
आधुनिक काल का प्रारंभ नवजागरण काल नवजागरण संज्ञा या पुनर्जागरण काल की संज्ञा भी कहते हैं इसे सर्वप्रथम आधुनिक काल को रामचंद्र शुक्ल जी ने कही और इन्हें गद्य काल की संज्ञा भी दी है।झारखंड की राजधानी- रांची. झारखंड का गठन- 15 नवंबर 2000.घनत्व 414/km स्क्वायर। राजभाषा- हिंदी,संथाली,कुड़माली। जिले-24, क्षेत्रफल-79714km स्क्वायर, जनसंख्या-3,29,88,134, झारखंड का बड़ा शहर जमशेदपुर।राज्यपाल-द्रौपदी मुर्मू. मुख्यमंत्री-हेमंत सोरेन(झारखंड मुक्ति मोर्चा),विधानमंडल- एक सदनीय, विधानसभा-82 सीटें, राज्यसभा- 6सीटें। न्यायालय- झारखंड उच्च न्यायालय. आई एस ओ(ISO)IN-JH. वाहन-JH
संपूर्ण भारत में वनों के अनुपात में यह राज्य अग्रणी राज्य माना जाता है इनकी सीमाएं उत्तर में बिहार,पश्चिम में उत्तर प्रदेश एवं छत्तीसगढ़,दक्षिण में उड़ीसा और पूर्व में पश्चिम बंगाल को छूती है। इस प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में धनबाद बोकारो एवं जमशेदपुर शामिल है झारखंड भारत का 28 वां राज्य बना है।भारतीय हॉकी खिलाड़ी एवं ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम के कप्तान जय सिंह मुंडा ने 1939 ईस्वी में बिहार राज्य के कुछ दक्षिणी जिलों को मिलाकर एक नया जब राज्य बनाने का सपना देखा था जो 2 अक्टूबर 2000 को साकार हुआ फिर बिल पास होने के उपरांत 5 नवंबर 2000 झारखंड राज्य बना।जब मुगलों का पतन तथा औरंगजेब की मृत्यु 170 7 ईसवी में होता है तब झारखंड से इनका प्रभाव समाप्त हो जाता है। तब झारखंड का बंगाल का नवाब तथा अंग्रेज और ईस्ट इंडिया कंपनी सबसे प्रमुख थे। नागवंशी शासक उदय शाह के समय प्रथम मराठा आक्रमण झारखंड पर हुआ था।नागवंशी शासक दर्पनाथ शाह के शासनकाल में अंग्रेजों का झारखंड में पहली बार प्रवेश किया।अंग्रेज सिंहभूम क्षेत्र में 1767 ईसवी में जगन्नाथ सिंह के समय में प्रवेश किया।नागवंशी शासक देवनाथ शाह ने मराठा आतंक को मुक्ति के लिए अंग्रेजों से सहयोग लिया था।झारखंड से संबंध भारतीय नेता गांधीजी को मौलाना अबुल कलाम आजाद और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने काफी कार्य किए हैं।3:00 1 दिसंबर 1600 ईस्वी को अंग्रेजों द्वारा एक कंपनी का गठन हुआ था जिसे ईस्ट इंडिया कंपनी कहा गया जिससे इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम के मंजूरी के बाद बनाया गया था। इस समय मुगलों का शासन था, जिसमें अकबर का शासन था। ईस्ट इंडिया कंपनी का आगमन सन 1767ईसवी में झारखंड में हुआ।1603 में महारानी एलिजाबेथ की मृत्यु हो जाती है तब इस कंपनी के ब्रिटेन के शासक जेम्स प्रथम बनते हैं। इस समय ढालभूम का ढाल वंश, पोड़ाहाट सिंहवंश एवं कोल्हान का होवंश प्रमुख सिंह राज्य थे।
ढाल वंश का सिंह वंश एवं कोल्हान का होवंश प्रमुख सिंह एवं राज्य थे।
अंग्रेज और मराठों के बीच युद्ध हुआ जिसे आंग्ल मराठा युद्ध कहते हैं जिनमें प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध 1775ईं०-1782ईं०तक। द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध 1803-1805ईं०। तृतीय आंग्ल मराठा युद्ध 1817 ईं०-1818ईं०।द्वितीय आंग्ल मराठा युद्ध के समय लॉर्ड वेलेजली तथा अंग्रेज सेनापति उन्हें सरायकेला के शासक के मराठों को सहयोग नहीं करने का दबाव बनाया।1809ईं० में अपने राज्य को पोड़ाहाट के राजा कंपनी शासन के संरक्षण के लिए जाने का अनुरोध किया। इसी समय अंग्रेजों ने सिंहभूम को पूर्ण रूप से अपने अधीन करने का फैसला किया था। 1 फरवरी 1820 ईस्वी को कंपनी के एजेंट रसेल और पोड़ाहाट के शासक घनश्याम सिंह के साथ समझौता हुआ।सरायकेला एवं खरसावां क्षेत्र थे जो भारत के 562 देसी रियासतों के शामिल था जिनके क्षेत्र में पहली बार अंग्रेजों का आगमन सन 1770 ईसवी में हुआ। झारखंड का इतिहास 1765 ईस्वी से 1947 ईस्वी को कुछ भागों में बांटा गया: १. अंग्रेजों के झारखंड में प्रवेश का इतिहास.२.झारखंड में आंदोलनों का इतिहास.३.अंग्रेजी विरुद्ध प्रारंभिक आंदोलन 1765 से 18 57 के बीच का भाग का आंदोलन 1857 आंदोलन झारखंड में सुधारवादी आंदोलन 1858 1885 के बीच स्वतंत्र आंदोलन 8856 1947 ई०में।
३. अंग्रेज के विरुद्ध प्रारंभिक आंदोलन 1765-1857 ईं०के बीच के भाग का आंदोलन।४.1857 का आंदोलन झारखंड में।५. सुधारवादी आंदोलन 1858-1885 के बीच ६. स्वतंत्रता आंदोलन 1885-1947ईं०में। झारखंड में अंग्रेजों का सिंहभूम में प्रवेश का समय विशेष महत्व रहा, ढाल राजाओं का ढालभूम, सिंह राजाओं का पोड़ाहाट,हो लोगों का कोल्हान का विशेष महत्व रहा।1767 में नियमित कर वसूलने फर्ग्यूसन का आक्रमण 22 मार्च 1767 ईसवी में घाटशिला पर फर्ग्यूसन का कब्जा हुआ।1768 में ढाल राजा जगन्नाथ ढाल का विद्रोह जिसे ढाल विद्रोह भी कहा गया। 1820 में ईसवी में मेजर के कोल्हान क्षेत्र में प्रवेश के पश्चात् रो-रो नदी के तट पर हो जनजाति और अंग्रेजी सेना में लड़ाई हुई अंग्रेज़ विजयी हो गए।1837 में हो लोगों ने आत्मसमर्पण किया और कंपनी को कर देने लगे। 1835 ईस्वी में को कोल्हान को नई प्रशासनिक इकाई बनाया गया और अंग्रेज अधिकारी के अधीन कर दिया गया। 1फरवरी 1820ईं०को पोड़ाहाट के राजा घनश्याम सिंह ने अंग्रेज कैप्टन रसेल के साथ संधि की,अंग्रेजों की अधीनता स्वीकारी और सलाना कर देना स्वीकार किया।