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1.विसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम क्या है?
2. समान अवसर आयोग क्या है ? 3.सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सामाजिक न्याय पीठ की स्थापना की गई है इसका उद्देश्य क्या है?
4.प्ली बारगेनिंग से आप क्या समझते हैं?
5.कोर्ट स्टेटस, कोर्टनिक जुडिस, कॉज लिस्ट क्या होता है?
6.राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम 2014 में क्या प्रावधान किए गए हैंं?
7.कॉलेजियम सिस्टम क्या है इसे किस प्रकार से विवादों को रोका जा सकता है?


Vinayiasacademy.com जैसा कि हम जानते हैं भारत में अलग-अलग क्षेत्र में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ता जा रहा है अनेक कोशिश के बावजूद भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना मुश्किल हो रहा है सूचना के अधिकार के द्वारा भ्रष्टाचार की जानकारी तो प्राप्त हो जाती है लेकिन भ्रष्टाचार को उजागर करने वाले लोगों की जान भी खतरे में होती है इसे देखते हुए विसलब्लोअर से जुड़ा एक मामला जिसे विसलब्लोअर संरक्षण अधिनियम 2011 के नाम से जाना जाता है ,इसे वर्ष 2014 में अपना लिया गया। भ्रष्टाचार सार्वजनिक करने वाले लोगों को बचाने की योजना है और इसी योजना के द्वारा यह किया गया कानून जनता को मंत्री और लोक सेवक द्वारा अधिकारों का जानबूझकर दुरुपयोग करने के लिए नहीं बोलते हैं बल्कि वह बताता है
Vinayiasacademy.com अगर किसी व्यक्ति के द्वारा भ्रष्टाचार सार्वजनिक करने के लिए को सूचना दी जाती है तो इसका दुरुपयोग करने वाले लोगों को जेल की सजा होगी और व्यक्ति का नाम गुप्त रखा जाएगा केंद्रीय सतर्कता आयोग के द्वारा भी शिकायत को प्राप्त करने के लिए कई नियम जारी किए गए हैं कानून में किसी भी झूठी या फर्जी शिकायत अगर किया जाता है तो फिर फर्जी शिकायत करने वाले को 2 वर्ष की सजा हो सकती है यह प्रणाली अमेरिका से लिया हुआ है इसमें कुल 31 धारा दिया गया है जिसके द्वारा व्यक्ति के अधिकार जीवित रहते हैं
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समान अवसर आयोग- मुसलमान समुदाय के द्वारा सामाजिक आर्थिक और शैक्षिक स्थिति पर गठित एक कमेटी बनी थी जिसका नाम था सच्चर कमेटी। समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि मुसलमान जनसंख्या लगभग 19% की है लेकिन नौकरी में सिर्फ 3% तक मुसलमान जनसंख्या के लोग कार्यरत है इसलिए इस समुदाय को और अधिक आगे लाने के लिए सच्चर कमेटी ने बताया था ।इस कमेटी में 3 सदस्य हैं। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायधीश अध्यक्ष होंगे ।विभिन्न नौकरी में सभी धर्म और जाति के लोगों को एक समान अवसर मिले यह इसकी जांच करेगा। यह आयोग वर्ष 2014 में बना था। जिसमें अवसर के आधार पर सभी धर्म के लोगों को बराबर की हिस्सेदारी दी जाए।
Vinayiasacademy.com सर्वोच्च न्यायालय में प्रत्येक केस की स्थिति क्या है। इसकी जानकारी कोई भी व्यक्ति कंप्यूटर के माध्यम से ले सकता है। इसे ही कोर्टनिक कहा जाता है तथा सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर प्रतिदिन दोनों पक्ष के अधिवक्ता जो न्यायालय में निर्मित व लंबित मामले की स्थिति बताई जाती है इसकी जानकारी देने की प्रक्रिया को कोर्ट स्टेटस कहते हैं।vinayiasacademy.com हाल के वर्षों में प्ली बारगेनिंग चर्चा में है प्ली बारगेनिंग का अर्थ होता है दो पक्षों के बीच समझौता का होना ।व्यवस्था से सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में चल रहे मुकदमे को कम किया जा सकता है। यानी कि अगर दो पार्टी आपस में मिलकर यह समझौता कर ले कि वह केस को वापस लेंगे तो दिक्कत समाप्त हो जाएगी। अगर अपराधी को कम सजा दिया जाएगा तो वह अपना अपराध स्वीकार कर सकता है इसलिए प्ली बारगेनिंग को अधिक महत्व दिया जा रहा है। इसका उद्देश्य है धन का बचत करना ,धन बचत करना ,अदालत के ऊपर से भार को घटाना। अपराधिक विधि संशोधन अधिनियम 2005 में इसे पारित किया गया था। इसमें अधिकतम 7 वर्ष का कारावास हुआ है वैसे कानून पर वैसे अपराध पर इसे लागू कर सकते हैं। यह महिला और बच्चों के खिलाफ अपराध में लागू नहीं होगा vinayiasacademy.com सामाजिक न्याय पीठ- 2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने सामाजिक मामला, महिला ,बच्चे एवं समाज के पिछले तबके से संबंधित मामले की सुनवाई करने के लिए और जल्द से जल्द न्याय दिलवाने के लिए सामाजिक न्याय पीठ की स्थापना की है ।इसे सोशल जस्टिस बेंच कहा जा रहा है।

इसके द्वारा समाज में ऐसे मामले विशेष शीघ्र ही निपटारा करना जरूरी है। इन सारी चीजों के लिए ही न्यायालय ने अपनी सक्रियता दिखाई है। भारतीय संविधान की आदर्श शुरू में ही सामाजिक न्याय की कल्पना की गई है। राज्य के नीति निदेशक तत्व एवं प्रस्तावना में इसे बताया गया है। यही कारण है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सामाजिक न्याय पीठ के द्वारा इन चीजों को सामने लाया जा रहा है जो मामले कई वर्षों तक रुके हुए हैं। आम लोगों के लिए समस्या का सबब बन जाते हैं ।ऐसे मामलों को जल्द से जल्द निपटाना चाहिए जैसे सर्वोच्च न्यायालय ने अपने हाल में दिए गए निर्णय में कहा है कि भूख से कोई मौत नहीं होनी चाहिए फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया का सारा अनाज कभी चूहा खा जाता है कभी सड़ जाता है ।वही सूखे से निपटने के लिए सरकार की रणनीति के तहत अनाज बांटना जरूरी है लेकिन अनाज सड़ जाता है गरीबों को नहीं दिया जाता है ऐसे में न्याय कैसे होगा जो गरीब परिवार है,vinayiasacademy.com जो बेघर है देश के ऐसे लोग जहां तक सरकार की विकास के कार्यक्रम नहीं पहुंचते हैं उन्हें जल्द से जल्द समय दिया जाना चाहिए यही कारण है कि शुक्रवार को दोपहर 2:00 बजे का समय सामाजिक समस्या से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए निर्धारित किया गया है
Vinayiasacademy.com कॉलेजियम सिस्टम- संविधान के अनुच्छेद 124 के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भारत के मुख्य न्यायाधीश से सलाह लेने के बाद राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं। अनुच्छेद 217 के तहत उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है। सरकार द्वारा मुख्य न्यायाधीश की सलाह को मानने के लिए बाध्य नहीं है जैसा कि हम जानते हैं कि राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद सलाह देती है

मंत्री परिषद एवं vinayiasacademy.com प्रधानमंत्री की सलाह से ही राष्ट्रपति की नियुक्ति करते हैं लेकिन क्या वरिष्ठ न्यायधीश को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनाना होगा ।समय-समय पर इसे लेकर भी विवाद होता रहा है, 1993 में सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णय देकर वरिष्ठ को ही बनाना जरूरी है इससे ही कॉलेजियम सिस्टम की शुरूआत हो गई। सुप्रीम कोर्ट में जजों का एक समूह होगा जो सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में जज की नियुक्ति करेगा 1998 में बनाई गई जो कार्यपालिका के बाद जज की नियुक्ति की सिफारिश की जाती है ।सरकार के द्वारा जो नाम सुझाया जाता है ।उनमें से ही करेगी यदि नहीं है तो उसे विचार के लिए कॉलेजियम के पास भेज सकती है। एक बार ही होगा दोबारा उसी को भेज देता है तो सरकार उसके अनुशंसा करने के लिएvinayiasacademy.com बाद होगी यह प्रक्रिया को इतनी गोपनीय रखा जाता है कि प्रधानमंत्री के अलावा किसी को भी पता नहीं चलता है। इसमें प्रधानमंत्री और कानून मंत्री भी रहते हैं । जब संविधान में ऐसा लिखा हुआ नहीं है कि वरिष्ठ बनेंगे तो इसे लेकर 1973 ईस्वी में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी, vinayiasacademy.comउन्होंने अजीत नाथ राय को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त कर दिया। वरिष्ठता में चौथे नंबर पर थे ऐसे में तीन न्यायाधीशों ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। इसी प्रकार से जब सर्वोच्च न्यायालय में हीरालाल जी केनिया की मृत्यु हो गई तो पतंजलि शास्त्री को नियुक्ति को लेकर भी आश्वस्त थे लेकिन सरकार उन्हें बनाना नहीं चाहती थी ऐसे में कई जज ने यह कहा कि वह इस्तीफा दे देंगे तो फिर पतंजलि शास्त्री को भारत का मुख्य न्यायाधीश बनाया गयाvinayiasacademy.com


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