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ब्रिटिश शासन के विरुद्ध हुए विद्रोह से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:-

  • सबसे बड़ा विद्रोह 1857 ईसवी में हुआ था जिसमें भारत में ब्रिटिश शासन की जड़े दिला दी थी ।
  • सरकार ने जमींदारों तथा सरदारों से ज्यादा राजस्व की मांग की जिसके बाद किसानों को अपनी जमीन जायदाद से हाथ धोना पड़ा।
  • आरंभ के दिनों में ब्रिटिश शासन में भारत को खुलेआम लूटा ।
  • आदिवासी इलाकों पर ब्रिटिश शासन ने अपना नियंत्रण और प्रशासन स्थापित किया जिसके बाद आदिवासियों का भी शोषण होने लगा।
  • अंग्रेजों द्वारा जिन राज्य पर कब्जा किया गया था उन्होंने उनके सरदारों तथा वहां के लोगों को अपना विरोधी बनाकर उनसे उनके जीविका के सारे साधन छीन लिए।
  • अंग्रेजों ने जिसके साथ सहायक संधि बनाकर राज्य पर कब्जा किया था। वे कारीगर जो मुख्यतः उसके परिवार के लिए चीजे तैयार करते थे उन्हें भी उनकी और राज्य के अधिकारी जिन पर अंग्रेजों ने कब्ज़ा कर लिया।
  • भारतीय शासकों ने पंडितों को जो जमीन दान में दी थी अंग्रेजों ने उस पर भी कब्जा किया। 1765-1865 ईस्वी के बीच देश के विभिन्न भागों में दर्जनों किसानों आदिवासियों के विद्रोह हुए ।
  • इसमें प्रमुख विद्रोह अंग्रेजों ने बंगाल विजय के तुरंत बाद हुआ था जिसका सन्यासी और फकीरों के नेतृत्व में यह विद्रोह शुरू हुआ।
  • इस युद्ध के खत्म होने में अंग्रेजों को लगभग 30 साल लगे जमींदारों और अंग्रेजों द्वारा किसानों के शोषण के खिलाफ फरायजियों ने, जो मुसलमानों के एक संप्रदाय के अनुयाई थे विद्रोह किया गया।
  • इसके अलावा अन्य शक्तिशाली विद्रोह हुए जिसमें मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में भील विद्रोह, बंगाल, बिहार, उड़ीसा में कोल विद्रोह, कोलकाता व उड़ीसा में गोंद तथा खोंड का विद्रोह ,महाराष्ट्र में कोलियो का विद्रोह, राजस्थान में भेड़ों का विद्रोह और बंगाल तथा बिहार में संथाल विद्रोह प्रमुख है।
  • भील का एक विद्रोह 1817-1831 तक चला । 1795 से 1805 तक दक्षिण भारत में अंग्रेजो के खिलाफ ज्यादा विद्रोह है जिसे स्वाधीनता का पहला युद्ध कहा गया है ।
  • इस विद्रोह का नेतृत्व में जमींदारों ने किया था एवं दक्षिण भारत के कुछ भागों में इन जमींदारों को पोलीगर भी कहा जाता है इस विद्रोह के प्रमुख नेता थे मुरीद, पांडियन ,कोट्टबोम्मन् और पायचे राजा।
  • कंपनी की फौज में सिपाहियों ने कई विद्रोह के रूप में प्रमुख थे 1806 ईसवी का बेल्लूर विद्रोह और 1824 ईसवी का बैरकपुर विद्रोह । टीपू सुल्तान के मृत्यु के बाद उसके बेटों को अंग्रेजों ने वेल्लोर में बसाया था। ब्रिटिश विरोधी गतिविधियां 1830 से लेकर 1857 ई० के विद्रोह के बाद तक जारी रहेगी ।

Q. सन् 1857 ईसवी का विद्रोह पहले के सारे विद्रोह से किस प्रकार भिन्न था?

  • भारतीय इतिहास में 1857 ई० अत्यंत महत्वपूर्ण वर्ष है क्योंकि इस वर्ष ही ब्रिटिश राज के विरुद्ध सबसे बड़ा विद्रोह हुआ था।
  • इस विद्रोह का आरंभ 10 मई 1857 के दिन मेरठ के सिपाहियों की बगावत से हुआ दिल्ली के शासक भी उनसे मिल गये।
  • 80 साल के बहादुर शाह जफर को भारत का बादशाह घोषित किया गया तथा ब्रिटिश शासन के खिलाफ लंबे समय तक असंतोष पनप रहा था वह भड़क उठा।
  • 1857 ई० में ब्रिटिश शासन के खिलाफ अन्य समुदाय जमींदार, किसान ,दस्तकार ,विद्वान भी इसमें शामिल हुए क्योंकि इन सब का उद्देश्य एक ही था- भारत से ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकना ।
  • कुछ लोग इस युद्ध को प्रथम भारतीय स्वतंत्रता युद्ध मानते हैं ब्रिटिश शासन के प्रति असंतोष फैलने का मुख्य कारण था अंग्रेजों की भारत के अनेक शासकों और सरदारों के प्रति के साथ सहायक संधि कर ली मगर वह अपनी मनमर्जी से उसे तोड़ देते थे।
  • इसी प्रकार उन्होंने सिंध, पंजाब और अवध को अंग्रेजों ने अपने में मिला अंग्रेजों ने सभी सरदारों और जमींदारों की भी शक्ति नष्ट करने की नीति अपनाई।
  • उन्होंने भू राजस्व की नई व्यवस्था लागू की जिससे भू स्वामियों के परिवारों के अधिकार खत्म हो गया तथा पुरानी प्रशासन व्यवस्था से जुड़े हुए व्यक्ति बेरोजगार हो रहे थे ।
  • जिससे शासक के अलावा सैनिक कारीगरो तथा पंडित जैसे हजारों अन्य लोग प्रभावित हुए।

किसानों और दस्त कारों की बर्बादी

  • भूमि व्यवस्था अंग्रेजों की भूमि व्यवस्था के कारण हुई थी जिसमें पुराने जमींदारों को हटा देने पर भी किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
  • कई मामलों में राजस्व की मांग में वृद्धि हुई जिससे किसानों को और कष्ट झेलने पड़े जब इंग्लैंड में तैयार हुआ माल भारत पहुंचने लगा तो यहां पुराने हस्तशिल्प बर्बाद हो गए ।
  • पीड़ित किसान और कारीगर ब्रिटिश शासन को उखाड़ फेंकने की लड़ाई में कुद पड़े।

Q. सेना के भारतीय सिपाहियों में असंतोष डालने के क्या कारण थे?

  • ब्रिटिश सरकार की भारतीय फौज में 8 में से भारतीय सैनिक की संख्या 7 थी जिसमें असंतोष फैलना स्वाभाविक था।
  • सैनिकों ने भारत के पहले शासक परिवारों के साथ होते हुए अन्याय को देखा था ।
  • आम जनता को दिए जा रहे कष्ट से सैनिक खासा प्रभावित थे क्योंकि वह भी एक भारतीय ही थे जिसके कारण उन्होंने कुछ खास बातों को लेकर अपनी शिकायतें की।
  • उन्होंने कहा कि अंग्रेज फौज में भारतीय सिपाहियों के लिए पदोन्नति के रास्ते बंद थे। यूरोपीय अफसर भारतीय सिपाही को नफरत की निगाहों से देखते थे तथा लड़ाई में जाने पर भारतीय सैनिकों को अधिकतम भत्ता मिलता था।
  • अंग्रेजों का कब्जा हो जाने पर भारतीय सैनिकों का भत्ता बंद कर दिया जाता था । जिससे इनके बीच धार्मिक भावनाओं को आहत पहुंचा और उनके बीच असंतोष भी बढ़ गया।
  • उसी दौरान सैनिकों को एक नए किस्म की राइफल दी गई इसके कारतूसों में गाय और सुअर की चर्बी लगाई जाती थी एवं उसमें कारतूस भरने से पहले उससे उस पर लगे कागज को काटना पड़ता था ।
  • चर्बी वाले कारतूस के इस्तेमाल से हिंदू और मुसलमान सैनिकों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची और यही बातों का तात्कालिक कारण बना।
  • सैनिकों ने कारतूस भरने से इनकार कर दिया जिसके बाद मेरठ में 85 भारतीय सैनिकों को जेल की सजा सुनाई गई थी तब 9 मई 1857 को सैनिको ने विद्रोह कर दिया कर दिया ।
  • 2 महीने पहले बैरकपुर में मंगल पांडे ने नए कारतूस का इस्तेमाल करने से मना कर दिया और विद्रोह किया तो उन्हें मार दिया गया।

Q. सन् 1857 ईस्वी का विद्रोह का मुख्य केंद्र कहां था ?

  • इसके लिए अनेक क्षेत्रों में युद्ध बड़े पैमाने पर विद्रोह हुए जिसमें असम, ओडिशा ,उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,बिहार, राजस्थान हैदराबाद ,सिंध ,महाराष्ट्र ,बंगाल ,पंजाब शामिल थे एवं कुछ जगह पर विद्रोह स्थानीय फौजी बैरको तक ही सीमित रहा एवं दिल्ली ,अवध, रोहिलखंड ,बुंदेलखंड, इलाहाबाद के आसपास के इलाके तथा मेरठ ,पश्चिम बिहार इस विद्रोह का मुख्य केंद्र बना दिल्ली में विद्रोही सेना का मुख्य सेनापति बख्त खाँ था एवं कानपुर के विद्रोहियों ने नाना साहब को पेशवा घोषित कर दिया नाना साहब के सैनिकों को नेतृत्व तात्या टोपे कर रहा था एवं बरेली में अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व खान बहादुर खाँ ने किया।

Q. 1857 के विद्रोह के दमन कैसे हुआ?

  • विद्रोह दौरान हिंदू मुस्लिम एक दूसरे से कंधे मिलाकर चलते थे एवं अंग्रेज हिंदू मुसलमानों के बीच में भड़काने की कोशिश करते थे।
  • यह विदेशी शासन को उखाड़ फेंकने के लिए संघर्ष कर रहे थे इसलिए सभी विद्रोहियों ने एकता दिखाइ।
  • परंतु यह व्यापक होने पर भी 1 साल से कुछ अधिक समय बाद ही कुचल दिया गया क्योंकि सितंबर 1857 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया है ।
  • लखनऊ की बेगम हजरत महल नेपाल भाग गई रानी लक्ष्मी बाई झांसी की रानी के नाम से मशहूर हुई वह भाग निकली।
  • तात्या टोपे की मदद से उसने 1858 में ग्वालियर पर कब्जा कर लिया अंत में लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई।

Q. 1857 ईस्वी के विद्रोह के असफल होने के क्या कारण थे?

  • इस विद्रोह में कुछ बुनियादी खामियां थी जिस कारण यह विद्रोह असफल रहा क्योंकि इस विद्रोह का नेतृत्व राजा और जमींदारों के हाथों में था एवं उनमें से अनेक विद्रोह मे इसलिए शामिल हुए थे क्योंकि अंग्रेजों के शासन से उन्हें अपनी अस्तित्व का खतरा था जिस कारण वे भारत में परंपरागत राज्य व्यवस्था के हिमायती थे वह पुराने विचारों वाले थे इसलिए वह विदेशी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना चाहते थे ।
  • दूसरे वे आम जनता जिसमें सैनिक, किसान व दस्तकार शामिल थे। मगर उनका नेतृत्व थे परंपरा प्रेमी शासक कर रहे थे जिनकी शक्ति को विदेशी शासन ने पहले से तोड़ डाला था।
  • जनता एक स्वतंत्र नेतृत्व कायम नहीं कर पाई थी ,जनता के अपने स्वतंत्र ,सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक लक्ष्य नहीं थे जिस कारण से यह विद्रोह असफल रहा।

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