अल्बर्ट एक्का:-
- 1971 के भारत-पाक युद्ध में अहम भूमिका निभाई।
- यह थल सेना के “ब्रिगेड ऑफ द गॉडस्”के लांस नायक थे।
- इनका जन्म गुमला जिले के जरी गांव में 27 दिसंबर 1942 को आदिवासी ईसाई परिवार में हुआ था।
- इन्हें मरणोपरांत सरकार द्वारा परमवीर चक्र की उपाधि दी गई।
भूषण सिंह:-
- भूषण सिंह चेरो जनजाति के थे इस वंश के सबसे प्रसिद्ध राजा मेदिनी राय थे।
- इस समय चेरों वंश (1880) के राजा चुड़ामन राय थे।
- इन्होंने 1880 में चेरो विद्रोह किया तथा इसका नेतृत्व जमींदार भूषण सिंह ने किया था।
- 1802 इसे में अंग्रेजों द्वारा इन्हें फांसी दे दी गई।
अर्जुन सिंह:-
- 1857 ई० के पोरहट के राजा थे इन्होंने कैप्टन बश् का विरोध किया था।
- 1859 में इन्होंने कैप्टन डाल्टन के सामने आत्मसमर्पण किया ।
- इन्हें बनारस में बंदी बनाकर रखा जहां 1870 में उनकी मृत्यु हो गई।
दिवा किशुन :-
- जन्म – वर्ष 1820 में हुआ (पश्चिम सिंहभूम के राजनगर थाना अंतर्गत मातकोम बेड़ा गांव) किशन सोरेन का जन्म राजनगर थाना क्षेत्र में गुमिदपुर में हुआ था।
- किसुन सोरेन व दीवा सोरेन रिश्ते में मामा भांजे थे ।
- उस समय पोरहट के राजा अभिराम सिंह थे, 1872 ईसवी में दिवा-किसुन जिनके नेतृत्व में विद्रोह आरंभ हुआ।
- ब्रिटिश प्रशासन के सैनिकों द्वारा इन्हें गिरफ्तार किया गया तथा सरायकेला में फांसी दे दी गई।

शरत चंद्र राय :-
- यह भारत के पहले मानव निरविज्ञानी थे। इन्होंने “मैन इन इंडिया” नामक संस्था की स्थापना की ।
- जन्म- 1871 ( करपाड़ा ,खुलना जिला, पूर्वी बंगाल )
- मुख्य पुस्तके- मुंडाज एंड दर कंट्री (1912), उराँव ऑफ छोटा नागपुर (1915),बिरहोर (1925), रांची डिस्टिक गैजेटियर (1917) में विशेष योगदान ।
- मृत्यु -1942 (रांची)
रानी सर्वेश्वरी:-
- सन् 1758 में इनके पति गर्जन सिंह के देहांत के बाद इन्होंने संथाल परगना के महेशपुर की बागडोर संभाली ।
- 1781-82 में कुछ अन्य पहाड़ियों सरदारों के साथ मिलकर कंपनी शासन के खिलाफ विद्रोह किया ।
- 1783 ई० में 6 मई को उनके पद से वंचित कर दिया गया और राजा के भतीजे माकुम सिंह को दे दी गई।
- 6 मई 1807 को भागलपुर जेल में इनके मृत्यु होकर
गया मुंडा:-
- जन्म – खूंटी जिला, मुरहू प्रखंड, एटकेडीह गांव यह बिरसा मुंडा के सेनानायक थे (उस वक्त बिरसा मुंडा के नेतृत्व में अबुआ दिसुम (अपना देश) का आंदोलन हुआ था।
- 6 जनवरी 1900 में इन्हें गिरफ्तार किया गया तथा बाद में फांसी दे दी गई।
फादर जॉन बापटिस्ट हॉफमैन:-
- जन्म – 21 जून 1857
- यह जर्मन यीशु समाजी पुरोहित थे ।
- भूमि कानून सुधार के संरक्षण में इन्होंने पहला एवं निर्णायक कदम उठाया था, जो आज भी भारत में लागू है।
- इन्होंने कोलकाता के संत जेवियर कॉलेज में पढ़ाया बाद में रांची में भी पढ़ाया वह पर वह असफल रहे ।
- 1909 में “कैथोलिक सहकारी सोसायटी” की स्थापना की।
- उन्होंने ग्रामीण स्तर पर मासिक बैठक में यह निर्णय लिया जिसमें ऋण किससे लिया जा सकता है यह सुनिश्चित करते थे , 1913 में एक सहकारी स्टोर खोला गया था यह दोनों पहल सफल रही ।
- इन्होंने “मुंडा ग्रामर” और “इनसाइक्लोपीडिया मुंडारीका” भी तैयार की थी ।
- इनकी मृत्यु 19 नवंबर 1928 को हो गई ।

सिनगी दई व कईली दई:-
- दई का अर्थ होता है दीदी। यह शब्द आग्नेय भाषा से निकली है।
- 400 वर्ष पूर्व इन दोनों महिलाओं ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह में शौर्य प्रदर्शन किया था।
- इनके नेतृत्व में महिलाओं ने पुरुष वेश में विद्रोह किया था।
- इस युद्ध के याद में हर 12 वर्ष में ‘जनी शिकार’ का आयोजन किया जाता है
डॉ दिनेश्वर प्रसाद:-
- आलोचक तथा लोक संस्कृति के मर्मज्ञ थे।
- पुस्तके- लोक साहित्य और संस्कृति , ऑन मुंडारी पोयटरी चर्चित पुस्तकें रही।
- डॉक्टर कामिल बुल्के के साथ इन्होंने अंग्रेजी हिंदी कोश तैयार किया।
डॉक्टर कुमार सुरेश सिंह (1935 से 2006) :-
- पेशा- भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी व मानव विज्ञान सर्वेक्षण के महानिदेशक के रूप में कार्य किया।
- पीपुल्स ऑफ इंडिया सर्वेक्षण के संपादक के रूप में जाना जाता है ।
- चर्चित पुस्तकें- फेमिन इन इंडिया ,कॉलोनियल ट्रांसफॉर्मेशन ऑफ ट्राइबल सोसाइटी इन मिडिल इंडिया
नागरमल मोदी :-
- स्वतंत्रता सेनानी व समाज सुधारक थे।
- इन्होंने झारखंड में स्वदेशी आंदोलन तथा मारवाड़ी समाज में आधुनिक शिक्षा का प्रचार प्रसार करने वाले प्रथम व्यक्ति थे ।
- उन्होंने बाल विधवाओं के कल्याण के लिए कई संस्थाएं स्थापित किया।

केदारनाथ साहू:-
- यह छऊ नृत्य के विश्व प्रसिद्ध नृतक थे ।
- इन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से नवाजा गया है।
- निधन – 8 अक्टूबर 2008
पंडित रघुनाथ मुरमू (5 मई 1905 से 1 फरवरी 1982) :-
- संताली भाषा की लिपि “ओलचिकी” (1941) में तैयार की।
- इनका जन्म उड़ीसा के मयूरभंज में हुआ था। यह विचारक,लेखक, दार्शनिक व नाटककार थे। प्रमुख पुस्तकें- बिंदु चंदन , खरगोश वीर, दरेज धन, सिद्धू कान्हू आदि।
- इनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पंडित की उपाधि दी गई।
राधा कृष्ण :-
- पेशा- साहित्यकार
- घोष-बोस- बनर्जी-चटर्जी उपनाम के हास्य व्यंग लिखी।
- आदिवासी पत्रिका का संपादन किया (1947 से 1970)
- हिंदी के अलावा नागपुरी में भी लेखन किया।
सुरेंद्र नारायण सिंह देव:-
- पेशा- छऊ नृत्य (सरायकेला शैली, नर्तक व नृत्य निर्देशक थे )
- पुरस्कार- संगीत कला अकादमी पुरस्कार
- छऊ नृत्य विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बालकृष्ण सहाय:-
- पेशा -प्रसिद्ध समाज सुधारक, पत्रकार व लेखक
- 1898-1905 तक रांची से झारखंड का पहला साप्ताहिक “आर्यावर्त” का प्रकाशन हुआ था।
पी.एन.बोस:-
- भूगर्भ शास्त्र थे । इनके ही शोध के निष्कर्ष पर जमशेदपुर में टाटा ने 1907 में साकची में टिस्को कंपनी की स्थापना की।
- उन्होंने सर्वप्रथम मयूरभंज के गौर महिषानी लोहा का खान का पता लगाया था।
सखाराम गणेश देउस्कर:-
- यह क्रांतिकारी लेखन एवं पत्रकारिता से प्रसिद्ध हुए।
- जन्म – 17 दिसंबर 1869 (करौं, देवघर)
- बाल गंगाधर तिलक इन्हें अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
- 1904 के स्वदेशी आंदोलन में इनका प्रमुख योगदान रहा ।
- उन्होंने “हितवाद” पत्र का संपादन किया ।
- चर्चित पुस्तकें- तिलकेर मुकदमा, दशेरड कोथा, एटा कोन जुग आदि (अंग्रेजों द्वारा जब्त किया गया).
- निधन- 23 नवंबर 1912
प्रदीप चंद्र साहू एवं चेतना साहू:-
- उपनाम – प्रदीप चंद्र साहू को “पहाड़ चढ़ो साहू” के नाम से जाना जाता है ।
- टाटा स्टील के नोवामुंडी माइंड डिवीजन के पूर्व अधिकारी प्रदीप चंद्र व पत्नी चेतना साहू ने एवरेस्ट पर 19 मई 2016 को झंडा फहराकर राज्य का नाम रोशन किया।
सिमोन उरांव:-

- पद्मश्री- इन्हें जल संरक्षण एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। नारा- आदमी बनना है तो जमीन से लड़ो।
- सिंचाई के लिए नहर का निर्माण – विदेशी तकनीक से पहला गाय घाट बांध तथा देशवाली बांध का निर्माण ।
अशोक भगत:-
- पुरस्कार – जल प्रबंधन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा गया। “विकास भारती” नामक एनजीओ के सचिव है।
- बोरा बांध योजना की शुरुआत की जो ग्रामीण क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
रामदयाल मुंड(23 अगस्त 1939 से 30 सितंबर 2011) :-
- प्रसिद्ध – शिक्षाविद ,समाजवाद ,संस्कृति वाद के अग्रणी नेता के रूप में प्रसिद्ध ।
- सम्मान – पद्मश्री एवं संगीत नाटक अकादमी सम्मान।
पीतांबर सोरेन:-
- यह संथाली साहित्यकार , सिने अभिनेता, स्टोरीराइटर के रूप में जाने जाते हैं।
- पुरस्कार – आईसफा व रास्का फिल्म फेस्टिवल पुरस्कार से सम्मानित, 2014 में ‘आमी दुलाड’ फिल्म को अवार्ड मिला( बेस्ट संथाली फिल्म) निधन -1 अगस्त 2015
बलबीर दत्त:-
- जन्म -1935 (रावलपिंडी)
- पेशा- पत्रकार
- पुरस्कार- झारखंड सारस्वत सेवा हीरक सम्मान, क्रांतिकारी पत्रकारिता पुरस्कार, झारखंड एक्सीलेंस अवार्ड, साईनाथ हीरक सम्मान, राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार (2008),झारखंड गौरव सम्मान (2009), पत्रकारिता शिखर सम्मान (2011), लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड (झारखंड सरकार) 2011,पद्मश्री सम्मान भारत सरकार द्वारा (2017)
मुकुंद नायक:-
- जन्म- 15 अक्टूबर 1949 (सिमडेगा ,झारखंड)
- पेशा- लोक गायक , गीतकार और नर्तक।