Geography – Vinay IAS Academy https://vinayiasacademy.com Rashtra Ka Viswas Sun, 09 Aug 2020 06:27:54 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=5.3.4 भाखड़ा नांगल परियोजना, व्यास परियोजना, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, कोसी परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना किस नदी पर है तथा इससे किस किस राज्य को लाभ हो रहा है#vinayiasacademy.com https://vinayiasacademy.com/?p=2881 https://vinayiasacademy.com/?p=2881#respond Sun, 09 Aug 2020 06:27:52 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2881 Share itभाखड़ा नांगल परियोजना, व्यास परियोजना, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, कोसी परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना किस नदी पर है तथा इससे किस किस राज्य को लाभ हो रहा है#vinayiasacademy.com भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर स्थित है इससे पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश और राजस्थान को लाभ हो रहा है ,व्यास परियोजना व्यास नदी पर स्थित […]

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भाखड़ा नांगल परियोजना, व्यास परियोजना, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, कोसी परियोजना, दामोदर घाटी परियोजना किस नदी पर है तथा इससे किस किस राज्य को लाभ हो रहा है#vinayiasacademy.com भाखड़ा नांगल परियोजना सतलज नदी पर स्थित है इससे पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश और राजस्थान को लाभ हो रहा है ,व्यास परियोजना व्यास नदी पर स्थित है इससे पंजाब हरियाणा राजस्थान और हिमाचल प्रदेश को लाभ हो रहा है ,इंदिरा गांधी नहर परियोजना सतलज एवं व्यास दोनों को मिलाकर बनाया गया है इससे राजस्थान पंजाब और हरियाणा को लाभ हो रहा है ,कोसी परियोजना कोसी नदी पर है इससे बिहार और नेपाल को लाभ होता है, दामोदर घाटी परियोजना दामोदर नदी पर है इससे झारखंड और पश्चिमी बंगाल को लाभ होता है#vinayiasacademy.com


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इनर हिमालय या आंतरिक हिमालय या ग्रेट हिमालय किसे कहते हैं, हिमाद्री किसे कहते हैं#vinayiasacademy.com# https://vinayiasacademy.com/?p=2874 https://vinayiasacademy.com/?p=2874#respond Mon, 03 Aug 2020 14:53:06 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2874 Share itइनर हिमालय या आंतरिक हिमालय या ग्रेट हिमालय किसे कहते हैं, हिमाद्री किसे कहते हैं#vinayiasacademy.com# ग्रेट हिमालय को संस्कृत में हिमाद्री का जाता है इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है और इसकी औसत चौड़ाई 25 किलोमीटर है. इसकी कुछ महत्वपूर्ण चोटिया है माउंट एवरेस्ट 8850 मीटर ,कंचनजंगा 8598 मीटर, मकालू 8481 मीटर ,धौलागिरी 8172 […]

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इनर हिमालय या आंतरिक हिमालय या ग्रेट हिमालय किसे कहते हैं, हिमाद्री किसे कहते हैं#vinayiasacademy.com# ग्रेट हिमालय को संस्कृत में हिमाद्री का जाता है इसकी औसत ऊंचाई 6000 मीटर है और इसकी औसत चौड़ाई 25 किलोमीटर है. इसकी कुछ महत्वपूर्ण चोटिया है माउंट एवरेस्ट 8850 मीटर ,कंचनजंगा 8598 मीटर, मकालू 8481 मीटर ,धौलागिरी 8172 मीटर ,नंगा पर्वत 8126 मीटर ,अन्नपूर्णा 8078 मीटर, नंदा देवी 7817 मीटर ,नामचा बरवा 7756 मीटर
इस पर्वत की मुख्य चट्टाने कायांतरित अथवा रूपांतरित है एवं igneous चट्टानें भी है, ग्रेट हिमालय को जम्मू कश्मीर में जसकर पर्वत कहते हैं इस पर्वत का अधिकांश भाग चीन व नेपाल में स्थित है, यह हिमालय में सबसे पहले बना तिब्बत के पठार के बनने के बाद ग्रेट हिमालय की उत्पत्ति हुई इसका पूर्वी भाग अधिक ऊंचा है और पश्चिमी भाग अधिक चौड़ा है#vinayiasacademy.com


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लेजर हिमालय या मध्य हिमालय किसे कहते हैं पीर पंजाल और धौलाधार श्रेणी किसका भाग है#vinayiasacademy.com# https://vinayiasacademy.com/?p=2873 https://vinayiasacademy.com/?p=2873#respond Mon, 03 Aug 2020 14:50:44 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2873 Share itलेजर हिमालय या मध्य हिमालय किसे कहते हैं पीर पंजाल और धौलाधार श्रेणी किसका भाग है#vinayiasacademy.com# यह पर्वत ग्रेट हिमालय के दक्षिण में स्थित है या दूसरी अवस्था में बना है यह पर्वत भी पूरब पश्चिम दिशा में है इसकी औसत ऊंचाई 3800 मीटर से 4500 मीटर तक है लगभग यह 80 किलोमीटर चौड़ा […]

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लेजर हिमालय या मध्य हिमालय किसे कहते हैं पीर पंजाल और धौलाधार श्रेणी किसका भाग है#vinayiasacademy.com# यह पर्वत ग्रेट हिमालय के दक्षिण में स्थित है या दूसरी अवस्था में बना है यह पर्वत भी पूरब पश्चिम दिशा में है इसकी औसत ऊंचाई 3800 मीटर से 4500 मीटर तक है लगभग यह 80 किलोमीटर चौड़ा है इसे जम्मू कश्मीर में पीर पंजाल श्रेणी कहते हैं , हिमाचल प्रदेश में धौलाधार श्रेणी ,उत्तराखंड में मसूरी पर्वत नेपाल में महाभारत पर्वत कहा जाता है उत्तर भारत की अधिकांश पर्वतीय सैरगाह इसी पर्वत पर आधारित है ग्रेटर हिमालय और लेजर हिमालय के बीच कई लंबी लंबी घाटियां है कश्मीर की घाटी और काठमांडू की घाटी इसका उदाहरण है, आंतरिक हिमालय और मध्य हिमालय के बीच मुख्य कन्वर्जेंस thrust नामक जॉन है जिससे यह बटा हुआ है#vinayiasacademy.com


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Off-shoots of Himalya, हिमालय के ऑफशूट्स क्या है#vinayiasacademy# https://vinayiasacademy.com/?p=2872 https://vinayiasacademy.com/?p=2872#respond Mon, 03 Aug 2020 14:47:54 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2872 Share itOff-shoots of Himalya, हिमालय के ऑफशूट्स क्या है#vinayiasacademy# हिमालय बनते समय एक लंबी आकृति अपने दोनों किनारे पर अचानक से टूट गई जो एक हेयर पिन के जैसा है जो सिंधु नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच है इसी मुड़ी हुई दोनों किनारे को ऑफशूट्स कहा जाता है अर्थात इसके उत्तर पश्चिम में […]

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Off-shoots of Himalya, हिमालय के ऑफशूट्स क्या है#vinayiasacademy# हिमालय बनते समय एक लंबी आकृति अपने दोनों किनारे पर अचानक से टूट गई जो एक हेयर पिन के जैसा है जो सिंधु नदी से लेकर ब्रह्मपुत्र नदी के बीच है इसी मुड़ी हुई दोनों किनारे को ऑफशूट्स कहा जाता है अर्थात इसके उत्तर पश्चिम में टूटने के कारण हजारा पर्वत सुलेमान पर्वत बुगती पर्वत suleman पर्वत और mekran पर्वत की उत्पत्ति हुई जो हिमालय के श्रृंखला से अलग इसी प्रकार से इस के उत्तर पूर्वी भाग में ब्रह्मपुत्र नदी के पूरब में अराकान योमा पर्वत तेने सरीन पर्वत हिमालय से अलग श्रृंखला में मौजूद है अगर भारत की और देखें तो भारत में नगा पर्वत पथरी पर्वती पहाड़ी और lushai ,mizo पहाड़ी हिमालय के ऑफ सूट्स कहे जाते हैं हिमालय के उत्तर पूर्व में कराकोरम पर्वत और लद्दाख ऑफशूट का ही भाग है कभी-कभी इसे ट्रांस हिमालय भी कहते हैं#vinayiasacademy.com


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DRAINAGE SYSTEM https://vinayiasacademy.com/?p=2808 https://vinayiasacademy.com/?p=2808#respond Fri, 31 Jul 2020 09:34:34 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2808 Share itDRAINAGE SYSTEM. drainage systems, also known as river systems, are the patterns formed by the streams, rivers, and lakes in a particular drainage basin. They are governed by the topography of the land, whether a particular region is dominated by hard or soft rocks, and the gradient of the land.The number, size, and shape of the drainage basins found in […]

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DRAINAGE SYSTEM.
drainage systems, also known as river systems, are the patterns formed by the streams, rivers, and lakes in a particular drainage basin. They are governed by the topography of the land, whether a particular region is dominated by hard or soft rocks, and the gradient of the land.The number, size, and shape of the drainage basins found in an area vary and the larger the topographic map, the more information on the drainage basin is available.
what is tributary?
Tributary or affluent is a stream or river that flows into a larger listing or main steam river or a lake. a tributary does not flow directly into a sea or ocean.
what is distributary ?
Distributary is a stream that branches of and flows away from a main stream channel.
India possesses a vast network of river.the river in India divided into two categories: 1.Himalayan rivers.
2.peninsular river.
What is the difference between Himalayan River and Peninsular river?
(1) The Himalayan rivers originate from the snow-covered mountains.where as ,The Peninsular rivers mostly originate from peninsular plateaus.

(2) These rivers have large basins and catchment areas.whereas ,These rivers have small basins and catchment areas.

(3) These rivers flow through deep nearly I-shaped valleys. Peninsular These rivers flow through broad and shallow valleys.

(4) Himalayan River are perennial in nature, whereas Peninsular river are seasonal and dry up in summer as they are dependent on rainfall.

(5) himalayan rivers are perennial in nature and receive water both from the monsoon and the melting of the snow.whereas,peninsular rivers are seasonal in nature as they receive water only from the monsoon rain.

(6) himalayan rivers are suitable for navigation as they flow over plain areas.peninsular rivers are not suitable for navigation as they flow over uneven land in plateau areas.

(7) Himalaya rivers cause much erosion and have a great flow of water, whereas Peninsular river create less erosion and also have a weaker flow of water.

(8) Himalayan rivers form large deltas near their mouth.whereas,peninsular rivers form estuaries or smaller deltas.

(9) Himalayan River are much longer and deeper than peninsular rivers.
🔸 what is drainage system of rivers?
The drainage system of rivers refers to the pattern of flow of rivers .such pattern is dependent on the variety of factors such as underlying soil structure ,amount of water, age of river,etc. some of the important drainage system in context of river are as follows:
🔸what is antecedent drainage?
Antecedent refers to a”things that existed before”. in terms of river ,it refers to river that have maintained their original course even after the rise of Mountain. this rivers have been able to do so because of their Swift floe;they have been able to continuously Erode the rising mountains. the Himalayan rivers of Sutlej and Indus are example of antecedent drainage .the gap of passes between Himalayas are on account of antecedent rivers.
A superposed stream is a stream that forms over horizontal beds that overlie folded and faulted rock with varying resistance. Having cut down through the horizontal beds, the stream retains its course and pattern as it proceeds to erode the underlying rocks despite their different character. The stream erodes a gorge in the resistant bed and continues its flow as before.


🔸 what is consequent drainage?
Consequent rivers are those rivers that have emerged after the rise of mountains. the existence of this river is dependent on mountains .the main source of water in this river is the melting of Mountain snow .the river that originated in the Himalaya, such as Ganga and Yamuna, example of consequent drainage.
The Rivers which follow the general direction of slope are known as the consequent rivers. Most of the rivers of peninsular India are consequent rivers. For example, rivers like Godavari, Krishna and Kaveri, descending from the Western Ghats and flowing into the Bay of Bengal, are some of the consequent rivers of Peninsular India.
🔸what is superimposed drainage?

Superimposed rivers are formed on a horizontal bed formed over the underlying Rock structure .the river creates its own way and erodes the horizontal bed. after the horizontal bed is eroded , the river comes into contact with the underlying Rock structure. through it comes into contact with the underlying Rock structure, the river does not deviate from it path and follows its own path by imposing it own course on the underlying Rock structure. the river follows its own path without any deviation. Chambal, Damodar ,and even subarnarekha are example of superimposed drainage.
A drainage pattern that has been established on an earlier surface . Subsequently the pattern was lowered by river incision so it now lies across geologic structures to which it bears no relation.
Himalayan rivers:

The Himalayan Rivers are the rivers that originate from the Himalayan mountain ranges. These rivers are snow fed; they receive water from the melting ice of the glaciers as well as from the rains. The three main Himalayan Rivers are the Ganga, the Indus and the Brahmaputra. These three rivers flow towards the West and collectively form the Himalayan River System. These rivers are also known as three different river systems as they have many tributaries
They have larger basins and catchment areas. Furthermore, the mouth of these rivers, the point where they meet the sea, form large deltas, e.g. the Ganges-Brahmaputra delta is the biggest delta in the world.
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•There are list of some Indus and it’s tribute:
River Indus is near Mansarovar Lake, Tibet. the mountain tributaries :are gilgit ,shyok. the plain tributaries: are Jhelum ,Chenab, Ravi ,Sutlej ,and Beas.
river Jhelum its source from verinag at the foothills of Pir Panjal .which flows through the valley of Kashmir and wular lake before entering Pakistan .
river Chenab sources bara-lacha pass. which flows through Chamba district.
river Ravi which is source of Kullu Hills, Himachal Pradesh. flows through Chamba district .
river Satluj which is at Rakas Lake ,enters India through Shipki la and flows through Himachal Pradesh and Punjab before entering Pakistan .
river Beas Beas Kund near Rohtang Pass, Kullu Hills which joins sutlej near harika.
list of some Ganga and its tributaries:
Ganga sources Gangotri Glacier of the great Himalayas .which is formed by the joining of Alaknanda and Bhagirathi at Devprayag .Panch Prayag which country events of two rivers . Vishnu Prayag –the dhauliganga and Alaknanda from the Glacier of satopanth.
nandprayag –Mandakini and Alaknanda. Karana Prayag –Alaknanda Anda Pindar. Rudra –prayag Alaknanda and Mandakini. Dev –prayag Bhagirathi ,the chief stream of the gang’s from Gangotri and the Alaknanda .
left Bank tributaries are: Ram Ganga, Gomti ,Ghaghara ,gandak, Kosi,mechi. bagmati passes through Kathmandu ,which is the capital of Nepal .
right Bank tributaries are :Yamuna, Son. Rihand is a tributary of Son .
the Bhagirathi –Hooghly is the western most distributary .which is beyond farak, its bifurcates itself into Bhagirathi– Hooghly in West Bengal and Padma– Meghna in Bangladesh .second one is Yamuna which sources from Yamunotri Glacier .its tributaries are Chambal, Betwa , ken,Sindh ,Malwa. Dhasan is a tributary of betwa. joins Ganga at Allahabad.
Son– AmarKantak plateau –with Ganga in Patna.
Ghaghra– which is sources at east of Gangotri .tributaries are Sarda and rapti. Kosi–peak near Nepal –Tibet border .which shifts its course causing flood in Bihar. known as “Sorrow of Bihar”.
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Chambal –janapav mountain ,mhow. tributaries are: banas ,Kali Sind, parbati. Beach is a tributary of Banas. Chambal is famous for its Ravines.ravines refers to meandering activity of river.
Ajay– Hazaribagh plateau,.that joins Hooghly in West Bengal.
Damodar –Chota Nagpur Plateau ,Palamu District, Jharkhand. knows known as “sorrow of Bengal”.
• Brahmaputra and its tributaries:
Brahmaputra ,Kailash range .which is known as tsangpo , yarlung zangbo,dihang or siang ,jamuna.namcha Barwa peak in the Himalayas makes the Brahmaputra to turn into India.
tributaries :are the dibang, subansiri ,Lohit,tista,manasseh,kameng,thimpu,dihing.
distributaries are :Barak, kaladan
which forms the largest delta of the world along the Ganga.tista passes through Sikkim and meets the Brahmaputra in Bangladesh. Tista waters are disputed between India and Bangladesh .
Ranjeet is the largest tributary of tista. Lohit originates in China and enters Arunachal Pradesh. it meets the Brahmaputra in Assam.
• List of some east flowing rivers;
River Mahanadi –source from foothills of dandakaranya, Raipur district , Chhattisgarh .
subarnarekha,brahmani,and baitarani – West Bengal and Odisha . Brahmani and baitarani passes through bhitarkanika. river Godavari –source from satmala range. largest river system of Peninsular India. left Bank tributaries :are penganga , warshaw,wainganga, indravati ,Sabari ,and sileru .
right Bank tributary :is Manjra.
Krishna –Western Ghats .
tributaries: Bhima, Tungabhadra, ghatprabha ,malaprabha ,musi, hagari,varda, and Konya.
River cauvery(kaveri)–sources from brahmgiri range of Western Ghats. water and shared between Karnataka ,Kerala, Tamilnadu ,and Puducherry.
• list of some west flowing rivers;
Sabarmati Aravalli Range .
Mahi Vindhya range .
Narmada Amarkantak in Madhya Pradesh. flows through a rift Valley between Vindhya and Satpura Range. Which is the largest West flowing river of Peninsular India.
Tapti Satpura Range in betul district, Madhya Pradesh .which is twin of Narmada. and it is the second longest West flowing river of the Peninsular India.
• list of some other important rivers:
River Kalindi –which sources from Karnataka which is the west flowing Peninsular river.
Sheravati – Karnataka Jog Falls located on the rivers .Jog Falls are the highest waterfalls in the India .
ghagar – which Rises from Himachal Pradesh ,which flows through Punjab and Haryana .and enters Rajasthan and dries
up.
river luni –sources are Sambhar Lake , and Rajasthan dries up in rann of Kutch .
Prnneru–Nandi Hills, Karnataka .rises in the Karnataka and runs through the state of Andhra Pradesh to the Bay of Bengal.
Ponniyar– Nandi Hills, Karnataka. IT rises in the Karnataka ,flowing through Tamilnadu, into the Bay of Bengal .
palar– Nandi Hills ,Karnataka. IT rises in the Karnataka and flows through Andhra Pradesh and tamilnadu before its Confluence into the Bay of Bengal .
river bhadar and shetrunji –sources from Gujarat ,these are rivers rivers in Gujarat and they flow in the Arabian Sea.
• important canals in india:
🔸 indira gandhi canal:
Indira Gandhi canal is one of the largest canal Project in India. it starts from the harike Barrage ,at a few kilometres below the confluence of the Satluj and Beas river in Punjab and terminates in the Thar desert, in the Northwest of Rajasthan.
state of Punjab and terminates in irrigation facilities in the Thar Desert in the north west of Rajasthan state. Previously known as the Rajasthan Canal, it was renamed the Indira Gandhi Canal on 2 November 1984 following the assassination of Prime Minister Indira Gandhi.
🔸 kommanur canal:
Kommanur canal ,is also called the Buckingham canal, joins Eastern Andhra Pradesh and North Eastern Tamilnadu. it was constructed between 1806 and 1882 along the Coromandel coast.
Its coordinates are 16°21’0″ N and 80°37’0″ E in degrees Minutes Secondsor 16.35 and 80.6167 in decimal degrees. 
the sun rises at 09:00 and sets at 21:07.
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  1. IMPORTANT INDIAN CITIES LOCATED ON RIVERß:
    RIVERS: CITIES LOCATED:
    Jhelum srinagar .
    Ravi chamba.
    Yamuna delhi.
    Chambal kota.
    Ganga patna,varanasi.
    Brahmaputra guwahati.
    Sabarmati Ahmedabad,Gandhinagar.
    Tapti surat.
    Mahi vadodara or baroda.
    Gomti lucknow.
    Hooghly kolkata.
    Kaveri tiruchirappalli.
    Musi Hyderabad.
  2. IMPORTANT RIVER VALLEY PROJECTS:
    Project Bakra Nangal multipurpose project, is one of the highest gravity dam .river Sitlej.Reservoir :Govind Sagar lake. In state Punjab, Haryana,and Rajasthan .
    Thein dam—river, Ravi state Punjab.
    dulhasti —river Chenab, State Jammu and Kashmir.
    Salal—river Chenab ,Jammu and Kashmir. Kishanganga —River Kishanganga a tributary of jhelum. called river neelum in Pakistan. State Jammu and kashmir. Hirakud multipurpose project the India’s longest mainstream dam —river Mahanadi, state Odisha .
    Nagarjuna Sagar —river Krishna state Telangana .
    Chambal project Gandhi Saga Dam—Chambal state Rajasthan ,madhya pradesh. Sardar sarovar dam—river Narmada, State Gujarat .
    Tehri Dam —river Bhagirathi state uttrakhand.
    Mullaperiyar—river periyar at the state kerala.

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उद्योग (भाग-3) https://vinayiasacademy.com/?p=2641 https://vinayiasacademy.com/?p=2641#respond Thu, 02 Jul 2020 11:05:09 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2641 Share itवस्त्र उद्योग– भारतीय अर्थव्यवस्था में कपड़ा उद्योग का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। औद्योगिक उत्पादन रोजगार के अवसर पैदा करने और विदेशी मुद्रा अर्जित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वर्तमान में औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान लगभग 14% है और सकल घरेलू उत्पाद में 4% है जबकि विदेशी आय में 13.5% है। […]

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वस्त्र उद्योग– भारतीय अर्थव्यवस्था में कपड़ा उद्योग का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। औद्योगिक उत्पादन रोजगार के अवसर पैदा करने और विदेशी मुद्रा अर्जित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वर्तमान में औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान लगभग 14% है और सकल घरेलू उत्पाद में 4% है जबकि विदेशी आय में 13.5% है। यह 3:30 करोड़ बेटियों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है तथा इसमें बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति जनजाति यों और महिलाओं की है। वस्त्र उद्योग देश में कृषि के बाद रोजगार प्रदान करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है इसलिए इस उद्योग की वृद्धि और विकास का भारतीय अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहता है। पिछले छह दशकों की तुलना में आज भारतीय वस्त्र उद्योग मजबूत स्थिति में हैं। पिछले 4 दशकों से इस उद्योग में 3 से 4% का विकास हो रहा था लेकिन आज इसकी सालाना विकास दर 8:00 से 9% हो गई है। भारत का कब वस्त्र उद्योग राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला है इसका भारत के निर्यात में 13.5% का योगदान है भारतीय वस्त्र उद्योग तकनीकी पिछड़ेपन का भी सामना कर रहा है इसके अलावा कुशल श्रम शक्ति की भी कमी हो रही है। विभिन्न प्रकार के वस्त्र उद्योगः
सूती वस्त्र उद्योग– सूती वस्त्र उद्योग का देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है। यह देश के सर्वाधिक व्यापक रूप से वितरित उद्योगों में से एक है तथा इसमें देश के कुल औद्योगिक क्रम का पांचवा हिस्सा शामिल है अधिकांश सूती वस्त्र मिले अभी भी सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र के मैदान और प्रायद्वीपीय भारत के कपास उत्पादक क्षेत्रों में ही स्थित है। पहला सूती वस्त्र मिल 1854 ईसवी में कवासजी टावर द्वारा मुंबई में स्थापित किया गया था। वर्तमान में भारत में करीब 1846 सूती वस्त्र मिले हैं। वस्त्र का सर्वाधिक खाना खाना महाराष्ट्र में है जिसके प्रमुख केंद्र हैं सोलापुर, कोल्हापुर, नागपुर, पुणे, औरंगाबाद और जलगांव। अमेरिका और चीन के बाद भारत का सूती वस्त्र उत्पादन में तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। कानपुर को उत्तरी भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है तथा कोयंबटूर को दक्षिण भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है। मुंबई को भारत में सूती वस्त्रों की राजधानी के नाम से जाना जाता है तथा अहमदाबाद को भारत का बोस्टन कहा जाता है। भारत में सूती वस्त्र उद्योग मैं सम्मिलित राज्य कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश हैं।


रेशमी वस्त्र उद्योग– प्रथम रेशम वस्त्र उद्योग की स्थापना 1832 ईसवी में हावड़ा में की गई। भारत कच्चे रेशम का विश्व में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। विश्व के कुल रेशम उत्पादन का 18% उत्पादन भारत में होता है। कर्नाटक देश में रेशम का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। भारत में चार प्रकार के रेशम मलबाड़ी, टसर, एरी और मूंगा पाए जाते हैं। मूंगा सिल्क उत्पादन में विश्व में भारत को एक अधिकार प्राप्त है जो कि आसाम में होता है। देश में रेशम बनाने तथा कपड़ा तैयार करने के कुल 300 कारखाने हैं जम्मू-कश्मीर में रेशमी वस्त्र तैयार करने के 80 छोटे-छोटे कारखाने हैं तथा श्रीनगर में रेशम का सबसे बड़ा कारखाना स्थापित है।
ऊनी वस्त्र उद्योग– भारत में आधुनिक ऊनी वस्त्र उद्योग की शुरुआत 18 से 76 ईसवी में कानपुर में लाल इमली द्वारा किया गया था। 1835 ईस्वी में धारीवाल तथा मंगलौर में ऊनी मिल की स्थापना की गई। ऊनी वस्त्र उद्योग के करीब 50% मिले पंजाब में है तथा उत्पादन के मामले में विश्व में भारत नवम स्थान पर है।

चीनी उद्योग- चीनी उद्योग सर्वाधिकउत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु तथा कर्नाटक राज्य में है। गन्ने से चीनी आदि बनाने का काम तो भारत में ईसा पूर्व की शताब्दियों से ही प्रचलित रहा है किंतु आधुनिक ढंग से चीनी बनाने का वर्तमान उद्योग इसी शताब्दी की देन है। चीनी उत्पादन में भारत का स्थान ब्राज़ील के बाद विश्व में दूसरा है। विश्व में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश भारत है। देश में सर्वप्रथम चीनी मिल की स्थापना बिहार के बेतिया में 1840 ईसवी में की गई। देश में चीनी की सर्वाधिक मिले महाराष्ट्र में स्थित है। 1995 में भारत में 435 कारखाने थे जिनकी स्थापना मुख्यतः गन्ना उत्पादक क्षेत्रों या उसके समीपवर्ती क्षेत्रों में ही की गई थी क्योंकि गन्ना शीघ्र ही सूख जाता है इसलिए इसको शीघ्रता से कारखानों तक पहुंचाना बहुत ही जरूरी होता है। वर्तमान में देश में चीनी मिलों की संख्या 642 है। देश में सर्वाधिक गन्ना चीनी और गुड उत्पादक उत्तर प्रदेश है।


शीशा उद्योग- भारत का पहला शीशा कारखाना 1941 इसी में खोला गया। भारत में शीशा उद्योग का विकास मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु राज्य में हुआ है। भारत में शीशा उद्योग का महत्वपूर्ण केंद्र फिरोजाबाद एवं शिकोहाबाद है। फिरोजाबाद चूड़ी उद्योग के लिए काफी प्रसिद्ध है।
दवा निर्माण उद्योग – स्वास्थ्य दुनिया के सामाजिक और आर्थिक विकास में सर्वोपरि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। यही कारण है कि दवा उद्योग को आर्थिक विकास की प्रक्रिया में एक प्रमुख उद्योग के रूप में देखा जाता है। भारतीय दवा उद्योग वैश्विक फार्मा सेक्टर में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और हाल के वर्षों में उल्लेखनीय विकास भी हुआ है। विश्व में अलग-अलग बीमारियों की 50% टीको की मांग भारत से पूरी होती है। अमेरिका में सामान्य दबाव की मांग का 40% और ब्रिटेन की कुल दवाओं की 25% आपूर्ति भारत में निर्मित दवाओं से ही होती है। इसके अलावा विश्व भर में एड्स जैसी खतरनाक बीमारी के लिए प्रयोग की जाने वाली एंट्री रेट्रोवायरल दवाओं की 80% आपूर्ति भारतीय दवा कंपनियां ही करती हैं। 2020 तक भारतीय दवा उद्योग वृद्धि के मामले में विश्व के शीर्ष तीन दवा बाजारों और आकार के मामले में विश्व का सबसे अच्छा सबसे बड़ा बाजार भारत होने वाला है। हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड की स्थापना 1954 ईस्वी में पिपरी के पुणे में की गई थी ड्रग एवं फार्मर क्यूटिकल्स के क्षेत्र में यह देश का पहला सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम था। भारतीय औषधि एवं फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड की स्थापना 1961 ईस्वी में की गई जिसका 3 केंद्र ऋषिकेश, गुड़गांव तथा हैदराबाद में है।


रसायनिक खाद उद्योग– भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा रासायनिक उर्वरक उत्पादक एवं उपभोक्ता देश है। भारत पोटाश उर्वरक के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर है। भारत में नाइट्रोजन उर्वरक की खपत सबसे अधिक होती है। 1986 में तमिलनाडु के रानी पेट में सुपर फास्फेट बनाने का कारखाना खोला गया । कर्नाटक के बेलागुला में 1939 ईस्वी में अमोनिया सल्फेट का कारखाना खोला गया। 1951 ईस्वी में झारखंड के सीनरी में उर्वरक उत्पादन का प्रथम सरकारी कारखाना खोला गया। सिंदरी उर्वरक संयंत्र एशिया का सबसे बड़ा उर्वरक संयंत्र है। देश के शीर्ष उर्वरक उत्पादक राज्य गुजरात, तमिल नाडु, उत्तर प्रदेश राष्ट्र हैं। नाइट्रोजन खाद बनाने में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
इस तरह के सारे उद्योग धंधों से भारत परिपूर्ण है जो कि भारत में बेरोजगारी को कम करता है इसलिए हम सभी को चाहिए कि हम अपना संपूर्ण योगदान इसे विकसित करने में दें।


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भारत में पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उद्योगों का विस्तार पूर्वक से वर्णनः

लौह इस्पात उद्योग– लौह इस्पात उद्योग को किसी भी देश की आर्थिक विकास का रीढ़ माना जाता है। भारत स्पंज और आयरन के उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है। भारत में सबसे पहले बड़े पैमाने 1907 में जमशेदजी टाटा ने साकची में आयरन कंपनी स्थापित किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात पंचवर्षीय योजनाओं के अंतर्गत इस पर काफी ध्यान दिया गया तथा वर्तमान में 7 कारखानों द्वारा लौह इस्पात का उत्पादन किया जा रहा है। 1960 में पश्चिम बंगाल की दामोदर घाटी में भारतीय लौह इस्पात कंपनी की स्थापना की गई। 1923 ईस्वी में भद्रावती में मैसूर आयरन एंड स्टील वर्क्स की स्थापना की गई। 1937 में बंगाल के बर्नपुर नामक स्थान पर आयरन कंपनी स्थापित की गई जिसे वर्तमान में विश्व श्रेया आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। द्वितीय पंचवर्षीय योजना में ब्रिटेन की सहायता से दुर्गापुर, जर्मनी की सहायता से राउरकेला सोवियत संघ की सहायता से भिलाई में 3 कारखाने स्थापित किए गए। तृतीय पंचवर्षीय योजना में बोकारो में सोवियत संघ के सहयोग से लौह इस्पात कारखाना स्थापित करने का निर्णय लिया गया और 1974 ईस्वी में यहां उत्पादन भी शुरू हो गया। चतुर्थ पंचवर्षीय योजना में विशाखापट्टनम, विजयनगर एवं सलीम में इस्पात कारखाना स्थापित किया गया। 1973 ईस्वी में स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड की स्थापना कर भिलाई, राउरकेला, दुर्गापुर, सलीम, बनपुर, बोकारो, विश्वेश्वर्या आयरन एंड स्टील कंपनी का प्रबंधन सेल के अधीन कर दिया गया।


एलुमिनियम उद्योग- एलुमिनियम उद्योग के अंतर्गत बॉक्साइट की कच्ची धातु से बने पदार्थ आते हैं। बॉक्साइट को गलाने के लिए बड़ी मात्रा में कोयले की आवश्यकता के कारण एलुमिनियम कारखाने उन्हीं क्षेत्रों में स्थापित किए जाते हैं जहां दोनों खनिज बराबर मात्रा में मिल जाए। भारत में पहला अलमुनियम का कारखाना 1937 में जेके नगर( पश्चिम बंगाल) मैं एलुमिनियम कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से स्थापित किया गया। 1938 ईस्वी में इंडियन एलुमिनियम लिमिटेड की चार शाखा झारखंड के मुरी, कर्नाटक के अलवाए, पश्चिम बंगाल के बेलूर, तथा उड़ीसा के हीराकुंड में स्थापित की गई। एलुमिनियम का तीसरा कारखाना हिंदुस्तान एलुमिनियम कारपोरेशन( हिंडालको), उत्तर प्रदेश के रेणुकूट नामक स्थान पर स्थापित किया गया। इसके अलावा एलुमिनियम का चौथा कारखाना तमिलनाडु के मैटूर नामक स्थान पर मद्रास एलुमिनियम कारपोरेशन के नाम से खोला गया है इस कारखाने की कुल उत्पादन क्षमता लगभग 400000 टन प्रतिवर्ष है। भारत की प्रमुख एलमुनियम कंपनियां हैं- नाल्को, बाल्को, हिंडालको, तथा माल को।
रेल उपकरण उद्योग– यह भारत सरकार द्वारा नियंत्रित सार्वजनिक रेलवे सेवा है। भारत में रेलवे की कुल लंबाई 67415 किलोमीटर है। भारत में रोजाना 200 यात्री और 3300000 टन माल रेलवे से धोया जाता है। 1945 में टाटा इंजीनियरिंग एंड लोकोमोटिव कंपनी की स्थापना रेल इंजन बनाने के लिए की गई। 1985 में भारत सरकार द्वारा चितरंजन में चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स की भी स्थापना की गई। 1964 ईस्वी में डीजल इंजन बनाने के लिए डीजल लोकोमोटिव वर्क्स की वाराणसी में स्थापना की गई। सार्वजनिक क्षेत्र में रेल डिब्बा बनाने का प्रथम कारखाना पेरंबूर के चेन्नई में स्थापित किया गया। रेलवे कोच फैक्ट्री’ कपूरथला ‘की स्थापना 1988 में की गई,। भारत के परिवहन क्षेत्र का मुख्य घटक है यह न केवल देश की मूल संरचना स्मार्ट और संस्थाओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है बल्कि बिखरे हुए क्षेत्रों को भी एक साथ जोड़ने में और देश राष्ट्रीय अखंडता का भी संवर्धन करता है। राष्ट्रीय आपदा की स्थिति के दौरान या आपदा ग्रस्त क्षेत्रों में राहत सामग्री पहुंचाने में काफी अग्रणी रहा है।।
जलयान निर्माण उद्योग– जलयान बनाने का पहला कारखाना सिंधिया नेविगेशन कंपनी द्वारा सन 1941 ईस्वी में विशाखापट्टनम में स्थापित किया गया जिसे वर्तमान में हिंदुस्तान शिपयार्ड कंपनी चला रही है। वर्तमान में देश में कुल 28 शिपयार्ड है जिसमें से 19 निजी क्षेत्र की है। मझगांव डॉक कि मुंबई में नाविक जहाज, माल ढोने वाली नावे तथा भारतीय नौसेना के फ्रीगेट आदि बनाई जाती है। कोच्चि शिपयार्ड में 85000 D.W.T तक के जलयान बनाए जाते हैं। कोच्चि शिपयार्ड देश का नवीनतम एवं सबसे बड़ा पूत प्रांगण है।


सीमेंट उद्योग– सीमेंट उद्योग कच्चा माल पर आधारित उद्योग है। सीमेंट को भवन निर्माण की प्रमुख सामग्री के रूप में मान्यता प्राप्त है उत्पादन एवं वितरण प्रतिरूप की दृष्टि से भारत का तमिलनाडु राज्य सर्वाधिक सीमेंट उत्पादक राज्य है। विश्व में सर्वप्रथम 24 में इंग्लैंड के पोर्टलैंड नामक स्थान पर आधुनिक रूप से सीमेंट का निर्माण किया गया था।
भारत में सीमेंट कंपनियों की स्थापना
भारत में पहला सीमेंट कारखाना मद्रास में 1904 ई० में स्थापित किया गया।
1912 मैं इंडियन सीमेंट कंपनी लिमिटेड द्वारा गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर कारखाने की स्थापना की गई जिससे अक्टूबर 1914 में उत्पादन शुरू हो गया।
भारत विश्व में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है। वर्तमान में भारत में कुल मिलाकर 171 सीमेंट के कारखाने हैं। ए. सी. सी निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी है। सार्वजनिक क्षेत्र की सबसे बड़ी सीमेंट कंपनी सीमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया है।
कागज उद्योग- सर्वप्रथम भारत में कागज बनाने का कारखाना 1832 इसी में श्रीरामपुर के पश्चिम बंगाल में स्थापित किया गया। भारत के प्रति व्यक्ति कागज की खपत विश्व के प्रति व्यक्ति औसत का पद से काफी कम है। भारतीय कागज उद्योग विश्व में 15 व स्थान पर है। वर्तमान में कागज मिलों की संख्या देश में 759 हो गई है। नेपानगर के मध्य प्रदेश में अखबारी कागज तथा होशंगाबाद में नोट छापने का भी कारखाना है। पश्चिम बंगाल भारत का सबसे बड़ा कागज उत्पादक राज्य है।


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उद्योग एवं प्रभावित करने वाले कारक (भाग-1) https://vinayiasacademy.com/?p=2637 https://vinayiasacademy.com/?p=2637#respond Thu, 02 Jul 2020 10:35:52 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2637 Share itउद्योग किसे कहते हैं इसे प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं तथा इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें? किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का उत्पादन तथा वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग कहते हैं। उद्योगों के कारण ही गुणवत्ता वाले उत्पाद हमें कम दामों पर […]

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उद्योग किसे कहते हैं इसे प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं तथा इसके विभिन्न प्रकारों का वर्णन करें?

किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का उत्पादन तथा वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग कहते हैं। उद्योगों के कारण ही गुणवत्ता वाले उत्पाद हमें कम दामों पर प्राप्त होते हैं जिससे लोगों के रहन-सहन के स्तर में सुधार हो पाता है और लोगों का जीवन यापन आराम से हो पाता है।
औद्योगिक क्रांति के यूरोप और उत्तरी अमेरिका में उद्योग धंधे आरंभ हुए। इसके बाद आधुनिक औद्योगीकरण ने पैर पसारना आरंभ किया। इस साल में नई नई तकनीक एवं ऊर्जा के नए साधनों के आगमन ने उद्योगों को जबरदस्त बढ़ावा दिया।
उद्योग के मुख्यता 2 पक्ष होते हैं
भारी मात्रा में उत्पादन( मास प्रोडक्शन)- ऐसी उद्योगों में मानक डिजाइन के उत्पाद भारी मात्रा में उत्पन्न किए जाते हैं तथा इसके लिए स्वचालित मशीन एवं असेंबली लाइन आदि का प्रयोग किया जाता है।
कार्य का विभाजन( डिवीजनऑफ लेबर)- उद्योग में डिजाइन, उत्पादन, मार्केटिंग प्रबंधन आदि कार्य अलग-अलग लोगों द्वारा समूह में किए जाते हैं। जबकि परंपरागत कारीगर द्वारा निर्माण में एक ही व्यक्ति सब कुछ करता है इतना ही नहीं एक ही काम को छोटे-छोटे अनेक कार्यों में भी बांट दिया जाता है।
औद्योगिक आर्थिक क्रियाकलापों के आधार पर इन्हें चार भागों में बांटा गया है-
प्राइमरी सेक्टर– इस सेक्टर के अंतर्गत कच्चे माल के निष्कर्षण से संबंधित क्रियाकलाप आते हैं जैसे खनन, कृषि आदि।
सेकेंडरी सेक्टर– इसमें तेल शोधक कारखाने, मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े उद्योग आदि आते हैं।
टर्सियरी सेक्टर- इस सेक्टर के अंतर्गत सेवाएं जैसे कानून, बैंक, स्वास्थ्य एवं उत्पादों के वितरण से संबंधित उद्योग आते हैं।


उद्योग विभिन्न प्रकार के होते हैं:
कुटीर उद्योग
सरकारी क्षेत्र के उद्योग
एकल स्वामित्व वाले उद्योग
पर्यटन उद्योग
फिल्म उद्योग
लघु उद्योग
खनन उद्योग
लोहा एवं इस्पात उद्योग
सीमेंट उद्योग
वस्त्र उद्योग
कागज उद्योग
उद्योगों के लिए आवश्यक सुविधाएं निम्नलिखित है
मजदूर
उचित जलवायु
पूंजी
शक्ति के साधन
बाजार की निकटता
कच्चे माल की निकटता
परिवहन
सरकारी सहायता


उद्योगों को प्रभावित करने वाले कारकः
उद्योगों की स्थिति को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण भौगोलिक कारक निम्नलिखित हैंः
कच्चा माल– किसी भी उद्योग के विकास के लिए कच्चे माल की उपलब्धता प्राथमिक आवश्यकता होती है। परंतु कभी-कभी औद्योगिक उद्यमों की अवस्थित ई कच्चे माल की अवस्थित इसे निर्धारित होती है जिस कारण अन्य गोन कारक तथा परिवहन की सुविधा बाजार की अवस्थिति एवं कच्चे माल का भारतीय चरित्र भी इसकी आवृत्ति को संशोधित करते हैं।
विद्युत- उद्योगों की स्थिति के लिए नियमित विद्युत आपूर्ति पूर्व शर्त है। कोयला, खनिज तेल और जल विद्युत विद्युत के तीन महत्वपूर्ण परंपरागत स्रोत है। लोहा इस्पात उद्योग जो कि विद्युत स्रोत के लिए बड़ी मात्रा में कोकिंग कोयले पर निर्भर करता है वह कोयला क्षेत्रों से जुड़ा होता है।
श्रम– श्रम आपूर्ति दो आधारों पर महत्वपूर्ण है अक्सर बड़ी संख्या में कामगारों की आवश्यकता होती है। कुशल और तकनीकी क्षमता से युक्त लोगों की आवश्यकता होती है। हमारे देश में आज भी आधुनिक उद्योग में मशीनीकरण में वृद्धि के बजाय बड़ी संख्या में काम करो कि आवश्यकता है।


परिवहन– कच्चे माल को पहुंचाने के लिए भूमि तथा जल से परिवहन आवश्यक होता है, साथ ही अंतिम उत्पादों के विवरण के लिए आवश्यक होता है। भारत में रेलवे के विकास में बंदरगाह करो को आंतरिक प्रदेशों से जोड़कर कोलकाता मुंबई और चेन्नई के इर्द-गिर्द के उन सभी उद्योगों की स्थापना सुनिश्चित करती है।
बाजार– जब तक अंतिम वस्तु बाजार तक पहुंच नहीं जाती है तब तक विनिर्माण की संपूर्ण प्रक्रिया निरर्थक है। निर्माण वस्तुओं के त्वरित निष्पादन के लिए बाजार से निकटता आवश्यक है। इससे हमारी परिवहन लागत को कम करने में सहायता मिलती है तथा उपभोक्ता वस्तुओं को कम दामों पर प्राप्त कर सकता है।
जल– उद्योग का एक अन्य महत्वपूर्ण कारक जल भी है। इसी कारण अनेक उद्योग नदियों, नेहरू और जिलों के निकट स्थित है। लोहा इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग रासायनिक उद्योग को व्यवस्थित तरीके से चलाने के लिए बड़ी मात्रा में जल की आवश्यकता होती है।
स्थल– औद्योगिक विकास के लिए स्थल की आवश्यकता महत्वपूर्ण होती है। सामान्यता अस्थल संपन्न होने चाहिए ताकि वहां पर पर्याप्त परिवहन सुविधाएं उपलब्ध हो जाए। कारखानों के निर्माण के लिए व्यापक क्षेत्रों की आवश्यकता होती है अब ग्रामीण क्षेत्रों में उद्योगों को स्थापित करने की प्रवृत्ति बढ़ती चली जा रही है क्योंकि नगरीय केंद्रों में भूमि की लागत अत्यधिक हो चुकी है।


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खनिज संसाधन तथा ऊर्जा संसाधन(भाग-2) https://vinayiasacademy.com/?p=2635 https://vinayiasacademy.com/?p=2635#respond Thu, 02 Jul 2020 10:25:05 +0000 https://vinayiasacademy.com/?p=2635 Share itऊर्जा संसाधन– ऊर्जा का उत्पादन खनिजों जैसे कोयला, ऊर्जा संसाधन- ऊर्जा का उत्पादन खनिजों जैसे कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम तथा विद्युत से किया जाता है। ऊर्जा संसाधनों को परंपरागत तथा गैर परंपरागत संसाधनों में वर्गीकृत किया जाता है। परंपरागत साधनों में लकड़ी, उपले, कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा विद्युत( जल विद्युत और ताप […]

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ऊर्जा संसाधन– ऊर्जा का उत्पादन खनिजों जैसे कोयला, ऊर्जा संसाधन- ऊर्जा का उत्पादन खनिजों जैसे कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, यूरेनियम तथा विद्युत से किया जाता है। ऊर्जा संसाधनों को परंपरागत तथा गैर परंपरागत संसाधनों में वर्गीकृत किया जाता है। परंपरागत साधनों में लकड़ी, उपले, कोयले, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस तथा विद्युत( जल विद्युत और ताप विद्युत) सम्मिलित है। गैर परंपरागत साधनों में सौर , पवन, ज्वारीय, भूतापीय, बायोगैस तथा परमाणु ऊर्जा शामिल किए जाते हैं। ग्रामीण घरों में आवश्यक ऊर्जा का 70% से अधिक इंदौर साधनों से प्राप्त होता है लेकिन अब घटते वन क्षेत्र के कारण इनका उपयोग करना कठिन हो जा रहा है जिसके अस्तित्व उपयोग का उपयोग भी हतोत्साहित किया जा रहा है। क्योंकि इसमें सर्वाधिक मूल्यवान खाद्य का उपभोग होता है जिसे कृषि में उपयोग किया जा सकता है।
ताप विद्युत– राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम की स्थापना 1975 में की गई इस दिल्ली में है। प्रतिमान में 47228 मेगावाट क्षमता की 35 विद्युत परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है देश की सबसे बड़ी बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना भाखड़ा नांगल परियोजना का संचालन भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड चंडीगढ़ के द्वारा किया जाता है। देश की पहली बहुद्देशीय नदी घाटी परियोजना दामोदर घाटी परियोजना की स्थापना 18 फरवरी 1948 को की गई थी ।ताप विद्युत क्रिया नवीकरण योग्य जीवाश्म ईंधन का प्रयोग कर विद्युत उत्पन्न करते हैं।


जल विद्युत– तेज बहते जल से जल विद्युत उत्पन्न की जाती है जो एक नवीकरण योग्य संसाधन है। भारत में अनेक बहुउद्देशीय परियोजनाएं हैं जो विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करती है । भारत में पहला जल विद्युत शक्ति गिरी 18 से 98 ईसवी में दार्जिलिंग में स्थापित किया गया था। विश्व के कुल संभावित विद्युत ऊर्जा उत्पादन में भारत का स्थान पांचवा है। राष्ट्रीय पनबिजली निगम लिमिटेड की स्थापना 1975 में की गई। 1902 में कर्नाटक में कावेरी नदी के जलप्रपात शिवसमुद्रम पर 40 किलोमीटर शक्ति वाला पन बिजलीघर लगाया गया।
गैर परंपरागत ऊर्जा स्रोत के संसाधन
ऊर्जा की बढ़ती उपभोग ने देश को कोयला तेल और गैस जैसी जीवाश्म ईंधन ऊपर अत्यधिक निर्भर कर दिया है गैस व तेल की बढ़ती कीमतों तथा इनकी संभाव्य कमियों नेभविष्य में ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा के प्रति अनिश्चितता उत्पन्न करती हैं। जीवाश्म ईंधन का प्रयोग गंभीर पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन्न करता है अतः नवीकरण योग्य ऊर्जा संसाधन जैसे सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, जैविक ऊर्जा आशीष पदार्थ जनित ऊर्जा के उपयोग की बहुत जरूरत है यह ऊर्जा के गैर परंपरागत संसाधन कहलाते हैं।
सौर ऊर्जा– भारत एक उष्णकटिबंधीय देश है यहां सौर ऊर्जा के दोहन की असीम संभावनाएं हैं। फोटो वॉल टाइक प्रौद्योगिकी द्वारा धूप को सीधे विद्युत में परिवर्तित किया जाता है। भारत के ग्रामीण तथा सुदूर क्षेत्रों में सौर ऊर्जा तेजी से बढ़ता चला जा रहा है कुछ बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र देश के विभिन्न भागों में भी स्थापित किए जा रहे हैं। भारत में सौर ऊर्जा केंद्र के संस्थान हरियाणा में स्थित है। विश्व का प्रथम ऐसा देश है जिसमें सर्वप्रथम 1962 ईस्वी में सौर कुकर का उत्पादन प्रारंभ किया। भारत को सौर ऊर्जा क्षेत्र में विश्व का अग्रणी देश बनाने के उद्देश्य से 11 जनवरी 2010 को जवाहरलाल नेहरू नेशनल सोलर मिशन का उद्घाटन किया गया।


पवन ऊर्जा– भारत में पवन ऊर्जा के उत्पादन की महान संभावनाएं हैं। भारत में पवन ऊर्जा फार्म के विशालतम पेटी तमिलनाडु में नागरकोइल से मदुरई तक अवस्थित है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, केरल, महाराष्ट्र तथा लक्षदीप में भी है। नागरकोइल और जैसलमेर देश में पवन ऊर्जा के प्रभावी प्रयोग के लिए माने जाते हैं। भारत में करीब 50000 मेगा वाट की पवन ऊर्जा होती है। पवन ऊर्जा उत्पादन में भारत का विश्व में चीन, अमेरिका, जर्मनी, स्पेन के बाद पांचवा तथा एशिया में प्रथम स्थान प्राप्त है। पवन ऊर्जा प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना चेन्नई में की गई है।
बायोगैस– ग्रामीण इलाकों में झाड़ियों, कृषि अपशिष्ट, पशुओं और मानव जनित अपशिष्ट के उपयोग से घरेलू उपभोग हेतु बायोगैस उत्पन्न की जाती है। जैविक पदार्थों के आवंटन से गैस उत्पन्न होती है जिस की तबीयत क्षमता मिट्टी के तेल उपयोग एवं चारकोल की अपेक्षा अधिक होती है। बायोगैस संयंत्र नगरपालिका सहकारिता तथा निजी स्तर पर होती है ।पशुओं का गोबर प्रयोग करने वाले संयंत्र ग्रामीण भारत में गोबर गैस प्लांट के नाम से जाने जाते हैं। यह किसानों को दो प्रकार से लाभ पहुंचाते हैं पहला तो ऊर्जा के रूप में तथा दूसरा उन्नत प्रकार के उर्वरक के रूप में।
ज्वारीय ऊर्जा– महासागरीय तरंगों का प्रयोग विद्युत उत्पादन के लिए किया जाता है। संकरी खारी के आरपार बार द्वारा बनाकर बांध बनाए जाते हैं। उच्च ज्वार में इस संकड़ी खड़ी नुमा प्रवेश द्वार से पानी भीतर भर जाता है और द्वार बंद होने पर बांध में ही रह जाता है। बाढ़ द्वार के बाहर ज्वार उतारने पर बांध के पानी को इसी रास्ते पाइप द्वारा समुद्र की तरह बहाया जाता है जो इसे ऊर्जा उत्पादक टरबाइन की ओर ले जाता है। भारत में खंभात की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी तथा पश्चिमी तट पर गुजरात में और पश्चिम बंगाल में सुंदरबन क्षेत्र में गंगा के डाटा में जो आर्य तरंगों द्वारा ऊर्जा उत्पन्न करने की प्रक्रिया की जाती है।
भूतापीय ऊर्जा– पृथ्वी के आंतरिक भागों से ताप का प्रयोग कर उत्पन्न की जाने वाली विद्युत को भूतापीय ऊर्जा कहते हैं यह प्रदूषण मुक्त ऊर्जा स्रोत है। भूतापीय ऊर्जा इसलिए अस्तित्व में होती है क्योंकि बढ़ती गहराई के साथ पृथ्वी पर आगामी ढंग से तप्त होती जाती है। यहां भी भूतापीय प्रवणता अधिक होती है वहां उतरी गहराइयों पर भी अधिक तापमान पाया जाता है। भारत में सैकड़ों गर्म पानी के चश्मे है जिनका विद्युत उत्पादन में प्रयोग किया जाता है। भूतापीय ऊर्जा के दोहन के लिए भारत में दो प्रायोगिक परियोजना शुरू की गई है एक हिमाचल प्रदेश में मणिकरण के निकट पार्वती घाट में स्थित है तथा दूसरा लद्दाख में पूगा घाटी में स्थित है।


खनिज संसाधन तथा ऊर्जा संसाधन का संरक्षण
खनिजों का संरक्षण- हम सभी लोग उद्योग और कृषि की खनिज नीचे को और उसमें विनिर्मित पदार्थों प्रभारी निर्भरता के लिए प्रेषित है। खनिज संसाधनों के निर्माण व सांद्रण में लाखों वर्ष लगे हैं हम उनका जिस शीघ्रता से उपभोग कर रहे हैं उससे यही लगता है कि आने वाले दिनों में हमें काफी कठिनाइयों से सामना करना पड़ेगा। खनिज निर्माण की भूगर्भिक प्रक्रिया इतनी धीमी है कि उनके वर्तमान उपभोग की दर की तुलना में उनके पुनर्भरण की दर अपरिमित रूप से काफी कम है। हमें खनिज संसाधनों को सुनियोजित एवं सतत पोषणीय ढंग से प्रयोग करने के लिए एक तालमेल युक्त प्रयास का गठन करना होगा। निम्न कोटि के अयस्को को कम लागत ऊपर प्रयोग करने के लिए उन्नत प्रौद्योगिकी यों का सतत विकास करते रहना चाहिए तथा धातु के पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करना चाहिए। हमें खनिजों के निर्यात में कमी करना चाहिए। इसी प्रकार से हम खनिजों का संरक्षण कर सकते हैं क्योंकि खनिजों को आर्थिक रीड की हड्डी कहा जाता है इसलिए इनका संरक्षण अति आवश्यक है।
ऊर्जा संसाधन के संरक्षण
आर्थिक विकास के लिए ऊर्जा एक आधारभूत आवश्यकता है। राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के प्रत्येक सेक्टर कृषि, उद्योग, परिवहन तथा घरेलू आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए ऊर्जा के निवेश की आवश्यकता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात आर्थिक विकास की योजना को चालू रखने के लिए ऊर्जा की बड़ी मात्रा में आवश्यकता थी फल स्वरुप पूरे देश में ऊर्जा के सभी प्रकारों का उपभोग धीरे धीरे बढ़ता चला जा रहा है। हम विभिन्न स्तरों पर ऊर्जा का संरक्षण कर सकते हैं जैसे कि घर के अस्तर पर ऊर्जा का संरक्षण, सामुदायिक स्तर पर ऊर्जा का संरक्षण, नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों का प्रयोग, गृह समूह हेतु सामुदायिक स्तर पर ऊर्जा संरक्षण, उद्योगों तथा अन्य स्थानों पर ऊर्जा संरक्षण। वर्तमान में भारत विश्व के अल्पतम ऊर्जा दक्ष देशों में गिना जाता है। हमें ऊर्जा के सीमित संसाधनों के न्याय संगत उपयोग के लिए सावधानी पूर्ण उपागम अपनाना होगा। भविष्य के लिए हमें ऊर्जा संसाधन का संरक्षण बहुत जरूरी है अर्थात हम यह कह सकते हैं कि ” ऊर्जा की बचत ही ऊर्जा उत्पादन है”।


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खनिज संसाधन तथा ऊर्जा संसाधन से आप क्या समझते हैं उनके बारे में विस्तार रूप से वर्णन करें?

खनिज संसाधन उद्योगों की आधार भूमि है। तथा आर्थिक विकास के संचालक है। खनिजों का दोहन उनके आर्थिक महत्व को देखते हुए लाभ के लिए किया जाता है। उत्खनन कार्य का लाभ खनिज के मूल्य एवं उसकी उपयोगिता तथा उत्खनन पर होने वाले व्यय के ऊपर निर्भर करता है। खनिज एक ऐसा भौतिक पदार्थ है जिसे खान से खोदकर निकाला जाता है । कुछ उपयोगी खनिज पदार्थों के नाम है लोहा, अभ्रक, कोयला, बॉक्साइट आदि। मुलतः खनिज शब्द का अर्थ है खनि+ ज। इसका अंग्रेजी शब्द मिनरल भी माइन से संबंध रखता है।
भारत में खनिज का वितरण
भारत में खनिज संसाधनों का काफी असमान वितरण पाया गया है। देश के कुल कोयला भंडार का 97% सोन, दामोदर, गोदावरी एवं महानदी की घाटियों में पाया जाता है। प्रयास अभी पेट्रोलियम भंडार गुजरात के कुछ और शादी बे सीन ओं असम तथा महाराष्ट्र की महाद्वीपीय में पाए जाते हैं। अधिकांश लौह अयस्क भंडार बिहार ,उड़ीसा, मध्य प्रदेश, कर्नाटक तथा तमिलनाडु की चट्टानों में स्थित है। कर्नाटक में समस्त स्वर्ण भंडार स्थित है। इसी प्रकार क्रोमाइट उड़ीसा में कर्नाटक, बॉक्साइट बिहार ,मध्य प्रदेश एवं गुजरात, मैग्नीज मध्य प्रदेश, उड़ीसा और महाराष्ट्र तथा तांबा शीशा एवं जिक अयस्क बिहार राजस्थान में पाए जाते हैं। केरल तट पर पाई जाने वाली इनमें नाइट्रेट या बालू में नाभिकीय ऊर्जा खनिजों का अधिकांश संचय मौजूद है।


भारत में खनिज अन्वेषण और विकास
भारत में खनिज संसाधनों के लिए भौतिक अन्वेषण कठिन है, मुख्य रूप से उत्तर में जहां जलोढ़ मिट्टी की पड़ते रवेदार चट्टानों से गिरी है । पुरातन लावा प्रवाह एवं रेगिस्तान खनिज संसाधनों के प्रभावी अन्वेषण में एक अन्य बाधा है। भारत की अर्थव्यवस्था में खनिजों के महत्व को स्वीकार किया गया है तथा भारत सरकार ने खनिज संसाधनों के विकास के लिए कई संगठनों एवं संस्थानों का गठन भी किया है। उत्खनन को संविधि दर्जा देने के लिए वर्ष 1957 में खदान एवं खनिज अधिनियम लागू किया गया। इसके अतिरिक्त मिनरल एक्सप्लोरेशन लिमिटेड, इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस तथा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम भी इस कार्य में शामिल है।
खनिज नीति के मूल उद्देश्य निम्नलिखित हैं
भूमि और तटीय इलाकों में खनिज संपदा के अभी चिन्ह अंकन के लिए खोज करना।
राष्ट्रीय और सामरिक बैटन को दृष्टिगत करते हुए खनिज संसाधनों का विकास करना और उनकी पर्याप्त आपूर्ति और वर्तमान की आवश्यकता और भाभी अपेक्षाओं के मध्य नजर सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना।
देश की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए खनिज उद्योग के सुचारू एवं निर्विघ्नं विकास के लिए आवश्यक संबंध का संवर्धन करना।
खनिज में अनुसंधान और विकास का संवर्धन करना।
उपयुक्त रक्षात्मक उपायों के द्वारा वन पर्यावरण और पारिस्थितिकी पर खनिज विकास के प्रतिकूल प्रभाव को कम करना।
सभी संबंधित व्यक्ति की सुरक्षा और स्वास्थ्य को अहम मानते हुए खनन कार्य करना सुनिश्चित करना।
खनिज को दो भागों में बांटा गया है धात्विक खनिज और अधात्विक खनिज।
धात्विक खनिज- जिन खनिजों से धातु प्राप्त होती है उन्हें धात्विक खनिज कहते हैं , जैसे लौह अयस्क, बॉक्साइट आदि।
अधात्विक खनिज– जिन खनिजों से अधातु प्राप्त होते हैं उन्हें अधात्विक खनिज कहते हैं जैसे अभ्रक, चूना पत्थर आदि।
भारत में पाए जाने वाले प्रमुख खनिज

लौह अयस्क– भारत में लोहे का अनुमानित भंडार 32 सौ करोड़ टन है, जिसमें 85% हेमेटाइट, 8% मैग्नेटाइट तथा 7% अन्य प्रकार के होते हैं। धरती के गर्भ में और बाहर मिलाकर यह सर्वाधिक प्राप्त्य तत्व है। लौह धातु का पुरातन काल से मनुष्य को ज्ञान है। पृथ्वी का कोर लोह धातु का बना है, परंतु ऊपरी सतह पर दूसरे तत्वों द्वारा अभिक्रिया के फल स्वरुप लौह के योगी की मिलते हैं। पृथ्वी की ऊपरी सतह पर लौह योगीक प्रचुर मात्रा में उपस्थित हैं। लोहा दो मुख्य रूप में पाया जाता है मैग्नेटाइट और हेमेटाइट। मैग्नेटाइट काला क्रिस्टलीय खनिज पदार्थ है जिसमें तेज चुंबकीय गुण होता है। हेमाटाइट ज्यादातर जल द्वारा हाइड्रेटेड लिमो नाइट बनने के कारण क्रिस्टलीय रूप में कब मिलता है। शुद्ध हेमाटाइट के क्रिस्टल भूरे या काले रंग के होते हैं जिसमें लाल धारियां पड़ी रहती है इसमें निर्बल चुंबकीय गुण होते हैं। लोहा को सर्वप्रथम भूनकर जलवाष्प आदि दूर करते हैं कार्बोनेट एवं सल्फाइड का ऑक्सीकरण कर देते हैं। इस अयस्क का अपचयन कोक द्वारा एक भट्टी मैं किया जाता है। अयस्क को कैलशियम कार्बोनेट अथवा मैग्निशियम कार्बोनेट, सिलिका तथा कोक के साथ मिलाकर भट्टी ऊपरी क्षेत्र से डाला जाता है तथा नीचे के छिद्रों से गरम भाइयों को ऊपर की ओर प्रवाहित किया जाता है अंदर की प्रक्रिया द्वारा गैस बाहर निकलती है और द्रव लोह तथा धातु मल जमा हो जाते हैं। विश्व के कुल लॉयर्स का लगभग 20% भारत में संचित है संचित भंडार की दृष्टि से भारत का विश्व में प्रथम स्थान है। देश के कुल लौह अयस्क का लगभग 75% 2 राज्यों झारखंड एवं उड़ीसा से प्राप्त होता है। लौह अयस्क निर्यात की दृष्टि से भारत का स्थान विश्व में चौथा है। भारत सर्वाधिक लौह अयस्क का निर्यात जापान को करता है उसके बाद चेक स्लोवाकिया, श्रीलंका, इटली तथा अलग-अलग देशों को करता है।


मैग्नीज– मैग्नीज रसायनिक नजरिए से संक्रमण धातु समूह का सदस्य हैं। प्रकृति में शुद्ध रूप में नहीं मिलता बल्कि अन्य तत्वों के साथ बने यौगिकों में मिलता है, जिनमें अक्सर लोहे के योगिक शामिल होते हैं। शुद्ध करने के बाद इसका रंग स्लेटी होता है और अगर इसे इस्पात में मिलाया जाए तो इस बात में जंग नहीं लगता है। मनुष्य वन्यजीवों को थोड़ी मात्रा में मैग्नीज अपने आहार में जरूरी होता है लेकिन उससे अधिक मात्रा में या विषैला भी साबित होता है। मैगनीज उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है। अभी का सर्वाधिक संचित भंडार कर्नाटक में है। देश में सर्वाधिक मेहंदी उत्पादन करने वाला राज्य उड़ीसा में है तथा मैग्नीज उत्पादक देशों में भारत का विश्व में छठा स्थान है। यह मुख्य रूप से उड़ीसा, झारखंड, महाराष्ट्र ,आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान तथा गुजरात में पाया जाता है।
बॉक्साइट– बॉक्साइट एलुमिनियम का प्रमुख अयस्क है। यह पत्थर सर्वप्रथम फ्रांस में लैंसबॉक्स के निकट मिला था इसी आधार पर इस खनिज का नाम बॉक्साइट पड़ा। इसी खनिज से विश्व का अधिकांश एलुमिनियम निकाला जाता है। इसका रंग सफेद या बुरा होता है। सामान्यता इसमें लोहे का अर्थ विद्यमान होता है। खदान से निकलने पर या इतना मुलायम होता है कि हाथ से टूट जाता है पर वायुमंडल के संपर्क में आने पर इसकी कठोरता बढ़ती चली जाती है। बॉक्साइट का निर्माण पृथ्वी की सतह पर या उसके निकट मिट्टी तथा एलुमिनियम के आग्नेय सिलाओ के विघटन से होता है। बॉक्साइट पठानों के ऊपरी भागों में पहाड़ियों में तथा चूने की शिला में अनियमित समुदायों में मिलता है। भारत में इसका प्रमुख उत्पादक राज्य झारखंड है जहां रांची एवं पलामू जिले के ऊपर घाट तथा खुड़िया क्षेत्रों में इसकी महत्वपूर्ण खाने स्थित है। इसके अलावा यह उड़ीसा, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र तथा आंध्र प्रदेश में भी पाया जाता है। उड़ीसा तथाआंध्र प्रदेश में देश का 79% बॉक्साइट का संचित भंडार है। भारत में बॉक्साइट की तीन किस्म पाई जाती है बोकोमाइट, गिव राइट तथा डायस कोर। बॉक्साइट उत्पादन में भारत का विश्व में तीसरा स्थान है।
अधात्विक खनिज के कुछ उदाहरण

कोयला– कोयला वास्तव में वैदिक सभ्यता का प्रमुख संसाधन है। ज्यादातर यह लकड़ी के अंगारों को बुझाने से बच रहे जले हुए अंशों से प्राप्त होता है।भारत का 98% कोयला गोंडवाना युगीन है। कोयला उत्पादन में चीन व अमेरिका के बाद भारत का तीसरा स्थान है। यह एक ठोस कार्बनिक पदार्थ है जिसको इंधन के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ऊर्जा के प्रमुख स्रोतों के रूप में कोयला अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुल प्रयुक्त ऊर्जा का 35% से 40% भाग कोयले से प्राप्त होता है कोयले से अन्य दहन शिव तथा उपयोगी पदार्थ भी प्राप्त किए जाते हैं। कोयला भी विभिन्न प्रकार का होता है जिसमें कार्बन की मात्रा अलग-अलग होती है
एथे साइट– यह सबसे उच्च गुणवत्ता वाला कोयला माना जाता है क्योंकि इस में कार्बन की मात्रा 94 से 98% तक होती है। यह कोयला मजबूत चमकदार एवं काला होता है। इसका प्रयोग घरों तथा व्यवसाय में स्पेस हिटिंग के लिए किया जाता है। भारत में कोयला मुख्यता दो विभिन्न युगों के अस्तर समूहों में मिलता है पहला गोंडवाना योग तथा दूसरा तृतीय कल्प। इनमें गोंडवाना कोयला उच्च श्रेणी का होता है इसमें राख की मात्रा अर्थ तथा ताप उत्पादक शक्ति अधिक होती है। तृतीय कल्प का कोयला घटिया श्रेणी का होता है जिसमें गंधक की प्रचुरता होने के कारण या उद्योगों में भी प्रयुक्त नहीं किया जा सकता। भारत में गोंडवाना युग के प्रमुख क्षेत्र झरिया तथा रानीगंज हैं अन्य प्रमुख क्षेत्रों में बोकारो, गिरिडीह, करणपुरा, सिंगरेनी, उमरिया तथा सोहागपुर आदि हैं। तृतीय कल्प के कोयले लिग्नाइट और बिटुमिनस आदि के निक्षेप असम, कश्मीर, राजस्थान, तमिलनाडु और गुजरात राज्य में है।
बिटुमिनस– यह कोई सा भी अच्छी गुणवत्ता वाला माना जाता है। इस में कार्बन की मात्रा 78 से 86% तक पाई जाती है। यह फोटो शादी चट्टान है जो कालि या गहरी भुरे रंग की होती है। इस प्रकार के कोयले का उपयोग भाग तथा विद्युत संचालित ऊर्जा के इंजनों में होता है। इस कोयले से कोक का निर्माण भी किया जाता है।
लिग्नाइट– यह कोयला भूरे रंग का होता है तथा स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक हानिकारक होता है। इस में कार्बन की मात्रा 28 से 30% तक होती है और इसका उपयोग विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।
पीट– यह कोई लेकिन निर्माण से पहले की अवस्था होती है इस में कार्बन की मात्रा 27% से भी कम होती है। तथा या कोयला स्वास्थ्य की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक होता है।

पेट्रोलियम– यह पृथ्वी से प्राप्त होने वाला हाइड्रोजन एवं कार्बन का मिश्रण होता है। दूसरे शब्दों में तेल रिफाइनरी मैं संसाधित कच्चे तेल से प्राप्त होने वाली उपयोगी सामग्री ओं को कहते हैं। कच्चे तेल की संरचना और मांग के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों को विभिन्न मात्राओं में उत्पादित कर सकती है। तेल उत्पादों का सबसे अधिक मात्रा में ऊर्जा वाह को के रूप में इस्तेमाल किया जाता है जैसे कि ईंधन तेल तथा पेट्रोल। पेट्रोलियम में अक्सर सल्फर भी थोड़ी मात्रा में शामिल होता है सर पर को भी अक्सर एक पेट्रोलियम उत्पाद के रूप में उत्पादित किया जाता है पेट्रोलियम हाइड्रोजन और कार्बन कॉपी पेट्रोलियम उत्पादों के रूप में उत्पादित किया जा सकता है। तेल रिफाइनरी कंपनियां विभिन्न प्रकार के कच्चे माल को मिश्रित करती है तथा उचित योजको को मिलाती है लघु अवधि का भंडारण प्रदान करती है और ट्रकों, नौका, पानी के जहाज तथा रेलों में भारी मात्रा में लाने के लिए तैयार करती है। भारत में विश्व के कुल संचित तेल का मात्र 0.5% उपलब्ध है। 1956 ईस्वी में तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग की स्थापना हुई तथा तेल का सर्वप्रथम उत्पादन 1890 एसपी में डिगबोई क्षेत्र में प्रारंभ हुआ। तेल शोधक कारखाना की स्थापना सर्वप्रथम 1950 ईस्वी में डिगबोई में की गई। 1953 एसपी के बाद नहरकटिया में तेल निकालना प्रारंभ हुआ। अरब सागर के मुंबई हाई से खनिज तेल निकालने का कार्य सर्वप्रथम 1976 ईस्वी में शुरू हुआ। देश के कुल खनिज तेल का 58% उत्पादन मुंबई हाई से किया जाता है। जामनगर तेल शोधक कारखाना एशिया का सबसे बड़ा तेल शोधक कारखाना है। भारत में पेट्रोलियम उत्पादक राज्य निम्नलिखित हैं गुवाहाटी, मथुरा पानीपत, विशाखापट्टनम, मंगलौर, मुंबई, कोच्चि, डिगबोई, हल्दिया, मथुरा आदि।

प्राकृतिक गैस- प्राकृतिक गैस कई गैसों का मिश्रण होती है जिसमें मुख्यता मिथेन होती है तथा जीरो से 20% तक अन्य उच्च हाइड्रोकार्बन जैसे एथेन गैसे होती है। प्राकृतिक गैस इंधन का प्रमुख स्रोत होता है जो कि अन्य जीवाश्म इधनो के साथ पाया जाता है। यह करोड़ों वर्ष पूर्व धरती के अंदर जमे हुए मरे हुए जीवो के सड़े गले पदार्थ से बनती है। यह गैसीय अवस्था में पाई जाती है। सामान्यता यह मेथेन, एथेन, प्रोपेन, ब्यूटेन आदि का मिश्रण है जिसमें 70 से 90% तक मेथेन गैस पाई जाती है। इसका उपयोग खाद निर्माण में, विद्युत बनाने में, नगर गैस वितरण में, घरेलू गैस उपयोग में, वाहनों के ईंधन के रूप में तथा कारखानों के ईंधन के रूप में किया जाता है। सबसे प्राकृतिक गैस दो तंत्र के द्वारा बनाई गई है जैव जनित तथा उस्मा जनित। भारत में प्राकृतिक गैस के भंडार का पता प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन ऑयल इंडिया लिमिटेड लगाती है। भारत में गैस का भंडार विश्व के कुल गैस भंडार का करीब0.5% है। आंध्रप्रदेश के तट पर कृष्णा गोदावरी बेसिन में डी से ब्लॉक में प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार की खोज रिलायंस इंडस्ट्रीज ने की है। प्राकृतिक गैस के भंडार तमिल नाडु, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू कश्मीर, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, त्रिपुरा एवं अरुणाचल प्रदेश में स्थित है।


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