपराध माना है और उसके द्वारा दंड भी दिया जाएगा Stan sloss 1977 का इस मामले में काफी फेमस हुआ जिसमें मध्य प्रदेश और उड़ीसा के लिए कुछ कानून ऐसे बनाए गए थे जिस को चुनौती दिया गया और कहा गया कि यह गैर संवैधानिक है उच्चतम न्यायालय इस तर्क को अस्वीकार कर दिया और कहा कि कानून संवैधानिक है धर्म का अधिकार लोक व्यवस्था के अधीन है यदि सभी समुदाय धर्म परिवर्तन का प्रयास करेंगे तो लोग व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती हो जाएगी
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  • अनुच्छेद 26 के द्वारा प्रत्येक धर्म के अनुयाई को धार्मिक मामलों का प्रबंध करने का दान प्राप्त करने का धार्मिक संपत्ति को प्रबंध करने का अधिकार है इस अनुच्छेद के द्वारा जितने भी संप्रदाय उन्हें जनकल्याण और परोपकार के कार्य के लिए अपनी संस्था का स्थापना करना और उसकी देखभाल करने का भी अधिकार दिया गया है यह अधिकार वैसे संस्था को है जिसकी स्थापना धार्मिक संप्रदाय के लोगों ने की है और वह कानून के द्वारा ही बनाया गया है अजीज बसा बनाम भारत संघ के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की स्थापना संसद द्वारा पारित विधि के आधार पर की गई है इसलिए यह अल्पसंख्यक द्वारा स्थापित संस्था नहीं है vinayiasacademy. Com
  • अनुच्छेद 27 में बताया गया है कि किसी भी धर्म के लोगों को किसी प्रकार का टैक्स देने के लिए जरूरत नहीं है अगर किसी धार्मिक संप्रदाय के लिए राज्य कोई सेवा करता है तो इस प्रकार से की गई सेवा के लिए राज्य शुल्क ले सकता है शुल्क और कर में अंतर होता है शुल्क सरकार सेवा करने के लिए लेती है परंतु टैक्स सरकार बिना किसी सेवा के लेती है जैसे इनकम टैक्स.
  • अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी भाषा लिपि और संस्कृति सुरक्षित रखने का अधिकार है वही अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यक को अपने लिए शिक्षण संस्थान की स्थापना और उसका संचालन का अधिकार है अनुच्छेद 30 में धर्म तथा भाषा पर आधारित अल्पसंख्यक वर्ग शब्द का प्रयोग विशेष रूप से किया गया है यहां अल्पसंख्यक प्रांत की जनसंख्या के अनुपात को ध्यान में रखते हुए निश्चित की जाती है मुसलमान और सीख पूरे देश में संख्या के परंतु मुसलमान जम्मू एवं कश्मीर में तथा सीट पंजाब में बहुसंख्यक है इसी प्रकार भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक तथा बहुसंख्यक वर्ग का निर्णय राज्य की जनसंख्या के अनुपात के आधार पर किया जा सकता है
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