लोहा
- देशभर के लौह अयस्क उत्पादन में झारखंड का पांचवा स्थान है।
- राज्य में लौह अयस्क की खान- जामदा, गुआ, पश्चिम सिंहभूम ,बूंदाबुरु, नाटुबुरु ,किरीबुरू, नोवामुंडी इत्यादि।
तांबा
- तांबा के उत्पादन में देश भर में झारखंड को दूसरा स्थान प्राप्त है ।
- खानें- सुरादा, मुसाबनी ,घटशिला ,रीखा, पत्थर गोड़ा आदि।
- तांबे की उपलब्धता- पलामू ,हजारीबाग व संथाल परगना में भी है ।
मैग्नीज
- उपयोग- कांच बनाने ,उर्वरक बनाने, बैटरी निर्माण ,शीशा गलाने आदि ।
- खानें- नोआमुंडी, जामदा, गुवा।
- पाए जाने वाले स्थान – बरजमुंडा , चाईबासा नोआमुंडी में पाई जाती है ।
- कम पाए जाने वाले स्थान-गिरिडीह ,हजारीबाग,धनबाद ।
बॉक्साइट
- इसमें भारत में राज्य को दूसरा स्थान प्राप्त है। देश का 18% उत्पादन झारखंड में होता है। भंडार वाला क्षेत्र- गुमला, लातेहार ,लोहरदगा व रांची के पठार।
- खाने- लोहरदगा के 9 जिले, गुमला के 18 जिले में है ।
- उपयोग – रेल के डिब्बे ,जलयान ,मिसाइल आदि।

टंगस्टन
- देश के कुल उत्पादन का 14% हजारीबाग में टंगस्टन पाया जाता है।
- उपयोग – बिजली के उत्पाद बनाने में ।
- पाए जाने वाले स्थान- हजारीबाग ,सिंहभूम।
शीशा
- उपयोग- रेल इंजन, बैटरी ,टाइपराइटर ,बिजली का तार, मोटर कार आदि।
- पाए जाने वाले स्थान- गुड्डा, पलामू ,टांडा आदि।
क्रोमाइट
- देश के कुल उत्पादन का 3.9% है।
- देश के कुल उत्पादन में राज्य का दूसरा स्थान है।
- प्राप्ति स्थान- चाईबासा,जोजोहातु, सरायकेला।
सोना
- सोने के उत्पादन में झारखंड को छठा स्थान प्राप्त है।
- प्रतिवर्ष सारे 350 किलोग्राम सोने का उत्पादन घाटशिला में होता है।
टिन
- प्राप्ति स्थान – हजारीबाग, रांची ,पलामू, सिंहभूम, संथाल परगना आदि।
- उपयोग- छत की चादरें ,घरेलू बर्तन आदि।

अभ्रक
- देश में अभ्रक उत्पादन में सबसे अग्रणी राज्य (प्रथम स्थान) झारखंड है।
- प्रमुख केंद्र- चटकारी, गिरिडीह, हजारीबाग ,गांवा, नवाबी, चाकल।
- कोडरमा सबसे प्रमुख केंद्र है।
- कुल उत्पादन का 58% अभ्रक झारखंड में पाया जाता है।
कायनाइट
- इसके उत्पादन में झारखंड राज्य भारत में प्रथम है ।
- यह देश के भंडार का 8.33% है।
- मुख्य खान – मोहनापुर, कनियाल व घाघीडीह। उपयोग – लोहा बनाने में।
ग्रेफाइट
- देश में कुल भंडार का 57.78% उत्पादन झारखंड में होता है।
- राज्य में सर्वाधिक भंडार पलामू में मिलते हैं। इसके अलावा गढ़वा ,लातेहार, रांची में भी पाया जाता है ।
एस्बेस्टस
- भारत में झारखंड का पहला स्थान है।
- सरायकेला मुख्य उत्पादक क्षेत्र है।
- उपयोग- अग्नि रोधी वस्त्र बनाना, तिरपाल बनाने, बॉयलर ढकने, जेट विमानों के निर्माण। प्रमुख जिला – रांची व सिंहभूम के जोजोहाट।
ग्रेनाइट
- प्रमुख जिला- बसिया, लोहरदगा,पलामू कोडरमा, गुमला के कोलेबिरा ,रांची के हुंडरू व तुपुदाना।
चूना पत्थर
- भारत के कुल उत्पादन का 1.05% है।
- रांची का खेलारी, होयार ,हजारीबाग के हौसले व बरकट्टा, सिंहभूम का जगन्नाथपुर में सबसे अधिक उत्पादन होता है।
- उपयोग -चीनी मिट्टी के बर्तन बनाने में, सीमेंट बनाने, इस्पात के निर्माण।
अग्नि मिट्टी
- लातेहार व दुमका में इसका सबसे ज्यादा भंडार है।
- रांची ,धनबाद, पलामू, राजमहल की पहाड़ियों आदि में भी पाया जाता है।
बेटोनाइट
- झारखंड में उसका 0.81% सुरक्षित है ।
- प्रमुख राज्य- साहेबगंज ,तीन पहाड़ तालझरी, बाकुडीह आदि ।
- उपयोग – डिटर्जेंट ,सौंदर्य प्रसाधन ,कागज उद्योग ,खाद्य तेल को साफ करने के लिए किया जाता है।
डोलोमाइट
- यह पलामू के डालटेनगंज में सबसे अधिक पाया जाता है ।
- उपयोग- लौह इस्पात, सीमेंट उद्योग ,शीशा उद्योग आदि।
निकेल
- उड़ीसा के बाद झारखंड में पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है ।
- झारखंड का हिस्सा 6% है।
इलमेनाइट
- प्राप्ति स्थान- गिरिडीह ,कोडरमा ,हजारीबाग रांची।
यूरेनियम
- राज्य में जादूगोड़ा में सबसे अधिक भंडार है। भारत में झारखंड का यूरेनियम उत्पादन में प्रथम स्थान प्राप्त है ।
- प्राप्ति स्थान – डूंगडी, जुरमाडीह, नरवा, केंरूवा आदि।
कोयला
- झारखंड भारत के एक तिहाई कोयले का भंडार करता है ।
- कोयला उत्पादन में झारखंड प्रथम स्थान पर है। गोंडवाना के चट्टानों में कोकिंग कोयला पाया जाता है। जो देश के 90% है ।
- प्राप्ति स्थान- बोकारो, गिरिडीह ,चतरा ,लातेहार, पलामू, रामगढ़ ,झरिया ,हजारीबाग ,पाकुड़, गढ़वा ,दुमका ,देवघर ,रांची।