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Q. द्वितीय विश्वयुद्ध के प्रति राष्ट्रीय आंदोलन का क्या रुख था?

  • फासिस्ट देशों की आक्रामक व विस्तार वादी नीतियों के कारण दूसरा महायुद्ध हुआ था। सितंबर 1939 ईस्वी में हिटलर के सेना द्वारा पोलैंड पर हमला करने के साथ दूसरा महायुद्ध शुरू हुआ।
  • यह महायुद्ध इतिहास का सबसे व्यापक और नृशंस युद्ध साबित हुआ। युद्ध की स्थिति पैदा हो जाने पर ब्रिटेन ने भारतीय जनता से बिना सलाह किए भारत को युद्ध में शामिल कर लिया। भारतीय राष्ट्रवादी नेता फासिस्म के खतरे को अच्छी तरीके से पहचानते थे उन्होंने वशिष्ठ शक्तियों के विरुद्ध चीन, स्पेन, इथियोपिया तथा अन्य देशों की जनता को समर्थन दिया।
  • उन्होंने युद्ध के बढ़ते खतरे से जनता को सचेत किया था और यह घोषणा की थी कि दुनिया की शांति और प्रगति के लिए फासिस्म और साम्राज्यवाद दोनों को ही खत्म करना अति आवश्यक है।
  • राष्ट्रीय आंदोलन में वशिष्ठ देशों के प्रति पाश्चात्य साम्राज्यवादियों की रवैया की निंदा की थी। साम्राज्यवादी देशों ने फासिस्ट देशों के आक्रमण को नजरअंदाज कर दिया था।
  • ब्रिटेन ने भारत को गुलाम बना कर रखा था इसलिए उसने भारतीय जनता को बिना किसी सलाह के युद्ध में शामिल कर लिया। कांग्रेस ने मांग की कि तुरंत राष्ट्रीय सरकार बनाई जाए और ब्रिटेन वादा करें कि युद्ध समाप्त होते ही भारत स्वतंत्र हो जाएगा मगर ब्रिटेन सरकार ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
  • प्रांतों में बने हुए मंत्रिमंडल ने नवंबर 1940 ईस्वी में इस्तीफा दे दिया । भारत को युद्ध में शामिल करने के खिलाफ देश में विभिन्न भागों में हड़ताल और प्रदर्शन हुए।
  • मार्च 1940 ईस्वी में कांग्रेस का अधिवेशन रामगढ़ में हुआ। मौलाना अबुल कलाम आजाद कांग्रेस के अध्यक्ष बने ।
  • कांग्रेस ने पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की और निर्णय किया कि इसके लिए वह सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करेगी। अक्टूबर 1940 में कांग्रेस ने व्यक्तिगत सत्याग्रह का आंदोलन शुरू किया।
  • इसका मतलब था कि कांग्रेस द्वारा चुने गए सत्याग्रही एक-एक करके, सार्वजनिक स्थलों पर पहुंचेंगे और इसके खिलाफ भाषण देंगे और अपनी गिरफ्तारी देंगे!
  • इस आंदोलन के लिए चुने गए पहले सत्याग्रही विनोवा भावे थे। इस बीच लगभग 25000 नेताओं को गिरफ्तार किया गया। इनमें कांग्रेस के अधिकांश नेता थे जिन्हें गिरफ्तार किया गया।
  • जिनमें श्रीकृष्ण सिन्हा, चक्रवर्ती राजगोपालाचारी आदि थे उन दिनों मुख्यमंत्री को प्रीमियर कहते थे.पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष मियां इफ्तखार उद्दीन, महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष जी बी गाडगिल ,सरोजिनी नायडू अरूणा आसफ अली और सत्यवती।
  • जून 1941 ईस्वी में जर्मनी ने संघ पर हमला किया ।दिसंबर 1941 ईस्वी में जापान ने अमेरिका के नौसेना अड्डे पर्ल हार्वड पर हमला किया ।
  • इसके साथ दो देश भी युद्ध में शामिल हुए। उन्होंने सभी राष्ट्रों की स्वाधीनता को अपना समर्थन दिया। ब्रिटिश सरकार ने घोषणा की कि आत्म निर्णय का सिद्धांत भारत पर लागू नहीं होगा।
  • फासिस्म को मानवता का शत्रु मानने वाले जवाहरलाल नेहरू और अबुल कलाम आजाद जैसे नेताओं ने कहा कि भारतीय जनता अपने देश की सरकार पर नियंत्रण स्थापित करने के बाद फसिस्म के खिलाफ लड़ाई में शामिल होगी परंतु युद्ध समाप्त होने पर भारत को स्वाधीनता देने का वादा करने से ब्रिटिश सरकार ने इंकार कर दिया।
  • 1942 ई० में आरंभ युद्ध की स्थिति ने अंग्रेजों को भारतीय नेताओं से बातचीत के लिए मजबूर किया। जापानी सेना ने दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में ब्रिटिश सेना को भारी क्षति पहुंचाई थी।
  • एक ब्रिटिश मंत्री सर स्टाफ बोर्ड क्रिप्स भारतीय नेताओं से बातचीत करने भारत आया इसे “क्रिप्स मिशन” कहा गया लेकिन बातचीत असफल रही है यह वास्तविक राष्ट्रीय सरकार की स्थापना को स्वीकार करने के लिए नहीं तैयार नही हुए। उन्होंने राजाओं के हितों को बढ़ावा देने की भी कोशिश की उन्होंने संविधान सभा की मांग की तो उसे स्वीकार कर लिया।

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