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लेविन के अधिगम के क्षेत्रीय सिद्धांत का वर्णन करें?

इस सिद्धांत का प्रतिपादन कुर्ट लेविन ने किया था। इस सिद्धांत का मानना है कि जिस स्थिति का हम अनुभव करते हैं, वह सदैव संगठित या संरचित होती है। तथा यह संरचना उन अवयवों से अधिक स्थाई अस्थिर होती है जिन पर की स्थिति आधारित होती है। उस संगठन के अंतर्गत कोई एक तत्व ऐसा होता है जो उस पूर्णिया समस्त स्थिति को अपने प्रभाव में रखता है। आता जब हम उसे सिटी का अनुभव करते हैं तो यह संगठन या संरचना हमारे अनुभवों के अंतर्गत सम्मिलित हो जाती है तत्पश्चात हमारा ध्यान विवरण की ओर जाता है। यह संरचना हमारे अनुभव में उस स्थिति में स्थाई रूप से बनी रहती है जबकि विवरण में परिवर्तन होता रहता है अर्थात हम यह कह सकते हैं कि सीखना संबंधों का प्रत्यक्षीकरण या प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त करना ही होता है। (Vinay ias academy.com)
इसके अतिरिक्त लेविन के अधिगम के क्षेत्रीय सिद्धांत का मानना है कि सीखना या अधिगम एक प्रकार की सापेक्षिक प्रक्रिया है तथा इस प्रक्रिया के माध्यम से ही अधिगमकर्ता या सीखने वाला अपनी नई तथा पुरानी सूर्या अंतर्दृष्टि में परिवर्तन लाता है। यश जीवन के संज्ञानात्मक संरचना में परिवर्तन के परिणाम स्वरूप विकसित होने वाली अंतर्दृष्टि या सूझ को ही अधिगम या सीखना मानता है। फ्लेमिंग के सिद्धांत का परिचय हमें लिविंग की दो पुस्तकों के माध्यम से मिलता है इन दो पुस्तकों के अंतर्गत लेविन के स्थान(Topology) तथा सदिश(vector) पर किए गए विभिन्न प्रयोगों की विशुद्ध व्याख्या शामिल है। इसी कारण से लेविन के इस सिद्धांत को”Topological and Vector Theory” के नाम से भी जाना जाता है|(Vinay ias academy.com)
लेविन के इस सिद्धांत से संबंधित संप्रत्यय-

स्थान या संस्थिति(Topology)- इस प्रत्यय का संबंध ज्यमिति से होता है तथा इसके अंतर्गत ज्यामितिक संरचनाओं के पारस्परिक संबंधों का अध्ययन किया जाता है। अन्य शब्दों में संस्थिति ज्यामिति के उस भाग को कहते हैं जो कि उन तत्वों की खोज या पता लगाता है जो निरंतर परिवर्तन के समय में भी और परिवर्तनशील रहते हैं।

सदिश(Vector)- लेविन द्वारा सदिश शब्द को यांत्रिक विज्ञान तथा गणित विषयों से लिया गया है। सदस्य अभिप्राय उच्च गति से होता है जो कि व्यक्ति को अपेक्षित दिशा की ओर ले जाती है। सदिश के अंतर्गत परिणाम तथा दिशा दोनों ही सम्मिलित होते हैं। सदिश बल का प्रतिनिधित्व करता है यह किसी उद्देश्य या उसकी विपरीत दिशा में गतिशील होता है। जब व्यक्ति एक दिशा की ओर बढ़ता है तो सदिश को अनेक प्रकार के अवरोधों का सामना करना पड़ता है यदि सदिश कमजोर होता है तो ऐसी स्थिति में अवरोध दूर नहीं होते तथा व्यक्ति के नैराश्य(frustration) की उत्पत्ति हो जाती है|
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अवरोधक(Barrier)- यह गति को अवरुद्ध करता है ।लेविन का मानना है कि अवरोधक का वातावरण का गत्यात्मक अंग होता है। यह किसी भी व्यक्ति के उद्देश्य या लक्ष्य तक पहुंचने के मार्ग में बाधा पहुंचाता है। अवरोध सदिश के कारण दूर होते हैं यदि सदिश कमजोर है तो सदिश दूर नहीं होते। लेविन के अनुसार अवरोधक प्रकार के होते हैं१. पारगम्य २. अपारगम्य

कर्षण(Valence)- विभेदीकरण के नियम के अनुसार व्यक्ति वातावरण में रहकर वातावरण में पाई जाने वाली विभिन्न वस्तुओं में विभेद या अंतर करना सीखता है। वह जिनवस्तुओं को पसंद करता है, उनके प्रति आकर्षित होता है। ऐसी वस्तुएं जिनकी और आकर्षित होती हैं वे वस्तुएं उस व्यक्ति के लिए धनात्मक कर्षन शक्ति रखती है तथा बेतिया जीव जिन वस्तुओं को पसंद नहीं करता है तो ऐसी वस्तु में उस व्यक्ति या जीव के लिए ऋणात्मक कर्षन शक्ति रखती है।(Vinayiasacadwmy.com)

जीवन क्षेत्र(Life space)- जीवन क्षेत्र से अभिप्राय होता है – विभिन्न प्रकार के बलों या शक्तियों का वह क्षेत्र जिसमें रहकर व्यक्ति क्रिया या प्रतिक्रिया करता है। इसके साथ साथ क्षेत्र के अंतर्गत उन सभी बातों को भी शामिल किया जाता है जो वातावरण में विद्यमान होती हैं। जीवन क्षेत्र एक मनोवैज्ञानिक क्षेत्र हैं। जिसमें ऐसे तत्वों की योग्यता शामिल है जो विभिन्न प्रकार के व्यवहारों का निर्धारण करती है।

व्यवहार(Behaviour)- लेविन का मानना है कि व्यवहार वर्तमान जीवन क्षेत्र का परिणाम है। लेविन ने इस बात पर अत्यधिक बल दिया है कि व्यवहार वर्तमान जीवन क्षेत्र पर आधारित है न कि भूत भविष्य के जीवन क्षेत्रत्र पर । लेविन ने इसे निम्न सूत्र के रूप में व्यक्त किया है-
B=F(P×E)
इस सूत्र के अनुसार
B= व्यवहार(Behaviour)
F= का परिणाम(The functional of)
P= मनोवैज्ञानिक व्यक्ति(Psychological person)
E= मनोवैज्ञानिक वातावरण(Psychological environment)

द्वंद या संघर्ष(Conflict)- लेविन के अनुसार व्यक्ति के जीवन में कई क्षेत्र ऐसे होते हैं जिनमें एक ही समय में विभिन्न प्रकार के कर्षण सक्रिय होते हैं। यह क्षेत्र ही जीवन क्षेत्र कहलाते हैं मनुष्य के जीवन में अनेक प्रकार के उपक्षेत्र होते हैं तथा इन क्षेत्रों की अपनी अपनी शक्ति होती है। जब कभी व्यक्ति के जीवन में इन दो या अधिक क्षेत्रों में एक ही समय में समान शक्ति उत्पन्न हो जाती है तो व्यक्ति मैं द्वंद या संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
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गति(Locomotion)- लेविन ने अपने सिद्धांत में गति को भी काफी महत्व प्रदान किया है इनका मानना है कि व्यक्ति तथा वातावरण के बीच संतुलन होना जरूरी है तथा जब यह संतुलन की स्थिति बिगड़ जाती है तो व्यक्ति में तनाव उत्पन्न हो जाता है तथा तनाव के कारण गति उत्पन्न होती है और गति का मुख्य उद्देश्य इस तनाव से मुक्ति प्राप्त करना होता है| गति के कारण ही लक्ष्य की प्राप्ति होती है तथा फिर दोबारा यह पुनः संतुलन स्थापित हो जाता है| अतः कहा जा सकता है कि गति एक प्रकार की निर्देशित पत्रिका होती है जिसका मुख्य उद्देश्य संतुलन को प्राप्त करना होता है|
लेविन के क्षेत्रवाद या क्षेत्र सिद्धांत का अधिगम में प्रयोग(Use of Lewins field theory in learning)

लेविन के सिद्धांत के अनुसार अधिगम जीवन क्षेत्र को अंतर करने की प्रक्रिया है तथा यही विभेदीकरण की क्रिया मानव के जीवन क्षेत्र को छोटे-छोटे क्षेत्रों में विभाजित करती है|

व्यक्ति की समस्यात्मक स्थिति जीवन क्षेत्र के अंतर्गत असंरचित क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करती है और इसी के अंतर्गत व्यक्ति अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है, परंतु इसके संरक्षित हो जाने के फलस्वरूप व्यक्ति की समस्या का समाधान हो जाता है।

लेविन का मानना है कि सीखने वाला व्यक्ति पुरस्कार प्राप्त करने के लिए तथा अपने उद्देश्य को प्राप्त करने हेतु छोटा रास्ता अपनाता है। उदाहरण के लिए अधिक पैसा कमाने के लिए लॉटरी में पैसा लगाना आदि। दंड की स्थिति में व्यक्ति उस परिस्थिति का त्याग कर सकता है क्योंकि दंड कष्टकारी होता है।

लेविन के अनुसार संज्ञानात्मक संरचना मैं परिवर्तन या बदलाव पुनरावृति के कारण ही संभव हो सकता है। संज्ञानात्मक संरचना में परिवर्तन होना जरूरी भी है। किसी भी समस्या को भलीभांति व्यवस्थित करने पर व्यक्तिमें अंतर्दृष्टि या सूझ उत्पन्न होती है किसी भी प्रकार की क्रिया को दोहराने की प्रक्रिया हमारी संज्ञानात्मक संरचना तथा आवश्यकता के कारण उत्पन्न तनाव में परिवर्तन लाती है तथा जिसके फलस्वरूप हमारे लक्ष्य की आकर्षण शक्ति में परिवर्तन होने लगता है।


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