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नामधारी आंदोलन जो मुख्य रूप से कूका आंदोलन के रूप में जाना जाता है इसके नायक भगत एवं जवाहर मल और बाबा बालक सिंह थे इनके अनुयाई जब खुश हो जाते थे तो वह जोर-जोर से चीखते थे इसलिए इसे कूका का कहा जाता है इस आंदोलन ने बाबा राम सिंह के नेतृत्व में सभी क्षेत्र में सामाजिक और धार्मिक जागृति पैदा कर दिया राम सिंह ने अपने सभी अनुयायियों को कहा ईश्वर एक है इसलिए एक ही ईश्वर की उपासना करें एक ही ईश्वर की प्रार्थना करें और एक ही ईश्वर का ध्यान करें उन्होंने यह भी कहा कि आप हमेशा ईश्वर की आराधना करें हर समय ईश्वर के बारे सोचते रहे तो सभी दुख से मुक्ति मिल जाएगी उन्होंने जाति प्रथा स्त्री शिशु हत्या बाल विवाह, विवाह में कन्या की अदला जैसी कई सामाजिक कुरीतियों के विरोध में आवाज उठाया उन्होंने आसान और सस्ती आनंद विवाह पद्धति को प्रोत्साहन दिया उन्होंने

कहा कि इस विवाह पद्धति से सिखों के अंदर बहुत से सुधार हो जाएंगे यही कारण था कि जल्द ही राम सिंह के उपदेश का सिख जनता स्वागत करने लगी और अपने आप को उनकी विचारधारा के अनुसार तैयार करने लगी लेकिन उसी समय ब्रिटिश सरकार ने उनके विचारधारा के संबंध में यह बताया की सिखों में जाति भेदभाव रहित विवाह की वकालत विधवा विवाह का उपदेश देने वाले प्रसिद्ध राम सिंह का स्वागत करते हैं ,उनके शिष्य सत्य बोलते हैं उन्होंने अपने प्रत्येक शिष्य को लाठी रखने का आह्वान किया ग्रंथ को ही अपने जीवन का का प्रेरणा स्रोत माना उनकी पगड़ी की गांठ शीदपूग- श्वेत ऊनी गांठ कंठहार जैसी होती है इससे भाई की संकल्पना का विकास होता है यह सभी माला रखते हैं और माला को फेरते भी है बाबा राम सिंह के जीवन को अगर देखा जाए तो क्षमा पर विश्वास करते थे लेकिन उनके कई समर्थक ठीक उनके विपरीत सोचते थे उनके कई अनुयाई गौ हत्या पर भड़क जाते थे और इसी कारण से अमृतसर राजकोट जैसे शहर में कई कसाईओं का उन्होंने वध कर दिया यह आंदोलन मूल रूप से सामाजिक था कुका के ऊपर सरकारी जुल्म जब होने लगा तो सहानुभूति जनता की मिल गई और धीरे-धीरे जनता ने इस आंदोलन को लोकप्रिय बना दिया#vinayiasacademy.com


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