प्राचीन भारत के अध्ययन के लिए पुरातात्विक स्रोत सबसे अधिक प्रमाणिक और विश्वसनीय इसमें अभिलेख सिक्के मूर्तियां स्मारक भवन चित्रकला अवशेष प्रमुख रूप से आते हैं. सबसे पहले बात करते हैं अभिलेख की- प्राचीन भारत के अधिकतर अभिलेख पाषाण काल के शिलालेख स्तंभ ताम्रपत्र दीवार और प्रतिमा पर लिखे गए हैं मद्धेशिया के बोगाज़कोई नामक स्थान से 1420 अपूर्व का एक लेख प्राप्त हुआ है जिसमें इंद्र मित्र वरुण एवं नाशक वैदिक देवता के नाम दिए हुए हैं भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के प्राप्त होते हैं यह अभिलेख तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के हैं अशोक के अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है केवल उत्तर पश्चिम भारत से प्राप्त होने वाले अशोक के अभिलेख को लिपि खरोष्ठी है कुछ अभिलेख अशोक के यूनानी यूनानी और aramaik की लिपि में भी प्राप्त हुआ है इस प्रकार अशोक के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में पाए जाते हैं# गुप्त काल के पहले के सभी अभिलेख प्राकृत भाषा में है परंतु गुप्त काल तथा गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत में लिखे गए हैं यवन राजदूत हेलिओडोरस का बेसनगर जो वर्तमान में विदिशा के नाम से जाना जाता है गरुड़ स्तंभ लेख प्राप्त हुआ है जिससे भागवत धर्म के विकास का साक्ष्य मिलता है इसी प्रकार से मध्यप्रदेश के एरन से प्राप्त वराह प्रतिमा पर पूरा मन का लेख मिलता है जो खून राजकोट आता है सबसे अधिक अभिलेख इसी काल में मैसूर से प्राप्त हुए हैं पर्सी पुलिस और बेहिस तून अभिलेख इरानी सम्राट दारा की सिंधु घाटी की विजय का उल्लेख करते हैं 1837 जेम्स प्रिंसेप अशोक के अभिलेख का वर्णन किया था-1. हाथी गुफा अभिलेख जो कलिंग राजा खारवेल के समय में था इसी काल की घटना को बताता है2. जूनागढ़ गिरनार अभिलेख जो रुद्रदामन के शासनकाल के बारे जानकारी देता है3. नासिक अभिलेख गौतमीपुत्र सातकर्णि की सैनिक सफलता व कार्यों का विवरण पता चलता है इसे गौतमी बल श्री राजा के समय लिखा गया था4. प्रयाग स्तंभ अभिलेख यह समुद्रगुप्त के समय का है इसमें गुप्त वंश की जानकारी मिलती है5. मंदसौर अभिलेख मालवा की राजा यशोधर्मन के समय का है6. यह होल अभिलेख या पुलकेशिन द्वितीय के समय का है जिसमें हर्षवर्धन और पुलकेशिन द्वितीय के बीच युद्ध हुआ था इसकी जानकारी मिलती है7. ग्वालियर अभिलेख से प्रतिहार वंश के नरेश राजा की जानकारी मिलती है इसमें गुर्जर और प्रतिहार शासक की पूरी जानकारी है8. भीतरी एवं जूनागढ़ अभिलेख या गुप्त वंश के स्कंद गुप्त के समय का है9. देवीपाड़ा अभिलेख किस में बंगाल के राजा विजय सेन की जानकारी है. सिक्कों से स्रोत- तीसरी शताब्दी के पहले ही सिक्कों की जानकारी प्राप्त हो जाती है कुषाण वंश के सिक्के विश्व में प्रसिद्ध है प्रारंभिक सिक्कों पर चीन पाए जाते थे अंतवाद के सिक्कों पर राजा और देवता के नाम और तिथि भी लिखी गई है आहत सिक्के जिसे पंचमार्क सिक्के कहते हैं भारत का सबसे प्राचीनतम सिक्का है यह पांचवीं शताब्दी ईसा पूर्व का है जिसे ठप्पा मार कर बनाया जाता था इसलिए इसे आहत सिक्का कहा जाता है पूर्वी उत्तर प्रदेश और मगध में इस प्रकार के सिक्के मिलते हैं ऐसे सिक्के चांदी के होते हैं यह पंचमार्क सिक्के कहे जाते थे ऐसे सिक्कों पर पेड़ मछली हाथी आधा चंद्रमा की आकृति बनी हुई है सबसे अधिक सिक्के मौर्य काल के बाद मिले यह शीशे चांदी तांबा एवं सोने के सत वाहनों के काल में शीशा गुप्त शासकों ने सोने की सर्वाधिक सिक्के प्रचलित किए थे लेकिन सबसे अधिक लेख वाले सोना का सिक्का इंडो ग्रीक शासकों ने प्रचलित किया. मूर्तियों का स्रोत- कुषाण काल से मूर्तियों का निर्माण शुरू हुआ था कुषाण गुप्त तथा गुप्तोत्तर काल के निर्मित मूर्तियां धार्मिक भावनाओं के अनुसार बनाई जाती थी इस निर्माण में गांधार कला शैली पर विदेशी प्रभाव भी पता चलता है जबकि मथुरा कला की शैली पूर्ण रूप से भारतीय भारत बोधगया अमरावती की मूर्ति कला में सामान्य जीवन की झलक है वहीं प्रस्तर मूर्ति कहां से की mrin मूर्ति सिंधु सभ्यता के द्वारा प्राप्त की गई है लेकिन इसमें से अधिकांश मूर्ति पाकिस्तान में है. स्मारक एवं भवन- उत्तर भारत के मंदिर नागर शैली दक्षिण के द्रविड़ शैली और दक्षिणा पथ के मंदिर बेसर शैली में निर्मित है इसी प्रकार से बौद्ध काल के स्तूप भी हमारी संस्कृति को बताते हैं. चित्रकला- अजंता के चित्रों में मानवीय भावनाओं को बताया गया है गुप्त काल की कलात्मक उन्नति वर्जन जीवन के बारे में भी जानकारी है

August 12, 2020
भारत पर अरबों का आक्रमण
Share it1.भारत पर अरबों का आक्रमण कब हुआ ?इस आक्रमण से भारत को क्या क्या हानियां हुई वर्णन करें? 2.मोहम्मद बिन कासिम का इस आक्रमण में क्या योगदान था? 3.मोहम्मद गजनवी ने भारत में कब...