
यह दुर्जनसाल के बाद नागवंशी राजा रघुनाथ शाह और रामशाह थे।रघुनाथ शाह को एनीनाथ ठाकुर कहा जाता था इनके शासनकाल (रघुनाथ शाह)के काल को “धर्म- आस्था” का काल कहा जाता था। इसने कई मंदिरों का निर्माण कराया जिसमें रांची में चुटिया का राम मंदिर,दोईसा (धुर्वा) का जगन्नाथ मंदिर और बोडेया का मदन मोहन मंदिर बनवाया।इनके धर्म गुरु का नाम “नाथ”अपने नाम से जोड़ा और मुगलों ने इसे शाह की उपाधि दी थी जो “रघुनाथ शाह” का पूरा नाम दिया।मेदनी राय का चेलों राजा का “न्यासी राजा” की संज्ञा दी थी इनकी शासनकाल को चेरों का “स्वर्ण काल”कहा जाता था इसने कृषि का काफी कार्य किए थे।औरंगजेब की मृत्यु 1707 के बाद मुगलों का पतन प्रारंभ होती है झारखंड के क्षेत्र पर उनका अधिकार समाप्त हो जाता है अन्य दूसरी शक्ति बंगाल के नवाब,मराठा,अंग्रेज आदि झारखंड पर अधिकार करनें लगे।

17 दिसंबर 1660 ईस्वी को युद्ध हुआ था औरंगा नदी के पास दाऊद खान जो औरंगजेब का सेनानायक था और चेन्नईरों राजा साहब राय के बीच जिसमें दाऊद खान की जीत हो जाती है इसका वर्णन हमें पादशाहनामा एवं अआलमगीरनामा में युद्ध का वर्णन मिलता है।औरंगजेब के प्रभावहीन जिले से हजारीबाग सिंधुभूम एवं मानभूम।1667 ईसवी में दलेल सिंह रामगढ़ का राजा बना।झारखंड का एकमात्र ऐसा क्षेत्र जो मुस्लिम आक्रमणों से पूरी तरह बचा रहा वह “धनबाद” जिला था ।उत्तर मुगल काल झारखंड से सभी बड़े-छोटे राजा स्वतंत्र हो गए जिसे “अराजकता का काल”कहते हैं।