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लिंगानुपात के महत्वपूर्ण तथ्य

प्रत्येक हजार पुरुषों पर महिलाओं की संख्या के रूप में लिंगानुपात को परिभाषित किया जाता है। लिंगानुपात एक समय विशेष व पुरुषों एवं महिलाओं के बीच सहभागिता का एक महत्वपूर्ण सामाजिक संकेतक है। इस को प्रभावित करने वाले कारकों में मुख्य रूप से मृत्यु दर में विभेद, लिंग चयन प्रवास, जन्म पर लिंगानुपात और जनसंख्या परिगणना में लिंग विभेद है। भारत संख्या और देशों की अपेक्षा ज्यादा असामान है। प्रकृति के कानून ने स्वयं जन्म पर प्रतिकूल लिंगानुपात को स्थापित किया सामान्यतः प्रति 1000 पुरुषों पर 943 से 952 महिला जन्मी है ज्योति औसत रूप से प्रति हजार पुरुषों पर लगभग 50 महिलाओं की कमी की ओर संकेत करता है। 2001 में हुई पिछली जनगणना से राष्ट्रीय लिंगानुपात में 7 अंक की वृद्धि हुई है। स्वतंत्रता पूर्व समय में लिंगानुपात 1951 तक निरंतर गिरता रहा। स्वतंत्रता के पश्चात भी जारी रहा 1961 से 71 के दौरान लिंगानुपात में 11 बिंदुओं भारत में लिंगानुपात की तीन गिरावट देखी गई। देश में लिंगानुपात जो 2001 की जनगणना में 933 था जनगणना वर्ष 2011 में बढ़कर 943 हो गया है ग्रामीण क्षेत्रों में या 946 से बढ़कर 949 हो गया है।


केरल में कुल जनसंख्या ग्रामीण जनसंख्या और शहरी जनसंख्या के संदर्भ में उच्चतम लिंगानुपात है। केरल में लिंगानुपात सर्वाधिक रहता है यह एकमात्र ऐसा राज्य है जहां महिलाओं की संख्या अधिक है। पंजाब हरियाणा और दिल्ली में लिंगानुपात में सुधार तो हुआ है लेकिन यह भी हजार पुरुषों पर 900 महिलाओं से कम है। पंजाब और हरियाणा के 10 जिलों में सबसे कम लिंगानुपात 754 से 784 के मध्य हैं। भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है जिसमें विविधता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है इसके साथ ही अपने आप को बदलते समय के साथ बदलता जा रहा है आजादी पाने के बाद भारत ने बहुत सारे सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में प्रगति की है जिसके बाद भारत कृषि में आत्मनिर्भर बन चुका है। सामाजिक और आर्थिक विशेषताओं का एक महत्वपूर्ण सूचक जनसंख्या की संरचना को लोगों के निवास के स्थान के आधार पर किया गया वितरण है। आजादी के बाद से पहली बार जनसंख्या में पूर्ण वृद्धि शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक है। अधिकांश भारतीयों के सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख कारणों में से एक प्रमुख कारण धर्म है वस्तुतः धर्म लोगों के परिवार और समुदाय के जीवन के लोगों सभी पहलुओं में व्याप्त है। पिछले दशक में विभिन्न धर्मों की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई है। हाल ही में नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जन्म के समय लिंगानुपात 2012 से 14 के बीच 906 से घटकर 2013 से 15 में 900 हो गया था।


कम लिंगानुपात को बढ़ावा देने वाले तरीके
1970 के दशक तक कन्या शिशु वध फीमेल चाइल्ड को मारने का प्रचलित तरीका था।

  • 70 के दशक में अनुवांशिक असा मान्यताओं का पता लगाने में प्रयुक्त की जाने वाली अन्य सेंटेंसेस तकनीक तथा अल्ट्रासाउंड प्रौद्योगिकी का भ्रूण के लिंग निर्धारण में प्रयोग किया जाने लगा ।
    लिंग चयन की सुविधाओं के पल्ले खुलने के बाद लोग गर्भपात के विकल्प का धड़ल्ले से प्रयोग करने लगे
    लिंगानुपात को संतुलित करने के लिए किए गए सरकारी प्रयास
    घटते लिंगानुपात की रोकथाम हेतु 1994 में सरकार ने प्रसव पूर्व निदान तकनीक अधिनियम लागू किया जिसके तहत माता-पिता को भ्रूण के लिंग संबंधी जानकारी देने पर स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की कड़ी सजा और आर्थिक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
    भारत में लिंगानुपात में जारी गिरावट दर्शाती है कि यह कानून अपने उद्देश्यों को पाने में विफल रहा है।

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