Q. स्वतंत्रता का अधिकार क्या है? अनुच्छेद 19 की व्याख्या करें? अनुच्छेद 19 को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने किस प्रकार के निर्णय दिए हैं?vinayiasacademy. Com
- भारतीय संविधान में अनुच्छेद 19 से अनुच्छेद 22 तक स्वतंत्रता के अधिकार का वर्णन किया गया है इसके अंतर्गत मूलभूत स्वतंत्र आएं आती है भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के अंतर्गत मूलभूत स्वतंत्रता से संबंधित अधिकार दिए गए हैं 44 वा संविधान संशोधन के द्वारा संपत्ति के अधिकार को समाप्त कर दिया गया इसलिए अनुच्छेद 19 के अंतर्गत अब छह प्रकार के ही अधिकार है जिसमें पहला है विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता. इसकी स्वतंत्रता में प्रेस रेडियो दूरदर्शन की स्वतंत्र भी सम्मिलित है परंतु यह स्वतंत्रता आप प्रतिबंधित रूप में भी रहती है जैसे राज्य की एकता और अखंडता सुरक्षा विदेशी राज के साथ कैसा संबंध होना चाहिए सार्वजनिक व्यवस्था शिष्टाचार नैतिकता न्यायालय की मानहानि वाले विषयों पर समय-समय पर प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है
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- अनुच्छेद 19 के द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उच्चतम न्यायालय ने किस रूप में परिभाषित किया है- इसके अंतर्गत देश की एकता एवं अखंडता के विरुद्ध बोलने पर रोक है किसी भी प्रकार से न्यायालय की अवमानना करने पर रोक है जितने प्रतिबंध व्यक्ति की स्वतंत्रता पर है उतना ही प्रतिबंध पेज पर भी लगाया जाता है अर्थात प्रेस को सेंसर प्रकाशन के पूर्व अनुमति लेना जरूरी है और कुछ निश्चित मुद्दे पर सामग्री के प्रकाशन पर प्रतिबंध लग जाता है
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- अनुच्छेद 19 के दायरे में अस्त्र-शस्त्र रहित एवं शांतिपूर्ण सम्मेलन करने की व्यवस्था की गई है इसमें किस प्रकार से स्वतंत्रता है- अनुच्छेद 19 के सेक्शन 2 के तहत भारतीय नागरिकों को अस्त्र-शस्त्र रहित एवं शांतिपूर्ण सम्मेलन करने की स्वतंत्रता दी गई है यहां पर स्वतंत्रता विचार का है लेकिन इस स्वतंत्रता पर भारत की संप्रभुता और अखंडता लोक व्यवस्था अगर समस्या उत्पन्न होती है तो रोक लगाया जाता है
- प्रेस की स्वतंत्रता अपने यह किसी अन्य के विचार को प्रसारित करने का अधिकार व्यवसायिक विज्ञापन की स्वतंत्रता फोन टैपिंग के विरुद्ध अधिकार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अधिकार किसी राजनीतिक दल या संगठन द्वारा आयोजित बंद के खिलाफ अधिकार सरकारी गतिविधियों की जानकारी का अधिकार किसी अखबार पर पूर्व प्रतिबंध के विरुद्ध अधिकार प्रदर्शन एवं विरोध का अधिकार लेकिन हड़ताल का अधिकार नहीं मिलेगा अगर किसी स्थान विशेष पर सम्मेलन बुलाने से शांति की समस्या भंग हो सकती है तो ऐसे में सरकार वहां से मिलन करने से रोक सकती है जुलूस निकालने से भी रोका जा सकता है vinayiasacademy
- अनुच्छेद 19 में समुदाय और संघ बनाने की स्वतंत्रता क्या है यह स्वतंत्रता अनुच्छेद 19 के सेक्शन 3 में दिया गया है जिसमें समुदाय और संघ बनाने की स्वतंत्रता जरूरी है राजनीतिक पार्टी का गठन इसी के द्वारा किया जाता है इसी प्रकार से भारतीय क्षेत्र में कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता है लेकिन किसी व्यक्ति को अगर छुआछूत की बीमारी है तो उसे रोका जा सकता है इसी प्रकार से भारत के किसी भी भाग में निवास करने की स्वतंत्रता है लेकिन समय-समय पर इसमें भी रोक लगाया जाता है 22 जनवरी 2004 को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रत्येक नागरिक के द्वारा अपने घर दफ्तर पर ध्वज पहरा ना संविधान का अनुच्छेद 19 का सेक्शन 1 के अंतर्गत मौलिक अधिकार है सर्वोच्च न्यायालय ने नवीन जिंदल की याचिका पर यह फैसला सुनाया
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- अनुच्छेद 19 के द्वारा व्यवसाय करने की स्वतंत्रता है जिसके अंतर्गत भारत के सभी नागरिक कोई भी व्यवसाय पैसा करने के लिए स्वतंत्र है लेकिन ऐसे कोई भी व्यवसाय उद्योग नहीं होना चाहिए जिससे भारत के लोगों को खतरा हो समाज में अनावश्यक चीजों का प्रचार हो
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Q. अनुच्छेद 20 की व्याख्या करें? अनुच्छेद 20 के अंतर्गत किस प्रकार का संरक्षण प्रदान किया गया है? अनुच्छेद बीच में दिया गया डबल जिओ पौड़ी का क्या अर्थ होता है vinayiasacademy. Com
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 के अनुसार अपराध की दोष सिद्धि के संदर्भ में यह कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को तब तक दंड नहीं दिया जाएगा जब तक वह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करता है यानी कि किसी व्यक्ति को दंड तभी देंगे जब वह कानून के नजर में दोषी पाया जाएगा किसी व्यक्ति को उस समय तक दंड नहीं दिया जा सकता है जब तक ऐसा कोई कानून का उल्लंघन नहीं करता है जो उस समय प्रचलित और अगर आज वह कानून समाप्त भी हो गया है फिर भी उस व्यक्ति को दंड दिया जाएगा
- इसी प्रकार से किसी भी व्यक्ति को किसी भी कानून का उल्लंघन करने के लिए जो कानून द्वारा निश्चित दंड है उससे अधिक दंड नहीं दिया जा सकता है किसी भी व्यक्ति को एक ही अपराध के लिए 1 बार से अधिक सजा नहीं दे सकते हैं
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- किसी भी अपराध के लिए अभियुक्त किसी व्यक्ति को स्वयं अपने विरुद्ध साथी होने के लिए बात नहीं कर सकता है यदि किसी लोक सेवक को आपराधिक आरोपों में हटा दिया जाता है तो उसके ऊपर न्यायालय में मुकदमा भी चल सकता है इसका यह अर्थ नहीं हुआ कि एक व्यक्ति को एक गलती के लिए दो बार सजा दिया जा रहा है
- कानून में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जिस समय में अपराध किया है उस समय में वह अपराध की श्रेणी में आता हूं और उसमें सजा सजा का नियम तभी उसे सजा दिया जाएगा अगर कोई कानून आज बना है तो कोई पुराने उसी प्रकार के मुकदमे में किसी को सजा नहीं दी जा सकती है
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Q. अनुच्छेद 21 की व्याख्या करें अनुच्छेद 21के द्वारा जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार क्या है? अनुच्छेद 21 को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कौन-कौन से फैसले दिए हैं? अनुच्छेद 21 के अनुसार मेनका गांधी एवं भारत सरकार के मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा?
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- अनुच्छेद 21 संविधान का सबसे विस्तृत और व्यापक अनुच्छेद है. इस अनुच्छेद में जीवित रहने का अधिकार दिया गया है इसका यह अर्थ होता है कि कार्यपालिका का कोई सदस्य किसी नागरिक की स्वतंत्रता में तभी है चेक कर सकता है जब वह अपनी कार्यवाही के समर्थन में कोई कानून का उपबंध दिखा सके अनुच्छेद 21 विधानमंडल की शक्ति को एक प्रकार से सीमित कर रहा है यह व्यक्ति को कार्यपालिका के मनमाने तरीके के विरुद्ध संरक्षण भी दे रहा है अनुच्छेद 21 को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए व्यक्तित्व विकास करने के लिए मानव गरिमा को बनाए रखने के लिए जीने का अधिकार जरूरी है फ्रांसिस्को रैली एवं भारत सरकार के केस में उच्चतम न्यायालय ने मेनका गांधी वाले मामले का फिर से एक बार विचार करते हुए का मानव जीवन पशु के जीवन से बिल्कुल अलग है, अनुच्छेद 21 के अंतर्गत मानवीय प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार है स्वच्छ पर्यावरण प्रदूषण रहित जल एवं वायु में जीने का अधिकार है जीवन रक्षा का अधिकार है हर व्यक्ति को अपना प्राइवेट जीवन जीने का अधिकार है आश्रय का अधिकार है स्वास्थ्य का
- Vinayiasacademy अधिकार है 14 वर्ष की उम्र तक निशुल्क शिक्षा का अधिकार है निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार है अकेले कारावास में बंद होने के विरुद्ध अधिकार है त्वरित सुनवाई का अधिकार है हथकड़ी लगाने के विरुद्ध अधिकार है अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध अधिकार है फांसी में देरी के विरुद्ध अधिकार है विदेश यात्रा करने का अधिकार है बंधुआ मजदूरी करने के विरुद्ध अधिकार है हिरासत में शोषण के विरुद्ध अधिकार है आपातकालीन चिकित्सा सुविधा के अधिकार है सरकारी अस्पताल में समय पर उचित इलाज का अधिकार है राज्य के बाहर ना जाने का अधिकार है निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार के लिए जीवन की आवश्यकता का अधिकार है महिला के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करने का अधिकार है सार्वजनिक फांसी के विरुद्ध अधिकार सुनवाई का अधिकार सूचना का अधिकार प्रतिष्ठा का अधिकार दोष सिद्धि वाले न्यायालय आदेश से अपील का अधिकार सामाजिक सुरक्षा और परिवार के संरक्षण का अधिकार सामाजिक एवं आर्थिक न्याय एवं सशक्तिकरण का अधिकार जीवन बीमा पॉलिसी के विनियोग का अधिकार सोने का अधिकार शोर प्रदूषण से मुक्ति का अधिकार बिजली का अधिकार ऐसे कई अधिकार है जो समय पर उचित इसके दायरे में आते हैं
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Q. अनुच्छेद 21 के संदर्भ में नए प्रावधान क्या है आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 21 की स्थिति क्या है? निजता का अधिकार क्या है? अनुच्छेद 21 का व्याख्या करें?
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- अनुच्छेद 21 को मेनका गांधी वाद के बाद और भी व्यापक बनाया गया है इसके नवीनतम प्रावधानों में अनुच्छेद 21 A संविधान संशोधन किया गया जिसके द्वारा 6 वर्ष से लेकर 14 वर्ष के बच्चों को अनिवार्य और निशुल्क प्राथमिक शिक्षा दे दिया जाना महत्वपूर्ण आवश्यकता के रूप में जोड़ा गया है,जानवरों को भी उत्पीड़न से सुरक्षा का अधिकार है इसे संवैधानिक मान्यता मई 2016 में उच्चतम न्यायालय ने पोंगल के संदर्भ के निर्णय में दिया
- अगर अनुच्छेद 21की स्थिति को देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट ने एनिमल वेलफेयर बोर्ड की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह कहा कि तमिलनाडु के प्रसिद्ध पर्व पोंगल के दूसरे एवं तीसरे दिन आयोजित किया जाने वाला खेल जलीकट्टू देशभर में अलग-अलग स्थान पर आयोजित किया जाता है यह पशु के साथ उत्पीड़न है और इसे 1960 के तहत प्रतिबंधित किया जाता है इस अनुच्छेद का व्याख्या करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने जानवरों को भी जीवन के रूप में देखने के लिए कहा उसने यह स्पष्ट किया कि जानवरों को भी उत्पीड़न मुक्त जीवन जीने का अधिकार है हालांकि इसके पहले ज्ञान कौर बाद में उच्च न्यायालय ने कहा है कि जीवन के अधिकार में मृत्यु का अधिकार सम्मिलित नहीं है
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- अगर मूल रूप से भारतीय संविधान का अनुच्छेद 359 के अनुसार अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा के दौरान राष्ट्रपति के आदेश से संविधान का भाग 3 के द्वारा दिया गया अधिकार जिसे वह उचित समझे उसे रोकने का अधिकार है और इससे निलंबित भी किया जा सकता है राष्ट्रपति अनुच्छेद 21 में प्रदत्त अधिकार के परिवर्तन के अधिकार को आपातकाल के दौरान निलंबित कर सकते हैं 1962 में 1971 में एवं 1976 में जब राष्ट्रीय आपात की घोषणा की गई उस समय अनुच्छेद 21अधिकार दिया गया था उसे निलंबित कर दिया गया परंतु 44 वा संविधान संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 359 में संशोधन करके निर्धारित किया गया है कि 21 में दिया हुआ स्वतंत्रता को राष्ट्रपति आपातकाल के आदेश के दौरान भी निलंबित नहीं कर सकते हैं इसके पहले इसे निलंबित किया जाता था vinayiasacademy. Com
- निजता का अधिकार क्या है? 24 अगस्त 2017 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दे दिया गया सर्वोच्च न्यायालय को 9 सदस्यीय संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार माना और जीवन के अधिकार अनुच्छेद 21 के एक मांग को स्वीकार कर लिया सर्वोच्च न्यायालय ने यह आधार कार्ड से संबंधित एक मामले के दौरान फैसले को दिया सर्वोच्च न्यायालय ने किसी पर ऐसे क़ानून को असंवैधानिक का में निजता के अधिकार का हनन हो रहा है 1950 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय की 8 सदस्यों की एक संविधान पीठ बनाई गई थी 1960 के दशक में 6 सदस्य का भी एक संविधान पीठ बनाया गया था जिस ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता नहीं दिया था लेकिन 2017 में सर्वोच्च न्यायालय ने इसे मौलिक अधिकार कह दिया उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को अपना प्राइवेट जीवन जीने का अधिकार है और उसमें सरकार दखल नहीं दे सकती है
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- क्या जीवनसाथी चुनने का अधिकार एक मौलिक अधिकार है- 27 मार्च 2018 को सर्वोच्च न्यायालय ने जीवन साथी चुनने को भी मौलिक अधिकार मान लिया सर्वोच्च न्यायालय ने इसके लिए पूर्व में एक तीन सदस्यीय खंडपीठ बनाया था इस खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि एक बार जब दो व्यक्ति विवाह में प्रवेश करने के लिए सहमति दे देते हैं तो परिवार यह समुदाय या किसी भी तभी
- खाप पंचायत इसको रोक नहीं सकता है और ना इसकी समिति की कोई आवश्यकता है क्या हर व्यक्ति की अपना अधिकार होता है कि वह अपना जीवन किस रूप में आगे बढ़ाना चाहता है और अपना जीवन साथी चुनना चाहता है सर्वोच्च न्यायालय के अनुसार जब दो वयस्क व्यक्ति एक दूसरे को जीवनसाथी के रूप में चुनना चाहते हैं तो उनकी अपनी पसंद एक अभिव्यक्ति की आजादी जो संविधान के अनु 13 में और अनुच्छेद 21 में भी नहीं थे अभिव्यक्ति का अर्थ यहां पर है कि व्यक्ति के पसंद नापसंद से जुड़ा हुआ इसका अभिप्राय यह है कि किस व्यक्ति को क्या पसंद है किस व्यक्ति को क्या नहीं पसंद है यह किसी के ऊपर थोपने की चीज नहीं है उसका व्यक्तिगत फैसला होगा
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- क्या सोने का अधिकार भी मौलिक अधिकार है- सर्वोच्च न्यायालय ने बाबा रामदेव और उनके समर्थकों को मध्य रात्रि में दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार करने से संबंधित मामले पर विचार करते हुए एक महत्वपूर्ण आदेश पारित किया उल्लेखनीय है कि बाबा रामदेव और उनके समर्थकों द्वारा दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ा आंदोलन तैयार किया गया था आंदोलन के दौरान दिन में आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा था लेकिन देर रात को पुलिस ने बड़ी कार्यवाही करते हुए बाबा रामदेव और उनके समर्थकों को वहां से खदेड़ देने का काम किया इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी व्याख्या करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को एक अच्छा निंद्रा लेने का अधिकार है सोने का अधिकार है या उसका मौलिक अधिकार है और इस नींद में खलल डालना नहीं है इसलिए इसे मूलभूत मानवाधिकार समझा जाएगा इसे मूलभूत ढांचा का भाग समझा जाएगा और यही कारण है कि बाबा रामदेव के मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सोने के अधिकार को नैसर्गिक न्याय मानते हुए मूल अधिकार में खड़ा कर दिया
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- क्या किसी व्यक्ति को गरिमा पूर्ण मृत्यु का अधिकार है- सर्वोच्च न्यायालय ने गरिमा पूर्ण मृत्यु के अधिकार को भी मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दे दिया है यह निर्णय एक गैर सरकारी संगठन जिसका नाम कामकाज संगठन है उसकी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया कामकाज नामक संगठन ने वर्ष 2005 में इच्छा मृत्यु को लेकर एक याचिका दाखिल किया था जिसमें 2015 में संविधान पीठ को यह मामला सौंप दिया गया था संविधान पीठ तीन सदस्य या उससे बड़ा हो सकता है इसके निर्णय महत्वपूर्ण होते हैं सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि इच्छा मृत्यु की वसीयत और निष्क्रिय इच्छामृत्यु का कुछ शर्त के साथ अनुमति प्रदान कर दिया जाता है इसके साथ ही सक्रिय इच्छा मृत्यु को प्रतिबंधित करने को अब असंवैधानिक कह दिया सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा कि अगर अनुच्छेद 21 जीवन के अधिकार को देता है तो गरिमा पूर्ण मृत्यु का अधिकार भी देता है सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि मेडिकल बोर्ड के लिए अनुशंसा कर दें और बीमार व्यक्ति को अगर लाइफ सपोर्ट स्टूमेंट सिस्टम से हटाया जा सकता है तो इसके लिए परिवार की सहमति जरूरी होगी साथ ही साथ इसके लिए एक रिपोर्ट तैयार करके बताएं कि अब ठीक होना असंभव है तो सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में निष्क्रिय इच्छामृत्यु अनुमति प्रदान कर दी है यह फैसला 8 मार्च 2018 को सर्वोच्च न्यायालय ने दिया सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के आने के बाद ऐसे लोग जो बहुत ही गंभीर बीमारी से ग्रसित है तथा कोमा में चले जाते हैं बेहोशी की हालत में जीवन जी रहे हैं उन्हें अब इच्छा मृत्यु का अधिकार प्राप्त हो जाएगा
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- अनुच्छेद 21 क्या है- इस अनुच्छेद ने प्रत्येक व्यक्ति को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है इस अनुच्छेद में यह भी बताया गया है कि दैहिक स्वतंत्रता से वंचित किसी को नहीं किया जाएगा यानी कि कार्यपालिका का कोई भी सदस्य किसी नागरिक की स्वतंत्रा में तभी हस्तक्षेप कर सकता है जब वह अपनी कार्यवाही के समर्थन में विधि का कोई उपबंध दिखा सके विधान की शक्ति पर परिसीमा के रूप में नहीं है यह व्यक्ति को कार्यपालिका के मनमाने प्रयोग पर रोक लगाता है और प्रत्येक व्यक्ति को संरक्षण प्रदान करता है मेनका गांधी का केस अनुच्छेद 21 की व्याख्या में बहुत ही महत्वपूर्ण है सर्वोच्च न्यायालय ने प्राण का अधिकार केवल भौतिक अस्तित्व तक ही सीमित नहीं माना उसने यह कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को प्राण शब्द का अर्थ समझना चाहिए या पशुपत जीवन से नहीं बल्कि मानव जीवन से है प्राण के अधिकार शरीर के अंग की संरचना तक सीमित नहीं है इसके साथ प्रत्येक व्यक्ति को गरिमामय जीवन जीने का भी अधिकार है इसलिए मेनका गांधी केस ही महत्वपूर्ण हो जाता है
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- मेनका गांधी केस का अनुच्छेद 21 से क्या संबंध है- मेनका गांधी के केस में अनुच्छेद 21 का बहुत ही गहरा संबंध है अपने निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने अनुच्छेद 21 को सकारात्मक माना है और बहुत ही व्यापक व्याख्या किया है सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा है कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिष्ठा के साथ जीने का अधिकार है प्रदूषण रहित जल एवं वायु में जीने का अधिकार है जीवन रक्षा का अधिकार निजता का अधिकार आश्रय का अधिकार स्वास्थ्य का अधिकार निशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार अकेले कारावास में बंद होने के विरुद्ध अधिकार त्वरित सुनवाई का अधिकार हथकड़ी लगाने के विरुद्ध अधिकार अमानवीय व्यवहार के विरुद्ध अधिकार फांसी में देरी के विरुद्ध अधिकार विदेश यात्रा करने का अधिकार हिरासत में शोषण के विरुद्ध अधिकार आपातकालीन चिकित्सा सुविधा का अधिकार आज सुनवाई का अधिकार कैदी के लिए जीवन की आवश्यकताओं का अधिकार महिलाओं के साथ समान व्यवहार करने का अधिकार सार्वजनिक फांसी के विरुद्ध अधिकार जैसे कई चीजों को रखा गया है जो वर्तमान में लोगों के लिए काफी अच्छा माना गया है
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