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कई निकटवर्ती पड़ोसी गांव का समहू पढ़्हा समुदाय कहलाता है। पढ़ा का एक पंचायत होता है जिसे पड़ा पंचायत कहते हैं। पढ़ा के पांच कार्यपालक अधिकारी होते हैं।दीवान ठाकुर पांडे करता और लाल कार्यपालक अधिकारी होते हैं। पढ़ा उराव की शासन व्यवस्था है पाहन महतो व गांव के बुजुर्ग पंचू गांव का संचालन करता है। तीन स्तरीय शासन व्यवस्था होते हैं पहला ग्राम स्तर दूसरा पढहा राजा स्तर तीसरा पढहा दीवान। ग्राम स्तर का प्रधान महतो होता है। महतो निर्णय नहीं कर पाता तो पढ़हा राजा के पास जाता है। 5 7 11 21 या 22 गांव मिलकर पढ़हा राजा बनता है। पढ़हा राजा को मानकी भी कहते हैं। महतो का सहयोगी मांझी कहलाता है। पढ़हा पंचायत में महिलाओं का स्थान नहीं होता। युवागृह को धूम कुरिया भी कहते हैं। धार्मिक स्थान को पाहन कहते हैं। गांधी जी के कहने पर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उराव ने हिस्सा लिया। महिलाओं का युवा गृह को पेलहड़प्पा के नाम से जानते हैं। पुरुष के युवागृह को जा जाहड़प्पा के नाम से जानते हैं। पाहन का सहयोगी को बैगा कहते हैं।झारखंड की दूसरी बड़ी जनजाति उरांव है और इसे पढ़हा। पंचायत शासन व्यवस्था देखती है। इनके प्रमुख देवता धर्मेश है।भारत के साथ क्षेत्र से जुड़ी हुई है उरांव जनजाति भारत के पूर्वी भाग में फैली हुई है।संथाल के बाद और उराऊ दूसरी झारखंड के बड़ी जनजाति है। यह छोटा नागपुर का प्रमुख केंद्र है। यह जनजाति दक्षिण भारत से आए हैं। रोहतास से छोटा नागपुर के कोयल नदी के किनारे बस गए। जंगलों को काटकर खेत बनाने को भुईहर कहा गया। सामूहिक रूप से रहने की प्रक्रिया को भुईहर गांव कहा जाने लगा।ये सरना धर्म को मानते थे। लड़के वाले लड़की वाली के यहां जाते थे और विवाह का प्रस्ताव रखते थे। दहेज के रूप में दहेज टका और वस्त्र दिया जाता था।


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