- Q. राज्य के नीति निदेशक तत्व क्या है? (Directive principles of state policy)सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य के नीति निदेशक तत्व को लेकर कौन-कौन से फैसले को दिया है? नीति निदेशक तत्व एवं मौलिक अधिकार में क्या अंतर है विस्तारपूर्वक बताइए?
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- संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 के बीच राज्य के नीति निदेशक तत्व को बताया गया है यह एक मार्गदर्शक के रूप में है, व्यवहारिक है सामाजिक आर्थिक व्यवस्था को लागू करने के लिए इसके लिए संविधान में पहला चौथा 25वां 42वां एवं 73 वा संविधान संशोधन हो चुका है
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- राज्य के नीति निदेशक तत्व समाजवादी उदारवादी गांधीवादी और जनकल्याणकारी वादी रूप में चिन्हित किया गया है अगर इनके इसके सामाजिक परिवेश को देखा जाए एवं समाजवादी उद्देश्य को देखा जाए तो अनुच्छेद 39 जिसमें योग्यता के अनुसार प्रत्येक लोगों को नौकरी देना संपत्ति का संकेंद्रण को रोकना साधनों का नियंत्रण इस प्रकार से हो कि प्रत्येक व्यक्ति का जीवन निर्वाह हो सभी लोगों को पुरुष या महिला को समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए राज्य हमेशा सोचे महिला के लिए पुरुष के लिए बच्चों के लिए कोई ऐसा काम ना करवाएं जिससे उसका स्वास्थ्य समाप्त हो जाए

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- इसी प्रकार से अनुच्छेद 41 के द्वारा उम्र के अनुसार बुढ़ापे के अनुसार बीमारी के अनुसार भौतिक रूप से हैंडीकैप के अनुसार सरकार को रोजगार देनी चाहिए अनुच्छेद 43 के अनुसार कृषि के क्षेत्र में उद्योग के क्षेत्र में जो काम कर रहे हैं ऐसे कामगार मजदूरों के जीवन स्तर को उठाने के लिए भी रोजगार की जरूरत है सरकार द्वारा इसके लिए समय-समय पर कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए, जिससे प्रत्येक वर्ग के लोगों का मानसिक और बौद्धिक विकास हो पाए यह चीजें राज्य के नीति निदेशक तत्व के समाजवादी विचारधारा को बताती है
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- अगर राज्य के नीति निदेशक तत्व का उदारवादी पक्ष को देखा जाए तो अनुच्छेद 44 जिसके द्वारा पूरे देश में एक समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी लेकिन यह निर्भर करता है कि जब देश के सभी लोगों की सोचने और समझने की शक्ति परिपक्वता के साथ हो जाएगी इसी प्रकार से अनुच्छेद 39 के कम यह बताया गया है कि सभी लोगों को निशुल्क सहायता दिया जाएगा कानूनी रूप से अनुच्छेद 45 में बच्चों के लिए निशुल्क सहायता दिया गया है शिक्षण व्यवस्था भी लागू की गई है अनुच्छेद 50 में कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव नहीं हो इसे लेकर ऐसे मार्गदर्शक सिद्धांत को दिया गया है जिससे कि दोनों के बीच एक संबंध भी कायम हो और दोनों के कार्य भी अलग रूप से चलते रहें अनुच्छेद 46 के काम है उद्योग धंधे में ऐसी व्यवस्था होनी चाहिए जिसमें मजदूरों को भी उसका हक मिलेगा इसी के द्वारा प्रबंधन में मजदूरों के स्थान को देखते हुए ही यूनियन का गठन किया गया है, अनुच्छेद 49 में जिसमें यह बताया गया है कि प्रत्येक प्राचीन स्मारक को सरकार द्वारा बचाने की कोशिश की जाएगी, अनुच्छेद 51 भी उदारवादी संकेत देता है जिसमें भारत अंतरराष्ट्रीय संधि को बढ़ाने के लिए कृतसंकल्प है और इसके लिए प्रयास हमेशा जारी रहेगा

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- अगर राज्य के नीति निदेशक तत्व के गांधीवादी विचारधारा को देखा जाए तो जो कि गांधी जी ने हमेशा ग्रामीण क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देने को कहा इसलिए अनुच्छेद 40 जिसमें ग्राम पंचायत की बात की गई है यह मुख्य रूप से बताता है कि गांधीवादी सिद्धांत है ग्राम पंचायत ग्राम सभा पंचायत समिति जिला परिषद इसके अंग है अनुच्छेद 46 के अनुसार अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति समाज के कमजोर तबके के लोग आर्थिक रूप से पिछड़े लोग शैक्षणिक और सामाजिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए भी विशेष व्यवस्था किया जा रहा है अनुच्छेद 46 के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र में छोटे छोटे लघु कुटीर उद्योग को बढ़ावा दिया जाएगा सरकार द्वारा ऋण की व्यवस्था करवा रही है अनुच्छेद 45 में एक बेहतर स्वास्थ्य देना है जिसके लिए liquors पर रोक लगाया गया है समय-समय पर गुटका बीड़ी सिगरेट पर लगने वाली रोक अनुच्छेद 45 के दायरे में आते हैं अनुच्छेद 48 में गाय भैंस दुधारू पशु का भी रोकने की बात की गई है इस प्रकार के वन्य प्राणी सुरक्षा मुहैया कराने को कहा गया है
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- अगर राज्य के नीति निदेशक तत्व के जनकल्याणकारी विचारों को देखा जाए तो इसमें शिक्षा सामाजिक विकास रोजगार गरीबी हटाना भुखमरी हटाना सभी लोगों के स्वास्थ्य को ठीक करना प्राकृतिक न्याय दिलवाना इन सारी चीजों की व्यवस्था की गई है
- कृषि क्षेत्र में बेहतर आधुनिक सुविधा देना कुछ राज्य में गौ हत्या को रोक देना पेयजल की आपूर्ति करवाना वृद्धावस्था पेंशन देना बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना भूमिहीन लोगों को जमीन देना जोत बंदी नियम लागू करना राष्ट्रीय साक्षरता मिशन चलाना यह सभी चीजें यह बताती है कि राज्य के नीति निदेशक तत्व देश में कार्य कर रहा है
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- Q. राज्य के नीति निदेशक तत्व को देखते हुए आप यह बताएं कि अभी तक सरकार के द्वारा इसके अनुच्छेद को लागू किस किस स्थान पर किया गया है?

- राज्य के नीति निदेशक सिद्धांत जैसा कि हम जानते हैं अनुच्छेद 37 के द्वारा न्यायालय से लागू नहीं करवाया जा सकता है लेकिन चुकी इसका मुख्य लक्ष्य एक ऐसे समाज का निर्माण करना है जिसमें व्यवहारिक रूप से चीजें हो सामाजिक आर्थिक व्यवस्था और न्याय इसलिए संविधान में पहला चौथा 25वां 42वां और 73 वा संविधान संशोधन किया गया अनुच्छेद 39 के दायरे में ही मिनिमम लेबर वेजेस कानून को पारित किया गया 1948 ईस्वी में जिसमें सभी लोगों को कम से कम पारिश्रमिक दिया ही जाएगा इसी प्रकार से अनुच्छेद 38 का प्रयोग करते हुए नीति आयोग एवं योजना आयोग को बनाया गया है राष्ट्रीय विकास परिषद भी इसी के दायरे में है इसका मुख्य कार्य ग्रामीण क्षेत्र में यह शहरी क्षेत्र में जन कल्याणकारी योजनाओं को करना
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- अगर मनरेगा के काम को देखा जाए तो महात्मा गांधी ग्रामीण क्षेत्र में अधिक विश्वास करते थे इसलिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना चलाई जा रही है वर्ष 2008 से या अनुच्छेद 41 के दायरे में है इसी प्रकार से 86 वा संविधान संशोधन 2002 में करते हुए अनुच्छेद 21 के कम 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देना राज्य के नीति निदेशक तत्व के अनुच्छेद 45 से ली गई है अनुच्छेद 48 में यह बताया गया है पर्यावरण को बेहतर करना इसलिए 1972 में पर्यावरण और वन्य जीव अभ्यारण को लेकर के कानून बनाया गया 1973 ईस्वी में अनुच्छेद 50 को देखते हुए दंड प्रक्रिया संहिता बनाया गया जिसमें की कार्यपालिका और न्यायपालिका के कार्यों का पूर्णरूपेण अलग अलग किया गया , 1961 में अनुच्छेद 42 को देखते हुए मातृत्व अवकाश की सुविधा, अनुच्छेद 40 को लागू करते हुए संविधान संशोधन 73 वा एवं 74वां के द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया है इसके द्वारा अनुसूचित जाति जनजाति महिला पुरुष अन्य पिछड़े वर्ग सभी लोगों के लिए सीट भी आरक्षित कर ली गई है
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- Q. मौलिक अधिकार एवं राज्य के नीति निदेशक तत्व के बीच कैसा संबंध है क्या राज्य के नीति निदेशक तत्व मौलिक अधिकार से अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है

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- संविधान में राज्य के नीति निदेशक तत्व को लागू करने के लिए पहला चौथा 25 वा 42वां एवं 73 वा संविधान संशोधन समय-समय पर किया गया है इसमें 25 वा संविधान संशोधन बहुत महत्वपूर्ण है जिसमें अनुच्छेद 39 में बी और सी को जोड़ा गया इसके द्वारा जन कल्याणकारी चीजों को लागू करने पर अधिक बल दिया गया गोलकनाथ के केस में मौलिक अधिकारों को बिना किसी रूप में प्रतिबंध लगाए हुए नीति निदेशक तत्व को लागू किया जाए यह लागू करना एक प्रकार का कर्तव्य होगा यह सर्वोच्च न्यायालय ने कहा लेकिन केशवानंद भारती के केस में सर्वोच्च न्यायालय ने यह कहा कि अनुच्छेद 39 के दायरे में अगर कोई कानून बनता है तो वह कानून मौलिक अधिकार की तुलना में महत्वपूर्ण मानी जाएगी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सही है लेकिन ऐसे किसी कानून पर न्यायिक पुनर्विलोकन नहीं हो सकता है यह गलत है इसलिए इस वाक्य को अप्रसांगिक कहा जाएगा इसलिए 42वां संविधान संशोधन 1976 के द्वारा ऐसा प्रावधान कर दिया गया कि राज्य के नीति निदेशक तत्व मौलिक अधिकारों के ऊपर होगा 1980 में Minerva के केस में 42वां संविधान संशोधन को बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्य के नीति निदेशक तत्व सिर्फ 39 बी और सी के तहत मौलिक अधिकार से ऊपर है बाकी सभी के तुलना में नहीं राजनैतिक रूप से स्वतंत्रता देने के लिए अधिकार निश्चित रूप से जरूरी है लेकिन सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक रूप से प्रजातंत्र जाने के लिए राज्य के नीति निदेशक तत्व की बहुत जरूरत है
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- मौलिक अधिकार एवं राज्य के नीति निदेशक तत्व के बीच अंतर बताते हुए स्पष्ट करें की नीति निदेशक तत्व को लागू करना एक चुनौती है? संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से लेकर 51 के बीच राज्य के नीति निदेशक तत्व को बताया गया है साथ ही यह भी बताया गया है कि राज्य के नीति निदेशक तत्व को सीधे रूप में न्यायालय से लागू नहीं करवा सकते हैं एक और मौलिक अधिकार नकारात्मक प्रवृत्ति का है तो नीति निदेशक तत्व सकारात्मक प्रवृत्ति का है मौलिक अधिकार न्याय योग्य है तो यह न्याय योग्य नहीं है मौलिक अधिकारों का लक्ष्य राजनीतिक प्रजातंत्र को लाना है जिसमें न्याय स्वतंत्रता और समानता के लिए यह जरूरी होगा वहीं दूसरी ओर नीति निदेशक तत्व का लक्ष्य एक जन कल्याणकारी राज्य की स्थापना करना है जो सामान जो सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से बहुत ही जरूरी होगा लेकिन संविधान में यह देखने में आता है कि राज्य के नीति निदेशक तत्व स्पष्ट विषयों के अनुसार अव्यवस्थित है अत्यधिक आदर्शवादी है जैसे कि हरियाणा में 1996 में मद्य निषेध कर दिया गया 1999 में शुरू कर दिया गया वही देश में हर शहर में झुग्गी झोपड़ी का लगातार बने रहना बेरोजगारी दर बढ़ते रहना नाली व्यवस्था दुरुस्त तरीके से नहीं विकास करना स्वास्थ्य की समस्या होना बाल श्रमिकों की संख्या में इजाफा होना निशुल्क सहायता शिविर कानूनी रूप से एक औपचारिकता मात्र ही रह गया है ग्राम पंचायत का चुनाव करवाना जरूरी है लेकिन विभिन्न राज्य द्वारा समय पर नहीं करवाई जाती है इस का आलोचनात्मक मूल्यांकन ही होगा vinayiasacademy. Cm