Share it

1.झारखंड की अर्थव्यवस्था की आर्थिक समृद्धि और संरचना का वर्णन करें ।
2.झारखंड के क्षेत्रीय संरचना का वर्णन करें।
3.झारखंड के पिछले दशक के एसडीपी तथा प्रति व्यक्ति जीडीपी के बारे में व्याख्या करेें।
4.झारखंड के कृषि वृद्धि का वर्णन करें।
5.झारखंड के औद्योगिक वृद्धि से आप क्या समझते हैं?
6.झारखंड की जनसंख्यकी विशेषता क्या हैै?
7.जनसंख्या वृद्धि से आप क्या समझते हैंै?
8.लिंगानुपात के बारे में अपनी राय दें।
9.झारखंड के साक्षरता के बारे में चर्चा करें।

झारखंड भारत का एक राज्य है जिस की राजधानी रांची है। झारखंड की सीमाएं उत्तर में बिहार, पश्चिम में उत्तर प्रदेश छत्तीसगढ़, दक्षिण में उड़ीसा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती है। लगभग सारा प्रदेश छोटा नागपुर के पठार पर अवस्थित है। बिहार के दक्षिणी हिस्से को विभाजित कर झारखंड प्रदेश का सृजन किया गया था। कृषि और कृषि संबंधित गतिविधियां झारखंड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल केवल 3800000 हेक्टेयर है। झारखंड राज्य के 79714 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 18423 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन है। दामोदर, मयूराक्षी, बराकर, उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयेल, संख, स्वर्णरेखा, खरकाई और अजय की प्रमुख नदियां हैं और झारखंड के जल का प्रमुख स्रोत है। राज्य में कुल बुवाई का क्षेत्र 1.57 लाख हेक्टेयर है जिसमें से 8% क्षेत्र में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो पाती है| झारखंड में स्थापितविद्युत क्षमता 2590 मेगा वाट है। जिस के स्रोत हैं 420 मेगा वाट( तेनुघाट ताप बिजलीघर) से, 840 मेगा वाट( पतरातू ताप पन बिजली घर) से,130 मेगा वाट( सिकिदिरी बिजली परियोजना) और 1200 मेगा वाट( दामोदर घाटी निगम परियोजना) से। ताप और पनबिजली पर आधारित विभिन्न बिजली घरों की क्षमता 4736 मेगा वाट है जिसमें 686 पनबिजली उत्पादन शामिल है। झारखंड में कुछ उद्योग और खनिज भंडार भी हैं जैसेः सार्वजनिक क्षेत्र का बोकारो स्टील प्लांट, जमशेदपुर में निजी क्षेत्र की टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी( टिस्को), टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी( टेल्को), टिमकें इंडिया लिमिटेड( जमशेदपुर), भारत कुकिंग लिमिटेड( धनबाद), खिलाड़ी सीमेंट फैक्ट्री( पलामू), इंडियन एलुमिनियम( मुरी), ए पीसी सीमेंट( चाईबासा), सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड( रांची), उषा मार्टिन यूरेनियम कॉरपोरेशन लिमिटेड (जादूगोड़ा), हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड( मुसाबनी), टिनप्लेट ऑफ इंडिया लिमिटेड( जमशेदपुर), इंडियन एक्सप्लोसिव लिमिटेड( गोमिया), हिंडालको बॉक्साइट( लोहरदगा)। झारखंड राज्य खनिज संसाधनों में देश का समृद्ध तम राज्य है। यहां उपलब्ध खनिज हैः कोयला, कच्चा लोहा, चूना पत्थर, तांबा, बॉक्साइट, चीनी मिट्टी, डोलोमाइट, ग्रेफाइट बेंटोनाइट, साबुन पत्थर और सिलिका बालू। खनिज संपदा से परिपूर्ण राज्यः पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, बोकारो, हजारीबाग, रांची, कोडरमा, धनबाद आदि। यह सभी राज्य में खनिजों के दोहन की अपार क्षमताएं हैं।

झारखंड के राज्य सरकार द्वारा मुख्य 9 क्षेत्रीय जनजातीय भाषाओं के विकास के लिए काफी प्रयास किए गए हैं तथा इसके कई केंद्र बनाए गए हैं जैसे पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद, युवा कार्य विभाग यह केंद्र बनाएगा। हो, मुंडारी, संथाली, खड़िया, नागपुरी, पंचपड़गानिया, कुरमाली खोरठा भाषा के लिए ये केंद्र विभिन्न जिला मुख्यालय और प्रखंड में बनेंगे। झारखंड की जनजातियां और क्षेत्रीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार द्वारा कोई ठोस पहल नहीं करने के बाद राज्य स्तरीय समिति द्वारा इस कार्य को पूर्ण किया गया।
सीमा के अंतर्गत विभिन्न क्षेत्रों में मुख्य रूप से 9 जन जातियां और क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलित है इन सभी को द्वितीय राज भाषा का दर्जा प्राप्त है। पर अब तक किसी भी भाषा के संरक्षण और विकास के लिए ना तो कोई स्थापना केंद्र उपलब्ध है और ना ही इसकी प्रक्रिया चल रही है । झारखंड पूरी तरह सांस्कृतिक विविधताओं से भरा हुआ है। यहां के लोगों द्वारा गायन और नृत्य में संगीत और बजाने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरणों का प्रयोग किया जाता है। झारखंड संगीत और लोक नृत्य के क्षेत्र में संपन्न हैं। नगाड़ा, पशु लकड़ी के हाथ से बने सहजन की कली से खेला जाता है बात यह है कि नगाड़ा की ध्वनि कृष्ण काल में सर्वश्रेष्ठ ठंड के मौसम में वह अपनी आधुनिकता को खो देता है। बेलनाकार मांदर हाथ से बजाया जाता है। झारखंड के जनजातीय समुदायों में अन्य मशहूर नित्य में शामिल है सरहुल जिसमें महुआ फूलों का उपयोग किया जाता है। झारखंड में ऐतिहासिक गुफा चित्रों और चट्टान की कला का प्राचीन समय में संकेत मिलता है इन भागों में संबंधित सभ्यताएं भी पाए गए हैं। झारखंड जाति और जनजाति के समूह में अनूठी परंपरा के लोग हैं। झारखंड के लोगों ने पीढ़ियों से बेहतरीन कारीगरों को बनाया है और कला में उत्कृष्ट कार्य सिद्ध किया है और यह प्राकृतिक संसाधनों का अनूठा देश है।

झारखंड में रहने वाले लोगों की आमदनी बिहार में रहने वाले लोगों की आमदनी से डेढ़ गुनी ज्यादा है। इसका खुलासा 2018 से 2019 के आर्थिक सर्वेक्षण से हुआ है जिसके मुताबिक 2017 से 2018 में झारखंड के लोगों की प्रति व्यक्ति आय ₹63754 सालाना थी। जबकि बिहार के निवासियों की इस अवधि में औसत कमाई ₹38860 थी। प्रति व्यक्ति आय में देश के राज्यों में निचले पायदान पर होने के बावजूद झारखंड की हालत बिहार से बेहतर है। आर्थिक सर्वेक्षण में जिन राज्यों के लिए 2017 से 18 के प्रति व्यक्ति आय का आंकड़ा उपलब्ध हो पाया है उनमें बिहार सबसे नीचे है और झारखंड और बिहार दोनों में 2017 से 2018 की प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत ₹114958 से काफी कम है। झारखंड के लोगों की प्रति व्यक्ति आय में 2016 से 2017 की तुलना में 2017 से दो हजार अट्ठारह में लगभग 4000 का इजाफा हुआ है। 2016 से 2017 में झारखंड के लोगों की सालाना आय 59799 रुपए थे जो 2017 से 18 में बढ़कर 63554 हो गए। परंतु आयु वृद्धि की दर में कमी आई है। 2017 से 18 में झारखंड की प्रति व्यक्ति आय वृद्धि दर 6.6 फ़ीसदी थी। झारखंड के सकल घरेलू उत्पाद में 2016 से 17 की तुलना में 2017 से 18 में लगभग 18000 करोड का इजाफा हुआ है। झारखंड का सकल घरेलू उत्पाद 234000 52 करोड़ है। झारखंड की आबादी 2041 में चार करोड़ 40 लाख होने के अनुमान है।
झारखंड का जीडीपीः
2012 से 13ः1004607.43
2013 से 2014:1094088.91
2014 से 15:1187438.53
2015 से 16:1292258.83

सरकार की नीतियों और विकास की उम्मीदों के कारण कारपोरेट घराने झारखंड की ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसका मुख्य प्रमाण मुंबई में संपन्न मेक इन इंडिया सप्ताह के दौरान झारखंड इन्वेस्टर्स समिट में देश के नामी-गिरामी कारपोरेट घरानों द्वारा एक ही दिन में ₹62000 के निवेश प्रस्तावों पर सहमति दिखाना है। प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि राज्य सरकार के सकारात्मक पहलुओं को दर्शाती है। विकास की प्रक्रिया अगले वर्षों में अपना जबरदस्त प्रभाव छोड़ेगी। बजट आवंटन एवं क्रियान्वयन में शासन द्वारा की गई लगातार मॉनिटरिंग से आर्थिक विकास में ऊंची छलांग तय है।

कृषि और कृषि संबंधित गतिविधियां झारखंड की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है। कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल केवल 3800000 हेक्टेयर है। झारखंड राज्य के 79714 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 18423 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में वन हैं। कृषि के क्षेत्र में झारखंड सरकार कई महत्वपूर्ण कार्य किसानों के हित में कर रही है। रांची पठारी क्षेत्र होते हुए भी यहां की भूमि कृषि के लिए उपयुक्त है। यहां सिंचाई के रूप में मुख्य रूप से लोग बारिश पर निर्भर होते हैं। निचला क्षेत्र धान की खेती के लिए उपयुक्त स्थितियां प्रदान करता है। झारखंड के किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने और उन्हे सरकार प्रत्येक जिले में जैविक प्रमाणन केंद्र खोलेगी। कृषि मंत्री द्वारा लिया गया फैसला झारखंड के खेत में काफी सराहनीय है। झारखंड में कृषि उत्पादकता का मानक 116% है अर्थात राज्य में 100 एकड़ में मात्र 16 हेक्टेयर में ही खेती की जाती रही है। सरकार इसे राष्ट्रीय औसत 37 हेक्टेयर तक ले जाने की कोशिश में लगा। कृषि वैज्ञानिक के अथक परिश्रम एवं किसानों की निरंतर प्रयास से हरित क्रांति का सपना साकार हो गया। झारखंड भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि से काफी योगदान करता है। झारखंड राज्य का 1.8 मिलियन हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है जो कि यहां के भौगोलिक क्षेत्रफल का 22% है। कुल सिंचित क्षेत्रफल 0.16 मिलियन हेक्टेयर है। चावल का सिंचाई क्षेत्रफल 5.6% है। चावल मक्का गेहूं और चना यहां की मुख्य फसलें हैं। यहां की उपज लगभग 126% है। के कारण चावल की खेती ऊंची और उतनी भूमि में लगभग 1.4 मिलियन हेक्टेयर में होती है। केंद्र सरकार के द्वारा पेश किए नई योजना जिससे किसानों को काफी लाभ मिलेगा वह है” अल्पकालीन कृषि ऋण राहत योजना“। इस योजना के तहत सरकार की तरफ से किसानों को दो हजार करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। धान की उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए एम किसानों को प्रोत्साहन करने के लिए धान उत्पादन एवं बाजार सुलभता नाम की योजना का भी शुरुआत किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार ने 200 करोड़ रुपए का आवंटन जारी किया है। किसानों को कृषि यंत्र सब्सिडी के लिए वित्त वर्ष 2020 से 2021 के लिए ₹500000000 दिए जाने की आवंटन घोषणा की गई है। तथा इनके लिए चल रहे पहले से फसल बीमा योजना में बदलाव किया गया है यह बदलाव खरीफ सीजन 2020 से किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के स्थान पर अब राज्य में झारखंड राज्य किसान राहत कोष लाया गया है।

औद्योगिक विकास, उद्योगों, और खानों की स्थापना के लिए काफी भूमिका अर्जन झारखंड के द्वारा किया गया। झारखंड राज्य के सृजन के बाद झारखंड औद्योगिक नीति 2001 को उद्योग विभाग के द्वारा कार्यान्वित किया गया। जिस का मुख्य उद्देश्य राज्य की औद्योगिकीकरण के लिए उपलब्ध संसाधनों को सुनियोजित और व्यवस्थित रूप से उपयोग करना था। इसका लक्ष्य प्राकृतिक संसाधनों का मूल्यवर्धन एवं मानव संसाधनों को प्रभावी तरीके से उपयोग कर राज्य के विकास के लिए अतिरिक्त रोजगार तथा संसाधन उपलब्ध करने में सहायता प्रदान करना था। इस नीति के दौरान औद्योगिकीकरण के क्षेत्र में झारखंड का काफी विकास हुआ। निवेशकों के पसंदीदा निवेश स्थल में बदलना और राज्य के औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने में भी काफी सहायता मिली। इसके साथ ही बड़े उद्योगों और एमएसएमई के बीच संबंध काफी अच्छे हो गए। प्रमुख औद्योगिक इलाकों में उद्योगों के विकास के लिए टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुएं, इंजीनियरिंग का सामान आदि के विनिर्माण की गतिविधि में भी काफी प्रगति हुई। तथा राज्य में खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के सर्वोत्कृष्ट उपयोग को सुविधाजनक बनाने में सफलता हासिल हुए। उन्नत उत्पादन के लिए औद्योगिक इकाइयों के तकनीकी उन्नयन और शोध को बढ़ावा दिया। मानव संसाधन विकास कार्यक्रम और अन्य कौशल विकास कार्यक्रम के तहत इंजीनियरिंग कॉलेजों और मेडिकल कॉलेजों तथा प्रबंधन संस्थानों में निजी निवेश को बढ़ावा मिला। झारखंड की ऊर्जा नीति 2011 का मुख्य उद्देश उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करना और विश्वसनीय गुणवत्ता युक्त और किफायती दर पर ऊर्जा की उपलब्धता कराना है इसके साथ ही राज्य के सभी गांवों एवं घरों को शीघ्र विद्युतीकरण कर ऊर्जा की आपूर्ति को सुनिश्चित करना है। झारखंड की नई पर्यटन नीति 2015 का मुख्य उद्देश्य राज्य में रोजगार के अवसरों को निर्माण करना तथा राज्य की आय में वृद्धि करके पर्यटकों की संख्या को बढ़ाना है। अर्थव्यवस्था में प्रगति करने के लिए झारखंड निर्यात नीति 2015 का मुख्य उद्देश्य शीघ्र एवं उच्च निर्यात को प्रोत्साहन देना एवं राज्य की भागीदारी को 2021 तक 5% तक लाना है। इसका एक प्रमुख उद्देश्य भी है कि वैश्विक बाजार में झारखंड का स्थान सर्वोपरि हो और निर्यात इकाइयों को नई तकनीकों से लैस किया जाए। इसके साथ ही झारखंड की खाद्य प्रसंस्करण नीति 2015 खाद्य क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराना, निवेश को प्रोत्साहित करना, तकनीकी सहायता प्रदान करना, अनुदान देना आदि। परंतु झारखंड में अभी तक करोड़ रुपए की निवेश परियोजनाओं के खराब क्रियान्वयन की वजह से उनकी लागत करीब 94400 करोड़ रुपए तक बढ़ गई है यह सरकारी लागत के 47 फ़ीसदी से ज्यादा है। झारखंड में अब तक 200000 करोड रुपए से ज्यादा लागत की 180 परियोजनाएं की शुरुआत अभी तक नहीं हुई है। झारखंड में औद्योगिक विकास काफी हद तक सफल रहा है। झारखंड का रांची एक प्रमुख औद्योगिक केंद्र है जहां मुख्य रूप से एचईसी, भारतीय इस्पात प्राधिकरण शादी के कारखाने हैं। रांची के साथ-साथ जमशेदपुर और बोकारो झारखंड प्रांत के दो प्रमुख औद्योगिक केंद्र हैं जो झारखंड के अर्थव्यवस्था में 80% भूमिका निभाते हैं।

झारखंड की आबादी लगभग 32. 98 मिलियन है। जो भारत की कुल जनसंख्या का 2 .72% है। यहां का लिंगानुपात 948 स्त्री प्रति हजार पुरुष है। प्रति वर्ग किलोमीटर जनसंख्या का घनत्व लगभग 414 है। झारखंड में कई जातियां और जन जातियां हैं जिसमें 26% अनुसूचित जनजाति , 12% अनुसूचित जाति शामिल है। राज्य की बहुसंख्यक आबादी हिंदू धर्म है दूसरे स्थान पर इस्लाम तथा अन्य धर्म स्थित है।
2011 की जनगणना के अनुसार
कुल जनसंख्याः 3.3 करोड़
पुरुषः 1.69 करोड़

महिला:1.60 करोड़
जनसंख्या वृद्धि: 22. 42%
जनसंख्या घनत्व: 414
भारत की जनसंख्या में अनुपात:2.72%
लिंगानुपात:948
औसत साक्षरता:66.41
पुरुष साक्षरता:76.84
महिला साक्षरता:55.42%
शहरी और ग्रामीण जनसंख्या
शहरी जनसंख्या:24.05%
ग्रामीण जनसंख्या75.95%

झारखंड में साक्षरता की दर काफी हद तक सुधर चुकी है यह तो हम सभी जान चुके हैं कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की कुल आबादी 3.29 करोड़ है। इनमें से1.60 करोड़ महिलाएं साक्षर हैं। जबकि 74. 45 लाख महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है। कि राज्य में 55. 4 फ़ीसदी महिलाएं साक्षर हैं। राज्य के वैैसे शहर जहां शहरी आबादी अधिक है वहां पुरुष और महिला साक्षरता दर भी अधिक है। राज्य में महिला और पुरुषों की कुल जनसंख्याः 3 2988134 है, इसमें महिलाओं की कुल आबादी 16057819 है, राज्य की कुल साक्षर महिलाएं7445550, वर्ष 2001 में महिला साक्षरता38.9%, वर्ष 2011 में महिला साक्षरता55.4%। शिक्षण संस्थानों की संख्या और पढ़ने लिखने के अवसर सहित सामाजिक सोच सबसे बड़ा कारण है परंतु हमारे लिए यह सबसे बड़ी उपलब्धि है कि 10 वर्ष पहले की जनगणना के अनुसार अभी महिलाओं की साक्षरता प्रतिशत में वृद्धि हुई है। झारखंड के राज्य का ऐसा कोई जिला नहीं है जहां साक्षरता दर 40 फ़ीसदी से कम हो


Share it