Q. प्रस्तावना का क्या महत्व है?
Vinayiasacademy.com
- Ans-संप्रभुता का भारत की जनता।
- राज्य का स्वरूप- संप्रभु, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष ,लोकतंत्र और गणराज्य ।
- लक्ष्य बताना- सामाजिक ,आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय।
- विचार,अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना प्रतिष्ठा और अवसर।
- एकता और अखंडता।
- कब से शुरू- 26-11-1949
- समाजवाद।
- शब्दों की स्पष्टता ।
- सुप्रीम कोर्ट।
Q. संप्रभुता से क्या समझते हैं ?
Ans-लैटिन शब्द- superanus
- वह संप्रभुता जो राज्य के अध्यक्ष के नाम पर होती है लेकिन वह प्रयोग नहीं कर पाता है-जैसे इंडिया-इंग्लैंड।
- कानूनी -संसद के काम।
- राजनैतिक- कानून की पीछे की संप्रभुता- मतदाता की इच्छा ।
- लौकिक- जनता में निहित।
- वास्तविक जहाँ कोई सैनिक,अधिकारी वास्तविक रूप से शक्ति प्राप्त कर लेता है।
- लोकतांत्रिक में संप्रभुता व्यक्ति विशेष में ना होकर जनता विशेष में होती है।

संघीय शासन में संप्रभुता
Verttical-central/federal/national-state
लेकिन शक्ति
Horizontal
1.विधान पालिका
2.कार्यपालिका
3.न्यायपालिका
- एकलवादी –
- नागरिक के संपूर्ण भक्ति का एकाधिकार राज्य में निहित होता है ।
बहुलवादी-
Vinayiasacademy.com
1.समाज में अनेक समूह समुदाय है।
2.संप्रभुता की धारणा व्यर्थ है।
3.संघ की स्थापना।
- नागरिकता
- विवेक पर आधारित सत्ता।
- राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, भूमंडलीय व्यवस्था।
प्रस्तावना से संबंधित तर्क vinayiasacademy. Com
भारत की जनता जहां संप्रभुता, नागरिकता एवं कानून का नियम एक है।
- गोपालन बनाम मद्रास राज्य 1950-
Justice Patanjali Sastri ने कहा संविधान का स्त्रोत जनता है।2. - लोकतंत्रात्मक आदर्श जनता में निहित है।
- .भारतीय जनता ने ही स्वीकार किया है (इसलिए अंबेडकर ने कहा कि संविधान का आधार जनता है ।)
आलोचना –
1.चूंकि विधानसभा के सदस्यों का चुनाव व्यस्त मताधिकार के आधार पर नहीं हुआ था और ना ही प्रत्यक्ष चुनाव।
2.जब संविधान बनकर तैयार हुआ तब संविधान को जनमत संग्रह के द्वारा जनता के स्वीकार नहीं किया था।
- पक्ष-
- उस समय की स्थिति, क्या मताधिकार संभव था?
- जब लोकसभा चुनाव संभव और विधान सभा चुनाव हुआ तो संविधान सभा के अधिकांश लोग चुने गए।
Q. भारतीय संविधान की विशेषता की विवेचना करें।
- यूएसए-7, कनाडा- 147, ऑस्ट्रेलिया-128, साउथ अफ्रीका-153 लेकिन भारत में 460 से भी ज्यादा अनुच्छेद है।
- जनता पर आधारित- मताधिकार और चुनाव।
- राज्य के लिए अलग से संविधान नहीं।
- पहले ए ,बी ,सी ,डी राज्य सभी के लिए अलग।
- SC/ST/OBC/भाषा/धर्म के लिए विशेष प्रावधान।
- Fundamental rights(मौलिक अधिकार)/fundamental duties(मौलिक कर्त्तव्य).
- राज्य के नीति निर्देशक तत्व (directive principles of state policy) .
- Minimum controversy(न्यूनतम विवाद)।
- Parliamentary model of government (सरकार का संसदीय मॉडल)
- nominal executive vs actual executive,
- अध्यक्ष बनाम संसदीय
- Rigid versus flexible(कठोर बनाम लचीला) (अनुच्छेद 308 के अनुसार कुछ विषय में संसद में उपस्थिति का 2/3 लोकसभा + राज्यसभा में + 50% विधानसभा में ,कुछ साधारण बहुमत(simple majority)में.
- Sovereignty (संप्रभुता) socialist (समाजवादी) secular(धर्मनिरपेक्ष),
- democratic (लोकतांत्रिक), Republic ( गणतंत्र).
- मौलिक अधिकार एवं मौलिक कर्तव्य में अंतर।
- न्यायिक समीक्षा( judicial review) ।
- शब्दों की व्याख्या
- संसद तथा सुप्रीम कोर्ट में संतुलन बनाना( balance Parliament + Supreme Court)।

- एकात्मक लक्षण वाली संघीय व्यवस्था.
- A-249 (राज्यसभा 2/3 बहुमत में राज्य सूची के किसी भी विषय के 1 वर्ष तक राष्ट्रीय बताकर संसद को जिम्मा दे सकती है। )
- नागरिकता (citizenship)
- मताधिकार। (voting)।
- सामाजिक आर्थिक विकास (social economic development)।
- विश्व शांति सुरक्षा(world peace protection)।
- विश्व के विभिन्न संविधान का मिश्रण ।
- आदर्श प्रस्तावना (ideal preamble)।
- अधिकार(right),स्वतंत्रता(independent), समानता(similarity),न्याय(justice)।
Q.समाजवाद से क्या समझते हैं?
Vinayiasacademy.com
- विशेषाधिकार का अंत- कैसे – जब सबके लिए समान अवसर – एक ऐसी व्यवस्था जो भेदभाव नहीं करती हो (equality before law and equal protection of law) परंतु जिन्हें जरूरत है उन्हें लाभ।
- आधारीय – सभी व्यक्ति अपनी क्षमता में एक समान है तथा सबका एक समान नैतिक महत्व है ।
- वितरणीय – सामाजिक परिस्थिति हेतु वांछनीय शर्तों की उपलब्धि । ex- one man one vote, income and tax.
- समानता का स्वरूप- राजनैतिक (political),सामाजिक (socia l,आर्थिक (economic),औपचारिक(formal),कानूनी (legal)
Q. समाजवाद क्या है? इसकी विवेचना कीजिए।
समाजवाद(Socialism) – English + French word; 19th century- व्यक्तिगत नियंत्रण के जगह सामाजिक नियंत्रण
theory+revolution- मजदूर वर्ग को समर्थन- संसाधन का समाजीकरण।
समाजवाद क्या है- आर्थिक, सामाजिक,वैचारिक – पूंजीवाद का विपरीत। 1.मानवीय रूप में जो भी चाहिए वह सीधा सरकार का नियंत्रण लबो।
2.कल्याणकारी राज्य का दिशा( welfare state).
3.गांधीवादी समाजवाद (राम मनोहर लोहिया, नरेंद्र देव ,जय प्रकाश नारायण)
4.वैज्ञानिक समाजवाद(marxism)- पूंजीवादी कार्यप्रणाली का रूप इसलिए क्रांतिकारी होना पड़ा।
Utopia(काल्पनिक) – नैतिकता पर विश्वास नहीं (भौतिक,वैज्ञानिक पर नहीं)
State and revolution- इसका असर जल्दी और देरी से उत्पादन+बाजार+विदेशी व्यापार
5.Febian- पूंजीवाद को हराने के लिए योजना(plan) की जरूरत.(विकास+सुधारवादी, ballot box, चुंगी।)
6.पुनरावृतिवाद(revisionism) – मार्क्स मानते थे competition+Economic crisis से मध्यवर्ग कमजोर होगा लेकिन गरीब लोग संगठित होंगे ,विस्तृत होंगे,क्रांतिकारी होंगे, लेकिन बर्न स्टाइन ने सामाजिक लोकतंत्र का सिद्धांत दिया।

- समूहवादी(collectivist) – पूंजीवाद+धर्म का विरोध
शासनविहीन समाज – अराजकतावादी
फ्रांस में 1789 में फिर चीन में Laotse राज्य और व्यक्तिगत संपत्ति का विरोधी।
- सिंडिकवाद- 20th century- influenced by अराजकतावद(UNO का समर्थक, France, spain, Italy, South America) –
Vinayiasacademy.com
- राज्य का अंत हो , स्थानीय समुदाय का सामाजिक नियंत्रण
- Goal के लिए political party को नही मानता।
- स्थानीय समुदाय- मजदूर वर्ग कमजोर होगा.
- हड़ताल में अधिक विश्वास फिर पूंजीवादीयों का अंत।
- गिल्ड समाजवाद:- Industry के nationalisation से खुश नहीं लेकिन राज्य का अंत नहीं करना चाहते.
- तो क्या चाहिए:- decentralization consumer benefit
- कैसे – संसद में क्षेत्रीय के अलावा व्यावसायिक प्रतिनिधि हो, क्रांतिकारी नहीं सक्रिय आंदोलन का समर्थन.
- साम्यवाद 1848 में मार्क्स ने बता दिया था, बाद में आंदोलन हुआ मुलक वर्ग विहीन समाज- दार्शनिक, सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक मार्क्सवाद + अराजकतावाद – अल्पसंख्यक(पूंजीपति) बनाम बहुसंख्यक(मजदूर)
- साम्यवाद – उत्पादन + उपभोग
- Q. मार्क्सवाद क्या है?
- वर्गीय समाज में विरोधी वर्ग एक-दूसरे के विरुद्ध भौतिक विकास के सभी चरण में समाजवादी और फिर साम्यवादी -विरोधी नहीं तो संघर्ष नहीं।
- two types of society – वर्ग रहित व वर्गीय समाज
- वर्ग रहित – capitalism भौतिक विकास का विशेष चरण -पूंजीवाद- एकाधिकार पूंजीवाद वर्ग के समाज- class struggle इसलिए हमेशा हर वर्ग में संघर्ष
- मजदूर का शोषण -Business factory- उनका उत्पादन -पूंजी का केंद्रीयकरण -पूंजीपति की संख्या क्रम- तब सामाजिक क्रांति होगी- पूंजीवादी नष्ट होगा. समाजवादी समाज -योग्यता के अनुसार काम ,
- साम्यवादी समाज -काम के अनुरूप आवश्यकता की पूर्ति
- समाजवाद प्रत्येक व्यक्ति का अपना समाजवाद होता है जैसी परिस्थिति वैसा रूप

- समाज के आर्थिक व भौतिक साधन को जनमानस के नियंत्रण में लाकर सामाजिक उत्पादकों का समांतर वितरण समाजवाद है। सार्वजनिक स्वामित्व- राज्य की भूमिका महत्वपूर्ण (जबकि पूंजीवाद में राज्य की भूमिका कम विकासवादी समाजवाद आंदोलन हमेशा श्रमिक के हित ) श्रमिक संघवाद फ्रांस का स्वरूप यूनियन labour with movement political struggles क्रांतिकारी + हिंसक, डेमोक्रेसी की आलोचना -पूंजीपति मानते हैं।
vinayiasacademy.com
- श्रेणी समाजवाद -उद्योग पर श्रमिक का नियंत्रण- बाजारीकरण में श्रमिक का वेतन कम- संसद में आर्थिक एवं -वह तय करेगी वेतन- एक कमेटी होनी चाहिए ।
- लोकतंत्रात्मक – भारत में एक वामपंथी विचारधारा- एमएन रॉय ,जेपी नारायण, लोहिया श्रमिक परिवर्तन में पूंजीवाद में सुधार, मिक्सड इकोनामी
- अराजकतावाद- किसी सत्ता को नहीं मानेंगे- सभी सरकार दमनकारी -नष्ट होना जरूरी है- राज्य के बिना या राज्य का ना होना आर्थिक शोषण या पूर्ण उन्मूलन राज्य पूंजीवाद का आलोचना ना तो उदारवादी ना तो समाजवादी।