मोहम्मद गौरी की हत्या के बाद कुतुबुद्दीन ऐबक 1206-1211तक इस राज्य को गौरी सम्राज्य से अलग कर एक नई साम्राज्य गुलाम वंश की स्थापना करता है इस तरह से शुरुआत होती है दिल्ली सल्तनत की।गुलाम वंश के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक थे उनके बेटे इल्तुतमिश की बेटी रजिया सुल्तान को पहली मुस्लिम शासिका बनी थी। लाहौर को अपनी राजधानी बनाया, कुतुबमीनार का नाम ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार एक सूफी संत के नाम से कुतुबमीनार का निर्माण करवाया था जिसका नाम आज भी कुतुबमीनार है।दक्षिण बिहार पर,कुतुबुद्दीन ऐबक के सेनापति बख्तियार खिलजी ने नालंदा और विक्रमशिता विश्वविद्यालय को नष्ट कर खून- खराबा किया।इसके बाद बख्तियार खिलजी ने झारखंड से होते हुए बंगाल राजा लक्ष्मण सेन की राजधानी “नादिया”पर आक्रमण किया।कुतुबुद्दीन ऐबक “पोलो”खेलते वक्त घोड़े से गिरकर उनकी मृत्यु हो जाती है। इसके बाद इल्लतुतमिश ने 1211-1236 तक शासन किया और भारत की राजधानी लाहौर को दिल्ली कर देता है।

इसने 40 तुर्क सरदारों का गठन किया। उनकी मृत्यु के बाद उनके बेटे राजगद्दी के लायक नहीं थे तो अपनी बेटी रजिया सुल्तान शासिका का बना देते हैं।रजिया सुल्तान ने पर्दा प्रथा को समाप्त कर दिया लेकिन और 40 तुर्क सरदारों ने (गुलाम वंश) रजिया सुल्तान की मृत्यु के बाद उनके भाइयों ने शासन किया लेकिन कर नहीं पाए।गुलाम सरदारों से एक सरदार बलबन आते हैं जो गुलाम उनकी सता हथिया लेते हैं।1246-1287तक राज्य किया।

लेकिन गुलाम वंश ने एक 84 साल तक शासन किया जिसमें झारखंड में तीन नागवंशी राजा हुए थे संगठन नहीं चाहते थे। इसका प्रभाव नहीं पड़ा झारखंड में।सिंहवंश की स्थापना होती है जो पश्चिम भारत से आए सिंह राजवंशी राजपूत राठौर शासन करते थे और दो बार स्थापित करे सिंहभूम में इस प्रकार गुलाम वंश के शासक इल्तुतमिश और बलबन हस्तक्षेप करने का प्रभाव किया लेकिन नागवंशी शासक हरिकण इसके प्रयत्न को विफल कर दिया।