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सीखना या अधिगम का क्या अर्थ है? इसके विभिन्न दृष्टिकोण प्रकारों तथा प्रक्रिया का वर्णन करें।

अधिगम शिक्षा मनोविज्ञान का केंद्र बिंदु है अधिगम शिक्षा मनोविज्ञान का दिल है। शिक्षा के क्षेत्र में अधिगम का एक विशेष महत्व है क्योंकि शिक्षा का उद्देश्य सीखना है। अतः हम क्या कह सकते हैं- Learning is the heart of all education.All education is attempt to learn. हम आज जो कुछ भी हैं वह सीखने का ही परिणाम है समस्त स्कूली क्रियाकलाप सीखने के लिए होते हैं। सीखने की प्रक्रिया के ही कारण आज विश्व का इतना अधिक विकास संभव हो सका है क्योंकि यह एक अत्यंत स्वाभाविक प्रक्रिया है जो मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक जारी रहती है।(Vinay ias academy.com)


उदाहरण- यदि किसी छोटे बच्चे के सम्मुख कोई जलता हुआ लैंप रखा जाए तो स्वाभाविक रूप से वह उसकी दीप शिक्षा को स्पष्ट करने के लिए हाथ बढ़ाता है। परंतु उसका हाथ दीपशिखा से जल जाता है। उसे कष्ट होता है और वह तुरंत ही अपनी हाथ दीपशिखा से खींच लेता है। जब वह पुनः सम्मुख रखे हुए दीपक को देखता है तो उसे स्पर्श करने का स्वाभाविक व्यवहार नहीं करता, परंतु यदि उसके सामने दीपक लाया जाता है तो वह उससे दूर भागने का प्रयत्न करता है। इस प्रकार उसके स्वाभाविक व्यवहार में जो परिवर्तन होता है उसकी इस प्रक्रिया को ही सीखना कहा जाता है। इस व्याख्या के आधार पर कहा जा सकता है” सीखने का अर्थ उस मानसिक प्रक्रिया से है जिसमें व्यक्ति के स्वभाव व्यवहार या भूत कालीन अनुभवों एवं व्यवहार में उन्नति शील परिवर्तन होता है”।(Vinay iss academy.com)
गेट्स के अनुसार,” सीखना अनुभव द्वारा व्यवहार में परिवर्तन है|”(Learning is modification of behaviour through experiences.- Gates)
क्रो और क्रो के अनुसार- ” सीखने के अंतर्गत आदतें, ज्ञान तथा व्यवहार को ग्रहण करना शामिल है|” (Learning involves the acquisition of habits, knowledge and attitudes.)
पील के अनुसार-” अधिगम व्यक्ति में एक परिवर्तन है जो उसके वातावरण के परिवर्तनों के अनुसार होता है”।( Learning is change in the individual following upon change in his environment.-Peel)
स्किनर के अनुसार -” अधिगम में प्राप्त तथा धारणा करने की शक्ति सम्मिलित है”|(Learning includes both acquisition and retention.-Skinner)
(Vinay ias academy.com)


दृष्टिकोण-

  1. व्यवहारवादी दृष्टिकोण- व्यवहार वादियों का विचार है कि सीखना अनुभव के परिणाम के तौर पर व्यवहार में परिवर्तन का नाम है मनुष्य तथा दूसरे प्राणी वातावरण में प्रतिक्रिया करते हैं। बच्चा जन्म से ही अपने वातावरण में सीखने का प्रयत्न करता है।
  2. गेस्टाल्ट दृष्टिकोण- इस दृष्टिकोण के अनुसार सीखने का आधार गेस्टाल्ट या संगठनात्मक ढांचे पर निर्भर है। इस दृष्टिकोण का मानना है कि किसी भी प्रकार के सीखने के लिए हम उसके विभिन्न अंगों की अपेक्षा संपूर्ण इकाई पर बल देते हैं। गेस्टाल्ट शब्द लैटिन भाषा का शब्द है जिसका अर्थ होता है संपूर्ण रूप में देखना। इस दृष्टिकोण के अंतर्गत सूझबूझ या अंतर्दृष्टि द्वारा सीखने का आधार जर्मन के वैज्ञानिक कोहलर के प्रयोग हैं जो उन्होंने पशुओं पर किए हैं। अपने प्रयोग के माध्यम से इस बात को स्पष्ट किया कि पशु भी मनुष्य के समान बुद्धि पूर्ण निरीक्षण द्वारा बहुत कुछ सीख सकते हैं।(Vinay ias academy.com)
  3. होरमिक दृष्टिकोण- यह दृष्टिकोण मैक दुग्गल की देन है। यह सीखने के लक्ष्य केंद्रित स्वरूप पर जोर देता है। सीखना लक्ष्य को सामने रखकर किया जाता है। मैक दुग्गल का मानना है कि यदि हम वस्तुनिष्ठ निरीक्षण तक सीमित रहते हैं तो हम किसी जानवर के व्यवहार के यांत्रिक दृश्य को ही प्राप्त कर पाएंगे। बेतिया मानो तो एक मशीन ही लगेगा परंतु हम अपने व्यवहार को आंतरिक रूप से जानते हैं और उसके उद्देश्य पूर्णता को भी समझते हैं जो कि यांत्रिक नहीं होती।
  4. सीखने का फील्ड दृष्टिकोण- कट लिविंग ने इस दृष्टिकोण को प्रतिपादित किया है। उसने कहा है कि सीखना परिस्थिति का प्रत्यक्ष ज्ञानात्मक संगठन है और सीखने में प्रेरणा का महत्वपूर्ण हाथ है। लेविन अभिप्रेरणा के अध्ययन को नई दिशा प्रदान की है। इनके अनुसार ऐसे जैसे बच्चा विकसित होता है, उसकी व्यक्तित्व प्रणाली में विस्तार होता है और यह पूर्ण रूप से ऊपर नालियों में संगठित हो जाता है। बच्चे के मनोवैज्ञानिक वातावरण में दिक् और समय में भी प्रसार हो जाता है।(Vinay ias academy.com)
    अधिगम के प्रकार –
    मनोवैज्ञानिक और शैक्षिक दृष्टि से अधिगम को हम तीन वर्गों में बांटा गया है-
    A. सीखने वाले के प्रकार के अनुसार अधिगम- सीखने वाले के प्रकार के अनुसार अधिगम दो प्रकार का होता है –
  5. जानवरों द्वारा अधिगम – जानवरों के व्यवहार में परिवर्तन को जानवरों का अधिगम कहते हैं|
  6. मानव द्वारा अधिगम – मानव के व्यवहार में जो परिवर्तन होता है उसे मानव का अधिगम या मानव द्वारा अधिगम कहा जाता है| मानव अधिकार मानव के विकास की अवस्थाओं के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है जैसे शैशवावस्था अधिगम, बाल्यकाल अधिगम, किशोरावस्था अधिगम|
    B. शरीर के अंगो की संभागिता के अनुसार अधिगम –
  7. गत्यात्मक अधिगम- इस प्रकार के अधिगम में मांसपेशियों संयुक्त क्रियाओं को शामिल किया जाता है जैसे इस प्रकार के अधिगम में ज्ञानेंद्रियों के माध्यम से साधारण आदतों को अर्जित किया जाता है। उदाहरणार्थ नर्सरी स्कूल के खेल मैदान में कौशलों का सीखना। इसके साथ साथ प्रत्यक्ष जटिलकौशलों का अर्जन करना भी इसके अंतर्गत आता है जैसे नृत्य करना, साइकिल चलाना, तैरना ,संगीत के यंत्र बजाना आदि।
    2 विचारात्मक अधिगम- इस प्रकार के अधिगम के अंतर्गत विचारों तथा मानसिक साहचर्य को अर्जित किया जाता है । यह प्रायः व्यक्ति निश्ठ प्रकृति का अधिगम होता है तथा इसमें मांसपेशियों की क्रिया की आवश्यकता नहीं रहती।
    C. मानव व्यवहार के विभिन्न पक्षों के अनुसार अधिगम- मानव व्यवहार के मुख्यतः तीन पक्ष हैं।
  8. ज्ञानात्मक अधिगम- इस प्रकार के अधिगम का संबंध ज्ञान, संप्रत्यय तथा उनमें आपसी संबंधों से होता है। स्कूल के सभी विषय इसी प्रकार के अधिगम का विकास करते हैं। अध्यापक विभिन्न विषयों को पढ़ाते समय विभिन्न तथ्यों का ज्ञान प्रदान करता है विभिन्न प्रतियों को समझाता है तथा सीखने वालों को अपने अनुभव के आधार पर किसी सामान्य करण पर पहुंचने में सहायता करता है।
  9. अभिवृत्यात्मक दृष्टिकोण अधिगम- दृष्टिकोण और मूल्य मानव व्यवहार द्वारासीखे जाते हैं या अर्जित किए जाते हैं। इनका विकास अपने समूह के साथ संबंधों के विकास के दौरान होता है इस प्रकार के अधिगम के परिणाम स्वरूप संवेग , स्थाई भाव तथा आत्मानुभूति आदि सीखे जाते हैं।
  10. कौशलों द्वारा सीखना- इसमें अभ्यास द्वारा गति आत्मक प्रकार का अधिगम शामिल है। स्कूल में कई प्रकार की गतिविधियों द्वारा इस प्रकार का अधिगम होता है, जैसे पढ़ना ,लिखना ,कोई विशिष्ट खेल खेलना। कौशलों के विकास के लिए जो मुख्य विधियों का प्रयोग किया जाता है, रे है प्रदर्शन विधि, प्रयोग विधि, प्रतिपुष्टि तथा अभ्यास।
    अधिगम की प्रक्रिया-
  11. अभिप्रेरणा- वाह रे कारी जिसे मनुष्य करना चाहे किसी न किसी अभिप्रेरणा से संचालित होता है। छात्र इसलिए पढ़ते हैं कि परीक्षा में पास होकर अच्छी नौकरी या व्यवसाय हासिल करें। अभिप्रेरणा ही उद्देश्य की ओर ले जाने का कार्य करती है। मानव जो भी कार्य करता है, उसके मूल में किसी न किसी प्रकार की अभिप्रेरणा निहित होती है। व्यक्ति की बहुत सी आवश्यकताएं होती है, जिन्हें पूरा करने के लिए विभिन्न प्रेरक उत्पन्न हो जाते हैं। इन प्रेरकों के कारण व्यक्ति अधिक क्रियाशील हो जाता है।
  12. उद्देश्य- किसी कार्य को सीखने का कोई ना कोई उद्देश्य होता है। मनुष्य का भी अपनी आवश्यकताओं के अनुसार किसी भी क्रिया को सीखने का कोई ना कोई उद्देश्य होता है। मनुष्य उस क्रिया को नहीं सीखना चाहता जो उसके उद्देश्य की पूर्ति न करती हो अतः व्यक्ति का व्यवहार उद्देश्य ही नहीं होना चाहिए। वह अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए व्यवहार करता है उसका व्यवहार एक निश्चित दिशा की ओर केंद्रित होता है।
  13. बाधा- उद्देश्य की प्राप्ति के दौरान बाधाओं का उत्पन्न होना निश्चित होता है। इन बाधाओं की उपस्थिति में व्यक्ति अनेकों प्रकार का संभावित व्यवहार करता है तभी वह इसके पश्चात किसी उपयुक्त व्यवहार पर पहुंचता है। उपयुक्त व्यवहार होने पर इन बाधाओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
    4 . पुनर्बलन- पुनर्बलन के अंतर्गत वे सभी क्रियाएं तथा तथ्य आ जाते हैं जिनसे विवश होकर विद्यार्थी को क्रियाएं करनी पड़ती है। अध्यापक का आदेश, स्वयं की इच्छा, बड़ों के सम्मान तथा सामाजिक मर्यादा से प्रभावित होकर जो कार्य किए जाते हैं, वे सभी पुनर्बलन के अंतर्गत आते हैं। जो भी अनुप्रिया संतोषजनक एवं सुखद होती है वह पुनर्बलन हो जाती है। असफल अनु क्रियाओं को भुला देना पड़ता है तथा सफर अनुप्रिया को स्थिति का सामना करने के लिए चुन लेना पड़ता है। उसी प्रकार की स्थिति उत्पन्न होने पर व्यक्ति वैसे ही व्यवहार या अनुप्रिया को दोहराता है।
  14. एकीकरण- अधिगम की क्रिया के विभिन्न अंगों का संगठन नवीन ज्ञान को पूर्व ज्ञान से जोड़ने के लिए किया जाता है। जब तक पूर्व एवं नवीन ज्ञान को जोड़ा नहीं जाता तब तक रिया संपूर्णता प्राप्त नहीं करती। इस प्रकार व्यक्ति नवीन सफल प्रतिक्रिया का पहले सीखी गई क्रियाओं में समन्वय स्थापित करता है। इसे नवीन ज्ञान का पूर्व ज्ञान से जोड़ना भी कहते हैं। ऐसा करने से नवीन प्रतिक्रिया उसके ज्ञान का एक अंग बन जाती है और उसका संपूर्ण ज्ञान एकीकृत हो जाता है।
    अतः यह स्पष्ट है कि अधिगम किसी क्रिया विशेष का नाम नहीं है। अधिगम के अंतर्गत अनेक उप क्रिया निहित होती है जो उसे पूर्णता प्रदान करती है।

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