Q. भारत में सूचना का अधिकार क्या है? अनुच्छेद 19 के दायरे में समझाइए# सूचना का अधिकार 2005 के प्रमुख तत्वों को बताते हुए यह लिखें की क्या सूचना का अधिकार जरूरी है?
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- सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19 के दायरे में आता है अनुच्छेद 19 के एक में यह बताया गया है कि प्रत्येक व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने कई निर्णय में यह बताया है कि सूचना का अधिकार अनुच्छेद 19 के एक क के अंतर्गत ही माना जाएगा 1990 के दशक में कई आंदोलन शुरू किया गया जिसमें ऑफिसियल सीक्रेट एक्ट को और अधिक पारदर्शिता बनाना और अधिक जवाबदेही करना और अधिक उत्तरदायित्व करना मांग की गई थी लेकिन यह मुख्य चर्चा में तब आया जब अरुणा रॉय जो किसान शक्ति संगठन राजस्थान में कार्यरत तथा दिल्ली की परिवर्तन संस्था और अन्ना हजारे सामाजिक कार्यकर्ता, उसी प्रकार से चेतना आंदोलन जो गढ़वाल क्षेत्र में चलाया जा रहा था एवं भारत के कई नागरिकों ने राष्ट्रीय स्तर पर इसकी मांग करनी शुरू कर दी। जैसे-जैसे मांग बढ़ती गई वैसे-वैसे या अभियान में परिवर्तन हो गया
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- 1997 में एचडी शौरी के नेतृत्व में एक सूचना के अधिकार को लेकर कमेटी बनी इसके पहले 2003 में एक स्वतंत्रता अधिनियम सूचना के अधिकार को लेकर पारित हो चुका था 2004 में पुनः से प्रस्तुत किया गया 2005 में यह संसद से पारित हो गया इसलिए इसे सूचना का अधिकार 2005 अधिनियम के नाम से जाना जाता है

- सूचना का अधिकार 2005 का अधिनियम क्या है? बिंदुवार तरीके से बताइए- सूचना के अधिकार को अनुच्छेद 19 एक में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में शामिल कर लिया गया है जो कि सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने पूर्व के निर्णय में ऐसा कहा था लेकिन विशेष परिस्थिति में सूचना का खुलासा नहीं भी किया जा सकता है केंद्र सरकार चाहे या राज्य सरकार चाहे या पंचायती राज संस्था प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से गैर सरकारी संगठन भी अगर चाहे तो सूचना के अधिकार में शामिल चीजों को इस आधार पर रोक सकते हैं कि इससे समस्या बढ़ जाएगी किसी भी व्यक्ति को इस कानून के तहत लिखित रूप में या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से जन सूचना अधिकारी ,राज्य जन सूचना अधिकारी ,आवेदन पत्र के साथ सूचना देंगे इसके लिए सिर्फ ₹10 ही जमा करना पड़ता है नियम यह है कि 30 दिन के अंदर सूचना दे दिया जाएगा अगर 30 दिन के अंदर सूचना नहीं दिया जाता है तो तो फिर नोटिस दी जाएगी हालांकि इसमें यह भी व्यवस्था है कि अगर सूचना मांगने वाला सही व्यक्ति नहीं है यह एक प्रकार का ब्लैकमेलर है पूर्व में उसके खिलाफ कई मुकदमे चल रहे हैं तो आवेदन को अस्वीकार किया जा सकता है, अगर सूचना किसी व्यक्ति के जीवन से संबंधित होगी तो आवेदन मिलने पर 48 घंटे के भीतर की जानकारी दे देनी हो, सूचना का आधार सभी नागरिकों को प्राप्त होगा केंद्रीय जन सूचना अधिकारी या राज्य सूचना अधिकारी पद नाम से यह सूचना मांगी जाएगी शुल्क देकर के लिखित अनुरोध किया जाएगा सामान्य मामले में 30 दिन तक लेकिन विशेष मामले में 48 घंटा के अंदर सूचना मिल जाएगी अगर मामला भारत की संप्रभुता से जुड़ा ,भारत का सुरक्षा या एकता अखंडता वैज्ञानिक और आर्थिक हित को प्रभावित करने वाला हो, गुप्त सूचना मांगी जा रही हो तो ऐसे में सूचना का अधिकार नियम लागू नहीं होगा, अगर किसी व्यक्ति के कॉपीराइट का उल्लंघन होता है तो इस अवस्था में भी सूचना नहीं दी जाएगी इसमें तीसरे पक्ष के अनुरोध पर भी एक विचार करने के लिए समिति बनाई जाएगी और उसके लिए भी सूचना दी जाएगी केंद्र और राज्य सरकार को इसमें शक्ति प्रदान की है की गई है लेकिन सूचना के अधिकार का संरक्षण और किया नमन का अधिकार सूचना आयोग द्वारा ही होगा केंद्रीय सूचना आयोग सूचना आयोग जिसके लिए चिट्ठी भेजी गई है उसके लिए अधिकतम ₹25000 या ₹250 प्रतिदिन सेवा नियमों के तहत अनुशासनिक कार्यवाही भी की जा सकती है न्यायालय में शिकायत किया जाता है अपील के सभी चीजें न्यायालय के क्षेत्राधिकार से अलग रखें
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