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ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त श्लोक से पता चलता है की जाति व्यवस्था आ चुकी थी जो उत्तर वैदिक काल में लिखा गया था जिसमें शुद्ध शब्द का भी एक बार जिक्र किया गया है। समाज पितृसत्तात्मक था एवं संयुक्त परिवार को बढ़ावा दिया जाता था परिवार के प्रमुख को खुलाफा कहते थे जिसके बाद विष और जन का निर्माण होता था अतिथियों को बहुत अधिक इज्जत दिया जाता था। भिखारी और कृषि का कोई अस्तित्व नहीं था संपत्ति की इकाई गाय को समझा जाता था गाई ही विनिमय का सबसे प्रमुख साधन था सारथी और बड़े समुदाय को विशेष सम्मान दिया जाता था इस काल में सती प्रथा पर्दा प्रथा बाल विवाह आदि का परिश्रम नहीं हुआ था लेकिन बाद में धीरे-धीरे इसे अपना लिया गया शिक्षा एवं वर चुनने का अधिकार महिलाओं को था विधवा विवाह महिलाओं को अपने संस्कार नियोग गंधर्व एवं अंतरजातीय विवाह भी आ चुका था। यव जौ के लिए प्रयोग होता था सोमरस का भी जिक्र किया गया है। अपाला घुसा गार्गी मैत्रेई अमोघवर्षा महिलाएं विदुषी थी। जमाल उपनिषद में ब्रह्मचर्य गृहस्थ वानप्रस्थ और सन्यास आश्रम का उल्लेख है। अर्थव्यवस्था का प्रमुख आधार पशुपालन एवं कृषि था पशु रखने वालों को गोमेद कहते थे चारागाह के लिए गव्य शब्द का प्रयोग हुआ है पुत्री को गाय दुहने वाली और युद्ध के लिए गविष्टि शब्द का प्रयोग हुआ है। शतपथ ब्राह्मण में कृषि के सभी प्रक्रिया को बताया गया है। आर्य एक भगवान में विश्वास करते थे। इस काल में अयाश तांबा आकाशा के लिए प्रयोग होता था सोना को हिरव्य कहते थे, निष्क का भी प्रयोग होता था


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