ऋग्वेद में परिवार पित्रसत्तात्मक एवं सामूहिक होता था। इस काल में स्त्रियों को समाज में सम्मानजनक रूप से देखा जाता था। एक पत्नी विवाह साधारण रूप से लोकप्रिय था ,महिलाओं को पढ़ने और यज्ञ में भाग लेने का पूरा अधिकार था। प्रारंभिक काल में जाति व्यवस्था कर्म पर आधारित होती थी। शाकाहार चावल जो फल सब्जी दूध एवं दूध से बने हुए पदार्थ को अपनाए गए थे मांसाहारी में भेड़ बकरी और बछड़े का मांस भी खाया जाता था। कपड़े के रूप में सूती उन्हीं व रंगीन कपड़ा का प्रचलन था पोशाक वास और अधिवास दोनों का प्रयोग किया जाता था। सोने चांदी तांबे हाथी दांत व मूल्यवान पत्थरों के आभूषण निर्मित होते थे। ऋग्वेद में उपनयन संस्कार का स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है जड़ी बूटियों का प्रयोग और शल्य चिकित्सा प्रचलित था। संगीत गायन संगीत वादन नृत्य चौपड़ शिकार असुविधा वन वाद्ययंत्र ढोल मजीरे बांसुरी वीणा नगाड़ा ढोलक का उल्लेख है। इस काल में धर्म बहू देव वादी होता हुआ साधारण था ऋग्वेद में जिन देवता की स्तुति की गई है वह प्राकृतिक तत्व में निहित शक्ति के प्रतीक है वैदिक कालीन ऋषि पृथ्वी की विभिन्न प्राकृतिक शोभा को देखकर प्रभावित हुए वे प्राकृतिक शक्तियों की अनुभूति करते थे रिग वैदिक काल में कुल 33 देवता का अस्तित्व बताया गया है जो तीन समूह में विभाजित पहला समूह पार्थिव देवता का था जिसमें पृथ्वी अग्नि बृहस्पति एवं नदियां थी। दूसरा आकाश देवता थे। जिसमें इंद्र रूद्र वायु वात एवं मरुत थे ,तीसरा स्वर्ग देवता थे जिसमें मित्र सूर्य सावित्री विष्णु आदित्य उषा अश्विन और धोस थे

August 12, 2020
भारत पर अरबों का आक्रमण
Share it1.भारत पर अरबों का आक्रमण कब हुआ ?इस आक्रमण से भारत को क्या क्या हानियां हुई वर्णन करें? 2.मोहम्मद बिन कासिम का इस आक्रमण में क्या योगदान था? 3.मोहम्मद गजनवी ने भारत में कब...