Q. सिंधु घाटी सभ्यता का उदय, विस्तार, सामाजिक एवं आर्थिक स्थितियों का संक्षिप्त वर्णन करें।
Ans:- विद्वानों के अनुसार सिंधु सभ्यता का उदय एवं क़र्मिक विस्तार भारत में हुआ।हड़प्पा सभ्यता प्राचीन सभ्यताओं में से एक था। 1921 में इस सभ्यता की खोज डॉ दयाराम साहनी और डॉक्टर राखाल दास बनर्जी ने किया था। हड़प्पा सभ्यता पंजाब के मोंटगोमरी और मोहनजोदड़ो सिंध के लरकाना जिले में स्थित है आज यह दोनों ही स्थल पाकिस्तान में है।सिंधु सभ्यता को प्राचीनता के आधार पर मिस्र, मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकक्ष माना जाता है।सिंधु सभ्यता में भवन निर्माण काफी उन्नत स्थिति पर थी यहां की ईंटों से आज भी नए भवनों का निर्माण किया जा सकता है।सिंधु सभ्यता के प्रमुख केंद्र के रूप में हड़प्पा नामक स्थल सामने आया और इसी के आधार पर सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहा जाता है। रेडियो कार्बन 14 पद्धति के अनुसार हड़प्पा सभ्यता की सर्वमान्य तिथि 2500 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व माना जाता है।हड़प्पा मोहनजोदड़ो के मकान बड़े हुआ करते थे।अत: इससे उस काल के भवन निर्माण कला का पता चलता था। वृहद स्नानागार मोहनजोदड़ो का सबसे प्रसिद्ध स्थल है इसके निर्माण में पक्की ईटीआर सूखे चूने का प्रयोग होता है।अनुमानत: इतने वृहत स्नानागार सार्वजनिक हुआ करते थे।हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त अवशेषों में टूटे हुए मटके, मिट्टी के बर्तन,तांबे और कासें की मूर्तियां दो पहिए का तांबा का रथ आदि अवशेष रावी नदी के किनारे मुल्तान जिले में प्राप्त हुए हैं.vinayiasacademy.com

मोहनजोदड़ो से प्राप्त अवशेषों में पक्की ईंटों से बना बुर्ज विशाल स्नानागार एक अन्नागार गाड़ी और घोड़ों के टेराकोटा नमूने दाढ़ी वाले पुरुष के चूना पत्थर से बनी मूर्ति इत्यादि प्राप्त हुए हैं सिंधी भाषा में मोहनजोदड़ो को मृतकों का टीला कहा गया है। हड़प्पा सभ्यता का विस्तार त्रिभुजाकार में उत्तर से दक्षिण लगभग 1100 किलोमीटर एवं पश्चिम में पूर्व 1600 किलोमीटर तक था इस सभ्यता का पूरा क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर है।(Vinay’s IAS academy)मिश्र मेसोपोटामिया की सभ्यता की तुलना में काफी छोटी है आर्यों के आगमन के पूर्व ही इस सभ्यता का उद्भव हो चुका था यह केवल नगरीय ही नहीं बल्कि ग्राम, कस्बा,नगर और बड़े ग्रामों की सभ्यता थी सिंधु सभ्यता के अवशेष सर्वप्रथम हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुए मगर इसके अलावा भी कई अन्य नगरों का विकास हो चुका था जिनके नाम कुछ इस प्रकार है: चांहुदडो,कोटदीजी,सुत्कागेन्डोर,लोथल, रोपड़,रंगपुर रोजदी, कालीबंगा, आलमगीरपुर आदि हड़प्पा एक विकसित नगर था।यहां मौजूद अधिकांश लोग शहरों में ही रहना पसंद करते थे शासकों के महल काफी सुंदर हुआ करते शासक वर्ग के लोग मनको तथा सोना चांदी का प्रयोग करते थे नगरों में लिपिकार, कलाकार, स्वर्णकार,शिल्पकार लोग भी रहते यहां मौजूद व्यापारिक वर्ग के लोग दूर-दूर तक व्यापार करने जाते थे इसी क्रम में दूसरी जगह से वस्तुओं का आदान प्रदान होता था हड़प्पा में दुर्ग प्रमुख रूप से पाया गया,यहां के दुर्ग में 6 कोठार प्राप्त हुए हैं जो ईटों के बने चबूतरो पर 2 पंक्तियों में बने हुए हैं इन कोठारो में लोग, खाद्यान्नों को एकत्रित करते थे खेतों को जोतने के लिए हल बैल का प्रयोग होता था मवेशियों को चराने के लिए बड़े-बड़े चारागाह हुआ करते थे साथ ही यात्रा के लिए इन्हीं बैलों को उपयोग में लाया जाता था जिसे बैलगाड़ी कहा जाता है.vinayiasacademy.com

हड़प्पा संस्कृति की खुदाई से कई चीजें प्राप्त हुई है अधिकतर चीजें पत्थर,शंख, तांबे,काशें,सोने चांदी की बनी हुई है,जिनमें मुख्य रुप से लाल कोटा पत्थर के नग्न पुरुष की प्रतिमा एवं कोटा पत्थर की नृत्य मुद्रा में एक पुरुष की प्रतिमा शामिल है।मोहनजोदड़ो से बने हुए सूती के कपड़े का टुकड़ा प्राप्त हुआ है उसके अलावा भी कई अन्य स्थानों पर कपड़े का साक्ष्य प्राप्त हुआ है अतः कहा जाता है कि इस समय बुनाई उद्योग विकसित था ऐसा प्रमाण मिलता है।कताई के लिए तत्वों का प्रयोग होता था एक स्थान से दूसरे स्थान जाने वाले सामानों को चिन्हित करने के लिए मोहरों का प्रयोग किया जाता था मोहरों की छाप को मुहर बंदी कहा जाता था।जिस समय हड़प्पा की सभ्यता का विकास भारत में हो रहा था उसी समय विश्व के अन्य सभ्यताएं भी फल फूल रहे थे मेसोपोटामिया हड़प्पा की समकालीन सभ्यता थी मेसोपोटामिया यूनानी का अर्थ दो नदियों के बीच का भाग यह दजला और फरात नदी के बीच स्थिति थी इसे कांस्य युगीन सभ्यता का उद्गम स्थल माना जाता है सैंधव निवासियों का विश्व के कई अन्य देशों के साथ भी व्यापारिक संबंध था।लोथल एवं अन्य नगरों से मेसोपोटामिया की विभिन्न वस्तुएं जैसे खानेदार, सेलखड़ी की बटन आदि मिली है। मेसोपोटामिया की खुदाई में हड़प्पा मूल का तांबे का श्रृंगारदान भी मिला है।फेयंन्स से निर्मित मनके चूड़ियां वाले और छोटे बर्तन मिले हैं भारत के नगरी सभ्यता के विकास का मुख्य कारण भी मेसोपोटामिया की सभ्यता को माना जाता है विद्वानों के अनुसार नगरी सभ्यता का विकास सर्वप्रथम मेसोपोटामिया के सुमेर में इसके बाद मिस्र में और अंत में भारत की सिंधु घाटी सभ्यता में हुआ। (Vinayiasacademy.com