Vinayiasacademy.com.com
- संसदीय समिति कितने प्रकार की होती है ?
2.संसदीय समिति किस प्रकार से संसद को नियंत्रित करती है? - संसदीय समिति में विशेषाधिकार समिति एवं पराक्रम समिति का क्या कार्य है?
- संसद की स्थाई समिति एवम अस्थाई समिति में क्या अंतर होता है ?
5.लोक लेखा समिति एवं सार्वजनिक उपक्रम समिति में अंतर बताइए ?
6.गैर सरकारी सदस्य के विधायक तथा संकल्प संबंधी समिति का कार्य क्या है? - संसद की आवास समिति संयुक्त संसदीय समिति एवं अनुसूचित जाति और जनजाति के संबंध में जो समिति बनाई जाती है उस पर चर्चा करें?
- संसदीय समिति को बनाने का उद्देश्य क्या है ?क्या इस उद्देश्य को संसदीय समिति पूरा कर पाती है?
- अधिकांश समिति में मंत्रियों को स्थान नहीं दिया जाता है इसका प्रमुख कारण क्या है?
- वित्तीय समिति एवं विषय गत समिति में कौन सी समिति आती है?
Vinayiasacademy.com
भारत में संसदीय परंपरा में ब्रिटेन के तर्ज पर समिति को बनाया गया है ।भारत में समिति प्रणाली का विकास गुप्त काल मौर्य काल में भी था लेकिन मार्ले मिंटो सुधार मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार के द्वारा समिति बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत की गई ।एक प्रकार से संसदीय समिति विशिष्ट विशेषाधिकार के तहत ही कार्य करती और संसद पर नियंत्रण भी करती है।
संसदीय समिति का गठन के लिए एक खास निर्मित प्रक्रिया है। कार्य संचालन के लिए भी एक नियम होता है, संसद में लोकसभा एवं राज्यसभा के अलग-अलग पहलू को ध्यान में रखते हुए समिति की नियुक्ति, समिति का कार्यकाल ,समिति के द्वारा किए गए कार्य ,सभी चीजों के बारे में संविधान में वर्णन किया गया है। इस प्रक्रिया को अनुच्छेद 118 के अंतर्गत समझा जा सकता है जिसमें विस्तार पूर्वक बताया गया है कि समिति का गठन किया तो लोकसभा के सदस्य द्वारा राज्यसभा के सदस्य द्वारा किया जाएगा और इसके लिए एक चयन की प्रक्रिया को अपनाया जाएगा ।कुछ समिति में लोकसभा के अध्यक्ष को यह शक्ति दी गई है कि वह इसका अध्यक्ष का चुनाव करें तथा कुछ समिति में एकल संक्रमणीय पद्धति की विचारधारा को भी रखा गया है ,अगर राज्यसभा में देखा जाए तो राज्यसभा के उपसभापति को मुख्य रूप से जिम्मेवारी समिति के गठन की दी जाती है ।कमेटी का सदस्य बने रहने तक ही बने रहते हैं लेकिन अगर कोई सदस्य चाहे तो वह त्यागपत्र दे सकते हैं समिति के किसी सदस्य को बीच में निकाला भी जा सकता है
Vinayiasacademy.com
लोकसभा एवं राज्यसभा के काफी कार्य है अगर संसदीय समिति का निर्माण किया जाता है तो कार्य के भार कम होंगे। तकनीकी विषय पर चिंतन होगा। तकनीकी विषय पर चर्चा होगी तथा आवश्यक सूचना और सामग्री संसदीय समिति के द्वारा सदन के पटल पर रखा जाएगा। यही कारण है की सत्यता के अनुसार ही कमेटी की गठन होती है ।कमेटी साक्ष्य एकत्रित करती है ।कभी-कभी घटनास्थल पर या इस संबंध में कोई जांच चल रही है वहां जाकर स्थल का निरीक्षण भी करती है ।संसदीय समिति शासन की नीति निर्माण प्रक्रिया को बहुत हद तक प्रभावित कर देती है। हम कह सकते हैं कि इसका प्रशासन पर पूर्ण रुप से नियंत्रण हो जाता है ।सरकार और जनता के बीच एक कड़ी का भी कार्य करती है। इससे किसी समाज में होने वाली घटना को बचाया जा सकता है। प्रभावित होने वाले व्यक्ति और हित की सुनवाई भी की जा सकती है
Vinayiasacademy.com
समिति बनाते समय यह ध्यान दिया जाता है कि इनके कार्य का आधार क्या होगा। किस विषय पर यह कार्य करेंगे ।इन्हें जांच का अधिकार होगा या नहीं होगा। किस पार्टी के कितने लोगों को अनुपात के आधार पर रखा जाएगा यानी कि अगर समिति वित्तीय प्रकार का है। जांच समिति है ,सदन की समिति है, छानबीन की समिति, तो उसी के अनुसार उसमें सदस्यों को रखा जाता है और उन्हें कार्य सौंपा जाता है
भारत की संसदीय समितियों में स्थाई समिति का सर्वाधिक योगदान होता है ।ऐसी समिति जो समिति हमेशा रहती है लेकिन इसके अलावा कुछ समितियां तदर्थ या अस्थाई समिति होती जो समय-समय पर विशेष मामले के लिए बनाया जाता है। कभी-कभी ऐसी समिति संयुक्त समिति होती है और कभी-कभी ऐसी समिति किसी विशिष्ट मामले की जांच करने और प्रतिवेदन देने के लिए बनाई जाती है।
स्थाई समिति में वित्तीय समिति का प्रमुख योगदान होता है। जिसमें लोकसभा में बनाई जाने वाली पराक्रम समिति सरकारी उपक्रम समिति और लोक लेखा समिति प्रमुख समिति होता है। स्थाई समिति के रूप में संयुक्त समिति बनाई जाती है जो तदर्थ समिति कहलाती है
संसद की विषय गत समिति में एक बार फिर से लोकसभा की प्रार्थना समिति पर्यावरण और वन समिति विज्ञान और प्रौद्योगिकी समिति को स्थान दिया गया है
सदन की दूसरी समितियों में कार्य मंत्रणा समिति, गैर सरकारी सदस्य के विधायक को लेकर बनाई गई समिति ,सभा की बैठक से सदस्य की अनुपस्थिति को लेकर बनाई हुई कमेटी एवं नियम कानून को मिलाकर चलने के लिए बनाई गई समिति होती है।
इसी प्रकार से जांच समिति बनाई जाती है, जिसमें याचिका समिति और विशेषाधिकार समिति प्रमुख होता है।
संसद में छानबीन करने के लिए और जांच करने के लिए अलग से भी समिति बनाने की परंपरा है जैसे कि सरकारी आश्वासन संबंधी समिति ,अधीनस्थ संबंधी समिति, सभा पटल पर जो पत्र रखा जाता है उसे लेकर बनाई गई समिति ,अनुसूचित जाति और जनजाति के कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने वाली समिति,
अलग-अलग प्रकार की सेवा और उपबंध को करने के लिए भी समिति बनाई जाती है इसमें मुख्य रूप से सामान्य प्रयोजन समिति, आवास समिति ,ग्रंथ आलय समिति ,जो पुस्तकालय समिति के नाम से जानी जाती है और संसद सदस्य का वेतन और भत्ता बढ़ाया जाए या नहीं इसे लेकर एक समिति बनाई जाती है
Vinayiasacademy.com
कार्य मंत्रणा समिति के कार्य क्या है- जब कभी चुनाव होता है और चुनाव के बाद नए लोकसभा का गठन होता है तो उस समय लोकसभा के अध्यक्ष द्वारा इस समिति का गठन किया जाता है अथवा समय-समय पर लोकसभा के अध्यक्ष यदि चाहें तो इस समिति का गठन कर सकते हैं लोकसभा के अध्यक्ष ही इस समिति के अध्यक्ष होते हैं इस समिति में 15 सदस्य होते हैं समिति ऐसे सरकारी विधेयक के बारे में विचार करती है जिसे सदन में लाया गया है इसमें चर्चा करवाना है या नहीं करवाना है। इसमें मत विभाजन होना चाहिए या नहीं होना चाहिए ।सदन के नेता के परामर्श ,अध्यक्ष सदन के नेता को समिति की पूरी जिम्मेदारी सौंप देते हैं। समिति को यह बताने की भी शक्ति होती है कि यह कितने स्टेज में पारित होगा। इसमें कौन-कौन से कार्य है तथा इसे कौन करेंगे। कितने दिनों में पूरा होगा लोकसभा के अध्यक्ष अलग-अलग सदस्य को कार्य सौंप देते हैं। सदन में विचार विमर्श करने के लिए भी इस पर चर्चा होती है इसकी सिफारिश समिति ही करती है। इसके लिए एक खास दिन और समय निर्धारित कर दिया जाता है। यह समिति राज्यसभा में भी होती है। इसमें 11 सदस्य होते हैं राज्य सभा के सभापति और उपसभापति दोनों इसके सदस्य होते हैं ।राज्य सभा का सभापति सभा द्वारा गठित इस समिति का अध्यक्ष होते हैं ।लोकसभा की भांति होता है यानी कि राज्यसभा में चर्चा करने के लिए विचार विमर्श करने के लिए समिति को पूरी जिम्मेवारी सौंपी गई है - Vinayiasacademy.com
संसद की विशेषाधिकार समिति के बारे में विस्तार पूर्वक बताइए- संसद की विशेषाधिकार समिति एक प्रकार की विशिष्ट समिति है इसमें 15 सदस्यों को शामिल किया जाता है यह सदस्य लोकसभा के होते हैं इसलिए इसे लोकसभा की विशेषाधिकार समिति भी कहते हैं ,जैसे नए लोकसभा का चुनाव संपन्न होता है और नए लोकसभा का कार्यकाल शुरू होता है कि समिति के कार्य भी शुरू हो जाते हैं। लोकसभा के अध्यक्ष अगर चाहे तो समय-समय पर इसके सदस्यों को बदल भी सकते हैं। संसद के दोनों सदन में इस समिति का गठन किया जाता है लेकिन राज्यसभा में इस समिति में सिर्फ 10 सदस्य होते हैं ।जब समिति का गठन होता है तो यह देखना जरूरी होता है कि जिस पार्टी के जितने लोग जीत कर चुनाव आए अगर कोई समूह में जीतकर आया है तो उसका अनुपातिक प्रतिनिधित्व यानी कि लोकसभा के नेता तथा यहां के कानून मंत्री भी इस समिति के आमतौर पर सदस्य बना दिए जाते हैं क्योंकि विशेषाधिकार समिति यह तय करती है संसद के सदस्य को अधिकार दिए गए उनका पालन सही से करें दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं इसलिए इसकी रिपोर्ट सदन पर रखी जाती है ।इन के मुख्य कार्यों में संसद के किसी सदस्य के विशेषाधिकार हनन के मामले अगर हो जाते हैं, तो उसका भी जांच करना है समिति अगर चाहे तो किसी का विशेष अधिकार होने के मामले में वह परिस्थिति और कारण की जांच कर सकती है ।वह उस व्यक्ति को बुलाकर सदन में फटकार भी लगा सकती है जिसने संसद के सदस्य का विशेषाधिकार किया का हनन किया है ,जब तक विशेषाधिकार समिति अपना रिपोर्ट नहीं सौंपी तब तक किसी मामले पर जांच संपूर्ण नहीं हो पाता है
Vinayiasacademy.com
प्राक्कलन समिति क्या है? इस समिति के द्वारा किन कार्यों को सफलतापूर्वक किया जाता है?
प्राक्कलन समिति संसद की स्थाई समिति है यह समिति सिर्फ लोकसभा में होती है इसमें कुल 30 सदस्य होते हैं प्राक्कलन समिति का निर्वाचन प्रत्येक वर्ष जिस पार्टी के जितने सदस्य होते हैं उसका अनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल संक्रमणीय पद्धति के द्वारा ही इस का चुनाव किया जाता है जो सदस्य इस समिति का सदस्य बनने के योग्य होते हैं ।जिनका निर्वाचन हो जाता है उसी में से किसी एक व्यक्ति को सदन के अध्यक्ष द्वारा समिति का अध्यक्ष बना दिया जाता है ।प्राक्कलन समिति के सदस्य में मंत्री परिषद का कोई सदस्य नहीं होता है और अगर कोई सदस्य समिति का सदस्य है और बाद में मंत्री बन जाता है तो ऐसे में मंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही समिति का सदस्य नहीं रहेगा समिति की भी कार्य अवधि 1 वर्ष की होती है , कैसे बेहतर कार्य करें प्रशासन की कुशलता कैसी हो। इसके लिए वैकल्पिक नीति क्या होनी चाहिए? इसके लिए नए सुझाव क्या है? प्रशासनिक व्यवस्था में नई चीजों का सृजन करना। प्राक्कलन समिति द्वारा संगठन के व्यवस्था में सुधार करना इसके लिए प्रतिवेदन प्रस्तुत करना होता है ।यानी कि पूरे देश में किस प्रकार की प्रशासनिक सुधार होनी चाहिए इसलिए इस समिति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है ।यह इस बात की जांच भी करता है की अंतर्निहित नीति की सीमा में रहते धन का प्रयोग कितना बेहतर तरीके से किया जाए। अगर धन का प्रयोग दुरुपयोग के रूप में हो गया है तो इस समिति के द्वारा रिपोर्ट कर दी जाती है समिति द्वारा पूरी की जांच प्रत्येक राज्य में होता है पूरा वर्ष होता है। समिति सरकार को ही रिपोर्ट देती है समिति अपनी जांच के संदर्भ में मंत्रालय से विभाग से किसी भी सरकारी उपक्रम से सामग्री मांग सकती है और आंकड़ा मांग सकती है। शंका होने पर वह जांच के लिए किसी व्यक्ति को बुला सकती है। वह स्वयं अथवा विशेषज्ञ से राय ले सकती है। समिति अगर चाहे तो इस विषय से संबंधित स्थान, संस्था और संगठन का उनके यहां जाकर अध्ययन कर सकती है, निरीक्षण भी कर सकती है, यही कारण है कि इस समिति को कहा जाता है कि संसद पखर्च पर नियंत्रण कर लेती है और शिष्टाचार पर भी नियंत्रण कर लेती है
Vinayiasacademy.com
लोक लेखा समिति के क्या कार्य है ?लोक लेखा समिति अपनी रिपोर्ट किसे प्रस्तुत करती है?
लोक लेखा समिति लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्य से मिलकर बनती है इसमें लोकसभा के 15 और राज्यसभा के 7 सदस्य होते हैं इस समिति के सदस्य का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर किया जाता है ।इसे एकल संक्रमणीय मत पद्धति का चुनाव भी कहते हैं। लोक लेखा समिति में किसी मंत्री को सदस्य नहीं बनाया जा सकता है। अगर कोई मंत्री इसका सदस्य होता है तो वह उसी समय समिति के सदस्य से हट जाएगा यानी कि सामान्य सदस्य कभी भविष्य में मंत्री बन जाते तो वह स्थाई समिति के सदस्य हट जाए भारत में ऐसी परंपरा बनाई गई है कि लोक लेखा समिति का अध्यक्ष सबसे बड़ा विपक्षी पार्टी को दिया जाता है इनके अध्यक्ष को लोकसभा का सदस्य होना जरूरी होता है ।समिति का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है इसके द्वारा भारत सरकार के द्वारा जो खर्च किया जाता है, संसद को जो राशि बजट में खर्च करने के लिए दी जाती है ।क्या वह सही है ?क्या भारत सरकार के द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला बजट और वित्तीय विधायक सही है ?क्या उसमें पैसा सही प्रकार से आ रहा है? इस प्रतिवेदन की जांच करना है ।यही कारण है कि कैग की रिपोर्ट की प्रतिवेदन की छानबीन करते समय इस कमेटी का महत्वपूर्ण भूमिका हो जाता है क्योंकि इस राशि का उपयोग में दिया गया है इस राशि को खर्च में दिखाया गया है क्या वह राशि कानूनी रूप से निर्धारित या नहीं यह कमेटी इसकी जांच करें उनको खर्च करने के लिए जो नियम संसद ने दिया है उसी नियमानुसार खर्च हुआ है या किसी और प्रकार से खर्च हो गया यानी कि प्रत्येक सक्षम अधिकारी द्वारा बनाए गए नियम के अनुकूल सब कुछ है या नहीं, व्यापार राज्य का नियम संस्था की आय और वह जिसे कि प्रत्येक वर्ष प्रस्तुत करेगा इसकी जांच लोक लेखा समिति करेगी। इसके द्वारा जैसे ही लोक लेखा समिति अपनी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत करेगी तो वित्तीय प्रशासन पर यह नियंत्रण हो जाएगा ।यहां पर हम कह सकते हैं कि लोक लेखा समिति के द्वारा भारत की संसद खर्च पर नियंत्रण कर सकती है। किसी वित्तीय वर्ष में होने वाला खर्च सही है या गलत है यह देखना लोक लेखा समिति का ही कार्य हैvinayiasacademy.com
सार्वजनिक उपक्रम समिति एवं लोक लेखा समिति में क्या अंतर है- सार्वजनिक उपक्रम समिति में भी लोक लेखा समिति के तर्ज पर 22 सदस्य होते हैं इसमें लोकसभा के 15 सदस्य राज्यसभा के 7 सदस्य होते हैं। इस समिति के द्वारा चौथी अनुसूची में वर्णित विषय सार्वजनिक उपक्रम के संबंध में जो लेखा और प्रतिवेदन होता है उसकी जांच करता है। यह समिति भी महालेखाकार की रिपोर्ट पर जांच करती है किसी कंपनी के अनुरूप कार्य, कुशलता के अनुरूप कंपनी का जांच करना, व्यापार के सिद्धांत का जांच करना, सरकार के पास जो राजस्व आना चाहिए वह क्यों नहीं आया है इसकी जांच करना यानी कि सरकार को घाटा क्यों हो रहा है? सरकार के द्वारा संसाधन का जो नीलामी कराया गया है वह मूल रूप में सही है या गलत है? क्या इसे और बेहतर किया जा सकता है? इस पर जांच करके सदन में अपनी रिपोर्ट दी जाती है ।यहां पर हम कह सकते हैं कि लोक लेखा समिति ,सार्वजनिक उपक्रम समिति और प्राकलन समिति। मुख्य रूप से संसद से होने वाले खर्च पर एक प्रकार का नियंत्रण स्थापित कर लेती है
Vinayiasacademy.com
गैर सरकारी सदस्य के विधेयक और समिति पर चर्चा करें- इस समिति का गठन लोकसभा के अध्यक्ष के द्वारा किया जाता है इसमें अधिकतम सदस्य की संख्या 15 हो सकती है ।इसका कार्यकाल एक ही वर्ष का होता है। संविधान में जब कोई संशोधन होता है एवं संशोधन होने वाला प्रस्ताव गैर सरकारी सदस्य के द्वारा लाया जाता है तो इसके महत्व का जांच करना इसका स्वरूप कैसा है ।
Vinayiasacademy.com
संयुक्त संसदीय समिति कौन-कौन सी होती है- अलग-अलग मामले पर समय-समय पर संयुक्त संसदीय समिति का निर्माण किया जाता है जैसे कि वर्ष 2011 में पीसी चाको समिति 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच करने के लिए बनाया गया था ।इसी प्रकार से वर्ष 2003 में शीतल पेय पदार्थ में कितना कीटनाशक है कि नहीं है इसके लिए पवार समिति का गठन किया गया था ।केतन पारेख के शेयर घोटाले की जांच करने के लिए वर्ष 2001 में त्रिपाठी समिति बनाई गई थी और हर्षद मेहता का जांच करने के लिए 1992 में मिर्धा समिति बनी थी ,bofors मामला जो भारत में कई सरकार को गिराने में सहायक रहा है इसमें बी शंकर आनंद 1987 में बनाया गया था
Vinayiasacademy.com
लोकसभा में मूल रूप में कितने स्थाई समिति है उनके नाम और सदस्य की भी जानकारी दें- लोकसभा में मूल रूप में 18 स्थाई समिति होते ।जिसमें कार्य मंत्रणा समिति 15 सदस्य, विशेषाधिकार समिति 15 सदस्य , याचिका समिति 15, प्राक्कलन समिति 30 सदस्य, लोक लेखा समिति 22 सदस्य, लोक उपक्रम समिति 22 सदस्य, विधायन संबंधी समिति 15 सदस्य ,सामान्य प्रयोजन समिति 29 सदस्य ,आवास समिति 12 ,सदस्य सरकारी आश्वासन संबंधी समिति 15 ,की बैठक से संबंधित समिति 15 सदस्य सभा पटल पर जो पत्र रखा जाता है उसके लिए 15 सदस्य ,गैरसरकारी सदस्य का विधेयक के लिए 15, अनुसूचित जाति जनजाति के कल्याण के लिए 30 सदस्य संसद सदस्य के वेतन के लिए 15 सदस्य ,लाभ के पद को जांच करने के लिए 15 सदस्य पुस्तकालय जांच करने के लिए 9 सदस्य नियम समिति के लिए 15 सदस्य आवाज समिति के लिए 12 सदस्य Niyam Samiti 15 sadasya
Vinayiasacademy.com
आवास समिति प्रत्येक सदन में अलग-अलग होती है इसमें लोकसभा में भी 12 सदस्य होते हैं और राज्य सभा में भी 12 सदस्यों के हैं इसका कारण है कि सांसद को आवाज मिला या नहीं मिला सांसदों को चिकित्सा सुविधा दी जा रही है नहीं दी जा रही है इसके सदस्य को लोकसभा के अध्यक्ष लोक सभा में राज्यसभा सभा के सभापति राज्यसभा में नियुक्त करते हैं
सभा पटल पर जो पत्र रखा जाता है इसमें 15 सदस्य होते हैं इसका चयन लोकसभा के अध्यक्ष करते हैं इसका कार्यकाल 1 वर्ष का होता है यह समिति मंत्री द्वारा पटल पर रखे गए सभी पत्र की जांच करती है और अपनी रिपोर्ट लोकसभा को प्रस्तुत करती है
Vinayiasacademy.com