Share it

भारत में संविधान सभा की मांग एक प्रकार से राष्ट्रीय स्वतंत्रता की ही मांग थी संविधान सभा के सिद्धांत के सर्वप्रथम 1895 के स्वराज में तय किया गया था ,जिसे तिलक के निर्देशन में तैयार किया गया। 1922 में महात्मा गांधी ने इसी ओर इशारा किया था 1924 में पंडित मोतीलाल नेहरू ने ब्रिटिश सरकार के सम्मुख संविधान सभा के निर्माण की मांग प्रस्तुत की थी लेकिन बाद में एमएन रॉय ने इसके बारे में ज्यादा विस्तृत रूप से बताया लेकिन जवाहरलाल नेहरू का नाम प्रमुख रूप से आता है कि उनके प्रयास के कारण ही संविधान सभा के और सफलता मिला ,1936 के लखनऊ अधिवेशन में संविधानसभा का अर्थ और महत्व को बताया गया 1934 एवं 1938 के अधिवेशन में भी इस मांग को उठाया गया, 1940 के प्रस्ताव में ब्रिटिश सरकार ने कहा कि भारत का संविधान स्वयं भारतवासी तैयार करेंगे 1942 की योजना के द्वारा एक बार किया कैबिनेट मिशन योजना में भारतीय संविधान के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया

संविधान सभा के कुल 389 सदस्य थे जिनमें 292 ब्रिटिश प्रांत के प्रतिनिधि थे चार चीफ कमिश्नर क्षेत्र के प्रतिनिधि थे और 93 देशी रियासत के प्रतिनिधि थे # कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार जुलाई 1946 में संविधान सभा के चुनाव हुए संविधान सभा के प्रांतों के लिए 296 सदस्य के लिए ही यह चुनाव हुए थे इनमें कांग्रेस के 208 मुस्लिम में लिखकर 73 तथा 15 अन्य दल के व स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए। संविधान सभा में मुस्लिम लीग बहुत कम सदस्य थे इसलिए उन्होंने इसका बहिष्कार कर दिया और 9 दिसंबर 1946 को इसके प्रथम अधिवेशन में वे लोग सम्मिलित भी नहीं हुए संविधान सभा का गठन तो 6 दिसंबर 1946 को ही हो चुका था

अगर सही मायने में देखा जाए तो कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार संविधान सभा के सदस्यों का निर्वाचन हुआ एवं इसमें कुल 389 सदस्य की संख्या निश्चित की गई द्वितीय चरण की शुरुआत 3 जून 1947 की विभाजन योजना से होती है जिसके अनुसार 324 प्रतिनिधि होते थे और तृतीय चरण देशी रियासतों से संबंधित था और उनके प्रतिनिधि संविधान सभा में अलग-अलग समय में सम्मिलित हुए हैदराबाद एक ऐसी रियासत थी जिसके प्रतिनिधि अंत तक सम्मिलित नहीं हुए ।संविधान सभा का प्रथम अधिवेशन 9 दिसंबर 1946 को संसद भवन में हुआ डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को पहला अस्थाई अध्यक्ष चुना गया संविधान सभा की पहली बैठक में 210 सदस्य उपस्थित थे ,11 दिसंबर 1946 की बैठक में डॉ राजेंद्र प्रसाद को सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुन लिया गया एवं बी एन राव को संविधान सभा का सलाहकार बनाया गया 13 दिसंबर 1946 को तीसरी बैठक में जवाहरलाल नेहरू ने अपना उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसे 22 जनवरी 1947 को अपना लिया गया इसमें यह बताया गया कि भारत एक प्रभुत्व संपन्न राज्य होगा जिसके द्वारा स्वयं अपने संविधान का निर्माण किया जाएगा किस समय ब्रिटिश भारत कहे जाने वाले क्षेत्र भारतीय रियासत में आने वाले क्षेत्र और ब्रिटिश भारत और यासत के बाहर के ऐसे क्षेत्र जो भारत में सम्मिलित होना चाहते हैं सबको मिलकर एक संघ बनाया जाएगा लेकिन सारी शक्ति और मुख्य रूप से अधिकांश शक्ति केंद्र सरकार के पास ही होगा भारत के सभी नागरिक को सामाजिक आर्थिक व राजनीतिक न्याय एवं कानून की समानता विचार भाषण अभिव्यक्ति विश्वास संघ निर्माण कार्य की स्वतंत्रता कानून और सार्वजनिक नैतिकता के अधीन प्राप्त होगी अल्पसंख्यक वर्ग पिछड़ी जाति और जनजाति के हित की रक्षा की समुचित व्यवस्था की जाएगी ।


Share it