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इस जनजाति को बारह हजारी या तेरहा हजारी के नाम से भी जाना जाता है इनकी अपनी जातीय पंचायत होती है यह गांव अचल और मंडल स्तर पर कार्य करती है इन दोनों पंचायतों का प्रधान मुख्य होता है और जिला स्तर पर सभापति कार्य करता है पंचायतों में विवादों का निपटारा दंड की व्यवस्था,जाति बहिष्कार की प्रथा है। चीक-बड़ाइक की जनजाति की शासन व्यवस्था-इस जनजाति की शासन व्यवस्था बुनकर जनजाति की व्यवस्था है यह कपड़े बुनना,कपड़ा बनाना तथा कपड़े की किस्म की कार्य करना इस जनजाति का कार्य है इनके कोई शासन व्यवस्था नहीं होती इसका मुख्य प्रधान होता है जो वंशानुगत होता है इनके अपने परंपरागत नियम कानून होते हैं पर अब सरकारी पंचायतें होती है। गोंड जनजाति की शासन व्यवस्था-गोंड जनजाति की अपनी जाति पंचायत होती है इस पंचायत को मुखिया बैगा/सयाना देखते हैं ये विवादों का निपटारा, दंड,क्षमा जाति भोज करवाना इनकी ही सलाह से होता है तथा अब यह भी सरकारी पंचायत के द्वारा देखी जाती है।

कंवर जनजाति की शासन व्यवस्था-झारखंड की यह भी जनजाति है जिनमें परंपरागत जाति पंचायत की व्यवस्था होती है इन्हें मुखिया/सयाना देखते हैं इनके ग्राम पंचायत का मुखिया को प्रधान कहते हैं पटेल भी होता है कई गांवों को मिलाकर अगर संगठन होता है कई अचल संगठन को मिलाकर एक “केंद्रीय संगठन” का निर्माण होता है।


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