- Q. उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा यमुना नदी को लेकर जिस प्रकार की फैसला दिया है उसके संबंध में विस्तार पूर्वक बताइए?
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- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गंगा व यमुना को विधिक व्यक्ति की तरह आधार प्रदान किया है यानी कि इन नदी को अब संवैधानिक दर्जा मिला है इन्हें एक व्यक्ति के जैसा देखना होगा अब इन दोनों नदी को क्षति पहुंचाना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने के जैसा माना जाएगा यानी कि इस नदी को अगर प्रदूषित किया जाता है तो ऐसा माना जाएगा कि आप एक व्यक्ति के अधिकार को छीन रहे हैं पर आपके ऊपर मुकदमा दायर किया जाएगा
- भारतीय संविधान में जो अधिकार गंगा एवं यमुना नदी को दिया गया है क्या ऐसा अधिकार विश्व के किसी दूसरे नदी को दिया गया है- इसी प्रकार का अधिकार विश्व में न्यूजीलैंड की नदी वंगाणुई को दिया गया है इस नदी को जीवित मानव के समान सारे अधिकार दिए गए हैंं

Q. मंदिरों में प्रवेश का अधिकार महिलाओं का मौलिक अधिकार है या नहीं?
- 1 अप्रैल 2016 को मुंबई उच्च न्यायालय ने किसी भी पूजा स्थल या मंदिर प्रवेश करने में लैंगिक विभाजन पर रोक लगा दिया यानी कि मंदिर में महिला व पुरूष दोनों को जाने पर समान अधिकार होंगे ऐसा एक विवाद के बाद किया गया जिसमें शनि सिंगनापुर मंदिर में महिला द्वारा प्रवेश करने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था 1 अप्रैल 2016 को न्यायालय ने महिलाओं के प्रवेश को वैध कहा और कहा कि इसमें लैंगिक समानता लाना होगा उन्होंने ऐसा भी कहा ऐसा कोई स्थान नहीं है जहां पर पुरुष जा सकते हैं और महिला नहीं जा सकती है ऐसा करना संविधान के समानता के अधिकार का उल्लंघन होगा हाल ही में केरल के सबरीमाला मंदिर को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के संविधान पीठ ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया है
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- भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के लिए प्रेस परिषद का गठन किया गया है इसके बारे में बताइए- भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को मान्यता देने के लिए प्रेस आयोग 1954 ईस्वी में ही प्रेस परिषद बना लिया था प्रेस परिषद के गठन के लिए कई सुझाव भी दिया गया था इसके बाद 1966 ईस्वी में एक पूर्णरूपेण प्रेस परिषद का गठन किया गया ऐसा 1954 के प्रथम प्रेस आयोग के सिफारिश पर किया गया प्रेस परिषद में एक अध्यक्ष होते हैं और 28 सदस्य होते हैं जिसमें लोकसभा का अध्यक्ष राज्यसभा के सभापति भारत का मुख्य न्यायाधीश समाचार पत्र का संपादक समाचार पत्र के प्रबंधक पत्रकार संसद सदस्य साहित्यिक क्षेत्र के लोग शैक्षणिक तथा व्यवसायिक संगठन के लोगों को शामिल किया जाता है कोई भी व्यक्ति प्रेस परिषद का सदस्य केवल दो बार ही बन सकता है यह परिषद समाचार पत्र और सरकार दोनों की ओर से तथा दोनों के विरुद्ध शिकायत को सुन सकती है।
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