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  • लोकसभा भारतीय संसद के निम्न सदन को लोकसभा कहा जाता है जो भारतीय संसद का प्रथम सदन है ।
  • लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन प्रत्यक्ष विधि द्वारा किया जाता है-
  • लोकसभा में सदस्यों की कुल संख्या 552 है जिसमें राज्यों से निर्वाचित सदस्यों की संख्या 530 है।
  • राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत सदस्यों की संख्या 2 है।
  • संघ शासित राज्य क्षेत्र के सदस्यों की संख्या 20 है।
  • वर्तमान में लोकसभा सदस्यों की संख्या 545 है।
  • 91वे संविधान संशोधन अधिनियम के तहत 2001 में राज्यसभा एवं लोकसभा में सदस्यों की संख्या की गणना 1971 ईस्वी के आधार पर निश्चित की गई थी जो 2026 तक बनी रहेगी। लोकसभा के सदस्यों का निर्वाचन निम्न तरीकों से किया जाता है –
  • गुप्त मतदान द्वारा- जिसमें लोकसभा के सदस्यों का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा किया जाता है जिसका आधार 18 वर्ष होता है।
  • वयस्क मताधिकार -अनुच्छेद 326 के अनुसार राज्य के प्रतिनिधियों का निर्वाचन वयस्क मताधिकार के आधार पर राज्य के जनता द्वारा किया जाता है।
  • लोकसभा का अधिवेशन साल भर में कम से कम 2 बार होना चाहिए एवं अंतिम अधिवेशन तथा आने वाले अधिवेशन के लिए तिथि के बीच अधिक से अधिक छह माह का अंतर होना चाहिए उससे ज्यादा नहीं होना चाहिए।
  • संयुक्त निर्वाचन प्रणाली- अनुच्छेद 340, 341 एवं 342 के तहत अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को छोड़कर किसी अन्य वर्गों के लिए लोकसभा में कोई आरक्षण नहीं दिया गया है।
  • 61 वें संविधान संशोधन 1989 के अंतर्गत भारत में 18 वर्ष की आयु वाले व्यक्ति को वयस्क माना गया है।
  • लोकसभा सदस्यों की योग्यताएं –
  • भारत का नागरिक होना चाहिए ।
  • उसकी आयु कम से कम 25 वर्ष होनी चाहिए। वह पागल तथा दिवालिया ना हो ।
  • भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्यरत ना हो । लोकसभा का कार्यकाल संविधान संशोधन के अनुसार लोकसभा के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष किया गया है।
  • अनुच्छेद 13 के अनुसार कार्यकाल की अवधि को 1 वर्ष से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। 1973 में लोकसभा का कार्यकाल को दो बार 1 वर्ष के लिए बनाया गया था ।
  • प्रधानमंत्री के परामर्श पर राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को समय से पूर्व भी भंग किया जा सकता है, ऐसा भारत में अब तक 8 बार हो चुका है ।
  • लोकसभा के कार्य एवं शक्तियां –
  • भारत में लोकसभा को सबसे अधिक शक्तियां दी गई है भारत की लोकसभा अमेरिका के प्रथम प्रतिनिधि सदन है ।
  • संसद के लोकसभा के प्रति कार्यपालिका उत्तरदाई रहती है ।

वित्तीय शक्तियां-

  • लोकसभा को भारतीय संघ के वित्त पर पूरा नियंत्रण प्राप्त है वही वार्षिक बजट पास करती है तथा सभी प्रकार के खर्चे की अनुमति प्रदान करती है।
  • लोकसभा में पास होने के बाद विधेयक राज्यसभा में भेजे जाते हैं एवं राज्यसभा को 14 दिन के अंदर ऐसे विधेयक को अपनी सिफारिश सहित वापस करना पड़ता है। यदि राज्यसभा सिफारिशों को वापस करें या लोकसभा को स्वीकार ना हो तो लोग सभा उस विधेयक को उसी रूप में राष्ट्रपति के पास भेजा जाता हैं।
  • पति की स्वीकृति मिलने के बाद भी यह विधेयक दोनों सदनों में पास हुआ समझा जाता है।
  • वैधानिक शक्तियां
  • संसद की वैधानिक शक्तियों का का प्रयोग लोकसभा करती है क्योकिं लोकसभा की इच्छा के विरुद्ध कोई भी कानून पास नहीं किया जा सकता है।
  • साधारण विधेयक को संसद के किसी भी सदन में प्रस्तुत किया जा सकता है परंतु सभी महत्वपूर्ण विधेयक को लोकसभा में प्रस्तुत किया जाता है ।
  • लोकसभा संघीय सूची एवं समवर्ती सूची में दिए गए विषयों में राज्यसभा के साथ मिलकर कानून बनाती है यदि वह संवैधानिक व्यवस्था फेल हो जाते हैं तो राज्य के लिए जाना है प्रस्तुत किया जा सकता है।
  • यदि राज्यसभा विधेयक को पास नहीं करता है या इस विधेयक पर कोई कार्यवाही नहीं होती है तो राष्ट्रपति पार्लियामेंट के दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाता है।
  • प्रधानमंत्री बहुमत वाले दल का नेता होने के कारण लोकसभा का नेता भी कहलाता है एवं यह संसदीय शासन प्रणाली के अंतर्गत लोकसभा के प्रति जिम्मेदार होता है।
  • वित्तीय विधायकों एवं बजट को सिर्फ लोकसभा में ही प्रस्तुत किया जाता है।
  • संसदीय शासन प्रणाली के अंतर्गत मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति जिम्मेवार होती है ।
  • लोकसभा के सदस्य एवं मंत्रियों एवं उनके कार्यों से संबंधित सवाल पूछ सकते हैं तथा संबंधित मंत्री को उन प्रश्न सवाल का जवाब देना पड़ता है।
  • मंत्रिपरिषद में अधिकांश सदस्य लोकसभा से लिए जाते हैं लोकसभा के अधिवेशन के दिनों में प्रतिदिन प्रश्नों के लिए एक घंटा सुनिश्चित होता है। जिसके अनुसार सदस्य मंत्रियों से प्रश्न पूछ कर उनका जवाब ले सकते हैं ।
  • बहस में भाग लेकर कार्यपालिका की नीतियों की आलोचना भी की जा सकती है और इसके कार्यपालिका को भी प्रभावित किया जा सकता है ।
  • लोकसभा में निंदा प्रस्ताव ,स्थगन प्रस्ताव एवं अविश्वास प्रस्ताव भी पास किया जाता है । निंदा प्रस्ताव के अंतर्गत यदि कोई लोकसभा निंदा प्रस्ताव पास कर देता है तो मंत्री परिषद को त्यागपत्र देना आवश्यक नहीं होता है ।
  • स्थगन प्रस्ताव पत्र के अंतर्गत यदि कोई भी सदस्य किसी सार्वजनिक महत्व वाले विषय पर बहस करने के लिए स्थगन प्रस्ताव पेश करते हैं तो ऐसे बहस में के समय मंत्रियों की आलोचना की जाती है ।
  • अविश्वास प्रस्ताव समस्त मंत्रिपरिषद के विरुद्ध पास किया जाता है तो ऐसी परिस्थिति में पूरी मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है ।
  • 8 नवंबर को 1990 में प्रधानमंत्री वीपी सिंह और 1999 में अटल बिहारी जी को विश्वास मत प्राप्त करने के लिए त्यागपत्र देना पड़ा था। विविध शक्तियां- लोकसभा एवं राज्यसभा के साथ मिलकर उपराष्ट्रपति का निर्वाचन करती है। लोकसभा अपने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव करती है।
  • लोकसभा के निर्वाचित सदस्य राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते है।
  • संसद के दोनों सदनों में से कोई भी राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग चला सकती है एवं यदि राज्यसभा महाभियोग लगाती है तो लोकसभा आरोपों की जांच करती है ।
  • उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए प्रस्ताव लोकसभा में नही बल्कि राज्यसभा में प्रस्तुत किया जाता है ।
  • राष्ट्रपति द्वारा संकट काल की घोषणा को 1 महीने के भीतर संसद में स्वीकार करना आवश्यक होता है अन्यथा 1 महीने के बाद यह घोषणा स्वयं ही समाप्त मान ली जाती है।

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