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1. झारखंड में गरीबी और बेरोजगारी की क्या स्थिति है?
2.झारखंड में ग्रामीणों के विकास के लिए बनाए गए प्रमुख कार्यक्रम और योजनाओं का विवरण दें।
3.झारखंड के गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम पी यू आर ए से आप क्या समझते हैंं?
4.मनरेगा तथा प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना से क्या समझते हैं?
5.झारखंड में खाद्य सुरक्षा और पोषण अर्थात स्वास्थ्य सूचकांक से आप क्या समझते हैंं?

झारखंड में ग्रामीण क्षेत्रों के बजाय शहरी क्षेत्रों में भी बेरोजगारी दर अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी की दर 6.। प्रतिशत है, लेकिन झारखंड में यह दर 7.7 प्रतिशत है। झारखंड के आर्थिक सर्वेक्षण 2019 से 2020 के अनुसार झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.1% है। राष्ट्रीय स्तर पर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर क्रमश 5.3% और 7.8% है। झारखंड में पुरुषों एवं महिलाओं की कुल बेरोजगारी दर क्रमश 8.2% और 5.2% है।। सामान्य स्थिति में कुल रोजगार के विरुद्ध झारखंड में कार्यरत श्रमिकों में 61.3% स्वरोजगार के क्षेत्र में है। वहीं 23.6% अनियमित श्रमिक है और 15.1% ही नियमित वेतन पर कार्यरत हैं। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार जुलाई 2019 में ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इन सिटी और यूनाइटेड नेशनल डेवलपमेंट प्रोग्राम, यूएनडीपी द्वारा प्रकाशित वैश्विक बहुआयामी गरीबी इंडेक्स 2019 के अनुसार झारखंड के लगभग 45.6%(1.62 करोड )लोग 2015 से 2016 में नीचे जीवन बसर कर रहे हैं। वर्ष 2019 से 2020 में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान मूल्य पर ₹83592 तथा स्थिर मूल्य पर ₹60339 अनुमान लगाया गया है। जबकि वर्ष 2014 से 2015 में उचित मूल्य पर झारखंड की प्रति व्यक्ति आय ₹47781 थी। 2016 से 2017 में इसमें ₹45 की वृद्धि हुई तथा 2018 से 2019 में इसमें 4% वृद्धि हुई। आने वाले समय में इसमें 6% की वृद्धि होने का अनुमान है।

झारखंड सरकार द्वारा ग्रामीण शहरों के विकास के लिए बनाए गएविभिन्न योजनाएंः
मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजनाः बेटियों के बारे में समाज में पाई जाने वाली नकारात्मक सोच और लड़कों के मुकाबले उनकी कम होती संख्या बालिका शिक्षा की कमजोर स्थिति तथा बेटियों की जल्दी ब्याह कर देने की प्रवृत्ति जैसी समस्याओं का निराकरण आदि को देखते हुए लक्ष्मी लाडली योजना राज्य में 15 नवंबर 2011 से चालू कर दिया गया। इस योजना के आधार पर बालिका के कक्षा 6 में प्रवेश करने पर ₹2000 का एकमुश्त भुगतान बालिका को होगा, कक्षा 9 में प्रवेश करने पर ₹4000 का भुगतान होगा, 11वीं में प्रवेश करने पर ₹75000 का भुगतान होगा। बालिका की आयु 21 वर्ष होने 12वीं की परीक्षा में सम्मिलित हो जाने पर लगभग ₹108000 का एकमुश्त भुगतान बालिका को दिया जाएगा।
स्वामी विवेकानंद निशक्त स्वालंबन प्रोत्साहन योजनाः इस योजना का लाभ उठाने के लिए निवासियों में यह मूल्य योग्यता होनी चाहिएः व झारखंड का निवासी होना चाहिए, वह केंद्र तथा राज्य सरकार की योजना के अंतर्गत पेंशन प्राप्त नहीं कर रहा हो, जिला चिकित्सा पार्षद द्वारा उसे निशक्त प्रमाण पत्र निर्गत किया हो।
विकलांग कार्यशाला योजनाः इस योजना विकलांग व्यक्तियों को जीवन यापन शैली से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाता है। इस योजना के अंतर्गत सभी विकलांग व्यक्तियों को उनके बेहतर जीवन यापन हेतु आवश्यक यंत्र एवं उपकरण उपलब्ध कराया जाता है।
अंतरजातीय विवाह योजनाः इस योजना के अंतर्गत विवाह करने वाले वर्ग एवं वधु को ₹25000 अनुदान स्वरूप राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र के माध्यम से दी जाती है।
अति कुपोषित बच्चों के लिए कुपोषण उपचार केंद्रः कुपोषण उपचार केंद्र में गांव के वैसे बच्चे जो अति कुपोषित है पुरस्कार उनका उपचार किया जाता है एवं उनके स्वस्थ होने पर उन्हें वहां से भेज दिया जाता है।
महिलाओं के दक्षता एवं उद्यमिता विकास हेतु प्रशिक्षणः इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण महिलाओं को उनके जीवन स्तर को सुधारने के लिए विभिन्न प्रकार के व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे प्रशिक्षण प्राप्त का व्यवसाय के माध्यम से धन उपार्जन कर सके और अपने परिवार के बेहतर जीवन यापन हेतु वित्तीय आधार दे सके।
राजीव गांधी योजनाः इस योजना के अंतर्गत किशोरी बालिकाओं को सशक्तिकरण हेतु प्रतिदिन पोषाहार स्वास्थ शिक्षा उपलब्ध कराया जाता है एवं विभिन्न प्रकार के दैनिक जीवन उपयोगी प्रशिक्षण दिए जाते हैं।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजनाः इस योजना का लाभ गरीबी रेखा से नीचे बसर करने वाले परिवार को दिया जाता है। इस्लाम को अर्जित करने वाले लोग के चयन में इस बात का विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है की कन्या की आयु 18 वर्ष से अधिक हो तथा वह पूर्व से विवाहित ना हो।
सिद्धू कानू आवास योजनाः इस योजना के तहत प्रति आवास पर ₹45000 की मानक दर पर राशि उपलब्ध कराई जाती है तथा लाभार्थियों के द्वारा आवास निर्माण स्वयं कराया जाता है जिला स्तर पर इस योजना का क्रियान्वयन जिला ग्रामीण विकास अभिकरण तथा प्रखंड स्तर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी द्वारा लाभार्थियों के माध्यम से कराया जाता है।

सरकार द्वारा बनाई गई सामाजिक सुरक्षा संबंधी योजनाएंः


इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धा पेंशन योजनाः राष्ट्र वृद्धापेंशन योजना 15 अगस्त 1995 से केंद्र सरकार द्वारा प्रारंभ किया गया। इस योजना के अंतर्गत राज्य के सभी जिलों का लक्ष्य बीपीएल परिवारों की संख्या के आधार पर निर्धारित किया गया एवं तत्काल केंद्रास ₹75 एवं राज्य ₹25 कुल 100 रुपए प्रतिमाह की दर से प्रति पेंशन धारी को पेंशन भुगतान किया जाता रहा है। 1998 में पेंशन राशि ₹200 की दर से केंद्र सरकार द्वारा पेंशन भुगतान राज्य सरकार के माध्यम से किया जाता था। 19 नवंबर 2007 से इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना लागू किया गया। इस योजना के अंतर्गत वर्ष 2002 के सर्वेक्षण बीपीएल परिवार के 65 वर्ष एवं अधिक आयु के सभी वृद्धों को केंद्राश ₹200 एवं राज्य ₹200 कुल ₹400 की दर से मासिक पेंशन भुगतान पेंशन धारियों के बैंक खाता कैसे किया जाता है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजनाः इस योजना के अंतर्गत 2002 में सर्वोच्च बीपीएल परिवार के ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के असहाय विधवा जिनकी आयु 40 वर्ष से 64 वर्ष के बीच है। प्रत्येक को ₹400 मासिक पेंशन राशि भुगतान करने का प्रावधान है। केंद्र प्रायोजित योजना अंतर्गत योग्य लाभुकों का चयन अंचल कार्यालय द्वारा किया जा रहा है।
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांग पेंशन योजनाः यह योजना केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना है। योजना के अंतर्गत वर्ष 2002 में सर्वोच्च बीपीएल परिवार क्षेत्र के अत्यंत विकलांग जिनका आयु 18 वर्ष 64 वर्ष के अंतर्गत है उन्हें ₹400 मासिक पेंशन बैंक खातों के माध्यम से भुगतान किया जाता है।
आम आदमी बीमा योजनाः अमीन भूमिहीन मजदूर जिनकी आयु 18 वर्ष से अधिक उम्र 60 वर्ष से कम है तथाआ वास की जमीन रहित 50 डेसीबल से अधिक जमीन नहीं हो परिवार के अर्जुन करता मुखिया का सरकार द्वारा मुफ्त बीमा किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय प्रवासी मजदूर कल्याण कार्यक्रमः अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी अधिनियम 1979 एवं झारखंड राज्य प्रवासी मजदूर अधिनियम 2005 के प्रावधान के आलोक में 5 से अधिक मजदूरों को किसी नियोजक या ठेकेदार द्वारा राज्य के बाहर नियोजन हेतु ले जाने राज्य के बाहर के 5 या 5 से अधिक मजदूरों को राज्य में नियोजित करने के लिए जिला के उपायुक्त से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है। ताकि नियोजक द्वारा मजदूरों का शोषण नहीं हो एवं उचित मजदूरी भुगतान हो।

झारखंड प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजनाः झारखंड में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बनाई गई सड़कों की गुणवत्ता देश में सबसे खराब है। ग्रामीण विकास के कार्यकर्ताओं द्वारा इस बात पर उजागर किया गया है। इस योजना की गुणवत्ता के मानकों की अनदेखी की जा रही है यहां पर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के माध्यम से बनाई गई सड़कों मैं 12% सड़कों की स्थिति खराब है। सड़कों के निर्माण के दौरान कहीं ग्रेड वन टू का बेस नहीं है तो कहीं मोरम पर ही बीच बिछा दिया गया है। मनरेगा से आप क्या समझते हैं भारत मिलाप एक रोजगार का योजना 5 को विभाग द्वारा अधिनियमित किया गया खंड में मनरेगा से आप क्या समझते हैं
नरेगा को लागू करने में झारखंड नंबर वन राज्य बन चुका है। यह उपलब्धि विलंब से मजदूरी भुगतान का प्रतिशत देश में सबसे कम रहने डोभा निर्माण जैसी अभिनव योजना का संचालन तथा योजना बनाओ अभियान जैसी गतिविधियों के लिए हासिल हुई है। इससे प्रभावित ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राज्य को 50 अन्य प्रखंड में क्लस्टर फैसिलिटेशन टीम विकसित करने का तोहफा भी दिया है। 2013 से 2014 तक झारखंड में मनरेगा की स्थिति काफी दयनीय थी इन बीते सालों तथा चालू वित्तीय वर्ष के इन 2 महीनों में मनरेगा के क्षेत्र में झारखंड में बड़ी उपलब्धि हासिल की है बीते साल जहां मनरेगा के तहत झारखंड में 5 दशमलव 86 करोड दिनों तक लोगों को काम मिला वही चालू वित्तीय वर्ष के महज 2 महीने में लगभग ढाई करोड़ दिनो का काम दिया जा चुका है। झारखंड में मनरेगा रोजगार के अवसर में पिछले 3 वर्षों में क्रमशः 13 से 2014 में 436. 22 लाख मानव दिवस से 2016 से 2017 में 707. 59 लाख मानव दिवस तक बढ़ोतरी हुई है लेकिन सृजित रोजगार ग्रामीण परिवारों की काम की आवश्यकता की तुलना में अभी काम है। 2011 के सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना के अनुसार राज्य के 50% से भी अधिक ग्रामीण परिवार अकुशल मजदूरी पर निर्भर है। लेकिन 2016 से 17 में केवल 32% परिवार को ही मनरेगा में काम मिल पाया। मनरेगा के अंतर्गत मजदूरों को रोजगार मांगने के 15 दिनों के अंदर काम मिलने का प्रावधान है लेकिन प्रशासनिक कर्मियों से काम के आवेदन की तारीख के अनुसार राशि देना और मांग परियोजनाओं को शुरू करवाना राज्य के मजदूरों के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुका है। अधूरी भुगतान में देरी व्यापक पैमाने पर हो रही है लेकिन हाल ही में सरकार ने यह दावा किया कि 2017 से 2018 में 94% मजदूरों को समय पर मजदूरी मिली है। यह आंकड़ा मनरेगा के मैनेजमेंट ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम पर आधारित है जिसके अनुसार वेतन भुगतान को फंड ट्रांसफर के हाजिरी के 15 दिनों के अंदर अपूर्व हो जाने की स्थिति में समय पर हुआ भुगतान मान लिया जाता है।

झारखंड स्वास्थ्य सुधारों में सिर्फ तीन राज्यों में शामिल हो चुका है। नीति आयोग द्वारा जारी हेल्थ स्टेटस प्रोग्रेसिव इन इंडिया रिपोर्ट के अनुसार झारखंड स्वास्थ्य सुधारों में वार्षिक इंक्रीमेंटल परफॉर्मेंस के आधार पर तीसरे स्थान पर रहा है। नीति आयोग ने सबसे अधिक स्वास्थ्य सुधारों में जिन पांच राज्यों को शामिल किया है उसमें झारखंड भी है। ठंड ने 10 वर्ष सूचकांकों में काफी अधिक सुधार दिखाया है। इसके सफलतापूर्वक इलाज में झारखंड सभी राज्यों में अव्वल है यहां इसकी दर 90% से 91% तक बढ़ चुकी है। झारखंड के स्वास्थ सूचकांकों में हुए सुधार का आंकड़ाः

2015-16 2017-18

नवजात मृत्यु दर। 23 21
5 वर्षों के बच्चों की 33 39
मृत्यु दर।
टोटल फर्टिलिटी रेट। 2.6 2.7
कम वजन के शिशु
का जन्म। 7.1 7.4
लिंग अनुपात। 918 902
पूर्ण टीकाकरण। 88.1 100


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