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Q. असहयोग आंदोलन खत्म होने के तुरंत बाद कांग्रेस में क्या काम किया?

  • फरवरी 1924 ईस्वी में गांधी जी जेल से छूटे और उन्होंने रचनात्मक कार्यक्रम किया जो कांग्रेस के दो गुटों ने स्वीकार किया था। रचनात्मक कार्यक्रम के सबसे प्रमुख घटक थे खादी का प्रचार,हिंदू एकता को मजबूत बनाना और अस्पृश्यता को दूर करना।
  • कांग्रेस कमेटी के सदस्य के लिए यह अनिवार्य हो गया कि हाथों से काते तथा और बुने गए खद्दर का ही इस्तेमाल करें और महीने में 2000 गज सूट काते।
  • अखिल भारतीय खादी संगठन की स्थापना हुई, खादी भंडार खोलें और गांधीजी खादी को गरीबों की दरिद्रता से मुक्ति देने वाला और देश के आर्थिक उत्थान का साधन मानते थे।
  • आज इस आजादी के संघर्ष के संदेश को देखकर हर व्यक्ति विशेष कर देहाती क्षेत्रों में पहुंचाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • असहयोग आंदोलन वापस लेने के बाद कांग्रेस दो दलों में बँट गया।
  • असहयोग आंदोलन जब शुरू हुआ था विधान परिषद का बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया था जिसमें एक दल जिसका नेतृत्व चितरंजन दास, विट्ठलभाई पटेल एवं मोतीलाल नेहरू कर रहे थे वे चाहते थे कि कांग्रेस को चुनाव में भाग लेना चाहिए तथा परिषदों को उनके भीतर पहुंचकर तोड़ना चाहिए जबकि दूसरा दल इसके विरोधी थे जिसमें दूसरा दल जिसका नेतृत्व वल्लभभाई पटेल ,चक्रवर्ती राजगोपालाचारी और राजेंद्र प्रसाद कर रहे थे ।
  • इसमें अधिवेशन में परिषद में ना जाने के प्रस्ताव को अस्वीकार किया जिसके बाद 1923 ईस्वी में इस प्रस्ताव के समर्थकों ने कांग्रेस ‘अखिल स्वराज पार्टी’ की स्थापना की यह ‘स्वराज पार्टी’ के नाम से प्रसिद्ध हुई है।
  • अबुल कलाम आजाद की अध्यक्षता में दिल्ली में आयोजित अधिवेशन में कांग्रेस व राज्यों को चुनाव लड़ने की अनुमति दी मगर ब्रिटिश विरोधी भावनाओं को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • उन्होंने ब्रिटिश शासकों द्वारा प्रस्तुत उनकी नीतियों और प्रस्तावों के लिए परिषदों की अनुमति प्राप्त करना लगभग असंभव बना दिया था ।
  • 1928 ई० में विधान परिषद में एक ऐसा बिल पेश किया गया जिसके अंतर्गत यह कहा गया कि वे भारतीय जो आजादी के संघर्ष को समर्थन देने वाले किसी भी गैर भारतीयों को देश से निकाल सकती है परंतु यह बिल पास नहीं हुआ। सन 1930 में उन्हें राजनीतिक जन संघर्ष शुरू हुआ उसके बाद फिर से विधान परिषदों का बहिष्कार किया गया।
  • इसने देश की आम जनता को कांग्रेस के नजदीक पहुंचाया तथा आम आदमी का उद्धार करना कांग्रेस के कार्य का अनिवार्य अंग बन गया और चरखा आजादी के आंदोलन का प्रतीक बना।

Q. समाजवादी विचार भारत में कैसे फैले ? उनका स्वतंत्रता संग्राम पर क्या प्रभाव पड़ा?

  • समाजवादी विचारों तथा उन पर आधारित आंदोलन का लक्ष्य था पूंजीवादी व्यवस्था द्वारा निर्मित और समानता ओं को खत्म करना। समाजवादी आंदोलन अपने दृष्टिकोण में अंतर राष्ट्रीय वादी थे ।सभी देशों से आम लोगों और मजदूरों एक दूसरे को भाई-भाई मानने लगे, वे एक दूसरे पर शासन करने के विरोधी थे ।
  • जिसने दुनिया के सभी भागों में सामाजिक व आर्थिक समानता स्थापित करने में प्रयत्नशील आंदोलन को और साम्राज्यवादी शासन से मुक्ति पाने के लिए किए जा रहे संघर्ष का समर्थन किया ।
  • भारत के आजादी के कुछ विशेष नेता जो भारत के बाहर सक्रिय क्रांतिकारी यूरोप के समाजवादी आंदोलन के नेताओं के संपर्क में आए थे और वे समाजवादी विचारों से काफी प्रभावित हुए थे। रूसी क्रांति ने रूस के सम्राट के निर्गुण शासक को खत्म करके सोवियत संघ में समाजवाद के निर्माण का कार्य शुरू किया था रूसी क्रांति ने घोषणा की कि प्रत्येक देश को अपना लक्ष्य निर्धारित करने का अधिकार है।
  • रूसी क्रांति ने आजादी के संघर्ष कर रहे सभी लोगों को अपना समर्थन दिया , भारत के बाहर रह रहे क्रांतिकारी मानवेंद्र नाथ राय ने कई देशों में कम्युनिटी पार्टियों द्वारा स्थापित कम्युनिस्ट इंटरनेशनल में कई साल तक सक्रिय कार्य किया।
  • समाजवादी विचारों तथा रूसी क्रांति से प्रभावित होकर भारत में समाजवादी विचारों का प्रचार करने का उद्देश्य से कई समाजवादी तथा कम्युनिस्ट समूह की स्थापना हुई इन समूहों के अधिकांश नेताओं ने असहयोग आंदोलन में भाग लिया था ।
  • 1925 ईस्वी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना हुई। जिसमें मजदूरों और किसानों को संगठित करने में कम्युनिस्टों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • समाजवादी विचारों और रूसी क्रांति का देश के तरुणों तथा राष्ट्रीय आंदोलन के तरुण नेताओं पर गहरा प्रभाव पड़ा । भारत में समाजवादी विचारों को लोकप्रिय बनाने वाले राष्ट्रीय आंदोलन के सबसे प्रमुख नेता जवाहरलाल नेहरू थे।
  • उन्होंने बेहतर जीवन के लिए आजादी के आंदोलन में करने वाले जनता के संघर्ष के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया था उनके प्रभाव में 1934 ईस्वी में कांग्रेस समाजवादी पार्टी की स्थापना हुई।
  • जिसमें किसानों मजदूरों को संगठित करने में और आजादी की लड़ाई के सामाजिक तथा आर्थिक उद्देश्य से संबंधित कांग्रेस की नीतियों को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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