सोन नदी
- मैकाल पर्वत के अमरकंटक पठार से निकलती है ।
- सहायक नदी- उत्तरी कोयल.
- इस नदी के अन्य नाम- हिरणयवाह ,सोनभद्र।
- इस नदी में सोने के काण इसके सुनहरी रेत में पाए जाते हैं।
स्वर्णरेखा नदी
- यह नदी छोटा नागपुर के पठारी भू-विभाग से रांची के नगड़ी गांव से बहती हुई उड़ीसा में प्रवेश करती है।
- इसमें सुनहरी रेत में सोना पाए जाने के कारण इसे स्वर्णरेखा नदी कहा गया है ।
- सहायक नदी – राढू (रांची), करके, कांची ।
- यह सीधे बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। जलप्रपात का निर्माण – हुंडरू गौतम धारा व दशम जलप्रपात।
दामोदर नदी
- झारखंड में प्रवाहित होने वाली सबसे लंबी नदी। यह नदी छोटा नागपुर के पठार से क्षेत्र से निकलकर हजारीबाग और मानभूम से होते हुए बंगाल की खाड़ी में प्रवेश करती है ।
- इस नदी को “बंगाल का शोक” भी कहते हैं ।
- इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना द्वारा बहुउद्देशीय जल भंडारण की जाती है ।
- दामोदर नदी की सहायक नदियां – बोकारो, बराकर (हजारीबाग),कोनार (गिरिडीह)
- बराकर पर मैथन डैम का निर्माण किया गया है। इस नदी की लंबाई 290 किमी है ।
उत्तरी कोयल
- यह नदी रांची के पठार से निकलकर औरंगा और अमानत नदियों से होती हुई सोन नदी में मिलती है।
- यह नदी बूढ़ाघाघ जलप्रपात बनाता है ।
फल्गु नदी
- यह नदी छोटा नागपुर के पठार से निकलती है।
- सहायक नदी- मोहना (बोधगया)
- फल्गु नदी छोटी-छोटी सरिता ओं से मिलकर मुख्यधारा बनाती है जिसे’ निरंजना ‘कहते हैं ।
- हिंदू तथा बौद्ध दोनों धर्मों के लिए यह नदी अत्यंत पवित्र मानी जाती है।
- पितृपक्ष में पूरे भारतवषी तीर्थयात्री यहां पिंडदान करने आते हैं ।
पुनपुन नदी

- इस नदी को “कोकट नदी” भी कहा जाता है ।
- यह नदी हजारीबाग के पठार व पलामू के उत्तरी क्षेत्रों से निकलती है यह नदी गंगा नदी में मिलती है ।
- सहायक नदी – पूर्व में दरघा व मोरहर नदी ,उत्तरी कोयल ।
- कहीं-कहीं इस नदी को ‘बमागधी’ भी कहा गया है । हिंदू धर्म में इस नदी को पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है।
मयूराक्षी नदी
- यह नदी देवघर त्रिकूट पहाड़ी से निकलती है।
- इस नदी को मोतिहारी तथा भुरभुरी नदी के साथ मिलकर मोरया मयूराक्षी नदी के नाम से भी जानते हैं ।
- सहायक नदी- टिपरा,दौना,पुसरो,भामरी धोवाई आदि।
कन्हर नदी
- यह नदी उत्तर पश्चिमी में पलामू की दक्षिण पश्चिमी सीमा का निर्माण कर उत्तर की ओर बहती है।
- यह नदी पश्चिम में उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है।
सकरी नदी-
- यह नदी छोटा नागपुर से निकलकर हजारीबाग गया ,मुंगेर ,पटना से प्रवाहित होती है।
- इस नदी को रामायण में ‘सुमागधी’ नाम से पुकारा जाता है ।
- यह नदी अपना मार्ग बदलने में प्रसिद्ध है। सहायक नदी- मोरहर व किउल।
शंख नदी
- यह नेतरहाट पठार से निकलकर उत्तरी कोयल के विपरीत बहती है।
- यह नदी गुमला जिले के रायडीह के दक्षिण से प्रारंभ होती है।
- यह नदी “सदनी घाघ जलप्रपात” बनाती है।
चानन नदी

- यह नदी 5 जलधारा से मिलकर बनी है।
- इसे पंचाने भी कहा जाता है ।
अजय नदी
- उद्गम स्थल – मुंगेर ।
- सहायक नदी- हजारीबाग व गिरिडीह ।
ब्राह्मणी नदी
- उद्गम स्थल- दुमका जिले के दुधवा पहाड़ी। सहायक नदी- गुमरो व एरो ।
औरंगा नदी
- उत्तरी कोयल की सहायक नदी है।
- उद्गम स्थल -उल्दाग गांव (लोहरदगा)।
- सहायक नदी- गोवा ,घाघरी ,सुकरी धधारी।
तिलैया नदी
- कोडरमा के पवड़ से निकलती है ।
अमानत नदी
- उद्गम स्थल- चतरा
- सहायक नदी- जमुनिया ,चाको, जिंजॉय ,खैरा, सलाही ,माइला, पाटन ।

रोरों नदी
- उद्गम स्थल – रोसे पवड़ियो (पश्चिम सिंहभूम) सहायक नदी – जमीरा।
- इस नदी के किनारे चाईबासा शहर बसा है ।
हरमू नदी
- उद्गम स्थल – नगड़ी प्रखंड (रांची) नामकुम में स्वर्णरेखा नदी में मिलती है।
देव नदी
- उद्गम स्थल – गम्हरिया पठार (सरायकेला खरसावां) से निकलकर कारों नदी में मिलती है। सहायक नदी – फूलगरा।