मांझी परगना शासन व्यवस्था, मांझी शासन व्यवस्था संथाल जनजाति का शासन व्यवस्था है। मांझी गांव का प्रधान होता है आंतरिक एवं बाह्य दोनों प्रकार को प्रतिनिधित्व करता है। मांझी गांव का प्रशासनिक एवं न्यायिक मुखिया होता है। मांझी को लगान लेने का अधिकार है। बहुसंख्यक जनजाति संथाल है। रोजगार कृषि होता है संथाल परगना का निवास स्थान होता है। संथाल पश्चिम बंगाल में प्ररंभिक निवास में रहे जहां इन्हें साओतर कहा जाता है। संथालो ने मांझी व्यवस्था सौरिया पहाड़िया जनजाति से ग्रहण की है। धार्मिक प्रधान नायके होता है। मुखिया का सहायक जोग मांझी होता है। संदेश वाहक गुड़ेत होता है। संथाल परगना निवास क्षेत्र दुमका गुड्डा जामतारा देवघर पाकुड़ है। प्रोटो ऑस्ट्रेलयीड इनकी प्रजाति है। इनका धर्म शरना है। देवता सिंगबोगा है। इनका त्यौहार सोहराय है जो पशुओं का पर्व होता है। इनकी आऊलचिकी लिपि होती है। इनका स्रोत पश्चिम बंगाल से शाउतार है। 1832 – 1833 ई०पू० दामिन ए कोह था 1338 वर्गमील में फैला हुआ था। सौरिया पहाड़िया जनजाति से लिया गया व्यवस्था है जिन्हे मांझी परगना शासन व्यवस्था कहते हैं।

ग्राम स्तर में मांझी क्षेत्र के आधार पर प्रशासनिक व्यवस्था होता है। मांझी का सहायता जोग मांझी करता है।मांझी का कार्य गांव के सभी मामलों को सुलझाना, प्रशासनिक, न्यायिक,विवादों का निपटारा,शादी विवाह आदि करवाना होता है। जोग मांझी के कार्य गांव के लोगों का आचरणों को देखना,जन्म मरण में इनसे सलाह लेना महत्वपूर्ण होता है। गुड़ेथके कार्य ग्राम सभा या उत्सव की सूचना गांव को देना मांझी की आज्ञा पालन करना होता है।भगद्दो प्रजा निर्णय में विचार-विमर्श के लिए वरिष्ठ सज्जन के द्वारा होता है। दंड के रूप में आर्थिक,विठलाहा
सामाजिक बहिष्कार के रूप में होता है। 5 से 8 गांव के मांझी को देश मांझी कहते हैं। जिन मामलों का निपटारा मांझी नहीं कर सकता उसे देश मांझी के पास लाया जाता है। 15-20 गांव का समूह परगना कहलाता है।
