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1873 ईस्वी में सिंह सभा आंदोलन का शुरुआत हुआ ,इस सभा के संस्थापक मुख्य रूप से शिक्षक थे और वह मध्यम वर्ग के थे। ऐसे भी बहुत से लोग इस आंदोलन में थे जो पहले नामधारी आंदोलन में भी रहे थे और जिनके ऊपर सरकारी जूल्म हुआ था इस आंदोलन से जुड़े हुए लोगों का मानना था कि सिख समुदाय में बहुत सी कुरीतियां है अशिक्षा हैं इसलिए सामाजिक और धार्मिक सुधार होना जरूरी है इनके नेता जो सिख जनता के हित को समझते थे जमींदार घराने से ताल्लुक रखते थे उन्होंने ब्रिटिश शासक को अपने साथ लेकर काम किया ब्रिटिश सरकार को समझाया कि वे अगर हमारे क्षेत्र के लिए काम करते हैं तो लोग उनके साथ सहयोग करेंगे सिंह सभा के द्वारा खालसा कॉलेज और विद्यालय अलग-अलग क्षेत्र में एक श्रृंखला बनाकर खोलने की शुरुआत हुई। इसके नेता क्षेत्र में शिक्षा के प्रचार प्रसार करने हेतु इसे जरूरी मानते थे इसलिए वायसराय ने भी इनकी सहायता की ।लाहौर में खालसा दीवान की स्थापना किया गया ।

कई केंद्रीय कॉलेज बनाए गए अमृतसर में 1892 में खालसा कॉलेज की स्थापना हुई लेकिन शिक्षा के साथ-साथ कॉलेज में राजनीतिक गतिविधियां भी शुरू हो गई और जैसे-जैसे राष्ट्रवाद भारत में बढ़ रहा था यहां के छात्र-छात्राएं भी उसमें शामिल हो गए जब 1907 ईस्वी में गुप्तचर विभाग ने यह बताया कि खालसा कॉलेज से ही आंदोलन की शुरुआत हो रही है तो ब्रिटिश सरकार हरकत में आ गई और इसे दबाने की कोशिश की इसलिए हम कह सकते हैं कि बीसवीं शताब्दी के शुरुआत में पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता राष्ट्रीय समाचार पत्र का प्रभाव देश में राष्ट्रीय जागृति से सिखों में असंतोष फैला और आने वाले समय में अकाली आंदोलन तैयार हो गया
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